Ghar Ka Vaid - archive.org

252
सावधान--हमस जहा तक कोशिशहो पाई, पसतक ठीक तरह छापी ह, फिर भी गलती रह जानी कोई बडी वात नही ह। मठर समबनधी किसी विशषजञपरामरश लकर ही कारय कर पबनिशरस परस,लखक एव परस करमचारी किसी तरह कतई जिममदार नही होग परकाशक दहाती पसतक भणडार चावडी बाजार, दिलली-६ कविराज जगननाथ शासतरी (2परवाघिकार . परकाशकाघीन मलय 2 00 विदश पौड 2£ मदरक झार० क० भविटस, कमला नगर, दिलली-७ योनसवासशयोपयोगी बरहमचय साधन वयायाम-शिकषा लाटी-शिकषा मलल यदध बरहमचरय शरनभव हम सवसथ कस रह तीन परमख योग बडा योगासन (सचननितर ) मानसिक बरहमचरय करमयोग सदा जवान रहो सतरीपरषो योगासन नारी यौवन वयायाम औरसौनदरय कद बढान वयायाम मोटापा कम करन उपाय योग का इतिहास योग नियमावली सवपन दोप विजञान कबज का शरतिया इलाज योन विजञान घरल' चिकितसा धनवनतरी वदय दहाती इलाज पराकतिक चिकितसा विजञान पानी घप मही तथा सब रोगो की पराकतिक चिकितसा पराकतिकचिकितसा का दिन पर मसतर कामसच गरभसतर गहसथसचर सतरी-परप वचराज (घरल डाकटर) बडा घर का वचय 4/50 4/50 3/- 4/50

Transcript of Ghar Ka Vaid - archive.org

Page 1: Ghar Ka Vaid - archive.org

सावधान--हमस जहा तक कोशिश हो पाई, पसतक ठीक तरह स छापी ह, फिर भी गलती रह जानी कोई बडी वात नही ह। मठर समबनधी किसी विशषजञ स परामरश लकर ही कारय कर । पबनिशरस

परस, लखक एव परस करमचारी किसी तरह स कतई जिममदार नही होग ।

परकाशक दहाती पसतक भणडार चावडी बाजार, दिलली-६

कविराज जगननाथ शासतरी

। (2परवाघिकार . परकाशकाघीन

मलय 2 00 विदश म पौड 2 £

मदरक झार० क० भविटस, कमला नगर, दिल‍ली-७

योन सवासशयोपयोगी बरहमचय साधन वयायाम-शिकषा लाटी-शिकषा मलल यदध बरहमचरय क शरनभव हम सवसथ कस रह तीन परमख योग बडा योगासन (सचननितर ) मानसिक बरहमचरय करमयोग सदा जवान रहो सतरी परषो क योगासन नारी यौवन वयायाम और सौनदरय कद बढान क वयायाम मोटापा कम करन क उपाय योग का इतिहास योग नियमावली सवपन दोप विजञान कबज का शरतिया इलाज योन विजञान घरल' चिकितसा धनवनतरी वदय दहाती इलाज पराकतिक चिकितसा विजञान पानी घप मही तथा सब रोगो की पराकतिक चिकितसा पराकतिक चिकितसा का दिन पर मसतर कामसच गरभसतर गहसथसचर सतरी-परप वचराज (घरल डाकटर) बडा घर का वचय

4/50 4/50 3/-

4/50

Page 2: Ghar Ka Vaid - archive.org

गह कि रह-लार : एक ः

बवासीर 6, अप जिगर' विकार 6, दमा तथरी 6, पट क कीड 6 सजाक 7, खासी 7

दन मजन 7, पीडा 7, मलरिया 7) नमक उपचार---आई लोशन [आख

की दवा) 8, कान-दरद 8, पट क कीड 8, सरमा मोतीयाबिनदर 8 मदा-विकार 8, पमत-चरणा 9 थकी शराखवी फ लिए 0, विचछ काट का इलाज !, मलरिया का सफल इलाज वमिसाल ॥, सरमा 2 दरद शरौर जलन ]2, सिर दद ]3, नजला-जकाम 3, बद मासिक धरम 3

नमक शरोर दोनोउपचार !3, मिरच उपचार-- एक शरनोखी

गरीपधि 4, कान दद 5, दत-पीडा 5, आध सिर का दरद 6, चखार 6, दसत- मरोड 6, विपला डक ]6, हजा 6, हज की गोली 8 बिलकल आसाननसखा 7

काली मिरच का जाद --पट क रोग]7 वादी नाशक 8, हजा 8

हलदी उपचार---म तर की शरधिकता 8, कमजोर नजर 8, वमिसाल टिनचर 9, शरदभत तल 9 ममीरा हलदी 9, मजाक तोड 20, म‌ ह क छाल 20, कठमाला 20, वट म हवा भर जाना 20 शराख की लाली 2] चबल 2 फलवहरी 2, विपला डक 2]

[तराशय क, 23, क

24, शराख 24, खशक खा

24, बदहजमी, 25, रोग 25, मतर की जलन 25 मासिक-धरम की शरधिकया 25 गमभिणी की क 25, नीद न शरातना 25, खनी बवासीर 26 पयास की तजी 26, सजन 26

दारचीनी उपचार 26, कमजोर दिमाग 26, कषय 26, दतत और मरोडा 27 वीय पोषटक चरण 27, इफनएजा 27,

अरदरक उपचार 27 खासी-दमा 27, भख त लगना 27, पाचनवरदधक चरण 27, कान-दरद 28 इफलएजा 28, क 28, शरावाज

बठना 28, नजला-जकाम 28 पसली का दरद 28, सगरहणी मरोड, बदहजमी 28

लॉग उपचार 29, पट फलना 29 बदहजमी 29, जलाब 29, खासी शझौर दमा 29, 29, बखार और सिर-दरद 29, इफलएजा 29 मितली भाना 29, हिचकी 30 पयास की तीबता 30

इलायची उपचार 30, पयास की तीवरता 30, पाचनवरदधक 30, हज की रामबाण चिकितसा 3] शरद‌ ऋत की खासी 3, परमह, 3॥, मतरजलन और नया सजाक 3], हिचकी 32

Page 3: Ghar Ka Vaid - archive.org

(५)

घाग ,उपचार--हिसटरिया 32 हजा 6 32, दमा, 32 काली खासी 32

सीन का दरद 32, पसली का दरद 33, पट दरद 33, पट विकार नाशक 33, शरावाज बठना 33 नया जकाम और हीग 33 पागल कतत क काटन पर 34 चीटी भगाना 34, +दत-पीडा व कीडा लगना 34, पट क की ट 34, दाद 34, कान क रोग 34 दरद कान 34, भद का दरद 34, 35, सखी परसव हीग- टिकचर 35

पयाज उपचार 35 साप काट का चमतकारी नसखा हज की रामबाण दवा 36, दसत शरोर मरोड 27, दमा, सिर-दरद, 36, मोतियाविद 36, लाजवाब सरमा 36, मतर की जलन 37, सतन घाव 37, बचचो का कान-दरद 37, बचचो की शराख दखना 37,

लहसन उपचार--37, झशरफारा व हजा 37, पट क कीड 38, क‍ दरद का चमतकारी तल 28, हज का तरनत उपचार 38, काली खासी 39 उपचार---39, झरााघ सिर का दरद 40, नजला-जकाम 40 थकान 40, मह क घाव 40 दत-रोग 4], नतर-रोग 4] कान क रोग 4, गल क रोग 42 छाती ओऔरौर फफडो क रोग 42 परषो क रोग 42, बचचो क रोग 42, तपदिक 43 मोटापा 44,

गाजर उपचार--44 कमजोर

दिमाग 44, पराघ सिर का दद

44, सीन का दरद 44, बलगमी खासी 44, पथरी, 44, मासिक धरम 44, पीगप बल क लिए 44, बचचो की कमजोरी 45 पट क कीढ 45, मसढो क लिए 45, हदय रोग 45

(मली[उपचार--45, पीलिया, 45, दाद 46, गद का दरद, 46 बवासीर 46, विपला डक 46 गल का घाव 46, नतर रोग 46

घीयाकदद उपचार--46, सिर-दरद 46, कान-दरद 47, दतत-पीडा 47, ननन-रोग 47 खन गिरना 47 पयाज की तीचरता 47 बनद मतर 47, कबज, 47, दिमाग शरौर जिगर की गरमी 47, खनी बवासीर 48, पीलिया 48 बचचो का रोग 48, तपदिक 48 गरभ म 48, लडकी की बजाय लडका 48, गरद का दरद 48,

जामन चिकितपा--मरोड ४53 मीतियाविनद 53, सवपनदोप 53 खनी दसत 53, शरावाज बठना, 53 पतला वीरय 54, मसगरहणी मरोड 54, मधमभह 54, मासिक सराव की शरधिकता 54, लिको- रिया 54, सजाक 54, दतत रोग 55

तरवज चिकरितसा--मिरदरद 55, वसम झौर पागलपन 55, क 56, पयास की तीबरता 56 हदय घडकन 56 कवज 57, सजाक 57, गरमी का जवर 57, बवासीर 57

नारगी चिकितसा--नजला झौर

Page 4: Ghar Ka Vaid - archive.org

(४)

जकाम 58, खासी 58, भख न लगना 58, पसली का दरद 58 टाइफायड 58, हदय बलवदध क शवत 59, नारगी पय 59, नतर रोग 59, सनदर सनन‍तान 60

नीब चिकितसा- खासी 60, महास 60, खजली 60, मिततली 60, पट- दरद 60, दनन‍त-पीडा €0, तीक जकाम 60, बखार म पयास 6], दसत व मरोड 6), समरहणी 6, सिर चकराना 6], सगम परसव 6], वयटीलोशन 6, तवचा शोधक 62, दाद क दो सरवोततम नसख 62, सीन की जलन 63 तिल‍ली 63, मलरिया 63, बवा- सीर 63, हजा 63, हिसटी- रिया 63, मोतियाबिनद 64, शवास की दरगन‍ध 64, गरभपात की चमतकारी दवा 54

परनार चिकितसा-- नतर खजली 64 शरॉव की सरखी व दरद 64, दातो स खन झाना 65, पट दरद 65 जिगर व मदा विकार 65 पीलिया 65, हदव वल वदधक शरबत 66, भख बढान वाला घरबत 66, नतर रोग 66, खासी 66, बवासीर 66, मतर की अधिकता 66, सवपन दोष 67 मह की टरगनच 67

शरगर चिकितसा---कान का पीडा 67 वालभड 67, खासी 67, आख दखना 67, शराख म खजली 67 नकसीर 67, सतरी रोग 68, हदय बलकदधक 68, मिरगी 68 पीलिया 68, कनज 58, गरद का

र 68, मासिक पम'« कौर जछिकतिर:68, बचचो का कबज*69 क‍ जा, शरॉख की ।

साली 69, सिरदरद 69, दरिमीग की का री 69, खासी ? र

टॉनिक 70, यौन वलवरदध क 70, उपयोगी चाय 70

परननतास चिकितसा--गरभी तोड शरवत 7।, शरनननास का मरबचा 7, शरजीण 72

बादाम चिकितसा --अकसीर दिमाग 72, चशम स छटकारा पाइय 73, ततलाना 73, हदय

चलवदधक 73, जिगर की सजन 74, पीलिया 74

भरखरोट फ चमतकार--खासी और दमा 75, योन वलवबदध क 75, मरोड 75, विष काट 75, अभरख- रोट तल 75, दनन‍त पीडा 76, खिजाव तल 76

शराम फ चमतकार---शरकमी र तपदिक 76 अकसीर सगरहणी 76, भरकसीर हाजमा 77, शरवमीर तिल‍ली 77, अरकसीर दिमाग 77, आत क रोग 77, रकत विकार 78, परषो क रोग 78, गरभिणी की क 78 गरमी तोड 78, ल 79, मघ- मह 79, मरोड व समरहणी 79 जिगर की कमजोरी 79, दत मजन 80, पतथरी 80

सौफ--दिमाग की कमजोरी 80, दिमाग की गरमी 80, नीद न आराना 80, झधिक नीद 8 !, नजला व जकाम 8, आख

Page 5: Ghar Ka Vaid - archive.org

(५)

दखना 88, कमजोर नजर 8, वाल शरवत 82, हजा 82, सीन

का दरद 82, रका मासिक घरम 82, कमजोर मतराशय 82, पराना नजला व जकाम 82, “बचचो को मरोड 83, परमह व सवपददोप 83, खजली 83,

गभिणी को कबज 83

तरिफला--मतर जलन 84, खनी बबा- सीर 74, परमह 84, गरभिणी की क 84, सिर चकराना 85, मानसिक गरमी खशकी 85, वलगम तोड 85, परदर रोग 85,

नकसीर 85, खसरा की जलन 86, दिल को घडकन 86,

सवपनदोप 86 हरड और बहडा--कवज 86, पाचन

विचार 86, खासी और दमा

गराखसो की लाली 87, काढा 87,

सजाक 87, सरमा 87 फिटकरी--दखती शराखो का इनाज 89,

ममढो को मजबत करती ह 90, बारी क जवार की शरौपधि ह 90,

मलरिया 9, दमा और खासी * फिटकरी उपचार 9], मरोड

और दमतो को रोकती ह 92, हज की गोलिया 92, चोट की आतरिक पीटा क लिए 93, सजाक की चमतकारी शरौपधि 93, सतरी-परप परमह का उचित इनाज 93, परमह 93, बवासीर

क मसस मरका कर गिरा दती

ह 94, झजवाइन--प।चन-वरदधक गो लिया 94,

उरद पीडा 94, उदर पीडा,

झरफारा शर शरजीरण 95, मलरिया 95, पराना जवर 95

सहागा-मह शराना 96, नजला-

जकाम की चमतकारी शरीपधि 96, शरावाज बठना 96, तिलल‍ली 96,

दाद 96, पथरी 96, पायरिया'

टथ पाउडर 97, पितत पाउडर 97 कपर 97,-- जीवनामत 97, स धिय

शलौर दरद गायव 99 तल खजली 99, दाद शर चमबल का राम

बाण तल 99, भरकसीर दाद 99, बवासीर 00, कषटदायक मासिक धरम 00, लिकोरिया

00, शरक कपर 00 हजा नही होगा 0,

नौसादर--]0।, सिर दरद 0, वहोशी 0!, शरमत पाउडर 02 दाढ-दरद! 02, खासी 022, पट-दरद 03

गधक 00, गधक रसायन 3 काला दाद 03, चबल 04-

गर--04, खन बनद 04, बवासीर व मरोड 04, खसरा, 04

रीठ--05, सिरदरद शरौर रीठा 05, भरछ शरोर रीठा 05, रीठ का सरमा 05, चहर क धबब, 06, लकवा 06,

Page 6: Ghar Ka Vaid - archive.org

(शा)

बवासीर शर रीठा 06 क‍ काट का चमतकारी इलाज 06 दत रोग 07, हजा और दसत 707, पीलिया और तिलली “07, सख की सफल चिकितसा 07, वीय-बल-बरक 07, दमा 08

तमवाक--08, दत पीडा का शरचक झीषधि 08, दात हिलना 08 घाव का शरचक तल 08 विरषल जनतओ क काट का इलाज 09,

चना--हजा ][0, बचचो का सखा 0, खन बनद होगा 0 कमजोर दिल ]], बचचो क हर-पील दसत 7]], बचचो की कमजोरी ]]

तलसो क चमतकार--पौरष-वल वरधक !, जवर !2, मलरिया की शरचक शरीपधि 2, मलरिया की शरचक शरीषघि 3 जकाम शरोर खावी 83, ददिक चाय 3, साप काट की दवाई 4, तवचा विकार ]] 4, तलसी का तल 4, पट क रोग 5

सलोम क चमतकार--मलरिया ] 6, पराना जवर 6, बारी का जवर 7, रक‍त शोघक 47, खसरा व पितत नाशक 7, पीलिया ]]7, गठिया 7,

मधभह 7, परमह 8 शवत परद (सतरियो का परमह) 8 हिचकी ]?, क 8, पट क कीड 8, खासी 8

बरहम वटी क चमतकार--मानसिक रोग 9, बराहमी चरण 9 बराहमी ठणडाई 9, बराहमी शबत 49 शअरक बराहमी 20 नतर रोग 20, परष रोग 20, स‍तरी रोग 72!,

वनफशा क चसतकार--जकाम ]22, बलगम और पितत 22, शरबोत बनफशा 22,

धीक‍वार फ घमतकार--नतन रीग 23 खासी दमा 23, जिगर विकार शरौर तिल‍ली 23, जोडो का दरद 724, उदन रोग 24,

भगर क झनभत परयोग--सिरदरद 25 गरॉख की लाली 26, कान का पीप 26, दन‍त पीडा 26, गल क रोग 26, भह का दरद 26, तवचा रोग 26, शत कोढ 26, उदर पीडा 26, कायाकलप चरण 26 वालभड 27, नतर खलली 27 आखो का भरजन 27, कान बहना 28, कान म घाव 28, नजला-जकाम 28, दनन‍त मजन 28, क 28, परान दसत 28, वारी का जवर 29

जवर-ततोड]29, पराना जवर 29

Page 7: Ghar Ka Vaid - archive.org

(५)

तपदिक का बढिया इलाज 29, गरमी का जवर 430, पट क कीड 30, बवासीर 30, कबज नाणक गोलिया 30 पथरी 3), खजली 3॥ बढिया मरहम 3॥, मा का दध बनद करना 3|, सतन घाव 3] कषटदायक मासिक घरम 32,

बबल (कीकर)--फरग काला शरक 32 कान की पीष 33, दन‍त मजन 33, मी खासी 33 खनी थक 33, बनद मतर 33 दिल घड कना 33 पीलिया !33, सजाक 34 खनी दसत 34, परमह व शीकरपात 34, लिकोरिया 34

पीपल क चमतकार 34, सजाक 34 दमा 35, पट की जलन 35, हिचकी 35, हाथ पाव फठन की चिकितसा 35, खासी 35, पटदरद 35, हजा 35, तीवर पयास 35, खनी बवासीर 35 लिको रिया 36, दम की सरवोततम वचिकितसा 36, वॉकपन की अनभत चिकितसा 36, परमह व सवपददोष 36, पराना सजाक 36

