प्ररितों का विश्वास कथन...2 The Apostles' Creed Lesson 5:...

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ेरित का विास-कथन अययन वनेविका For videos, manuscripts, and other resources, visit Third Millennium Ministries at thirdmill.org. अयाय पाच कलीवसया

Transcript of प्ररितों का विश्वास कथन...2 The Apostles' Creed Lesson 5:...

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    प्रेरितों का विश्वास-कथन

    अध्ययन वनर्दवेिका

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    अध्याय

    पाांच कलीवसया

  • 2

    The Apostles' Creed

    Lesson 5: The Church © 2010 by Third Millennium Ministries www.thirdmill.org

    विषय-िस्त ु

    इस अध्याय को कैसे इस्तेमालाल किऔ ि अध्ययन वनर्देविका ............................................................................................................. 3

    नोट्स .......................................................................................................................................................................... 4

    1. परिचय (1:01) ................................................................................................................................................... 4

    2. स्िीकृवत (3:26) .................................................................................................................................................. 4

    A. पुिाना वनयमाल (6:18) .................................................................................................................................................... 5

    B. यीिु (12:42) ............................................................................................................................................................ 5

    C. आिय (19:23) .......................................................................................................................................................... 6

    1. उद्देश्य (20:28) ................................................................................................................................................... 6

    2. विश्वासी ि अविश्वासी (22:45) ............................................................................................................................ 6

    3. विम्मेालर्दारियाां (24:55) .......................................................................................................................................... 6

    3. पवित्र (31:52) ................................................................................................................................................... 7

    A. परिभाषा (33:24)....................................................................................................................................................... 7

    B. लोग (40:41)............................................................................................................................................................. 7

    1. र्दशृ्य कलीवसया (43:02) ....................................................................................................................................... 8

    2. अर्दशृ्य कलीवसया (47:48) ..................................................................................................................................... 8

    4. सािवभौवमालक (52:00) ............................................................................................................................................ 9

    A. परिभाषा (52:21)....................................................................................................................................................... 9

    B. र्दशृ्य सािवभौवमालक कलीवसया (57:21) ............................................................................................................................... 9

    C. अर्दशृ्य सािवभौवमालक कलीवसया (1:05:03) ........................................................................................................................ 10

    1. एक उद्धािकर्त्ाव (1:06:04) ................................................................................................................................... 10

    2. एक धमालव (1:08:44)............................................................................................................................................ 10

    5. सांगवत (1:14:55) .............................................................................................................................................. 11

    A. र्दशृ्य कलीवसया (1:16:41) .......................................................................................................................................... 12

    1. अनुग्रह के साधन (1:17:02) ................................................................................................................................. 12

    2. आवममालक ििर्दान (1:21:27) .................................................................................................................................. 12

    3. भौवतक िस्तुए ँ(1:23:56) .................................................................................................................................... 13

    B. अर्दशृ्य कलीवसया (1:26:50) ........................................................................................................................................ 13

    1. मालसीह के साथ एकता (1:27:01) ........................................................................................................................... 13

    2. विश्वावसयों के साथ एकता (1:31:26) ..................................................................................................................... 13

    6. उपसांहाि (1:35:11) ........................................................................................................................................... 14

    पुनसवमालीक्षा के प्रश्न .......................................................................................................................................................... 15

    उपयोग के प्रश्न .............................................................................................................................................................. 20

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    इस अध्याय को कैस ेइस्तमेालाल किऔ ि अध्ययन वनर्दवेिका

    इस अध्ययन वनर्देविका को इसके साथ िुड़े िीवियो अध्याय के साथ इस्तेमालाल किने के वलए तैयाि ककया गया

    ह।ै यकर्द आपके पास िीवियो नहीं ह ैतो भी यह अध्याय के ऑवियो ि/या लेख रूप के साथ कायव किेगा। इसके

    साथ-साथ अध्याय ि अध्ययन वनर्देविका की िचना सामालूवहक अध्ययन मालऔ इस्तेमालाल ककए िाने के वलए की गई

    ह,ै पिन्त ुयकर्द िरुित हो तो उनका इस्तेमालाल व्यविगत अध्ययन के वलए भी ककया िा सकता ह।ै

    इसस ेपहल ेकक आप िीवियो र्दखेऔ

    o तयैािी किऔ — ककसी भी बताए गए पाठन को पूिा किऔ।

    o र्देखन ेकी समालय-सािणी बनाएां — अध्ययन वनर्देविका के नोट्स के भाग मालऔ अध्याय को ऐसे