वरगद क चमतकार--पर भदत पहार 37, परष रोग ]37

कायाकलप चरण 37, परमय 37 वीय- विकार 38, वरगद हयर आयल ]38, भगदर 38, बचचो

क हर दसत 38, उततम

चाय 38, परसमीर लिको- सया )39, हिचकी ॥39 फलरबर 39, मतर म सन शराना 39, मा का दध बढान की परिधि )39, सजली ॥39 हज की चिकरितता 39, पनी बवासीर ]40,

सरस क घमतकार--मिस--दद व नजला ]40, दत-पीढा 40 सनी बवासीर ॥40, पट क कीड 40, वीय-पौपटिक 40

पगररढ क चमतकार--सखद परसव 4! अरकसीर हजा 4], अक‍मीर भगदर ]4], भरकसी र फलवरी 4]), मानसिकबल वरदधक 4], कमजोर मथराशय ] 4] पलग ]4[, पाचन-वरदधध 42 नीद की भरधिकता |42,

शरसगयघ क चमतकार--रकत-शोघधक चरण ]42, कलह का दद 42, पतवरी. 442 चमतकारी रसायन 42, कबज नाशक 43

पान चिकितसा--गला पटना 43, परानी सासी ]43, शर/डकीप विकार ]43, पसली का दद 43, शरफारा 44

चमतकारी टोटक--गरद का दरद 44 तिल‍ली तोड ]44, जल घाव की चमतकारी मरहम 44/ नाक का घाव 44, मह क छाल [45, मरोड 45, बिचछ कारट की अरचक दवा 45, जकाम 45, सो रोग एक दवा

फवज--रोगो की जननी 746 स 52

Page 8: Ghar Ka Vaid - archive.org

घर का वदय अतयक घर भ शरासानी स परापत होन वाली साधरण सामगरी दवारा साधारण शरोर असाधारण रोगो का भआसान इलाज मानो यह पसतक घर का

डाकटर ह । शक पक अ तल लत पलक सतत डप८+दीज ८ 5 45-०५ आज लीड मिल शललक

७ ४ ह

गदहर उपचार ४७ रआा आर आय जब 4 लक पीजी ज बम जल

& काली खासी--जलाई 967 म भर पाचो बचचो को कयली खासी की शिकायत हो गई । परनत निमनलिखित नसखा तयार करक उपयोग करान स सब बचच सवसथ हो गए--

गह का निशासता, कीकर की गोद, अफीम (विशदध ), सत‌ मलदी--मब उदयवर वजन कठ-पौस कर पानी दवारा मोठ क बराबर गोलिया बना ल | एक वरष स दो वरष तक क बचच को एक गोली परात एक साय द । दो स चार वरष तक क बचच को दो गोली परात व साय, चार स शराठ बष क बचच को पीन या चार गोली परात. व साय जल क साथ द। 'खटाई तथा तल की वसतगरो स परहज करवाए ।

““सवदार सनदर सिह

Page 9: Ghar Ka Vaid - archive.org

0

गह-कषार एक रामबाण दवाई

ढान पथक करन क पशचात‌ गह क पौधो को जलाकर राख कर और इस

राख को चार गना पानी म भिगोकर कपड म स छान कर रख । जब पानी

नियथर जाए, ओर मल नीच बठ जाए तो निथर हए पानी को सावबानी स

पथक‌ करक लोह की कडाही म ठाल कर भराच पर पकाए । जब पानी सख

जाए तो कटाही की आच पर स उतार ल और इसम लगी हई सफद चीज को

खरच कर बारीक पीरस और कपड म स छान कर शीशी म रख--यह गह का लार ह ।

क वयासोर--एक-एक गराम गह का कषार परातः व साय ताजा जल क

साथ खान स खनी ववासीर ठीक हो जाती ह ।

गट क कषार को दगन मकखन म खरल करक बवासीर क मससो पर लगानाः लाभदायक ह ।

हा

ह) करफारा--गह-कषार एक गराम गएम जल क साथ सवन करन स शरफारा" दर हो जाता ह ।

59) जिगर विकार--एक-एक गराम गह का कषार परातः गाय की छादध क साथ और साय ताजा जल क साथ सवन करना तिल‍ली और जिगर विकार म लाभदायक ह।

ह3 दसा--एक-एक गराम गह-कषार सवभावानकल रोगी को गरम या ताज जन क साथ परात व साय सवन करान स दम को दर करता ह ।

ह) पतयरी-- एक-एक गराम गरह का कषार परात व साय जल क साथ सवन करन स पतथगी दर हो जाती ह ।

€& पट क कीड--एक-एक गराम गह का कषार परात. गाय की छाछ और साय ताजा जल क साथ खिलान स पट क हर परकार क कीड दर हो जात ह। _ कह वायगोला--एक-एक गराम गह-कषार परात और साय.गरम जल स सदन कर, इसस वायगोला ठीक हो जाता ह।

Page 10: Ghar Ka Vaid - archive.org

[]

सजाक--एक-एक गराम गह का कषार परातत व साय गरम जल स सवन करन स सजाक दर हो जाता ह--इसी परकार सवन करन स रका मतर खल कर तरान लगता ह ।

ह) वासो--गह का कषार एक भाग, गड दो भाग -- दोनो को मिलाकर एक-एक गराम की गोलिया वन ल। एक-एक गोली दिन म दो-तीन वार मह

म रखकर चसन स खासी दर हो जाती ह । (कक चदहजमी--3ह कषार एक भाग, सोठ दो भाग--दोनो को वारीक

पीतत कर कपड म छान ल । एक-एक गराम दिन म तीन-चार वार तनिक गरम जल क साथ सवन करन स वदहजमी दर हो जाती ह । यदि पचिश हो भर इसम खन आता हो या शराव आती हो तो भी इसी परकार सवन कर ।

आखो की लाली--अरक गलाव 32 गराम म गह-कषार दो रतती घोल कर रख । दिन म दो-तीन वार इसकी दो-दो बद शराखो म डालन स दखद नतरो को ठीक करता ह । इसस घाव, खजली, दरद भौर लाली तरनत ठीक हो जात ह ।

क कीए दषटि--गह-कषार एक भाग, काला सरमा पाच भाग--दोनो को एक सपताह तक नीब क रस म खरल कर। परात व साय इस आखो म लगान

स नजर की कमजोरी दर हो जाती ह ।

कदत मजन--गह-कार, हरड और वहडा आावला (गठली निकाल कर) सव वरावर वजन (चारो पचास-पचास पराम) लकर बारीक पीस शर कपड म छान | इसम मजन क रप म परात व साय उगली क साथ दातो और मसडो पर लगाए और दस मिनट पशचात‌ ताजा या उषण जल म मह साफ कर । यह दातो का मल, मह की दरगनध, जवान क छाल, मसडो स खन आना, मसडो का फलना या पीप इतयादि कषटो को दर करता ह ।

कर पीडा--गह-कषार शरीर नीसादर वरावर वजन वारीक पीस कर रख । गरम दध या ताजा जल क साथ चार रतती सवन करन स शरीर क

कविसी भाग म भी पीडा हो शराराम आ जाता ह ।

0) मलरिया-मलरिया (मौसमी बखार) म एक गराम गह -कषार पानी क साथ खिलाए---बखार उतर जाएगा |

Page 11: Ghar Ka Vaid - archive.org

2

सावधान गह-कषार का निरतर सवन परपो क परपतव तथा सतरियो की

छातियो को कमजोर कर दता ह। इसका सवन कभी-कभी शरीर शरीप धि कर

रप म ही होना चाहिए । आत

नसक-उपचार

शायद आरापन कभी न सोचा हो कि साधारण दनिक परयोग म शरान वाल नमक, जिसक कम शरौर शरधिक होन पर भोजन करन म मजा ही नही शराता,

म और कितन गण छिप ह कि जिनह यदि हर समय धयान म रखा जाए तो डाकटर की कितनी फीसो स बच सकत ह---

& भाई लोगत (आख की दवा)--अरक सौफ बढिया शराठ गराम म शीशा नमक छ गराक वारीक पीसकर भरचछी तरह मिला ल और शीघी म

बद रख, परात व साय दो-दो बद शराखो म डालन स सरखी, घ ध, जाला, आखो स पानी बहना शरादि रोगो को दर करता ह ।

क फान-दरद->-साठ गराम लाहोरी नमक (सफद) 250 गराम पानी म

वारीक पीसकर मिलाए । जब विलकल घल जाए तो इसम )20 गराम तिलली

का तल मिलाकर धीमी आच पर पकाए । जव पानी जलकर कवल तल बच रह तो उततारकर रख द | दो-तीन दिन म तल ऊपर भरा जाएगा । इस निथार- कर शीशी म रख ल। दो बद गनगना करक कान म टपकाए, तीन स तीजनन दरद भी तरनत वद होगा । कान बहन म भी लाभदायक ह।

क पट क फोड--नमक वारीक चार गराम परात. गाय की छाछ स फाक

लिया जाए, तो कछ ही दिनो म कीड मर जात ह ।

सरमा मोतीयाबिनद--लाहोरी नमक चमकदार पनदरह गराम, कजा

मिशरी तीस गराम--दोनो को खरल म डालकर सरमा बनाए। इसका इसत- माल परारमभिक मोतियाबिद म शरति लाभदायक ह । इसक शरतिरिकत यह सरमा घ घ, जाला, फला इतयादि क लिए भी शरति गणकारी ह।

क मदा-विकार--एक सजजन की एक वरषीय बचची काफी दर स वीमार थी। कभी दसत हो जात थ, कभी पचिश शरौर कभी कठजञ--यातति भद झौर

Page 12: Ghar Ka Vaid - archive.org

3

पट स समबनधित घीसियो रोग अपन पज याड थ । हर परकार क इलाज, डाकटरी तथा यनानी, हो रह थ परनत वचची दिनो-दिन कमजोर और निढाल हो रही थी | निदान रोगी की यह सथिति हो गई कि उस भख विलकल नही लगती घी, ओर यदि कभी कछ खा भी लिया (चाह यह कितनो हलकी खराक हो) दसतो क रप म निकल जाता था । इस तरह बचची मरियल-सी हो गई भोर हडडिया-दवी-हडिडिया दिखाई दन लगी ।

सयोगवश एक शरससी नबच वरषीय बढिया स समपरक हआ । उसम बताया कि बचची को मदा विकार की शिकायत ह। जब तक मदा ठीक नही होगा, वचची सवसथ नही होगी। फसला किया गया कि बचची को तीन गराम काला नमक एक चममच पानी म पकाकर दिया जाए जो कि तरनत द दिया गया । यह दखकर सभी हरान रह गए कि ऐक मामली-सी चीज न ऐसा भरसर किया

कि दसत झादि बनद हो गए भौर हाजमा ठीक होन लगा । बचची धीर-धीर सवसथ होन लगी शरौर वह शरव तक परण सवसथ ह ।

शरौपधि मातरा--शरायनकल तीन गराम स छ गराम तक--यदि बचचो को मास दो मास पशचात‌ मद शरौर पट की दोवारा शिकायत हो जाए तो दोबारा द द।

पाठको न निवदन ह कि व एक बार काल नमक का परयोग करक दख तो नही कि कस अदभत परभाव परकट होत ह ।

की अमत-चरा--एक समय स ऐस नसख की शरावशयकता अनभव की जा रही थी कि जो परतयक रोग क लिए लाभदायक सिदध हो सक । इस समय तक भरमतघारा, सधासिव‌, झरावहयात, शररक काफर, चशमाए शफा इतयादि कई

: शौपधिया ईजाद हो चकी ह जो अकली ही कई रोगो म काम शराती ह । परनत व सव पराय तल या अरक क रप म ही मिलती ह, शरौर शीशी टटकर परौपधि बकार हो जान का भय बना रहता ह । परनत यहा एक ऐसा शरदभत फारमला दिया जा रहा ह जो अपन परभाव क कारण उपरोकत झीपषधियो स किसी परकार भी कम नही ह और खबी यह ह कि शरौषधि चरो क रप म तयार होती ह शरौर साथ ही इसकी मातरा भी कवल एक रतकती-भर ह। सवाद

म इतनी बढिया कि बार-वार खान को मन चाह ।

Page 13: Ghar Ka Vaid - archive.org

4

इसकी पहली खबी यह ह कि अपन अदभत परभाव स मद को मल स

साफ करक मनदागनि को तज कर दती ह। खाया-पिया सब पचता ह शरीर तया

खन पदा होता द । इसी परकार मितली, क, खटटी डकार, पट का भारी रहना, जिगर की

कमजोरी, तिल‍ली, वाय गोला, दमा-खासी, नजला और मलरिया क लिए

उपयोगी ह । इसक अतिरिकत सिर-दरद शर दात-दरद म तथा विपल जीव-

जनतशरो क काटन पर भी लाभदायक ह--अररथात‌ सिर स लकर पाव तक क

सभी रोग विभिन‍न तरीको स दर होत ह । गहमथियो को चाहिए कि यह

शरमत-चरण वनाकर घर म सरकषित रख और शवशयकता पडन पर घरल रोगो का उपचार इसी भौपधि स करक डाकटरो शरीर हकीमी क भारी बविलो स बच | नसखा यह ह +

काजा नमक तीस गराम, शदध नौमादर पदवह गराम, घतर क बीज आशराठ

गराम, काली मिरच दो गराम शरौर सत पदोना (करिसटल) दो रकती ।

सब चीजो को बारीक पीमकर मिला ल । यदि रग बदलना हो तो पनदरह गराम हरमची या वाजारी कशता फौनाद जा पराय अगरजी औपधि विकरताओ स ससत दामी म मिल जाता ह, शामिल कर ल, बस शरौपधि तयार ह ।

सवन-विधि--पराय यह गरीपधि कवल जल क साथ ही सवन की जाती ह । परनत कई रोगो म इस विभिन‍त तरोको स भी काम म लाया जाता ह। दात-दरद म और विपल कीड क काटन पर इस मलना चाहिए । शराथ मिर क दरद म इस स घना चाहिए, बखार की हालत म कबज दर करक शरक शरजवाइन क साथ दन स पसीना शराकर बखार उतर जाता ह। इसी परकार परनभवी शौर समझदार चिकितसक इस परतयक रोग म उचित तरकीव स इसतमाल करवा सकता ह ।

(छ यकी अखो क लिए--जब तवचा म काफी तराबट नही रहती तो यह ढीली पड कर शराखो क शरास-पास #रिया पड जाया करती ह। इसक लिए तो लमबा इलाज ह परनत दिव-भर काम करन क पशचात‌ शराखो क गिरद जो गढ पड जात ह, उनक लिए नमक का उपयोग लाभदायक ह। इसकी विधि यह ह ककि साधारण नमक का एक चममच गराधा गिलास बहतत गरम

Page 14: Ghar Ka Vaid - archive.org

5

यानी म घोल ल । फिर एक वडी सी कपड की गददी वना ल झौर इस नमकीन पानी म डबोए, तनिक निचोड शरौर शराखि वनद करक इसको ऊपर रख ल। इस गददी को उस समय तक रखना चाहिए जव तक कछ ठणडी न होन लग । इसक पशचात‌ फिर इसी परकार डवोकर, निचोड कर, आखो पर रख । ततपशचात‌ कोई ठणडी करीम शराखो क इद-गिरद मिल । नाक क मिर स उगलिया चलाकर हलफ-हलक आखो क पपोटो पर लाए भरौर फिर वहा स नथन स तनिक ऊपर घमाकर लाए । करीम को शरव पोछ द । हमशा कपर क परद पर हलकी-सी करीम लगाया कर ताकि दीरघाय म शराखो क गिर करियान पढ शरौर तवचा म कालिमा ना भाय, कयोकि यह दोनो लकषण वडी उमरक ह ।

(9 चिचछ काट का इलाज-विचछ क डक मारन का सथान तनिक कठिनाई स मिलता ह। विशषकर रातरि क समय बिलकल पता नही लग “सकता । और जब तक ठीक डक क सथान पर दवाई न लग तब तक परचछी स भरचछी दवाई भी लाभ नही करती । यहा एक ऐसी दवाई दी जाती ह जिस कवल आखो म डालन स एक सकड म विप उतर जाता ह, झऔर मज की बात यह कि इस पर कछ खरब भी नही होता । वनाकर मफत वॉटिए, पणय होगा । यह नसखा अठारह वरष हए एक साथ न बताया था, कई वार परयोग किया गया, कभी विफल नही गया ।

लाहौरी नमक पदरह गराम और सवचछ जल पचहततर गराम मिलाकर रख ल, बस दवाई तयार ह। जिस विचछ काट उसकी शराखो म सलाई स लगाए।

जितना भी विप चढा होगा तरनत उततरना शर होगा और कछ मिनटो क भीतर ही डक क सथान पर भी दरद न रहगा ।

(छ मलरिया का सफल इलाज--किसी को परतिदिन या चौथ दिन सरदी “लगकर चखार हो जाए तो यही समकना चाहिए कि रोगी को मलरिया बखार ह ।

मझ एक सपरसिदध ओर परनभवी बच न वताया कि मलरिया का इलाज 'एक अतयनत साधारण-सी वात ह, इसकी दवाई इतनी ससती ह कि गरीव-स

गरीब वयकति भी इसस झासानी स लाम उठा सकता ह। यह दवाई ह समक का उपयोग | पहल तो मझ उनक इस परामरश पर झचमभा-सा हआ

Page 15: Ghar Ka Vaid - archive.org

6

झभौर उनकी बात का विशयास भी न टपा । परनत उस मवासगार समय भा

उपयोग करन स मलरिया क रोगियो को टीफ बरन म विन‍यानय परतिशन'

सफलता मिली । हि सवन-विधि--परतिदिन इसतमाल म लाश जान याद साफ नमक को

साफ-सथरी लोह की कढाही या तब पर तर शरषछी भन लिया जाए, इनना पा वह भर रग का हो जाए। बचच वः लिए शराघा हौर जयान वयपित क लिए परा चममच यह नमक लकर एक गिलास पानी म उबाल सना चाहिए जम नमक पानी म भली परकार घल जाए तो रोगी फो पीन योगय यट गरम पानी उस समय पिला दना चाहिए जबकि उस बसार न चढा टरो। उसस नसबब परतिशत रोगियो को दोबारा वसार चढगा ही नही । भौर यदि हिसी कारगा बखार न उतर तो नमक का यही इलाज दोबारा कर। तीसरी मातरा को नितानत शरावशयकता नही पढगी। हा, रोगी को सरदी स बचान की झोर झधिक

धयान दना चाहिए । यरोप क डाकटर बरोक का कहना ह कि जब म हगरी शोर दकषिणी

भरमरीका क परानतो म घमता था तब मलरिया बलार दर करन क लिए नमक का यह नसखा बडी सफलतापरवक उपयोग किया करता था ।

इस दवाई का वासतविक लाभ भस पट सवन करन स ही होता ह, गस लिए इसका हमणा खाली पट ही सवन करना चाहिए। पिछल शरठारट वरषो म सकडो रोगियो पर इस नमक का परयोग म कर चका ह | जिन लोगो न नियमानसार इस दवाई का सवन किया झौर उचित परहज रसा उनम स शायद ही कोई रोगी निराश हआला हो। इस साधारण विधि स हजारो रोगियो को सवसथ लाभ हपरा

ह8 वमिसाल सरमा--लाहौरी नमक क चमकदार शलरौर साफ टवड लकर खब वारीक पीस ल, यही वमिसाल सरमा ह। शरौसो म झयकर हो पानी बहता हो, फला हो (परनत फला चचक का न हो) इस सरभ का उपणग कीजिए, सार कषट भाग जाएग ।

क दर झीर जलन--विचछ, विपली मकक‍सी और भिड इतयादि क हक पर जरा-सा पानी लगाकर बारीक पिसा हआ नमक रगडन स दरद और जलर हो जाती ह शरौर सजन नही होती ।

Page 16: Ghar Ka Vaid - archive.org

|

पर

क सिर-दरट--जिस वयकति क मिर म दरद हो उसत एक चटकी नमक जवान; पर लना चाहिए और दस मिनट पशचात‌ एक गरितञास ठणडा पानी बीना चाहिए, सर दरद दर हो जाएगा ।

क नजला-जकाम--सफद तमक शहद म गोव कर झौर कपड म लपट- कर तथा ऊपर मिटटी लगाकर झराग पर रख । मिटटी सरख हो जाए तो नमक को शरनदर स निकाल कर पीस ल । एक गराम रोजाना परात या भोजन क पशचात पानी स सवन करना जकाम-तजला, वाय और जोडो क दरद क लिए लाभदायक ह ।

वद मासिक धरम--वचचा होन फ पशचान‌ ठणडी हवा या डणड पानी: क इसतमाल स यद जन का वाहर निकलना बनद हो जाता ह इसस पट म तीवर पीडा और शरफारा हो जाता ह तथा योनि क ऊपर एक गाठ-सी पदा होः जाती ह, मतर बिलकल रक जाता ह या थोडा-थोडा आता ह । कई बार गनद _ खन क रक जान स टायो म तीक पीडा होती ह। ऐसी शरवसथा म डढ-डढ परम नमक गरम पानी क साथ दिन म तीन वार खिलाए, इसस गनदा खन

नमक ओर चीनी उपचार

क तवा तमक एक भाग, दशी चीनी चार भाग--दोनो वारीक पिस हए तीन-तीन गराम परात., दोपहर और साय गरम पानी क साथ सवन कर -- मलरिया या मौसमी वखार पसीना शराकर उतर जाता ह और फिर नही

दोबारा जारी होकर निकल जाता ह । दस विन समन ० परम रम ८८ पल 5 चल

चढता |

क गरम दध क नाथ परात व साय तीन-तीन गराम खिलाए । नजल गरौर जकाम को आराम दता ह । की जाता खान स दस मिनट पहल या दस मिनट पशचात‌ ताजा पानी क साथ गभियो क मौसम म, और गरम पानी क साथ तीन गराम सदियो झ- सवन करना बदहजमी शरीर भख की कमी को दर करता ह ।

Page 17: Ghar Ka Vaid - archive.org

]8

कक सो-सो गराम गरम पानी म तीन-तीन गराम मिवराकर दिन म चार बार

चवार-चार घणट क पशचात‌ मिलाना दम म हितकर ह ।

(& पाच-पाच गराम परात , दोपहर और साय गरम पानी क साथ सिलाना

वायगोला को दर करता ह । इसी परकार सवन करन स शरफारा और पट का

गडगडाना भी दर हो जाता ह ।

& गरम दध या ताजा पानी क साथ परात वसाय तीन-तीन पराम खिलान

स पसीन का शरधिक आना दर हो जाता ह । €9 वकरी क गरम दध क साथ चार-चार घट क पशचात‌ चार-चार गराम

खिलाना आरमभिक तपदिक म लाभदायक ह ।

सिच-उपचार

कोई वसत हो, दोष क साथ उसम गण भी होत ह। एक अचछी कही

जात वाली वसत भी अभरनचित ढग स उपयोग की जान पर हानिकारक तथा

बरी मानी जान वाली वसत उचित ढग स उपयोग करन पर लाभदायक सिदध होती ह । मिरच पर भी यही चरितारथ होता ह । र

कोई रोग और कपट हो, इसका परहज वतलात समय लरख मिरच का नाम सरवपरथम लिया जाता ह। परनत इतनी बदनाम होत पर भी मिरच खान का परचार दिनो-दित वढ रहा ह। भारत क कई भाग तो ऐस ह कि वहा क लोग बिता मिरच क शरपना जीवन ही कषटदायक समझत ह। यदि

कोई ऐसा वयकति, जो मिरच खान का आदी न हो, दकषिण भारत की शरोर चला जाए तो मिरचो क कारण उसकी जान पर आ वनती ह। राजपताना, “मारवाड और उततर परदश म भी मिरच का भरसतक उपयोग होता ह ।

सकषप म मिरच क निमनलिखित उपयोग भी किए जा सकत ह --

पनदरह एक अनोजी भरोषधि--_वीज निकाली हई सख मिरच का चरण पनदरह गराम, रकटीफाइड सपिरिट 450 बराम, दोनो को मिलाकर शीशी म मजबती स काक लगाकर रख। परतिदिन शीशी को हिला दिया कर। पनदरह दिन क

Page 18: Ghar Ka Vaid - archive.org

9

पशचात सपिरिट को छान कर रख द, मला फक द--वस रामबाण दवा तयार हो गई । इसका गणधरम निमनलिखित ह --

() हज क रोगी को दस-दस वद एक-एक चममच पानी म मिलाकर जब तक शराराम तन आए, तव तक आघ-आध घट पशचात‌ पिलाए। 99 परति- शत रामबाण ह।

(2) जिन लोगो को आवशयकता स भरधिक नीद आती हो, उनको पाच- 'पाच बद परात व साथ पानी म पिलाए।

(3) वलगमी खासी म रोगी को कनकन जल म पाच-पाच वनद मिलाकर 'दिन म तीव वार पिलाए, शरमत स कम नही ।

(4) वदहजमी और भख फी कमी म पचि-पाच व‌ द दोतो समय भोजन स पहल थोड पानी म मिलाकर पिलाए )

(5) पचहततर गराम गरम जल म दस बद मिलाकर पिलान स अरफारा दर हो जाता ह ।

(5) मिरगी, हिसटोरिया शरौर पागलपन क दोर म तथा वहोगी म इमकी 'कछ बद नाक कान म टपकान स तरनत होश झा जाता ह। यह दवाई जोरदार परनत हानिहीन ह । जब तमाम दवाइया वकार सिदध हो तो इस “तचछ” घरख मिरच को शरवसर दीजिए ।

(7) हदय की घडकन धीमी पड गई हो, नाडी कमजोर हो, हाथ-पाव

ठणड हो रह हो--ऐसी शरवसथा म, कारण चाह हजा हो या कोई भशऔौर रोग, 'पनदरह बद, चालीस गराम वढिया शराब म मिलाकर पिलाए ।

क फान-दरद-- तल तिल पचास गराम लोह की कलछी म डालकर आच 'पर रख, जब तल पकन लग तो इसम एक सरख मिरच डाल द और इसक फाला-सा हो जान पर छान कर शीशी म रख ल | शरावशयकता क समय इस

सल को गरम करक कछ वद कान म डाल, दरद तरनत बनद हो जाएगा ।

कर दत-पोडा- यदि दाढ म बहत दरद हो रहा हो और किसी इलाज न बनद 'स होता हो तो एक खब पको हई लाल मीच लकर उसक ऊपर का डठच और अनदर क वीज निकाल कर अलग कर और वाकी का भाग पानी क साथ

Page 19: Ghar Ka Vaid - archive.org

20

पीस कर कपड म दवाकर रस निकाल ल । इस रस को जिस ओर की दाढ

दखती हो उस शरोर क कान म दो-तीन बद ठपका दन स दाढ का दरद

तरनत दर हो जाता ह। मिरच का रस कान म डालन स थोडी दर तक जलन

होती ह । यदि यह जलन पसनद न हो तो थोडी-सी शककर परानी म डालकर

इसकी दो-तीन बनद कान म टपकान स जलन मिट जाती ह।

ह भराघ सिर का दरव--सात सरख मिरच लकर उबलत हए 50 गराम घीः

म डालकर जलाए । माथ और कनपटटियो पर इस तल की मालिश कर। आध:

सिर क दरद क लिए रामबाण ह--कान म दरद हो, इस तल की एक बदः

डालन स दरद भाग जाता ह।

) वलार --सरख मिच और कनीन वरावर वजन पानी म खरल कर

आर चन क वरावर गोलिया बना ल । जवर शरान स एक घटा पहल एक-दो गोली पानी क साथ सवन करान स बखार नही होता । यदि भझरावशयकता पड तो दसरी बार इसी परकार द।

ह दसत-सरोड-- लाल मिच , हीग शरोर कपर वरावर वजन पीस कर एक-एक रतती की गोलिया वना कर सखा ल । दसत-मरोड की हालत म एक स तीन गोली तक परतिदिन खान स शराराम शरा जाऐगा।

विषला उक--पानी क साथ सख मिरच पीम कर विचछ क काठ सथान पर लगान स विष दर हो जाता ह। वावल कतत क काट सथान पर न ॥।

लप करन स आराम झा जाता ह ।

€क हजा--हज क रोग म भी सरख मिरच शराशवयजनक परभाव दिखाती ह । लाल मिच क बीज निकाल कर इसख छिलको को खब वारीक पीस कर: कपडछत कर | इस चरण को मघ (शहद) क साथ घोट कर दो-दो रतती की: गोलिया वना कर छाव म सखाए। हज क रोगी को विना किसी भरनपान क एक गोली वस ही निगलवा दती चाहिए। जिस रोगी का शरीर ठपडा पड गया हो, नाडी डबती जा रही हो, ठणडा पसीना चल रहा हो, इसस शरीर- म दस मिनट म ठणडा पसीना बनद होकर गरमी पदा होन लगती ह और नाडीः अपनी साधारण गति पर आा जाती ह ।

Page 20: Ghar Ka Vaid - archive.org

2

क हज को गोलो--शदध शरफीम आधा गरन, वीज सहित सर मिरच एक जन शरौर हीग दो गरन गोद कौकर क घोल की सहायता स इन सब की एक गोली वना ल। हज क रोगी को उस समय सवन कराए जब कछ दसत डी चक हो । थोड-योड समय पशचात‌ दो-तीन बार ऐसी ही मातरा दत रह, “परनत दिन-भर म रोगी को शोर कछ न खिलाया जाए !

यह नसखा शत-परतिशत लाभदायक ह। हज की अतिम अभवसथा क ऐक रोगी को, जो कि डॉकटरी इलाज स निराश हो चका था, इसकी पहली खराक न ही सवसथ कर दिया था। ऐस ही शरनक अवसरो पर यह शरौपधि रामवाण सिदध हई ह ।

9 चिलकल परासान नसवा--एक बोतल पानी म अनवझा चना मिला- खब हिला द और फिर रख द । जव चना नीच बठ जाए तो पानी को निथार कर दमरी बोतल म डाल ल, साथ ही पाच तोल बारीक सरख मिरच (वीज रहित) डाल द । चौबीम घट क बाद फिलटर कागज दवारा अचछी तरह छान कर रख । हज क रोगी को एक-एक चममच यह दवाई अक पोदीना म मिलाकर आध-पराघ घट क पशचात सवन कराए ।

काली मिरच का जाद

क पट क रोग--तीत सो गराम काली मिरच चीनी क वरतन म डाल भौर इसम लाहौरी नमक पचहततर गराम वारीक पीस कर डारल। फिर पचहततर

गराम तजाबव गधक और तीन सी गराम नीव का रस डाल कर चीनी क दसर पयाल स ढक द । जब सारा पानी मिचो क अनदर ही सख जाए शौर मिरच

बिलकल खशक हो जाए तो शीशी म समभाल कर रख ल ।

सवन-विधि--भोजन क पशचात‌ पाच स सात मिरच खाए। यह खाई हई खराक को खब हजम कर दती ह, और खान म भो बहत सवाढ होती ह ।

लाभ-- पट-दद, सल, भख न लगना इतयादि शिकायतो म अतयनत

लाभदायक ह |

Page 21: Ghar Ka Vaid - archive.org

22

क वादी नायाफ-पराक क ताजा फल 50 गराम, काली मिरच पचहततर

गराम, काला नमक पचहततर गराम--तीनो चीज वारीक पीसकर जगली बर क

वरावर गोलिया बना ल ।

लाभ--हर परकार की कबज, पट-दरद बायगोता, वायणल, बदहजमी

तथा पट क दसर विकारो क लिए रामबाण शभरौपधि ह । एक स चार गोली

तक ताजा पानी क साथ द । जिन लोगो को कबज और वादी की परानी शिकायत हो, उनको भोजन क पशचात‌ ऐक-ऐक गोली छछ, समय तक दना शरतयनत लाभदायक ह ।

हजा--काली मिरच तीस गराम, हीग पनदरह गराम, कपर पनदरह गराम, शरफीम सव कट कर दो सौ-गराम शराक क फल म जरल कर शर जगली वर क वरावर गोलिया बना ल ।

सवन-चिघि --एऐक या दो गोली शररक पोदीना क साथ द ।

हलदी उपचार

७ नतर की अधिफता -यदि किमी वयकति की वार-बार और शपरधिक मातरा म मतर आए तथा पयास शरधिक लग तो इस रोग को बचय लोग मधमह कहत ह। इस रोग को दर करन क लिए हलदी एक विशष चरीज ह ।

हलदी वारीक पीसकर रख | आठ-पराठ गराम दिन म दो बार पानी क साथ द। इस साधारण-सी शरीपधि स पननीदा शर घातक रोगो का इलाज सफलतापरवक किया जा सकता ह !

नोट--मथमह क रोगी को चीनी स परहज करना चाहिए, ऐस रोगी क लिए यह विप क समान ह ।

& फमजोर नजर--नजर को कमजोरी क लिए निमनलिखित नमपा शरतयद गणकारी ह। सवसथ वयकति इस मरवदा उपयोग करता रह तो आय- भर नजर ठीक रहगी। हि

हलदी ढला (गाठ) तीस गराम और कलमी शोरा आठ गराम । दोनो मद '. की तरह वारीक पीस ल और शीशी म मजबत कारक लगाकर रख । परात. -

Page 22: Ghar Ka Vaid - archive.org

23

व साय तीन-तीन सलाई डालना घनध शरीर नजर की कमजोरी क लिए जाद जसा परभाव रखता ह । शराजमा कर दखिय ।

हलदी को खब वारीक पीसकर शीशी म सावधानीपरवक रख। रातरि समय ठीन-तीन सलाइया डालन स नजर की कमजोरी दर होगी ।

शराॉख फा घाव--यदि किसी कारणवश शआाख म घाव हो गया हो तो उनक लिए हलदी क ढल को पानी की कछ वद टालकर पतथर पर घिस और मलाई स आख म लगाए। कछ वार लगान स घाव ठीक हो जायगा ।

ह वमिसाल टिफकचर--सवा सौ गराम हलदी को पाच सौ गराम मथिलटिड सपिसटि म मिलाकर शीभी म डाल शौर कारक लगाकर धप म रख द। दिन म दो-तीन वार जोर स हिला दिया कर| ततीन दिन पशचात‌ छानकर फिर शीशी म रख ल--यही हलदी का वभिसाल टिकचर ह ।

सवन-विधि--दिन म दो-तीन बार सफद दागो पर लगाए, सफद दागोः क लिए शरतवनत हितकर ह ।

ह अदभत तल -- पचास गराम हलदी को मोटा-मोटा कटकर सौ गराम पानी म उबाल। फिर पीस-छानकर कवल पानी ल लीजिए । इस पानी क

चरावर मीठा तल मिलाकर थीमी शराच पर चढाइय | जब पानी जलकर

कवल तल बच ह तो उतारकर ठणडा करक शीशी म भर ल ।

सवन विधि--इस तल को जरा-सा गरम करक दो-तीन बद कान म परात व साय डाल । दस-वारह दिन क उपयोग स घाव ठीक होकर पीप का आना बनद हो जाएगा। यही तल शरनय घावो पर लगात रहत स भी घाव अचछ हो जात ह ।

क ममीरा हलदो--यदि हलदी को निमनलिखित ढग स तयार कर निया जाए तो इसम व सभी गण पदा हो जात ह जो ममीर म होत ह ।

एक गाठ हलदी लकर कलईदार वरतन म डाल । फिर इस पर एक नीव निचोड । भव इस कोयलो की आच पर रखकर पकाए | जब पानी सख जाए तो दसरा नीब निचोड और इस भी सखा द । इस परकार सात नीब का रस

सखा द । वस अब यह हलदी की गाठ ममीर क गणो स यकत हो गई ह।

Page 23: Ghar Ka Vaid - archive.org

24

इस बारीक पीसकर बराबर वजन कराला सरमभा मिलाकर यब सगद न,

सरमा तयार ह ।

रातरि समय दो-तीन सलाई डाल । कछ ही दिनो म घध, जाला तथा

रातरि समय दिखाई न दना शरादि रोगो स शराराम होगा ।

9 सजाक तोट--हल‍दी की गाठ पाच गराम लकर ढारई-मोी गराम बकरी

क कचच दध म घिस और तरनत सजाक क रोगी को पिला द । इस परकार

परतिदिन परात पिलान स कछ दिनो म मजाफ को जड कट जाएगी। यह एक हकीम का अतयनत यपत नसखा ह ।