    भागों मालऔ विभावित ककया गया ह ैिो िीवियो के अनुसाि हैं। कोष्ठक मालऔ कर्दए गए समालय कोड्स

    का इस्तेमालाल कित ेहुए वनधावरित किऔ कक आपको र्देखन े के सत्र को कहाँ िरुू किना ह ै ि

    कहाँ समालाप्त। IIIM अध्याय अवधकावधक रूप मालऔ िानकािी से भिे हुए हैं, इसवलए आपको

    समालय-सािणी मालऔ अांतिाल की आिश्यकता भी होगी। मालुख्य विभािनों पि अांतिाल िखे िाने

    चावहए।

    िब आप अध्याय को र्देख िह ेहों

    o नोट्स वलखऔ — सम्पूणव िानकािी मालऔ आपके मालागवर्दिवन के वलए अध्ययन वनर्देविका के नोट्स के

    भाग मालऔ अध्याय की आधािभूत रूपिेखा िहती है, इसमालऔ हि भाग के आिांभ के समालय कोड्स

    ि मालुख्य बातऔ भी िहती हैं। अवधकाांि मालखु्य विचाि पहल ेही बता कर्दए गए हैं, पिन्त ुइनमालऔ

    अपने नोट्स अिश्य िोड़औ। आपको इसमालऔ सहायक विििणों को भी िोड़ना चावहए िो आपको

    मालुख्य विचािों को यार्द िखने, उनका िणवन किन े ि बचाि किने मालऔ सहायता किऔगे।

    o रिप्पवणयों ि प्रश्नों को वलखऔ — िब आप िीवियो को र्देखते हैं तो िो आप सीख िह ेहैं

    उसके बािे मालऔ आपके पास रिप्पवणयाां ि/या प्रश्न होंगे। अपनी रिप्पवणयों ि प्रश्नों को

    वलखने के वलए इस रिि स्थान का प्रयोग किऔ ताकक आप र्देखने के सत्र के बार्द समालूह के साथ

    इन्हऔ बाँि सकऔ ।

    o अध्याय के कुछ वहस्सों को िोकऔ /पनुः चलाएँ — अवतरिि नोट्स को वलखने, मालुवश्कल भािों

    की पुनः समालीक्षा के वलए या रुवच की बातों की चचाव किन ेके वलए िीवियो के कुछ वहस्सों को

    िोकना ि पनुः चलाना सहायक होगा।

    िीवियो को र्देखन ेके बार्द

    o पनुसवमालीक्षा के प्रश्नों को पिूा किऔ — पुनसवमालीक्षा के प्रश्न अध्याय की माललूभूत विषय-िस्तु पि

    वनभवि होत ेहैं। आप कर्दए गए स्थान पि पुनसवमालीक्षा के प्रश्नों का उर्त्ि र्दऔ। ये प्रश्न सामालूवहक रूप

    मालऔ नहीं बवकक व्यविगत रूप मालऔ पूिे ककए िान ेचावहए।

    o उपयोग प्रश्नों के उर्त्ि र्दऔ या उन पि चचाव किऔ — उपयोग के प्रश्न अध्याय की विषय-िस्तु को

    मालसीही िीिन, धमालवविज्ञान, ि सेिकाई से िोड़ने िाल ेप्रश्न हैं। उपयोग के प्रश्न वलवखत

    सत्रीय कायों के रूप मालऔ या सामालूवहक चचाव के रूप मालऔ उवचत हैं। वलवखत सत्रीय कायों के वलए

    यह उवचत होगा कक उर्त्ि एक पृष्ठ से अवधक लम्बे न हों।

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    नोट्स

    1. परिचय (1:01)

    प्रेरितों के विश्वास-कथन मालऔ “कलीवसया” िब्र्द प्रमालुख रूप से पिमालेश्वि के लोगों को र्दिावता ह।ै

    िब विश्वास-कथन कहता ह,ै “हमाल कलीवसया मालऔ विश्वास कित ेहैं” तो इसका अथव यह नहीं ह ैकक हमाल

    उद्धाि के वलए कलीवसया पि भिोसा िखते हैं।

    2. स्िीकृवत (3:26)

    वििालतः कलीवसया :