लिगनदरिय म घाव (सजाक) हो तो पराठ-पराठ गराम बारीक पिसी हई हलदी वकरी क दध की छाछ या पानी क साथ परात व साथ सवन करवाए । रोग की तजी म दोपहर समय भी द।

हलदी शरौर शरावलो का काढा भी शरतयनत हितकर ह। इस काढ स मतर की जलन दर होकर मतर साफ शरान लगता ह शरौर पट भी साफ हो जाता ह ।

की म.ह फ छाल--".हलदी परदरह गराम कटकर एक किलो पानी म उवाल, ठणडा होन पर परात व साय गरार कर। इसस गल, ताल और जिदठा क छाल दर हो जात ह ।

कठमाला--वारीक पिसी हलदी शराठ गराम परात. पानी क साथ सवन करवाए। इसक अतिरिकत हलदी की गाठ को पतथर पर कछ बद पानी डालकर घिस । जब गाढ।-सा लप तयार हो जाए तो ऊपर लप कर द । कछ दिनो क निरनतर उपयोग स रोग दर हो जाएगा ।

क पट म हवा भर जाना--जिस वयकति क पट म हवा भर गई हो ओर इस कारण पट म शरफारा हो रहा हो, उसकी तकलीफ का शरनमान कोई मगतभोगी ही कर सकता ह । ऐस शरवसर पर पिसी हई हलदी दस रतती भौर

- हा दस रतती मिलाकर गरम पानी स सवन करवाए। इसस हवा खारिज कर पट इलका हो जाता ह । कई दिन तक उपयोग करन म द पयोग करन स हाजम की

* कमसोरी भी दर हो जाती ह । आ

Page 24: Ghar Ka Vaid - archive.org

25

क शभरात को लाली --चोट लगन स या किसी और कारणवश शराख जाल हो जाए तो हलदी सवचछ पतथर पर घिमकर सलाई स लगाए । दो-तीन दिन म लाली साफ हो जाती ह ।

क चवल--दो-तीन वार दिन म शोर रातरि को सोत समय हलदी क गाढ लप स वरषो पराना चवल दर हो जाता ह |

क फलवहरो--कोठ, फलवहरी, कठमाला की शिकायत हो तो शबाठ- आठ गराम हलदी का चरण परात. व साय पानी क साथ खाए शरौर दिन म दो- 'तीन बार लप भी कर ।

क विधला डक--पागल कतत क काटन पर पचास-साठ गराम हलदी 'पानी क साथ सवन करान स तथा काट सथान पर हलदी का लप करन स लाभ होता ह। विचछ, भिड तथा मकखी इतयादि क डक पर भी हलदी का लप करना शरतयनत हितकर ह ।

थक ववासीर--पाच-पाच गराम हलदी का चरण दोनो समय बकरी क दध की छाछ क साथ सवन करना बवासीर का उततम इलाज ह ।

(9 घलगमी दमा--चार-चार गराम हलदी का चरण दिन म तीन बार सवन करन स वलगमी दमा दर हो जाता ह ।

ह जकाम--तजला-जकाम, कफ शरादि रोगो म हलदी शरतयनत हितकर

'सिदध हई ह । परयोग स यह परमाणित हआ ह कि कफ स रक हए गल म और वहत हए जकाम म हलदी क उपयोग स खशकी पदा हो जाती ह, जिसक परिणामसवरप कफ का बढना रक जाता ह ।

पाच-पाच गराम हलदी का चरण परात. व साय गरम पानी स सवन किया

जाए ।

गल क घाव--गल भर ताल म घाव हो तो एक किलो पानी म सततर गराम वारीक पिसी हई हलदी मिलाकर उबाल। जब चोथाई पानी वाकी

रह जाए ततव छानकर इसस गरार कर। यह इलाज शरातर व साय दोनो

समय कर ।

Page 25: Ghar Ka Vaid - archive.org

26

धनिया-उपचार

क मतरायय की जलन--खशक धनिय की गिरी शरौर कजा मिशरी दोनो तीन-तीन सौ गराम ।

बनान की घिधि--खशक धनिया लकर मोटा-मोटा कट कर इसका छिलका अलग कर शरौर बीजो क शरनदर की गिरी ल ल---इस नसख म यही गिरी तीन-

सौ गराम चाहिए । साधारणत, साढ-चार सौ गराम घनिया म तीन-सौ गराम गिरी

निकल शराती ह। यदि कजा मिशरी न मिल तो उसक सथान पर तवी की मिशरी, दशी चीनी या दानदार चीनी नसख म शामिल कर ल, इसस दवा क परभाव म कोई अरनतर नही पडगा ।

दोनो वसतशनो को अलग-अलग पीस कर आपस म मिला ल | लाभ--यह शरौपधि मतराशय की उततजना को दर करन क लिए एक

अदवितीय चिकितसा ह। इसक परयोग स पोटासी बरोमाइड की तरह दिल शौर दिमाग कमजोर नही होत वलकि इनह वल मिलता ह। नजर की कमजोरी, घ घलाहठ, सिर-दरद, चककर, नीद न शराना शरादि रोगो म, जो यौन-परवय- वसथाशरो या परमह व सवपनदोष क परिणामसवरप परकट होत ह, म यह झपधि शरतयनत हितकर ह ।

सवपत-दोप क लिए यह शरौषधि इतनी हितकर ह कि पराय सखत स सखता सवपन-दोप, यहा तक की परतिदिन दो-चार बार होन वाला सवपन-दोप भी इसकी पहल ही दिन की दो खराको स रक जाता ह। परभह क लिए भी यह इतनी: गराकारी ह कि इसक पशचात‌ दी जान वाली शरषधि क लिए इस कपट म शरधिक तथा तरनत सफल होन की सभावना रहती ह। यह औपधि हाजमा _ तज करन का भी गरा रखती ह ।

सवन-विधि--परात विना कछ खाए-पीय रात क वासी पानी स शराठ गराम फाक ल भरौर ततपशचात‌ एक घट तक शर कछ न खाए थराठ गराम साथ चार वज क लगभग परात क रख ल, रात का भोजन इसक दो घट पशचात कर।

। इसी परकार हए पानी क साथ फाक

Page 26: Ghar Ka Vaid - archive.org

|.

- भोट--शौच यदि भरधिक पतल दसत क रप म होता हो तो दसरी मातरा साय चार बज लन क वजाय रातरि समय सोन स शराघा घटा पहल ल, परनत यदि कवज की शिकायत शरधिक रहती हो तो दसरी मातरा साय चार बज ही ल शरोर रातरि को सोत समय ईसपगोल की भसी (इसपगोल का छिलका)' चार-पाच गराम लकर दपत-पनदरह गराम तक ताजा पानी स फाकिए, बिना किसी

कपट क साफ शीच होगा ।

ईसपगोल का उपयोग पहली रातरि को थोडी मातरा म कर यदि इसस लाभ न हो तो दसरी रातरि को इसकी मातरा बढा ल, यहा तक कि परात साफ

शौच होन लग (चार-पाच गराम स लकर पनदरह गराम तक का यही शररथ ह) ईसपगोल म एक गणा यह भी ह कि यह हानि रहित और कबज-नाशक होन क शरतिरिकत पतल वीरय को गाढा करन, सवपनतोष और मतराशय की उततजना को दर करन क लिय उपरोकत औषधि की विशष सहायता करता ह।

दसरा योग---मसली सफद शोर मिशरी पचास-पचास गराम मिला कर चरण बना ल |

सवन-विधि--चार स छ भराम जहरत क मताबिक उपयोग कर, इसस वीरय की उततजना दर हो जाती ह, मतराशय की उततजना ठीक हो जाती ह ओर सवपसनदोप को निशचय ही लाभ होता ह। यह भरौपधि वलदायक ह झौर अरधिक वीरय उतपनत करती ह |

क सिरदद---धनिया (खशक दाना) शराठ गराम, खशक भरावल (गरठली रहित) चार गराम--दोनो को रातरि समय मिटटी क कज म चौथाई किलो पानी डाल कर भिगो द, परात मलकर शौर मिशरी मिलाकर पिलाए, गरमी

क कारण सिर-दरद म लाभदायक ह|

क पसजोर दिमाग--सवा-सी गराम धनिया कटकर शराधा किलो पाती म उवाल, जब पानी जलकर कवल सवा-सौ गराम रह जाए तो छान कर सवा-सौ गराम मिशरी मिलाकर फिर पकाए। जब पक कर गाढा हो जाए तो उततार ल । यह मीठी झरौपधि परतिदिन शराठ गराम चाटनी चाहिए | गरमी झौर दिमाग की कमजोरी क कारण शअरकसमात‌ आखो क सामन अरधरा-सा छा

जाता हो तो इसका यह शरतयनत ही सरल इलाज ह ।

Page 27: Ghar Ka Vaid - archive.org

28

9 गज--सिर का गज एक ऐसा रोग ह जिसस वयकति कशघन स

वचित हो जाता ह। ताजा धनिय का रस निकाल कर परतिदिन सिर पर

लगान स कछ दिनो म गज दर हो जाता ह ।

क भाख-दरद-यदि शरा गरमी क कारण दखती हो (जिसकी पहचान यह ह कि एक तो व गरीषम ऋत म दखगी, दसर शराखो स पानी नही निकलगा चलकि खशक शरवसथा म ही दखती ह, तीसर झराखो को गरमी-सी शरनभव होगी या रोगी को जलती-सी अनभव होगी) तो ताजा धनिया पनदरह गराम और कपर एक गराम वारीक पीस कर मलमल क सवचछ कपड म पोटली बाघ कर शराखो पर इस परकार फिरा द कि पानी की द द शराॉख क भरनदर भी चली जाए,

तरनत चन पड जाएगा । क नकसीर-नतकसीर का खन वनद करन क लिए ताजा घनिया का

रस रोगी को स घाए । इसक शरतिरिकत हर पतत पीस कर माथ पर लप कर। गरमी क कारण नाक स बहन वाला खन रक जाता ह ।

खइक खासोी--धनिया (खशक दाना) कट कर उसक चावल अलग कर लीजिए, इन चावलो को पीस कर शराटा-सा बनाए । गरमी क कारण हई खशक खासी म दो गराम यह चर शराठ गराम मध म मिला कर चटाए, खासी बिलकल दर हो जाएगी ।

क भत न लगता--यदि भख बहत कम लगती हो तो ताजा घनिया का रस निकाल कर तीस गराम परतिदिन पिलाए । तीन दिन म भख चमक उठगी )

क) फ-क यदि किसी परकार भी वद होन म न शरा रही हो तो ताजा

घनिया का रस थोड-थोड समय पशचात‌ एक-एक घ ट पिलाना चाहिए, क तरनत बनद हो जाती ह ।

दसत-दसत भरा रहहो तो धनिया (दाना) बारीक पीस ल और छाछ या पानी क साथ झआलाउ-शराठ गराम दिन म तीन बार सवन कर, चाह कितन ही दसत भा रह हो बनद हो जात ह |

यदि दसतो म खन झाता हो तो पनदरह गराम घनिया पानी म ठणडाई क रप म घोट-छानकर झौर मिशरी मिला कर पिलाए, एक दिन म भरसक लाभ होगा ।

Page 28: Ghar Ka Vaid - archive.org

29

वदहजमो--जिस वयकति क मद म शराहर बहत कम ठहरता हो भरथात‌ जलदी ही शौच क रप म निकल जाता हो, उततक लिए निमनलिखित नसखा तयार कीजिए :--

क धनिया साठ गराम, काली मिरच पचचीस गराम, नमक पचचीस गराम-- बारीक पीस कर चरा बनाए । मातरा कवल तीन गराम भोजन क पशचात‌ ।

क हदय-रोग-- हदय घडकता हो तो धनिया साठ गराम कट-छान कर सिशरी साठ गराम मिला ल और परतिदिन सात गराम यह चणा ठणड जल स सवन कर।

या.

पतरह गराम घनिया कट कर रातरि समय मिटटी क कोर कज म आधा किलो पानी डालकर भिगो द। परात छान कर बराबर मातरा मिशरी मिला

कर पी ल।

क मतर की जलन--यदि मतर जल कर शराता हो तो धनिया आराठ गराम पानी म घोल कर छान ल । इसम मिशरी तथा वकरी का दध मिला कर पट भर कर पिला द। दिन म दो वार दना चाहिए। दो-तीन दिन म मतर की जलन दर हो जाएगी ।

की मासिक-घरम की शरधिकता--कई महिलाओ को मासिक धरम बहत अधिक मातरा म आन लगता ह जिसक कारण कमजोरी शअतयाधिक बढ जाती

ह। ऐसी हालत म झाठ गराम घनिया झराधा किलो पानी म उबाल। जब आधा पानी जल जाए तो उतार कर मिशरी मिला कर गनगना ही पिलाए | तीन-चार

मातरा स शराराम आ जाता ह ।

क गरभिणी की फ--गरभकाल म सतरी को पराय परात समय क हशरा करती ह जिसक कारण सतरी बहत कषट पाती ह। इसका सरल इलाज यह ह कि चावलो क पानी म आठ गराम-खशक धनिया कट-छान कर ओर मिशरी मिलाकर पिलाए ।

नीद न शाना--नीद न परात पर तीस गराम भना घनिया, तीस गराम

भनी खशखाश, तौस गराम काह, तीस गराम वादाम की गिरी, पनदरह गराम कह,

Page 29: Ghar Ka Vaid - archive.org

30

फी गिरी, पनदरह गराम सदलवरादा (सफद) शरीर तवाणीर बारह गराम--सउका चरण बनाए। शराठ गराम परति मातरा दिन म तीन बार दध या समसस क शबत

या पानी क साथ उपयोग कर ।

क खती बवासीर--यदि बवासीर का खन काल रग का ही तो इस बनद करन का परयतन न कर परनत जब सरस सन निकलता हो शर इसक

फारण रोगी दिनोदिन कमजोर हो तो उस समय सन वद करन का इलाज करना चाहिए, एक नसखा यह ह शराठ गराम चरण धनया पानी म घोट-छान

कर तथा पचास गराम मिशरी शरौर सवा-सौ गराम बकरी का दध मिला कर तथा

बार-बार फट कर (ऊपर-नीच करक) पिला द इसम बवासीर का सन बनद हो जाता ह । मतर जलन क साथ शराता हो तो उसक लिए भी यही नसखा

काम म लाइय ।

क) पयास फी तजी--खशक घनिया तीस गराम कट कर मिटटी क कोर कच म डालकर शराघा किलो पानी म रात-भर भिगो रस। परात मलमल क

कपड म छान कर और मिशरी मिला कर पिलाए--पयास बनद होगी, गरमी क कारण हो या किसी दसर कारण स ।

&) सजन--शरीर क किसी भाग म सजन हो गई हो भर उसम स

सक-सा शरनभव होता तो इस पर सिरक म धनिया पीस कर लप करन स सजन उतर जायगी ।

दारचीनी उपचार

& फमजोर दिसाग--दारचीनी तीस गराम, बच पनदरह गराम, काबली हरड पनदरह गराम, मिशरी तीस गराम--चारो चीज कट-पीस कर चरण बना ल ।

(छीसवन-विधि-- एक स चार गराम तक परात व साय पानी क साथ सवन कर दिमाग को शरतयनत गणकारी ह।

क कय--दारचीनी शराठ गराम, इलायची दान (छोटी) पनदवह गराम, पिपली तीस गराम, तवाशीर साठ गराम शरौर कजा मिशरी एक सौ गराम बारीक पीस कर चण बना ल।

Page 30: Ghar Ka Vaid - archive.org

3]

शरवत नीलोफर या साद पानी क साथ एक गराम दिन म दो-तीन बार वार उपयोग कर, बदहजमी झौर कषय क लिए यह एक सपरसिदध शरायरवदिक नसखा ह ।

क दसत शोर मरोइडा-दारचीनी दो रतती झौर कततया दो रतती दसतो को बनद करन क लिए दिन म तीन-चार वार द ।

कक वी पोषटक चर--दारचीनी खब वारीक पीस कर रख ल। दो-दो गराम परात घ साथ थोड-थोड गरम दध क साथ फाक ल । बोयय पौषटिक भरौर दव हजम करन क लिए उततम तया ससता नसखा ह ।

क ६ फलएजा-दारचीनी तीस रतती, लौग पाच रतती, सोठ पनदरह रतती और पानी एक किलो । पनदरह मिनट उबाल कर छान ल शौर मध (शहद) स मीठा करक तोन-तीन घद पशचात‌ साठ-साठ गराम द ।

अदरक-उपचार

अदरक पराय दाल, साग-सबजी शरीर चटनी म इसतमाल होता ह | सख जान पर यह सोठ कहलाता ह | अनक रोगो म इसका उपयोग निमनलिखित ढग स किया जाता ह .

क जाती-दमा--साठ गराम अदरक क रस म साठ गराम मध मिलाकर तनिक गरम करक पी ल । सात दिन म शराराम होगा ।

क भल न लगना--मख ठोक तरह न लगती हो, पट म वाय मर जाती दवो, कबज रहती हो--शरदरक को काठ कर बहत वारीक टकड कीजिय झौर नमक छिडक कर एक दो गराम खाए। भख अचछी तरह लगगी, वाय का 'निकाम होगा शरौर कबज खलगी ।

पाचनवरद क चण--पाचन विकार ठीक करता ह, मदागनि बढता ह,

चाय पीडा शरौर खटटी डकारो म लाभदायक ह। सोठ शर अजवायन शाव- अययकतानसार नौब क इतन रस म डाल कि दोनो चीज तर हो जाए। इस छाव भ खशक करक पीस ल शरौर थोडा-गा नमक मिलाकर सरकषित रख। दोनो समय चार रतती स एक गराम तक पानी क साथ सवन कर ।

Page 31: Ghar Ka Vaid - archive.org

32

फान-दरद--अदरक का रस पाच गराम, मध दो गराम, सधा नमक

एक रतती, विल‍ली का तल दो गराम । पहल नमक शोर अशरदरक का रस मितरा'

ल | फिर सब मिलाकर शरचछी तरह हिलाए। थोडा गरम करक सात-शराठ व द

कान म डाल, कान का दरद बद होगा ।

&छ६ पलएजा--चरण सोठ पचास गराम, चरण पिपली पचचीस गराम गौर

चरण काकटा सीगी डढनसी गराम--सव मिला ल । इफलएजा फी सतासी को

रोकन क लिए एक स दो गराम तक यह चरस थोड मध क माथ चटाए ।

4 फ-अदरक ओर पयाज का रस मिलाकर पीन स की बनद हो जाती ह ।

क परावाज वठना--अरदरक का रस मध म मिलाकर चाटना चाहिए । क नजला-जकाम--अदरक छीलकर वारीक-वारीक काट ल शरौर कडाही

म घी डालकर इसम भन। ततपशचात‌ शरदरक को वरावर वजन की चाशनी म डाल और पकाए । जब खब पक जाए तो सोठ, सफद जीरा, काली मिरच, नाग कसर, जावितरी, वडी इलायची, तज, पतरज, पीपल, धनिया, काला जीरा,

पीपलामोल शरौर वावटिग-परतयक शरदरक का वारहवा भाग लकर कट-छानकर मिलाए ।

कक सवत-विधि--भराठ गराम स लकर पनदरह गराम तक सवन कर| जकाम व नजल म गणकारी ह। ठणड क कारण शरावाज बठ जाए तो इस खोलती ह, दम फलन की शिकायत इसक सवन स दर हो जाती ह, भ खब लगती ह, पट क दरद शौर वाय क लिए लाभकारी ह ।

कक पतली फा दद--सोठ तीस गराम मोटी-मोटी कटकर तिहाई किलो णनी म शराध घट तक पकाए शर छान ल । ततीम-तीस गराम यह काढा तीन- तीन घट पशचात‌ चार वार पिलाए पसली क दरद का यह सास इलाज ह ।

सगरहरी, मरोड, वदहजमी--चरण सोठ पचास आराम, चरण सौफ पचास गराम, चरण हसड पचास गराम, चीनी पिसी हई डढ सौ गराम ।

वदहजमी क दसत, सगरहणी, मरोड और पाचन की कमजोरी म एक छ तीन गराम तक दिन म दो वार द ।

Page 32: Ghar Ka Vaid - archive.org

33

लोग उपचार

क पट फलना--मद म जब वाय जमा होकर पट फलन लग तो लौग का निमनलिखित अरक तयार करक उपयोग कर, लाभ होगा ।

लौग का चरण दस रतती और खौलता हआ पानी आधा कप । जब लौग चर शरचछी तरह भीग जाए तो छान लना चाहिए। रोजाना तीन वार सवन कर।

वदहजमी--वदहजमी की शिकायत होन पर चरण लौग दस रतती तथा खान का सोडा दस रतती आधा कप उबलत हए पानी म मिलाकर सवन कर ।

की जलाव--यदि जलाव लना हो तो लौग पनदरह रतती, सोठ पनदरह रतती, सनाय तीस गराम शलौर उबलता हआ पानी चौथाई किलो ।

कम-स-करम एक एक घटा तक इस घोल को रखा रहन दीजिए, ततवशचात‌ छान लीजिए और तनिक गरम करफ उपयोग कीजिए |

कर वासी धोौर दमा--रात को सोत समय झराठ या दस लौग कचच या भन हए सान स आराम हो जाता ह ।

की पचलार धोर सिर-द--लोग शरौर चौरता--दोनो पनदरह-पनदरह गराम को आधा किलो पानी म पकाइय। जब पानी शराठवा भाग रह जाए तो उतार लीजिए। मलरिया बखार क रोगी को वखार उतरन पर पिलान स' शाराम हो जाता ह। सिरदरद की हालत म चार-पाच लौग पानी म पीसकर लगान स तरनत लाभ होता ह ।

क दपलएजा--सरदी लगकर बखार थान पर, यानि इफलएजा, क लिए निमनलिखितनसखा सरवोततम ह :

पाच लौग, सोठ चरण पनदरह रतती, दारचीनी तीस रतती | शराघा किलो पानी म पनरह मिनट तक उबालकर उपयोग म लाइय ।

की मितली झाना--चाह किसी कारणवश भितली भा रही हो, छ लौग घवा लीजिए, आराम होगा ।

Page 33: Ghar Ka Vaid - archive.org

34

क हिचफी--हिचकी परान पर दो लोग म ह म झालाएर रस घसत |

तरनत शराराम हो जाता ह दसरा योग--चार गराम छोटी इलायची, पावन जौस-«दीगो को घोधनस ,

पानी म पीम-आनकर तथा पनदरह गराम मिशरी मिलाब र पिलाए, हिससी सससत

बनद होगी ।

क पयास फो तोवरता--पानी को उबाल लोजिए। बालो समय कछ

लौग टाल दीजिए, इस पादी फो साध क बरलन म र परौर ठपझा #न पर

रोगी को पिलाए, एक-दो दिन म ही झाराम हो जायगा ।

इलायची उपचार क‍नकभत नली बा अल +रई:#«< «४ जा

इलायची दो परकार की होतो ह। एक छोटी धौर दमरी बढी | छोटी

इलायची का परभाव समशीतोपण होता ह (यान न परधिक गम न अधिक सरद) | दिमाग, दिल और मद को बल दन वाली ह । जी मिचलान, क, दमा, सामी, हिचकी, कफ झौर कबज क लिए गणकारी ह। मतर की जलन नो दर

करती ह, मतर को सोलती ह, यान मतर की कमी को ठीक करती ह, भद क बकार कषरित रस को खशक करती ह, मन परसन‍न हो उठता ह, फफरो को बल मिलता ह, पतयरी की शिकायत को दर करनी ह, पान क साय यार जाती ह ।

बडी इलायची परभाव स गरम शोर कछ कबज करन वानी होती ह, पीना लाती ह, सफरतिदायक ह और छोटी इलायची क गणो क वरावर ह । यह गरम मसाल म डाली जाती ह, दवाई क तौर पर भी उपयोग वी जाती ह ।

७ पयास फो तीतरता-यदि पयाम भरधिक लगती हो तो चार कियो पानी म तीस गराम छिलक उबालो। जब पानी लगभग पराथा रह जाए तो ठपषडा करक उपयोग म लाए, रामबाण इलाज ह ।

क पाचनवरद फ--इलायची क वीज, सौफ और जीरा--सब बरावर वजन (पदनधह-पनदरह गराम) तनिक भन ल। भोजन क पणचात‌ चममस-मर उपयोग कर ।

क दसरा योग--दलायची क वीच, मोठ, लौग भौर जीरा -- सच परदरह- सचदधह गराम | शरगल-परलग पीस कर सवको भली परकार मिला ल ।

Page 34: Ghar Ka Vaid - archive.org

33

कक हज पी रासवारा चिकितसा --वडी इलाइची, खशक पोदीना, खसखस, सागरमोथा--परतयक पचहततर गराम । जायफल और लौग परतयक नबन गराम ।

सबको कट-पीस कर तीन किलो पानी म उबाल । पानी जब आधा रह 'जाए तो उतार कर छान लझौर किसी मिटटी क नई बरतन या ताव क वरतन म भर ल। वरतत का म ह खला रहन द, ताकि भाप निकल कर पानी ठणडा हो जजाए। बतन को हर तीसर दिन किसी खटाई स साफ कर ल ।

हज क रोगी को दिन म कई बार सवन कराए ।

'क दारद‌ ऋत की सासी--दाना वडी इलायची, काली मिरच, पिपली बडी, गिरी बादाम, मनकका (वीज निकाल कर). पनदरह-पनदरह गराम । मिरी- चादाम ठणड पानी म भिगो कर छिलका उततार द । शरव सब चीजो को क‌ डी

म खब घोट, जितना अधिक घोटा जाएगा, दवाई उततनी ही अधिक लाभ करगी । यदि सखत हो तो पानी स तर कर सकत ह । जब गोली बनान योगय

हो जाए तो जगली बर क वरावर गोलिया ल । रातरि समय एक गोली मह म रख कर रस चस ।

क परमह--परमह को दर करत वाला इसस वढिया नसखा झापको शायद ही कही मिलगा | साधारणत परमह की जितनी भी झौषधिया ह उन सबस कबज हो जाती ह, शर कबज की हालत म यह रोग शरौर भी वढ जाता ह । परनत इस चरण म यह गण ह कि इसक सवन स कबज विलकल

नही होती । इसक शरतिरिकत यह चरण परभाव म न अधिक गरम ह ओर त अधिक सरद । वीरय की कमी को घटाता शरौर इसक पतलपन को दर करता ह। इसस सवन स वीरय परयापत मातरा म पदा होता ह । नसखा निमनलिखित ह---

दाना वडी इलायची, दाना छोटी इलायची, अरसगध नागोरी, तज कलमी, सालव, तालमखाना---सव वरावर वजन वहत वारीक पीस ल शरौर कल वजन क बराबर मिशरी पीस कर मिलाए ।

सवन-विधि--नौ गराम स बारह बराम तक परात दध क साथ उपयोग नकर।

मतर-जलन झौर नया सजाक--सात वादाम गिरी (छिलका रहित),

जछोटी इलायची सात दान--पराघा किलो पानी म खब घोट-छान कर मिशरी

Page 35: Ghar Ka Vaid - archive.org

36

मिलाकर दिन म ततीन बार पिलाए | कछ दिन म आराम होगा, रामवाणा

ह। यदि इसम घनिया और सदल का बरादा परतयक पाच गराम मिला लिया

जाए तो शर भी शरधिक गणकारी ह ।

हिचकी--दाना वडी इलायची (तनिक भना हआ ) पाच गराम बारीक पीस कर इसम दो तोल चीनी मिलाए। एक-दो वार गरग पानी क साथ सवन करन स हिचकी दर हो जाती ह ।

होगउपचार

क हिसटीरिया--भराठ गराम हीग और दो गराम पीपरमट वारीक पीस कर चौथाई किलो पानी म मिलाकर रख ल। पनदरह-पनदरह गराम यह पानी हर दो घणट बाद उपयोग कर, वायगोला व हिसटीरिया क लिए अचक दवा ह ।

€ हजा--यदि हज म दसत ओर क का जोर हो और इसक वावजद भी सोग का जहर खारिज न होता हो शरौर दसतो को रोकन की आवशयकता पड जाए तो हीग दो गराम, काली मिच आधा गराम और अफीम आधा गराम को मिला कर भराठ गोलिया बनाए । एक-एक घट पशचात‌ एक गोली द ।

हज क दिनो म य गोलिया मफत वाटन योगय ह । 0 दमा-टहीरा होग (शदध) आठ गराम, कपर आठ गराम बारीक पीस

कर चन क वरावर गोलिया बना ल । दौर क समय एक-एक गोली द । छाती पर तल तारपीन की मालिश कर ।

क फाली खासी--काली खागी क लिए पनदरह गराम हीग और पनदरह गराम कपर लकर शराधी-धराधी रतती की गोलिया वना ल, परात व साथ झाय क भरनमार सवन कराए, रामबाण ह । ||

ह सोन का दद--यह दरद सीन म उस सथान पर होता ह जहा दोनो पसलिया एक दमरी स मिलती ह। यह दरद शरतयनत घातक परकार का होता ह, कयोकि इस सथान क निकट ही दिल होता ह । और दरद का भार जब दिल पर पडता ह तो हदब-गति बनद हो जान का डर रहता ह। ऐस भवसर पर शीकषातिशीफर निमनलिखित उपचार कर .-.-

Page 36: Ghar Ka Vaid - archive.org

37

दो रतती हीग एक मनकका क भीतर लपट कर खिला द, गल स उतरत

ही अपना परभाव दिखाएगी। यदि कछ कषट बाकी रह तो झाघ घटा पशचात‌

| ऐसी ही मातरा भर द द और इस कौडियो क दाम उपचार का चमतकार दख ।

थक पसली का दरद---पसली क दरद क लिए बढिया हीग एक गराम चारीक पीस ल और मरगी क अड की जरदी म मिलाकर पसली पर लप कर सारा दरद जाता रहगा ।

कर पट दरद--पट म वाय रक जान स दरद हो जाए तो दो गराम हीग को आधा किलो पानी म इतना पकमाए कि दसवा भाग पानी बाकी रह

जाए । परव थोडा गरम ही रोगी को पिला द, शरमत समान ह ।

क पट विकार नाशक-हीरा हीग आराठ आम, नौसादर पनदवह गराम, समक पन‍दवह गराम--तीनो खब वारीक करक गरम पानी म खरल कर। फिर

इस कपडछान कर वोतल म भर ल, दध की तरह सफद शर तयार होगा ।

इस कल वजन को चौवीस माता समरभ ।

ह एक शरचक नसखा ह, जिस नवब परतिशत सफल पाया गया ह। पट

दरद, क, जिगर का घाव, वायगोला, वदहजमी, गरद का दरद, भख की कमी शरादि शिकायतो म गरम जल स सवन कीजिए, पराय तीन-चार घट पशचात‌

दसरी मातना लनी चाहिए ।

क परावाज बठना-- नजल की गनदगी गल म गिरन स या पाती तबदील

होन क कारण शरावाज बनद हो जाती ह, जो कि वहत कषटदायक ह। रोगी

, कछ कहना चाहता ह तो बोल नही सकता, इशारो स वातचीत करता ह ।

इसक लिए चार रतती हीग गिलास भर उषण जल म घोल कर गरार कराए,

एक-दो वार ऐसा करन स परावाज ठीक हो जाएगी ।

क नया जकाम झोर होग--जकाम क झारमम म पन‍दरह आम इसली क

पतत चौथाई किलो पानी क साथ किमी मिटटी क वरतन म पकाए । जब आता

चाकी रह जाए तो छान कर दो रतती हीग और चार रतती काली मिरच पीस

कर मिलाए औौर पी ल।

Page 37: Ghar Ka Vaid - archive.org

38

&& पागल कतत क काटन पर--दो गराम हीरा हीग को परक गलाब म

घोल कर परतिदिन पिलाए । इसक शरतिरिकत हीग को पानी म पतला करक

लप क रप म पागल कतत क काट पर लगाए |

& चीटो भगाना-हीग पीस कर चीटियो क सराख म डाल, भाग

जाएगी ।

& दत-पोडा व कोडा लगना-हीग, शरकरकरा, काली मिरच, कपर,

वावरडिग, नीम क सशक पतत और लाहौरी नमक, परतयक' पनदरह गराम--सबको

पीस कर मजन क रप म उपयोग कर, दातो क कीड मर जात ह तथा परीडा दर हो जाती ह ।

क पट क फोड-- हीरा हीग (घी म भनी हई) चार गराम, अजमद, वावरडिग, सघा नमक, जौखार, वडी हरड, सोठ तथा पिपली परतयक तीन गराम

बारीक पीस कर तीन स चार गराम तक फकी लन स भोजन हजम होता ह शरौर कीड मर कर निकल जात ह ।

&) दाद---हीग सिरका म पीस कर दाद पर लप करना दाद की सरवोततम चिकितसा ह ।

कक कान क रोग--हीग जतन क तल म पका कर शीशी म बनद कर रख ल। दो-चार बद कान म टपकान स कान का दरद, घनघनाहट शौर बहरापन दर हो जात ह ।

9 दरद कान--हीग, धनिया शर सोठ (पीस कर) परतयक पनदरह गराम पानी एक किलो और सरसो का तल सवा-सौ गराम--सवब मिलाकर धीमी- धीमी शाच पर चढा द । सावधान रहिए कि धनिया शरादि नीच जलन न पाए। जब पानी सख जाए तो उतार कर तल को छान ल । कान म दरद हो तो तरनत कछ ब द डाल, लाभ होगा ।

क मद का दद--हीरा हीग दो रतती को मनकका (जिसक बीज निकाल दिए गए हो) म रख कर गोली-सी वना कर रोगी फो खिलाए, तरनत मद का दरद दर होगा। मद का दद शरतयनत तीवर होता ह, कई वार तो इसक कारण रोगी मचछित तक भी हो जाता ह---इसक लिए यह टोटका विशष” गराकारी ह।

4

Page 38: Ghar Ka Vaid - archive.org

39

क सती परतव--एक रतती हीग चार गराम यड म लपट कर निगल ल, पाती न पिए । ईशवर की कपा स तीस मिनट क भीतर ही कषट रहित परसव" होगा ।

होग-टिकचर-- पचास बराम हीरा हीग तथा एक बोतल रकटीफाइड सपिरिट ल । हीग को वारीक करक सपिरिट म डाल द और बोतल पर कारक लगा कर पनवह दिन तक बनद रख, दिन म एक वार बोतल को अवशय हिला दना चाहिए | पनदरह दिन क पशचात‌ इस दसरी बोतल म छान कर भर ल। इसकी मातरा बराठ बद स एक चाय चममच तक ह। पट-दरद, वदहजमी, परफार तथा मदारनि म नीव क रस और नमक क साथ मिला कर उपयोग करना चाहिए :--

() यदि परसव-कषट हो तो दस व‌ द गरम पानी म डालकर पिलाय | (2) परसव क पशचात की पीडा या गनदा पानी वाकी हो तो पाच-पाच

व‌ द गरम पानी म डालकर दिन म तीन वार पिलाय ।

(3) सतरियो क परसत रोग म भी उपरोकत तरीक स सवन कराय ।

(4) दाढ या दात म कीडा लगा हो तो इसम रई भिगो कर लगाए, दरद तरनत दर होगा ।

(5) भिड, विचछ इतयादि क काट पर एक व द लगा द, तरनत चन पडगा ।

(6) दत-पीडा क लिए पीडित सथान पर मजन की तरह लगान स दरद झौर सजन म लाभ होता ह ।

पयाज उपचार

दखन और कहन को वस पयाज एक साधारण सी वसत ह, परनत परकति न उसम कई चमतकार भर दिए ह, जिनम निमनलिखित विशषकर उललख- नीय ह--

क साप कारट का चमतकारी नसवा--हकीम वजीर चद क करथनानसार यह नसखा उनह एक बढ काठियावाढी महातमा स मिला था और शरवः तक