    पृथ्िी पि पिमालेश्वि का िाज्य ह ै

    उसके वििेष लोगों की मालांिली ह ै

    िह मालुख्य मालाध्यमाल ह ैविसके द्वािा िह उद्धाि प्रर्दान किता ह ै

    पिमालेश्वि के साथ हमालािे सांबांध को स्थावपत किन े ि बनाए िखने मालऔ मालहमिपूणव है

    पिमालेश्वि न ेकलीवसया को एक उदे्दश्य के वलए बनाया ि उसे अवधकाि से भि कर्दया।

  • Notes

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    5

    A. पिुाना वनयमाल (6:18)

    नए वनयमाल की कलीवसया के अथव की िड़औ पिुाने वनयमाल मालऔ वमाललती हैं।

    इस्राएल की सभा पुिान ेवनयमाल मालऔ नए वनयमाल की कलीवसया के समालकक्ष थी।

    B. यीि ु(12:42)

    यीिु ने अपनी कलीवसया इस प्रकाि बनाई िो पुिान ेवनयमाल की कलीवसया पि वनभवि तो िही

    पि उससे आग ेभी बढ़ी।

    यीिु नए वनयमाल की कलीवसया के रूप मालऔ इस्राएल को बचाने ि पुनस्थाववपत किन ेआया।

  • Notes

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    6

    C. आिय (19:23)

    पुिाने वनयमाल के इस्राएल ि नए वनयमाल की कलीवसया मालऔ एक आधािभूत वनिांतिता ह।ै

    1. उद्देश्य (20:28)

    सांसाि को पिमालेश्वि के पृथ्िी के िाज्य मालऔ बर्दलना

    2. विश्वासी ि अविश्वासी (22:45)

    र्दोनों सभाओं मालऔ विश्वासी ि अविश्वासी र्दोनों होते हैं।

    3. विम्मालरे्दारियाां (24:55)

    पिमालेश्वि से प्रेमाल किना

    उसके िाज्य को फैलाना

    उसको मालवहमाला र्देना

  • Notes

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    7

    3. पवित्र (31:52)

    “पवित्र,” “िुद्ध” ि “सांत” एक ही िब्र्द-समालूह से आते हैं।

    A. परिभाषा (33:24)

    नैवतक रूप से िुद्ध :

    पाप ि भ्रष्टता स ेमालुि

    पिमालेश्वि की वििेष सेिा मालऔ प्रयोग के वलए अलग ककया :

    िस्तुएँ यकर्द नैवतक रूप से िुद्ध नहीं हैं तो भी िे पवित्र हो सकती हैं

    B. लोग (40:41)

    बाइबल लोगों को पवित्र बताती ह ैिब उन्हऔ पिमालेश्वि के उपयोग के वलए अलग ककया िाता

    ह।ै

  • Notes

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    8

    1. र्दशृ्य कलीवसया (43:02)

    िह िो एकवत्रत कलीवसया का वनयवमालत भाग होती ह ै

    पिमालेश्वि की िाचा मालऔ अवभपुष्ट

    मालसीह मालऔ विश्वास को िखता या अांगीकाि किता ह ै

    कलीवसया की विक्षा के प्रवत समालर्पपत ह ै

    विश्वासी अवभभािक या िीिनसाथी िखता ह ै

    2. अर्दशृ्य कलीवसया (47:48)

    िे िो उद्धाि मालऔ मालसीह के साथ िोड़े गए हैं (सच्ची कलीवसया)

    केिल पिमालशे्वि अर्दशृ्य कलीवसया को पूणव वनश्चयता के साथ पहचान सकता ह।ै

    कलीवसया को वनिांति सुसमालाचाि सुनना आिश्यक ह।ै

  • Notes

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    9

    4. सािवभौवमालक (52:00)

    A. परिभाषा (52:21)

    सािवभौवमालक :

    सािवभौवमालक : सब कलीवसयाओं के सब मालसीही िावमालल

    लैरिन िब्र्द “कैथोवलकस” से (यनूानी : सांपूणव, पिूा)

    िोमाली कैथोवलक चचव का उकलेख नहीं

    उस एकता का विििण िो मालसीह का विश्वासयोग्यता से अनुसिण किने िाली

    कलीवसयाओं मालऔ पाई िाती ह।ै

    प्रेरितों का विश्वास-कथन पवित्र आममाला की उस एकता के बािे मालऔ बात किता ह ैिो सच्ची