Page 39: Ghar Ka Vaid - archive.org

40

अतयनत लाभकारी सिदध होता रहा ह। लोगो फो इसम परयशय लाम उठाना

चाहिए, नितानत हानिरहित ह । कभी भी तीन मातरा स शरधिक सवन करान

की आवशयकता नही पडी । र

पयाज कट कर निकाला हआ रस भौर तल सरसो दोनो तीसलीम

आमिको आन, तरह मिलाकर रोगी को पिला दीजिए । यदि रोगी का जीवन-

घन भागय न अभी छीन नही लिया तो इतनी ही परोर (यह एक माता ह) दी मातरा स ईशवर की कपा स आराम होगा (तीन मातरा शराप-शराध घट

पशचात‌ द) ।

& हज फो रामवाए दवा--यान नाजक-स-नाजक हालत म अपना

जाद दिखान वाला नसखा,यह ह -- ॥ कपर दती चढिया ऐक गराम, पयाज का रस मवानमी गराम सत-पोदीना

(पीपरमट) झराठ गराम सब मिलाकर शीशी म कारक लगाकर रख | शरावशय- कता पडन पर एक-एक चाय चममच म तनिक मिशरी मिलाकर द। यदि जीवन बाकी ह तो ऐक ही दिन म दवा पशरपना जाद दिखाएगी ।

दसत धोर मरोड---तीस गराम पयाज क रस म आधी रतती भरफीम मिलाकर पिलाए, तरनत दसत और मरोड बनद होग ।

क दमा-पयाज का रस चाय क छ चममच-नर, शदध मध चौथाई किलो, खान का सोडा (सोडा बाई कारव) पसठ गराम--तीनो मिलाकर रख ल । परात व साय ऐक-एक चममच उपयोग कर, लाभ होगा।

कसिर-दरद-- पयाज को सतर वारीक छट ल शरौर पाव क तलझ पर लप

'कर द, सच परकार का सिरदरद ठोक हो जाता ह ।

७ मोतियाविद--मोतियाविद क आरमभ म पयाज का रस पनदरह गराम, शदध मध पनदरह गराम भीमसनी कपर चार गराम--सव को मिला कर रात को सोत समय दो-दो सलाई डालन स उततरता हआ मोतिया रक जाता ह, बलकि उतरा हआ भी साफ हो जाता ह |

लाजवाब सरमा--काला सरमा पचास गराम चौदीस घट ततक पयाज क रस म खरल कर, खशक होन पर शीशी भ समभाल कर रख ।

झाखो की लाली, घध, जाला तथा मोतियाबिद म गणकारी ह ।

Page 40: Ghar Ka Vaid - archive.org

का

क मतर की जलत--यदि मतर जल कर भराता हो तो पचास गराम छिला हमा पयाज वारीक करक झाधा किलो पानी म उवाल | पानी आधा रह जान 4र छान कर भरौर ठणडा करक पिलाए, जलन दर होगी ।

सतन घाव--- तल तिल‍ली सवा सो गराम म पहल तीस गराम पयाज जलाए, ततपशचात तीस गराम ताजा नीम क पतत जलाए फिर इसम सौ गराम मोम मिला कर मरहम बना ल । यह मरहम घाव पर लगात रहन स घाव कछ दिनो म भर जाता ह ।

कर उचचो फा कान-दद--पयाज भभल म दवाकर नरम कर। फिर | निचोडकर पानी निकाल शनौर तनिक उषण करक दो-तीन बद कान म डाल,

दरद तरनत बनद होगा ।

कक चचचो फो झाच दलना--पयाज का रस एक भाग भौर शदध मध एक भाग को दो भाग परक गलाव म मिलाकर रख । एक एक बद दोनो समय आखो म डाल, पराराम होगा । |

क विपत जोव-जनतपनो क फाट पर--पयाज का रस भौर नौसादर, भतयक पनदरह गराम--खरल म डालकर खब खरल कर। जतर दोनो वसतए अली परकार मिल जाए तो शीशी म सरकषित रख ॥ विचछ , भिड, मघमकखी, मचछर इतयादि क काठ पर इसकी दो बद मल द, तरनत ठणडक पड जाती ह।

पागल कतत और वबदर क काट पर भी इसी परकार उपयोग कर।

लहसन उपचार शरफरा व हजा -छिला हझलमा लहसन तीस गराम, चरण काला जीरा,

पिसा हआ लाहौरी नमक, गघक शदध आवलासार, चरणो सोठ, चरण पिपली, / काली मिरच पिसी हई शरौर हीग खील की हई परतयक पनदरह गराम ।

लहसन को छील लीजिग | इस छौलन क पशचात‌ भी इसकी पोथियो पर बहत वासक भिल‍ली लिपटी रहती ह, इस भी पथक‌ कर लना चाहिए । अब लहसन को इतना खरल कर कि यह एकयरप हो जाए, इस निकालकर

चीनी या काच क किसी वरतन म रख लीजिए। शरव खरल म गधक को बहत चारीक पीसकर नीव क रस स इतना खरल कर कि मलाई की तरह हो जाए,

Page 41: Ghar Ka Vaid - archive.org

42

मद

डालकर खब जञोरदार हाथो स इतना सरल कर कि एगयरप ही जाए । भरद इसम पहल स सरन किया हपना लहपन भरौर बावी परौषधियो क घण भी

मिला द और बारह घट तक नीब क रस म सरल करन चार-चार णततीकी

गोलिया बना ल ।

ततपशचात इसम नमक शर हीग (गौल की हई) मिठा द और नीय का रस

दिन-भर म पाच-छ गोलिया उपयोग की जा गकती ह। पटनदरद तथा

शरफारा आदि म गरम जल या शरको सौक या शरक पोदीना क साथ तथा क भौद

हजा म नीव क रस, परको सौफ या पयाज क रस स द । एमक चमतकारी

परभाव की कई बार परीकषा हो चकी ह ।

&छ पट क फोड--पट क कीड मारन क लिए लहसन रामबाण का

काम दता ह। जिन दिनो इसका सवन किया जाए उन दिनो मनकका या मध

क साथ दिन म तीन वार लहसन सवन करना चाहिए | लहसन को जब छीला

जाता ह तो बीस-बाईस पोधिया शरलग-शरलग हो जाती ह । इनह छोलकर पाच गिरी छोट-छोट टकडो म काट कर पनदरह बीस मनकका क दानो या मध क साथ खा लनी चाहिए ।

जो लोग नियमपरवक मास दो-मास या तीन मास तक इस परकार उपयोग करग व दखग कि उनका शरीर कसा बन जाता ह |

6) फान-दद फा चमतकारी ततल--पनदरह गराम गाय क घी म लहसन की तीन पोधथिया जलाए, जब परचछी तरह जल जाए तो निकालकर फक द । इस तल की दो-तीन व द कान म डालन स कान का दरद दर हो जाता ह, कान स पीप निकलना भी बनद हो जाएगा--कई वार का शरनभत परयोग ह ।

9 हज फा तरन‍त उपचार--शदध लहसन, सफद जीरा, पहाडी नमक, शदध गधक, सोठ, काली मिरच, पिपली परतयक तीस गराम शरीर हीग भनी हई पतवह भराम | सबको बारीक करक सात दिन तक नीब क रस म सरल कर शोर चन क वरावर गोलिया वनाए। इन गोलियो क उपयोग स हजा तरनत ठीक हो जाता ह ।

उपयोग विधि--यवा को एक वार म चार-पाच गोली, फमजोर या वालक को शकति-परनकल भोजन पशचात‌ तीन-चार गोली परतिदिन उपयोग

Page 42: Ghar Ka Vaid - archive.org

की

43

बन त स कभी वदहजमी नही होती । गोली खाकर ऊपर स ताजा पानी पीना चाहिए ।

हजा यदि तीज हो तो पनदरह-पनदरह मिनट क वाद यवा को दो-दो या

तीन-ततीन गोली दना चाहिए। यदि रोगी की इततनी शकति न हो तो एक घटा या एकव घटा पशचात‌ द । समरण रह कि य गोलिया हज म रामवाण का काम करती ह ।

नोट---लहसन काटकर मटठ म भिगो दना चाहिए। दिन-भर भीगन क पशचात‌ रात को निकालकर छाव म फला द । सवर'फिर ताजा मटठ म इस परकार भिगो द शरौर रात को निकालकर फला द । इसी परकार सात दिन करन स लहसन शदध हो जाता ह, उसम गध नही रहती ।

काली खाती--लहसन का ताजा रस दस बद, मध शरौर पानी सार-चार गराम--ऐसी एक-एक मातरा दिन म चार वार द |

मध उपचार मध वासतव म फलो की मनमोहक सगनध शरौर रकत वढान वाली दलभ

तथा कीमती सामगरी का शरवत ह । यह शरमत ह कयोकि इसका उपयोग वियड ओर गमभीर स गमभीर रोगो की विशवासनीय चिकितसा ह। सभी सथितियो शर सवभावो म समान झप स उपयोगी ह । बचचो, सतरियो, यवको शरौर वढो को परतयक अवसथा म उपयोग कराया जा सकता ह ।

सथ को मातरा बचचो क लिए पाच गराम, किशोरो क लिए दस गराम, यवको क लिए पनदरह गराम तथा सतरियो और बढो क लिए वीस गराम उचित ह। शरावशयकता पडन पर गरम, ऊषण या ठणड जल म पिलाए या चटाए । उचित यह ह कि धीर-धीर चाय की तरह घ -घ ८ पिया जाए | इसक शरति-

रिकत मध सवदा खाली मद पर पीना चाहिए । अरधिक गरम पानी मिलाकर हरगिज उपयोग न किया जाए वरन‌ इसस हानि का भय ह। शरचछा यह ह

ह कि शरद ऋत म पानी को थोडा गरम कर लिया जाए और गरीषम ऋत म ठणडा पानी लिया जाए (शरद ऋत म शदध मध पराय दानदार वन जाता ह । दानदार मध को फिर पतला करन क लिए मघ की बोतल या वरतन गरमपानी

Page 43: Ghar Ka Vaid - archive.org

44

म रखना चाहिए।) इस बात का सरवदा धयान रसना चाहिय कि मध कभी शाच पर गरम न किया जाए, भराच पर चढान या पकान स मध विष बनजाता ह ।

परौषधि क रप म मध क निमनलिखित परयोग किय जा सबस हई--

क धाघ सिर फा द--यह दरद सिरकी एक तरफ--शराथ भाग म

होता ह। परायः सरयोदय समय शर होता ह, दिन ढलन क पशवात‌ उसस कमी

होन लगती ह । यह दरद इतना तीजर होता ह कि रोगी कषट फ मार सिर

पटकता ह, रग जोर-घोर स फटकती ह, रोगी को ऐसा शरनभय होता ह. कि उसका सिर हथौड स कठा जा रहा ह, दरद की टीस कान शर दातो तक जाती ह। इसका उचित उपचार करन क लिए निमनलिखित नससा उपयोग

कीजिए * पराघ सिर क दरद क समय दसरी ओर क नथन म एक य द मध डाल द,

डालत ही दरद को शराराम हो जाएगा--च मतकारपरण चिकितसा ह ।

क नजला-जकाम--दो छोट चममच-भर मव पराघ नीब क रस क साथ दिन म तीन-चार बार उपयोग करना चाहिए। गरम पानी क गिलास म एक

बडा चममच मध शरौर एक चममच अरदरक का रस शरचछी तरह मिलावर दिन म तीन-चार बार पी लिया कर ।

दसरा योग--मध तीस गराम शौर शरदरक का रस दो छोट घममच-भर-- मिलाकर सरदी स उतपनन नजला व जकाम क लिए शरचमम स कम नही ह ।

क पकान--सरव परकार की थकान, चाह मानसिक हो या शारीरिक, दर करन क लिए मध एक उततम चिकितमा ह ।

शराप जब भी शारीरिक या मानतधिक थकान शनभव कर, दो बड चममच शदध मध एक गिलास गरम पानी म शरचछी तरह मिलाकर पी ल, थकान दर हो जाएगी ।

म‌ह फ घाव--सहागा खील एक भाग को बारीक करक चार भाग सथ म मिला द, यह मरहम मह क घावो पर मरल शरौर इसक कारण टपकन वाली थक को बाहर गिरात रह। इसस म ह क घाव साफ होत ह शरौर बहत जलदी भर जात ह ।

दसरा योग . मध शदध सौ गराम, गलिसरीन शराठ गराम, सहागा तीस गराम--सहागा को बारीक पीसकर मध शरौर गलिसरीन पा म मिला कर रख ।

Page 44: Ghar Ka Vaid - archive.org

45

आवशयकता क समय लगान स जबान क फटन भर म ह क छालो शरादि क लिए गणकारी ह।

तीसरा योग : फिटकरी खील एक भाग, शदध मध दो भाग, सिरका एक भाग । सिरका और सघ म फिठकरी मिलाकर पकाए । जब दवाई की चाशनी गाढी हो जाए, आच पर स उतार ल । परतिदिन परात, व साथ दातो पर मला कर, दातो का हिलना बनद हो जाएगा ।

क दत-रोग--धदध मघ तीस गराम, सिरका बढिया तीस गराम, फिटकरी खील पनदरह गराम, काली मिरच चार गराम । दोनो औपधिया वारीक पीसकर मघ और सिरका म मिलाकर सरकषित रख ल। आवशयकतानकल दोनो समय उबली दवारा दातो एर मजन की तरह मल | दातो का हिलना, कीडा लगना, दाह का दरद, पायोरिया तथा मल दातो भादि क सरव विकारो म हितकर ह।

क नतर-रोग--शदध हीग वारीक पीस कर मध म मिला ल। शोर सलाई दवारा परात व साथ शभराखो म लगात रह । इसका इसतमाल परारमभिक मोतियाबिद म गणकारी ह, रात को दिखाई न दन म भी लाभदायक ह।

दसरा योग - पयाज का रस और मध एक-एक पराम म भीमसनी कपर

चार रतती मिलाकर शीशी म सरकषित रख, भौर सलाई दवारा आखो म लगाए यह न कवल परारमभिक मोतिया म लाभदायक ह बलकि उतरा हआ पानी भी

साफ हो जाता ह । ततीमरा योग--सोत समय शदध मध की तीन-तीन सलाइया डाला कर,

कछ ही दिनो म रातरि समय कम दिखाई दन का कषट जाता रहगा । कर फान क रोग--कानो क भीतर भिनभिनाहट की शराचाज सनाई

दती हो, कानो म बाज-स बजत शरनभव हो तो इसक लिए निमनलिखित नसखा

परयोग कीजिए---

कलमी शोरा आधा गराम वारीक पीस कर शराठ गराम मध म मिलाए

और थोड स गरम पानी म घोल कर कान म टपकाए, कान वजन की शिकायत

धर हो जाएगी ॥ दसरा योग--शदध मध, गलिसरीन, वादाम रोगन, परतयक पनदरह परार

भोर एक गराम शरक शफा लकर मिला ल। तनिक गनपना करक कान म

Page 45: Ghar Ka Vaid - archive.org

46

डाल, इसस कान की पीप साफ होती ह। घीर-बीर पीप निकलनो वद हो

जाती ह शरौर कान विलकल साफ हो जाता ह ।

अरक शफा जो इस नसख म शामिल ह बनान की विधि इस परकार हः

कपर, सत पोदीना, सत शरजवाइन, कारबालिक एसिड, मसल परतयक चरावर

वजन । सब को मिला कर शीशी म डालकर रख द, तल हो जाएगा ।

& गल क रोग--काली मिरच, होग, राई, कसर सव वरावर वरजन वारीक पीम शरौर वरावर वजन मध मिलाकर मह म रख, और इसका रस चस । यदि शरावाज बठ गई हो तो खल जाएगी ।

दसरा योग--दिन म तीन वार एक वडा चममच मथ चाट लिया कर,

गल की मचन दर करन क लिए भरदधिततीय ह । तीसरा योग--तीस गराम मथ कप-भर पानी म घोल कर गरार कर,

गल की सजन, घाव और शरावाज बठन म लाभदायक ह । चौथा योग--गरम-गरम दध म थोडा मध और थोडी-सी गसलिसरीन

मिला कर गरम-गरम चाय की तरह पिए, गल की सजन क लिए गणकारी ह। क छाती शोर फफडो क रोग--मध फफडो को वल परदान करता ह,

खासी और गल की सरवोततम चिकितसा ह। गल की खशकी ततथा सनाय-कषट दर करता ह

छोट बचचो की छाती म जवघ र र"““घ रर की शरावाज शराती ह

झोौर व वलगम खारिज नही कर सकत तो उनह यदि यह नसखा उपयोग कराया जाए तो इसस तरनत लाभ होता ह ।

काकडा-सगी (लाल रग की) पनदरह गराम, सत मलठी चार गराम, मनकका (जिसम स वीज निकाल दिय गय हो) गयारह दान । सव चीजो को पीस कर मध म मिलाकर चटनी बनाए ।

उपयोग विधि--वचच को शराधा गराम स एक-दो गराम तक द । नवजात शिश की हालत म उसकी मा को भी शराठ गराम तक चटाए ।

७ परदपो क रोग--मस क दध म दो वड चममच मध शरचछी तरह घोल कर पीत रहना साधारण शारीरिक कमजोरी दर करन तथा वल बढान क लिय उततम ह। प

Page 46: Ghar Ka Vaid - archive.org

7

क पयाज का रस दो किलो ओर एक किलो मध धीमी आच पर इतना भकाए कि पयाज का रस जल जाए और मधघ बाकी रह जाए । फिर जावचितरी

लोग और कसर परतयक पाच-गराम मिलाए---वस पौदष बल की लाजवाब “टानिक तयार ह ।

& भसी ईसपगोल पसठ गराम, वादाम रोगन तीस गराम, मध सवा-सौ आम, चादी क वरक चार गराम--पहल भसी ईसपगोल वारीक करक वादाम रोगन म मल ल, और मध म चादी क वरक एक-एक करक घोल । ततपशचात‌ सब चीज मिला कर खरल कर ।