    मालसीही कलीवसयाओं मालऔ पाई िाती ह।ै

    समालािेिी

    कालाांति मालऔ कलीवसया विभािनों के कािण वबखि गई

    गैि-समालािेिी

    B. र्दशृ्य सािवभौवमालक कलीवसया (57:21)

    परिभाषा : मालसीह के अवधकाि के तहत पिमालेश्वि की िाचा मालऔ पाए िाने िाल ेलोगों की एक

    िैवश्वक सांगवत।

  • Notes

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    10

    कलीवसया के वचह्न :

    िचन

    सांस्काि

    अनुिासन

    C. अर्दशृ्य सािवभौवमालक कलीवसया (1:05:03)

    परिभाषा : सब युगों के सब लोग िो उद्धाि के वलए मालसीह स ेिुड़े हैं।

    1. एक उद्धािकर्त्ाव (1:06:04)

    यीिु मालसीह मालानििावत को कर्दया गया एकमालात्र उद्धािकर्त्ाव ह।ै

    2. एक धमालव (1:08:44)

    केिल एक सच्चा धमालव ह ैिो मालसीह की ओि हमालािी अगुिाई कि सकता ह।ै

  • Notes

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    11

    र्दशृ्य कलीवसया के बाहि के लोगों के वलए सामालान्य रूप से उद्धाि सांभि नहीं ह।ै

    5. सांगवत (1:14:55)

    कोइनोवनआ :

    िह सांगवत िो कलीवसया के सर्दस्यों के बीच पाई िाती ह ै

    वमालल-बाांिना

    o भौवतक िस्तुएँ ि धन

    o सुसमालाचाि (कलीवसया के भीति)

    सांगवत :

    कलीवसया के सर्दस्यों के बीच सांगवत

    उन िस्तओुं को बाांिना िो हमालािे पास हैं

    पािस्परिक वनभविता

  • Notes

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    12

    A. र्दशृ्य कलीवसया (1:16:41)

    1. अनगु्रह के साधन (1:17:02)

    िे साधन विन्हऔ पिमालेश्वि अपन ेलोगों को अनगु्रह प्रर्दान किन ेके वलए सामालान्य रूप

    मालऔ इस्तेमालाल किता ह ै:

    िचन

    सांस्काि

    प्राथवना

    2. आवममालक ििर्दान (1:21:27)

    पवित्र आममाला र्दशृ्य कलीवसया की बढ़ोतिी के वलए सािे आवममालक ििर्दानों का प्रयोग

    किता ह।ै

    िे आवममालक ििर्दान िो सांपूणव र्दशृ्य कलीवसया मालऔ पाए िाते हैं।

    सािविवनक आिाधना सभाएां

    सांपूणव कलीवसया को बढ़ाना

    अविश्वावसयों के वलए वचह्न

    अविश्वावसयों को र्दोषी ठहिाना

  • Notes

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    13

    3. भौवतक िस्तएु ँ(1:23:56)

    बाइबल ि आिांवभक कलीवसया मालऔ मालसीवहयों ने उन सबके साथ अपनी भौवतक

    िस्तुओं को बाांिा िो आिश्यकता मालऔ थे।

    B. अर्दशृ्य कलीवसया (1:26:50)

    1. मालसीह के साथ एकता (1:27:01)

    यीिु विश्वावसयों मालऔ िास किता ह ै ि िे यीि ुमालऔ।

    इस एकता मालऔ हमालािे ििीि ि आममालाएां र्दोनों सहभागी होत ेहैं।

    2. विश्वावसयों के साथ एकता (1:31:26)

    विश्वासी मालसीह मालऔ एक-र्दसूिे से िुड़े िहते हैं।

    र्दशृ्य कलीवसया के साथ हमालािी एकता सांबांधपिक ि आनुभविक है; अर्दशृ्य

    कलीवसया के साथ हमालािी एकता आवममालक ि अवस्तमि मालीमालाांसा-सांबांधी ह।ै

  • Notes

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    14

    अर्दशृ्य कलीवसया की सांगवत पृथ्िी पि की कलीवसया तक सीवमालत नहीं ह।ै

    पवित्रिास्त्र इस बात से बहुत सी बातों को समालझाता ह ैकक विश्वासी मालसीह मालऔ िुड़े

    हुए हैं।

    6. उपसांहाि (1:35:11)

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    पनुसवमालीक्षा के प्रश्न

    1. चचाव कीविए कक ककस प्रकाि नए वनयमाल की कलीवसया पुिाने वनयमाल मालऔ अपनी िड़ों को पाती ह।ै

    2. यीिु ने ककस प्रकाि अपनी ऐसी कलीवसया की स्थापना की िो पुिाने वनयमाल की कलीवसया पि वनभवि

    तो थी पि उससे आगे भी बढ़ी?