परात व साय चार-चार गराम इस शरोपधि का उपयोग करना परमह क लिय गणकारी ह।

& बचचो क रोग--मध म थोडा नमक डालकर हलकी शराच पर रख । जब मध फट जाय तो साफ पानी लकर थोडा-सा मिलाए, बचचो की खासी क लिए लाभदायक टोटका ह ।

को शदध मध पन‍दरह गराम तथा शरक गलाव, अरक सौफ भर भरक पोदीना परतयक तीस गराम । मध को शरचछी तरह तीनो शरको म मिला कर दिन म सीन-चार बार द, पट दरद म अतयनत हितकर ह ।

क यदि वचच को हिचकी वहत भा रही हो और सवय बनद न हो तो चोडा-सा मध चटा द, हिचकी ठीक हो जाएगी।

क) यदि वचचा सोत म रो उठ तो समझ लीजिए कि वह वदहजमी क कारण सवपन दख रहा ह। भाप उस कछ दिन तक मध चटाए, वदहजमी दर होकर सवपन म डरना और सोत म रो उठन की शिकायत दर हो जाएगी ।

क तपदिक--शदध मध‌ भाघा किलो, तवाशीर दो सी गराम, दारचीनी छोटी इलायची और तजपात परतयक बारह गराम । खब वारीक करक मध म

मिला कर सरकषित रख ।

चार गराम स पदधह गराम तक, शोचनीय अवसथा म तीस गराम तक भी उपयोग कराया जा सकता ह। परात दध क साथ सवन किया जान वाला तपदिक क लिए यह एक उततम शरायवदिक नसखा ह ।

Page 47: Ghar Ka Vaid - archive.org

48

क मोटापा-अतवमा चता पनदरह गराम, शदध मध तीन-सी गराम-- दोनो को मिला कर खरल करक कपडछन कर, भौर शीशी म ढाल कर रस ल | परतिदिन परात व साय पराठ-आ॥राठ गराम चटाना चाहिए ।

गाजर उपचार

..._ & कमजोर दिमाग--यदि परात सात दान गिरी बादाम सराकर ऊपर स सवा-सी गराम गाजर का रस शराधा किलो गाए क दध म मिला कर पिय तो दिमाग को वल मिलता ह।

क भाध सिर का दरद--गाजर क पतत गरम करक रस निकाल भरौर इसकी कछ ब द नाक शरौर कान म डाल, इसस छीक शराकर शराप पर क दरद को आराम होता ह ।

क सीन का दरद--गाजरो को शराच पर पकाए शरीर उनका रस निचोड कर मध मिलाकर पिलाए तो इसस सीन का दरद दर हो जाता ह ।

(9 वलगमी खासी--गाजर क रस म मिशरी मिला कर पकाए शर जब चटनी-सी बन जाए तो इसम थोडा चरण काली मिरच मिलाए। इस चटनी क उपयोग स खासी को लाभ होता ह, वलगम सगमता स निकलती ह ।

पथरो--गाजर क वीज तथा शलजम क वीज बरावर वजन लकर मली को भीतर स खोखजञा करक इसम भर द । फिर मली का मह बनद करक भभल स पकाए । जब भरता हो जाए तो वीज निकाल कर सएक कर ल ।

गसा-घधरम--य वीज बनद मतर को खोलत ह, पथरी को गला कर निकाल दत ह । शराठ स वारह गराम तक उपयोग करत गह।

मासिक घस--गाजर क वीज पनदरह पराम कट कर पानी म उवाल शरौर साफ करक सरख शककर पतरास गराम मिलाकर मासिक धरम क दिनो म उपयोग करात रह | कोई कषट न होगा ।

क पोरप दल क लिए --वढिया गाजर लकर उपर स छील ल शौर

इव सख जाए तो उतार ल। पा बज कडाही म चार-सौ गराम घी डालकर इन

Page 48: Ghar Ka Vaid - archive.org

49

गाजरो को इतना भन कि व अचछी तरह लाल हो जाए। इसम शराधा किलोः मिशरी डालन क पशचात‌ निमनलिखित सामगरी शामिल कर-.-

गिरी वादाम सततर गराम, गिरी पिरता तौस गराम, गिरी खरोजी तीस गराम, गिरी अखरोट तीस गराम, गिरी चिलगोजा तीस गराम तथा नारियल सततर गराम ।

गरण-धरम --वीरय वढाता ह, पौरष-बल परदान करता ह | सततर स सौ गराम तक चादी क बरक म लपट कर सवन कर ।

कर वचचो को कमजोरी--जिन वचचो की कमजोरी का कारण जञात न हो सक उनह गाजर का रस एक चममच स लकर तीन चममच तक बराबर मातरा गरम पानी मिलाकर दिन म दो-तीन बार पिलाना चाहिए । साथ ही

ऐस वचच की मा भी गाजर खाए या इसका रस पिए, इसस थोड समय म मा तथा बचच का सवासथय भरसक उननत होगा ।

गाजर का रस सवसथ वचचो को भी पिलाया जाए तो उनका सवासथय

दसर बचचो की अपकषा उततम होगा । क पट क कीड--आाधा किलो गाजरो का रस परतिदिन पीन स पट क

कीड खारिज हो जात ह। यही लाभ परात खाली पट गाजर खान स परापत किया जा सकता ह । जो लोग यह समभत हो कि गाजर उनह हजम नही”

होगी व रस पी लिया कर। क मसठो क लिए---यदि कचची गाजर का मततर गराम रस परतिदिन

पीया जाए तो मसढ और दातो क रोग आसानी स पदा न होग, खन साफ

रहगा, फोड-कनसी ओर खारिश न होगी । दिल व दिमाग और शरीर क शरनय

भाग शरचछी हालत म रहग भौर शरपना काम कशलततापरवक करत रहग । ) हदय रोग---कछ गाजर भन कर उनक ऊपर का छिलका शनौर गठली

निकाल द और रातरि समय चीनी की पलट म रख कर ओस म रख द । परात इसम थोढा गलाव और मिशरी मिला कर खाए तो शरतयनत गण-कारी ह।..

मली उपचार -.. क पीलिया-मली क हर पततो और टहनियो क सवा-सौ गराम रस म तीस गराम शककर मिलाकर परात. सवन कर, सब परकार क पीलिया क लिए भरतयनत लाभपरद ह ।

Page 49: Ghar Ka Vaid - archive.org

50

& दाद--मली क बीज, शरावलासार गधक परीर बढिया गगगल परसयक पनदरह गराम तथा नीला थोया शराठ गराम । सब चीजो को बारीक करक सवानसी

आम मली क रस म सरल फर शरीर गोलिया बनाए । एक-एक गोली मली क रस म घिसकर दाद पर लगाए, कछ ही दिनो म दाद सतम हो जाएगा ।

क गरद फा दरद--कलमी शोरा पतदरह गराम लकर सवा-सी गराम मली क रम म खरल कर शलौर जगली बर क बरावर गोलिया बना ल । एक गोली परात व साय पानी क साथ उपयोग कर। ++

ववासीर-वढिया मलियो का ऊपर म छिलका साफ फरओ छोट- छोट दकड कर ल । इन पर नमक शभौर काली मिरच (चरण) छिएक सर बरतन म डाल शरौर बरतन का मह बनद करक कछ दिन तक घप म रप, परतिदिन हिलात रह | यह एक बटिया शरचार ह जो कि बटी हई तिलनी शरौर बद मतर

लिए लाभदायक ह । 9 विपला डफ--पागल कतत क काटन पर मली क पतत गरम करक

तरनत घाव पर बाधन स विप निरजीव हो जाता ह, परनत शरत यह ह कि विप शरभी सार शरीर म न फल गया हो ।

विचछ शारीरिक रप स जितना कमजोर ह, पपट पहचान म उतना ही

'घातक ह। जिस भी डक मारता ह घटो उस तडपाता ह, बलकि किमी-किसी विचछ क काटन स शरीर मार दरद क शरकटन लगता ह। मली विचछ की

दशमन ह। यदि बिचछ पर मली का छिलका या मली का रस टपका दिया 'जाए तो वह तरनत मर जाता ह। यदि काट हए सथान स विप निवालकर मली का रस टपका दिया जाए तो दरद व सजन म चन पड जाती ह ।

गल फा घाव-गल क घाव की चिकतमा करन क लिए मली का रस शरीर पानी दोनो वरावर मातरा म परावशयकतानतार नमक मिलाकर गरार कर ।

क नतर रोग--मली का रस छानकर कछ समय तक किसी बरतन म रख, फिर छानकर निथार ल और भराखो म डरापर दवारा डाल । जाला, धघध -झौर फला क लिए लाभपरद ह । 3-34 24220 0 4 “4९:0५ 74%: वली

घोयाकद उपचार बल 23 मन असली 3 मा _ कक सिर-दरद- ताजा घीयाकह खरल म वारीक करक माथ पर लप

कर, थोडी दर म ही सिर-दरद को शराराम होगा ।

Page 50: Ghar Ka Vaid - archive.org

54

कर कान-दरद--घीयाकद का रस भोर लडकी वाली सशरी का दध वरावर वजन म मिला स और कछ ब द कान म टपकाए। कान क छद को रई स बनद कर द, तरनत दरद बन‍दर होगा ।

क दद-पीडा- पीयाकह का गदा पसततर गराम, लहसन पनदरह गराम । दोनो कटकर एक किलो पानी म पकाए। झाधा पानी जल जान पर गनगन पानी स कललिया कर, दतलसीडा तरनत वनद हो जाती ह ! _ कक नमर-रोग-- धरावशयकतानसार घीयाकह, का छिलका छाव म सखा

ल और फिर जला ल--बन चमतकारपरण घोषधि तयार ह । इस खरल म

पीस ल परौर तीन-तीन सलाइया सरम की तरह भराखी म लगाए, थोड ही दिनो म झासो क सरव रोग लपत हो जाएग ।

कक तन गिरना- छिलका घीयाएह, छाव म सखा ल शौर खब वारीक पीस ल । बरावर घजन मिशरी मिलाकर सरकषित रख । परात. खाली पट शराठ गराम स पदधह गराम तक दध की लससी या पानी क साथ सवन कर, म ह स

चन झाता हो, चाह फफड फ विकार क कारण हो या किसी दसर कारण, इसक उपयोग स तरनत बनद हो जाता ह ।

की पयात को तोशता-घोयाकद का गदा वारीक पीसकर सततर गराम रस निचोड । इसम ततीम गराम मिशरी और पाव किलो सादा पानी मिलाए । तीस-तीम गराम की मातरा म थोढ-योट समय पर पिलात रह ।

क उनन‍द मतन--मतर रक गया हो तो घीयाकह, का रस पनदरह गराम, कलमी शोरा एक गराम, मिशरी तवीस गराम, आधा कप सादा पानी म मिलाकर एक वार पिला द । एक बार पिलान स ही मतर सल जाएगा। वरना ऐसी ही एक मातरा और द, मतर खल जाएगा ।

| कचज--भावएयकतानसार पीयाकह, लकर काट ल शरौर छाव म सखाकर वरीक पीस ल । तीस गराम सतत, की तरह चीनी मिलाकर पिय, सरव परकार क दसतो म लामदायक ह । कछ दिन तक निरनतर उपयोग करन स परानी कबज भी दर हो जाती ह ।

थ दिमाग और जिगर की गरमा--घीयाकदद का गदा सततर गराम, इमलो तीस गराम, खाड (चीनी) पचास गराम--एक किलो पानी म पकाए। जतर थानी चौथाई बाकी रह जाए तो उतारकर मल परौर छानकर ठणडा होन पर

एक सपताह तक उपयोग कर। दिमाग भरौर जिगर की गरमी दर होकर शदध

रकत उतपनत होगा और दिमाग शकतिशाली बनगा ।

Page 51: Ghar Ka Vaid - archive.org

52

<& खनी ववासीर--धीयाकद, का छिलका शरावशयकतानसार लकर छाव

म सखाए और बारीक पीसकर सरकषित रख । दोनो समय शराठ स पनदरह गराम

तक ताजा जल क साथ फाकिए, दो-तीन दिन क उपयोग स बवासीर का खन बनद हो जाएगा। खनी दसतो क लिए भी यह शरोपधि रामबाण ह ।

क पीलिया--एक घीयाकद लकर घीमी भराच म दवाकर भरता-सा कर आर इसका रस निचोडकर तमिक मिशरी मिलाकर पिए, जिगर की गरमी तथाः

पीलिया क लिए चमतकारी शरौपधि ह । & बचचो फा रोग--एक घीयाकद लकर उसम छिदर कर । इस छिदर म

जितनी भी खबकला आरा सक, भर द । फिर काटा हआ भाग ऊपर दकर गीली भिटटी स लप कर द भौर तनिक खशक होन पर आग म दवा द। जब दख कि भरता-सा हो गया होगा तो शराग स निकाल ल शरोर मिटटी इतयादि हटाकर खबकला निकालकर पानी स साफ करक सरकषित रख | शराय-अनसार बचचो को चार रतती स एक गराम तक थोड पानी म घोलकर पिलाए। बचचो क पराय रोगो क अतिरिकत परान जवर क लिए चमतकारी ह ।

की तपदिक--ताजा घीयाकद लकर उसक ऊपर जो क भाट का लप करक तथा कपडा लपटकर भभल म दवा द । जब भरता हो जाए तो पानी निचोडकर शकति-अनकल पिलात रहिए | पनदरह-वीस दिन म तपदिक का रोग जड स चला जाएगा, भोजन हलका और शीघर हजम होन वाला खाए ।

की गरभ म-"-गरिणी को यदि गरभ की शरवधि क आरमभिक और अरनतिम मास म सततर गराम मिशरी क साथ परतिदिन सवा-सौ गराम कचचा घीयकह_ उपयोग करात *ह तो गरभ क वचच का रग शरतिया निखर जाएगा ।

क लडकी की दजाय लठका--जिन सतरियो क यहा परायः लडकिया उतपनत होती हो व गरभ ठहरन क एक मास पशचात‌ कचचा घीयाकह (वीज- समत) मिशरी क साथ इसतमाल करना शर कर द और तीसर मास क शरनत तक जारी रख तो लडकी की वजाए परायः लडका उतपनन होता ह, यह शरन- भतर पचासत परतिशत सफल रहा ह । ७ गरद का द-गरद क दरद म घीयाकह_ बारीक करक और थोडा गरम

करक दरद स सथान पर इसकी मालिश करक लप कर, दरद को तरनत आराम होगा ।

Page 52: Ghar Ka Vaid - archive.org

$3

जामन-चिकितसा

लोग जामन खात ह गलौर गठलिया वकार समझकर फक दत ह, हालाकि जामन की गठलिया बकार वसत नही, यह कितन काम की वसत ह, इसका अनमान निमनलिखित पकतियो स लगाया जा सकता ह ---

की मरोड--जामन की गठली दातर म ससताकर चरण बना ल। चार गराम यह चणो दही की लससी क साथ दिन म तीन वार उपयोग करन स सरव परकार क मरोड दर हो जात ह। शरद ऋत म दही की लससी क बजाए शत भरजवार म मिलाकर चाट ल ।

कक मोतियाचिनतद--पराखो म पानी जाता हो या मोतियाविद उतर रहा हो तो जामन की गठली सशक करक बारीक पीस कर चार-चार गराम परातः थ साथ पानी क साथ उपयोग कर और जामत की गठली ठराबर वजन मध म पीस कर सजाई दवारा परातः व साय आखो म लगाए। पराय लोगो की यह घारणा कि एक यार मोतियाविद उततरना शर होन पर रकता नही, यह आौषधि मिथया परमारितत कर दगी ।

जामन की गठलिया सखा कर शलौर वारोक पीस कर तथा मध मिलाकर बडी-बडी गोलिया या वततिया वना रख । शरावशयकता क समय मध म घिस कर लगाए । एक बार बनाकर वरष-भर तक काम म ला सकत ह ।

क सवपतदोप--जिनह रातरि क समय वर सवपन क कारण या वस ही चीरयपात होता हो, व जामन की गठली का चरण चार-चार गराम परात व साय

पानी क साथ कर ।

क खनो दसत--जामनत की गठली पददरह गराम परात व साय पानी स

रगढ कर पिलाना चाहिए ।

क परावाज चदना--जामन की गठलियो की मध मिलाकर बनाई गोलिया मह म रख कर चसन स बठा गला ठीक हो जाता ह और शरावाज

का भारीपन दर हो जाता ह । यदि दर तक उपयोग किया जाए तो दर स

Page 53: Ghar Ka Vaid - archive.org

54

विगडी शरावाज भी ठीक हो जाती ह । शरधिक बोलन या गान वालो क लिए

यह एक चमतकारी वसत ह ।

ह पतला वॉीय--जिनका चीय पतला हो शर तनिक-सी उततजना स शरीर स बाहर निकल जाता हो, वपाच गराम चरण जामन की गठली परतिदिन साय को गरम दध क साथ उपयोग कर, इसस वीरय वढता भी ह ।

क सपरहशी-मरोड--जामन क वकष की छाल छाव म सखाकर वारीक पीस और कपडछान कर। चार-चार गराम परात , दपहर और साय ताजा जल क साथ या गाय की छाछ क साथ सवन करन स सगरहणी, दसत और मरोड म गणकारी ह।

& जामन की गठली की गिरी, थराम की गठली की गिरी, काला हलला (जग हरड) वरावर वजन लकर चरण बनाए। पानी क साथ चार गराम फाकः लन स दसत बनद हो जात ह ।

(0 मघमह--छाव म सखाई छाल बारीक पीस कर आठ-आठ गराम परात , दपहर और साय ताजा जल क साथ सवन करना मबमह क लिए गण-

फारी ह।

क जामन की गठली का चरण पाच रतती साय जल क साथ उपयोग करन स मतर म शरकरा आन क रोग म लाभपरद ह।

&9 मासिक जाव की शरधिकता--जामन की पनदरह गराम तर व ताजा छाल आधा कप पाती म रगड कर और छान कर परात. और साय पिलाना सतरियो क परदर रोग तथा मासिक सराव की अधिकता क लिए गणकारी ह।

ह लिकोरिया--छाव म सखाई और वारीक पीस कर कपडछान की हई जामन की छाल पाच-पाच गराम परातः व साय पानी क साथ उपयोग करन स लिकोरिया दर हो जाता ह ।