  • Review Questions

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    16

    3. पुिाने वनयमाल ि नए वनयमाल की कलीवसया के बीच पाए िान ेिाले सांबांध के कुछ आिय क्या हैं?

    4. बाइबल मालऔ इस्तेमालाल ककए गए िब्र्द “पवित्र” को परिभावषत कीविए ि इस पि चचाव कीविए।

  • Review Questions

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    17

    5. बाइबल का इसमालऔ क्या अथव ह ैिब यह पिमालशे्वि के लोगों का िणवन किने के वलए “पवित्र” िब्र्द का

    इस्तेमालाल किती ह?ै

    6. “सािवभौवमालक” िब्र्द को परिभावषत कीविए ि इसका िणवन कीविए, विस प्रकाि इसे प्रेरितों के

    विश्वास-कथन मालऔ समालझा गया।

  • Review Questions

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    18

    7. र्दशृ्य सािवभौवमालक कलीवसया क्या है, ि हमाल कैसे वनवश्चत किते हैं कक कौनसी कलीवसयाएां मालसीह की

    सािवभौवमालक कलीवसया के भाग के रूप मालऔ स्िीकाि की िानी चावहए?

    8. अर्दशृ्य सािवभौवमालक कलीवसया के बािे मालऔ चचाव कीविए ि इस पि भी कक यह ककस प्रकाि र्दशृ्य

    सािवभौवमालक कलीवसया से वभन्न है?

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    19

    9. ककन रूपों मालऔ र्दशृ्य कलीवसया सांतों की एक सांगवत है?

    10. चचाव किऔ कक ककस प्रकाि अर्दशृ्य कलीवसया के सभी विश्वासी मालसीह के साथ ि अन्य विश्वावसयों के

    साथ सांगवत िखत ेहैं।

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    उपयोग के प्रश्न

    1. पिमालेश्वि के साथ सांबांध को बनाए िखन ेमालऔ कलीवसया ककस प्रकाि मालहमिपूणव है?

    2. आपन ेककन रूपों मालऔ कलीवसयाई समालुर्दाय मालऔ पिमालेश्वि के अनगु्रह का अनुभि ककया ह?ै

    3. हमाल मालऔ से कुछ लोग कलीवसया को मालुख्य रूप से एक इमालाित ही सोचते हैं। ककस प्रकाि पिमालेश्वि के लोगों

    की मालांिली के रूप मालऔ कलीवसया को इस समालस्या से बचाने मालऔ सहायता किनी चावहए?

    4. ककन रूपों मालऔ आप सांसाि को पिमालेश्वि के पृथ्िी पि के िाज्य मालऔ बर्दलने के कलीवसया के उदे्दश्य मालऔ

    सहभागी हो सकते हैं?

    5. ककन रूपों मालऔ आप र्देखते हैं कक कलीवसया को सांसाि से अलग होने (पवित्र बनन)े की आिश्यकता ह?ै

    6. यकर्द अांततः पिमालेश्वि ही िानता ह ैकक अर्दशृ्य कलीवसया मालऔ कौन-कौन हैं, तो हमालऔ उनसे कैसे व्यिहाि

    किना चावहए िो अभी तक विश्वासी नहीं बने हैं?

    7. क्योंकक कलीवसया “सािवभौवमालक” ह ैतो हमालऔ उन कलीवसयाओं के बािे मालऔ कैसे सोचना चावहए िो प्रेरितों

    के विश्वास-कथन को मालानती हैं?

    8. कलीवसया अनुिासन से एक मालांिली मालऔ क्या लाभ प्राप्त हो सकता हैं?

    9. कलीवसया की सांगवत को आपन ेककस प्रकाि अनुभि ककया ह?ै

    10. ऐसे तीन रूप कौनस ेहैं विनमालऔ आप अपन ेििर्दानों का इस्तेमालाल अपन ेकलीवसयाई समालुर्दाय के लाभ के

    वलए कि सकते हैं?

    11. इस अध्याय मालऔ आपन ेकौनसी सबसे मालहमिपूणव बात सीखी है?