क सजाक--पनदरह गराम जामन का तर व ताजा छिलका आधा कपः पानी म घोट-छान कर परात व साय पिलाना सजाक को ठीक करता ह।

Page 54: Ghar Ka Vaid - archive.org

55

जामत को छाल छाव म सखकर बारीक पीस कर और कपडछन करक आद-बराठ गराम परात व साथ पानी क साथ सवन करना सजाक क घाव को, अचछा करता ह ।

की दत-रोग--जामत की छाल छाव म ससाकर वारीक पीसकर कपड- छान कर। शरात व साथ मजन क रप म दात और मसदो पर मल कर मह साफ पानी स साफ झर लना चाहिए, दातो और मसढो क समसत रोग दर हो जात ह तथा हिलत दात भी ठीक हो जात ह ।

तरबज-चिकितसा की सिर-दरद-- सिरदरद कई परकार का होता ह। ऐस सिर-दरद क लिय

जो गरमी क कारण हो, नीच लिख टोटक लाभदायक ह। कवल बह दख लिया जाए कि रोगी म गरमी क चिहन पाए जात ह या नही, शररथात‌ यदि सोगी का सिर हाथ लगान पर गरम भशरनभए हो, या रोगी को सिर-दरद की

शिकायत आच क निकट बठन या घप म चलन-फिरन क कारण शर हो तो य नसख लाभदायक ह “--

ईछ तरतचज का गदा मलमल क वारीक तथा सवचछ रमाल म डाल करः निचोड और रस को काच क गिलास म डालकर थोडी मिशरी मिला कर परात पिलाना चाहिए, आराम होगा ।

कक तरवज क वीज या गिरी खरल या क‌ डी इतयादि म डाल कर और पानी मिलाकर खब घोट कि मकखन क समान मलायम लप वन जाए । रोगी

क सिर पर यह लप कर द, सिर-दरद तरनत ठीक हो जायगा ।

$ चहम झोर पागलपन--यदि रोगी क वहम की तीकरता क कारण पागलपन का भय हो रहा हो, दिन-भर इसी परकार क विचार सतात रहत हो,

नीद बहत कम ञराती हो तो निमनलिखित नसस उपयोग म लाए। इनक

निरनतर उपयोग दवारा इककीस दिन म यह रोग दर होकर रोगी सवसथ हो

जाता ह +-

। () तरबज का गदा निचोड कर निकाला हआ एक कप रस गाए का

दध एक कप, मिशनी तीस गराम--एक सफद बोतल म डाल कर रानि-समय

Page 55: Ghar Ka Vaid - archive.org

56

आद क परकाश म किती ख टी शरादि स लटका द और परात निराहार रोगी

को पिला द, ऐसा इककरीत दिन निरनतर करत रह, दिनोदिन वह मिदता

जाएगा ।

(2) पदह गराम तरबज क बीज की गिरी-राजि-समय पानी म भिगो द

और परात घोट कर इसम तीस गराम मितरी तथा पचास गराम गाए का सकक‍खन

मिला कर सवन करान स वहम दर हो जाता ह । इसम यदि चार दान छोटी

इलायची भी मिला ल तो उततम ह ।_ क

क क--यदि भोजन क पदचात कलजा जलन लगता हो और फिर क हो जाती हो--और की म भोजन पीलापन लिए निकलता हो तो इसक लिय ततरवज सरवोततम चिकितसा ह । परतिदिन परात. एक कप तरबज का रस थोडी मिशरी मिला कर पी लिया कर, पाचन ठीक होकर का की शिकायत जाती

"रहगी ।

तरबज निससनदह एक मीठा और सतराद फल ह, परनत यदि इस पर काली मिरच, काला जीरा तथा पिसा हआ नमक छिहक लिया जाए तो न कवल इसका सवाद बढ जाता ह. वलकि सरवोततम पाचत ओऔपधि भी वन जाता ह ।

इस खात ही निरनतर डकार आकर भख चमक उठती ह ।

क पयास की तीतवरता--जिस वयकति को वार-वार पयास लगती हो और वह वार-बार पानी पीकर भी सनतषट न होता हो, उसक लिए तरबज सवन एक सरवोततम चिकितसा ह । कयोकि इसस मन परसन‍त होकर सनतषटि हो जाती ह। आवशयकतानमार तरबज का पानी निकाल कर काच क गरिलास म भर ल और इसम थोडी मिशरी या शकजबीन मिला कर पिलाए, बस अनदर पहचन की दर ह पयास तरनत दर हो जाती ह।

यदि पयास की शिकायत कषणिक हो तो दो या तीन वार म, वरन‌ परानी होन की हालत म निरनतर सात-पराठ दिन तक पिलात रहन स परण सवसथ हो जाता ह ।

0 हदय घडकन--तरवज की गिरी एक तोला पानी म घोट छानकर छानकर मिशरी या चीनी स मीठा करक ठणडाई क रप म दिन म दो-तीन वार पिलाए।

Page 56: Ghar Ka Vaid - archive.org

57

पदिनोदिन इसका लाभ अनभव होता जाएगा । इसस हदय घडकन और हदय की कमजोरी को परण आराम हो जाता ह।

एक रोगी जो कि दिन म दो-तीन वार मछित होकर गिर जाया करता वा, इस उपचार स सवसथ हो गया ।

क फवय--करवज क लिए भी कई दिन तक तरवज का उपयोग करना लाभदायक ह, कयोकि जहा चरवज खान स मतर जारी होता ह वही शोच भी' खब जल कर होता ह। निरनतर दस दित खाकर दखिय, फिर कहिएगा कि कबज कहा गई !

क सजाफ--तरवज म ऊपर स इस ढग स छिदर कर कि इस निकाल हए टकड स फिर बनद किया जा सक । भव इसम शोरा कलमी शराठ गराम और मिशरी साठ गराम डालकर फिर ऊपर स बनद कर राधि समय चादनी म रख द। परात मलमल क सवचछ रमाल स छान कर काच क गिलास म रोगी को पिलाए, सात-दिन म चजाक को भरवशय आराम होगा ।

कर गरमी का जवर--वचो न जवर हो जान क बहत स कारण बताए ह। उनम एक यह भी ह कि मनषय घप म अरधिक चलन फिरन स भी जवर स असत हो जाता ह। इसलिए यहा ऐस जवर की ही चिकितसा दी जा रही ह जो गरमी क कारण हआ हो । ऐस जवर क लिय तरवज एक बहत बढिया उपचार ह | दिन म दो-तीन वार इचछानकल तरवज खाइय, जवर उतर जाएगा ।

कह ववासोर-ववासीर एक ऐसा रोग ह जिमक पज म आजकल नचच- अतिशत लोग जकड हए ह । ववासीर क लिए यहा एक कई वार का शनमत च चमतकारी नसखा दिया जा रहा ह जो कि परतयनत सलभ और सरल होन

क बावजद बहत गणकारी ह । एक बढा और शरचछा तरबज लकर ऊपर स एक टकडा चाक या छरी

स काट ल, और इस तरबज म सवा-सौ गराम मजीठ और सवा-सौ मिशरी कजा

चढिया या वीकानरी मिशरी वारीक करक डाल ऊपर स वही कटा हआ टकडा

लगा द । अरव इस किसी अनाज करी वोरी म पदस‍धह दिन तक पडा रहन द

और ततपशचात‌ निकल ल । तरबज म स जो रस निकल उस मलमल क

सवचछ रपाल दवारा निचोरड और शीशी म डाल रख ।

Page 57: Ghar Ka Vaid - archive.org

58

सवन-विधि--सारा रस सात रोज म पी ल, बवासीर स छटकारा मिल

जाएगा । गरम पदारथ विशषत मिरच, जहसन, गड तथा बगन इतयादि स परहज कर और भोजन म मग की दाल, रोटी, दध-घी इतयादि ही रह ।

नारगी-चिकितसा

& नजला और जकाम--खब पकी हई नारगी का चौथाई किलो रस घीमी आच पर रख शलौर 70 फारनहाइट तक गरम कर, फिर पाच गराम

वनफशा क पतत डाल कर तरनत नीच उतार ल, ओर पाच मिनट तक वरतन का मह बनद रख। ततपशचात‌ छानकर गरम-गरम पिला द । दिन भर जब भी पयास लग यही परयोग कर | खाना बिलकल न खाना चाहिए । एक-दो दिन म तबीयत ठीक हो जायगी ।

क लाती--खटाई खाती क लिय हानिकारक समझी जाती ह परनत नारगी की खटाई खासी क लिए एक लाभदायक पदारथ ह। भरचछा तरीका यह ह करि खासी म पकी हई नारगी क रस म मिशरी डाल कर पिया कर।

क भख न लगना--यदि आप अनभव करत ह कि भख बहत कम लगती ह, खाया-पीया जलदी पचता नही शरौर भोजन करन क पशचात‌ इसक सवाभाविक आननद स वचित रहत ह तो निमनलिखित टोटक स काम लकर अपनी भख ठीक कीजिए ।

नारगी छील शरौर ऊपर चणो सोठ तथा काला नमक छिडक कर खाए, एक सपताह म ही भख पहल स कही शरधिक हो जाएगी ।

क पसलो का दर--नारगी की फाक छिलका उतार कर छाव म सखा ल और कट कर तथा कपडछन कर पानी क साथ सवन कर, एक दो वार क उपयोग स पसली का दरद चला जाएगा ।

टाहफायड--टाइफायड (सननिपात जवर) क रोगी क लिए ऐस आहार की आवशयकता होती ह जिसम परोटीन की मातरा न होन क समान हो । कयोकि रोगी की पाचन-शकति कषीण होती ह । रोगी को ऐसा आहार

Page 58: Ghar Ka Vaid - archive.org

59

मिलना चाहिए जो मभद पर भार न बन शर तरनत पच जाए। ऐसी आव- शयकता कवल नारगी का रस ही परी कर सकता ह । परतिदिन पाच-सात नारगी का रस (थोडी-थोडी मातरा म) जहा रोगी को शरधिकत कमजोर नही होन दता वहा वढती हई पयास भी वकाता ह। इसक अतिरिकत नारगी का रस घशरीर स विपला मल खारिज करता ह | यदि रोगी को जी का दलिया दना हो तो इसम नारगी का रस शामिल कर लना चाहिए ।

हक हदय-चलवदध फ दरवत--नारगी का रस एक किलो, मिशरी एक

किलो भरकक वदमशक पाव किलो, शरक कयोडा पाव किलो --सवब को मिलाकर शरबत की चाशनी तयार कर। तीस गराम स साठ गराम तक एक कप पानी म

मिला कर उपयोग कर, गरमी की तीवरता को दर करता ह, हदय को वल परदाव करता ह ।

क नारगी पप--एक नारगी का रस, चीनी आरावशयकतानसार, खान का सोडा एक गराम ।

एक गिलास पारी, म आवशयकतानसार कोई शरबत मिला ल शौर खान

फा सोडा इसम घोन द। शरव एक ताजा नारगी छील भौर छिलक को दवा कर दो चार बद इसका रसशरवत क गिलास म डाल, सावधान रह कि बहत अधिक न पड जाए वरन‌ सवाद तरिगड जाएगा। फिर नारगी की फारक सवचछ कपड म दवा कर रस निकाल और इस शरवत म मिला द, तरतत उफान उठगा । उफान पदा होत ही गिलास को मह लगा कर पी जाइए, शरतयनत जायकदार शरवत ह ।

गरा-घरम--मद की सजन तथा चभन को तरनत शान‍त करता ह। गरीषम ऋत म इसका उपयोग मन को शानति परदान करता ह, बबज क सददो को खोलता ह | पीलिया क लिय एक चमतकारी शरौपधि ह ।

गरमी म यातरा करन क पशचात‌ उपयोग करन स थकावट दर करता ह,

पाचन बढाता तथा खब भख लगाता ह ।

क नतर रोग-- तारगी का रस भर मध वरावर वजन मिला कर रख।

दो-दो बद परात तथा रातरि को सोत समय भराखो म ढाल | खजली, घनध, तथा कक‍कर दर करती ह ।

Page 59: Ghar Ka Vaid - archive.org

60

& सनदर सन‍तान--गरभ-परवधि म नारगी का शरधिक उपयोग सनदर

सनन‍तान उतपनन करन का एक गहरा रहसय ह, जिसका जी चाह शराजमा

कर दख ल ।

नॉब, चिकितसा

& खासी--एक नीव क रम म एक रतती लोग का चण मिलाकर थोड

पानी म घोल और परति शराठ घट पिलात रह ।

क महास--एक कप उवबलत हए दध म एक नीब का रस मिलाइय भौर इस पर मलाई न जमन दीजिए और गाढा करक परात समय तयार कर

रखिए । सोत समय यह करीम (गाढी मलाई) महामो पर लगाइय ।

क जजली--नारियल क तल म दो नीव का रस मिला कर पकाए, इस गाढ लप को खजली क दानो पर लगाना लाभदायक ह।

क मितली - आध नीव का रस, एक रतती जीरा, एक रतती चरण दाना छाटी इलायची--सव मिलाकर छ -छ घनद पशचात‌ उपयोग कर |

क पट-दद--तमक तीन शभरोस, चरण शरजवाइन एक गरन, चरण जीरा दो गरन, चीनी तीन गरन शलौर आध नीव का रस, सव चीज मिला कर उपयोग कीजिए ।

दनत-पीडा-चरण लॉग एक छोटा चममच-भर नीव का रस मिला कर दातो पर मलन स पीडा दर होती ह ।

0 तोतर जकाम-दो नीव क रस म डढ कप खौलता हआ पानी डाल शरौर इचछानकल मध स मीठा कर रातरि को सोत समय पीए, जकाम की रामवाण शौषधि ह ।

दसरा योग--नीव को खादी क ऐस कपड म जो पानी म भीगा हमा हो लपट कर ऊपर स चिकनी मिटटी का लत कर द और गरम राख म दवा द, ताकि भरतासा हो जाए । फिर गरमनारम निकाल कर इसका रस

किक

Page 60: Ghar Ka Vaid - archive.org

6

कालिए । यह रस तरनत ही रोगी को पिला दन स जकाम भाग जाएगा । यदि इसम थोडी मातरा शदध मध की की मिला ली जाए तो और भी भचछा ह ।

ह दखार म पपास--सव परकार क बखार म पयास अधिक लगती ह । इसक लिए नीब का रम अतयनत लाभदायक ह । यह चाय क चार चममच स लकर इह चममच की मातरा तक लिया जा सकता ह |

क दतत व मरोड--शौच जब कषट स हो रहा हो, या शौच क सग झाव भी शरा रही हो तो ऐस समय नीव का उपयोग बहत अचछा रहता ह ।

रोगी को एक नीव का रस आधा कप पानी म मिलाकर पिलाए और

इसी परकार दिन भ पाच-मात वार द । दसत चाह कितन ही तीजर हो, इसस बनद हो जात ह ।

ह दतरा योग--यरम दध नीच फ रत दवारा फटा कर पीना मरोड तथा जलाव क लिय उपयोगी ह ।

क सगरहरी--दवा एकदम साधारण, सवन विधि नितानत सगम और रोग अतयनत घातव--निशचय ही एक चमतकार गिना जाएगा

एक नीब बीच स काट कर मगर क बरावर इसम शरफीम डालकर डोरी स बाब ल ।फिर उस आराच पर लठका कर पकाए । जब पक जाए तो इस

नीब का रस चस, तीन दिन ऐसा कर, निशचय ही समरहरी दर हो जाएगी ।

क सिर चफराना--गरम पानी म एक नीव निचोड कर पीन स जिगर विकार क कारण सिर चकराना तथा शराखो की चकाचौघ दर हो जाती ह ।

को सगम-परसव--जित सतरियो को परसव समय पीडा हआ करती ह, यदि, व चौथ मास स परसव तक एक नीब का शरवत बनाकर परतिदिन पिया कर तो उनह बिना कषट क परसव हो जाएगा ।

क वयटोलोबइन--नीच का रस (तीन वार कपड म छतता) तीस गराम,

गलाब शअरक (तीन शरातिशा) तीस गराम, वढिया बलिसरीन तीस गराम--तीनो

वसतए शीशी म अचछी परकार मिला ल | चहर का सौनदरय बढान क लिए

एक उततम लोशन तयार ह | चहर क धबब, महास, कील इतयादि दर करन

Page 61: Ghar Ka Vaid - archive.org

02

क लिए शरतयनत गणकारी ह। चहर का रग निखरता तथा तवचा रणम क

समान मलायम हो जाती ह ।

& तवचा शोघक--किसी ऋत विशष म तवचा शरतयनत भददी-नी लगन

लगती ह और विशषकर गरदन बहत मली-मली दिसती ह । यदि निमनलिखित

ढग स नीब उपयोग किया जाए तो तवचा शीतन ही शरपन अमली और पराकपक

रग पर था जाती ह।

एक भाग गलिसरीन (या आधा भाग गलिसरीन और आधा भाग शरक

गलाब) और तीन भाग नीव रस--दोनो मिलाकर एक फाय दवारा गरदन पर

लगाइय । घोल को खब शरचछी परकार तवचा म रचाइय। यह परयोग रातरि को सोत समय करना चाहिए । राहतरि-भर गरदन इसी हालत म रहन दीजिए

दसर दिन परात घो डालिए । दो-तीन दिन तक ऐसा करन म तवचा क

सौनदरय म भरसक वदधि होगी ।

रस रहित नीव (जिनका रस निकाल लिया गया हो) नहान क लिए उबटन का काम दत ह । इनस खब निखार शझराता ह शरौर पानी म जो पराकतिक खशकी-सी रहती ह, उस दर करत ह । नीव क छिलक गरदन पर, हाथो पर तथा सार शरीर पर सब मलिए, ऐसा करन स रग निखरता ह

शरौर तवचा मलायम ही जाती ह ।

क गलिसरीन साठ गराम, नीय का रस पनदरह गराम, फारवालक एसिड बीस द द--सबको मिलाकर खब हिलाए, वस तयार ह। परतिदिन दोनो समय चहर पर मालिश करक कछ मिनट पशचात‌ पानी स घो द, थोड ही दिनो म चहर क सब धबब, कील तथा छाइया शरादि दर होकर चहरा चमक जाएगा ।

क दाद क दो सरवोततम नसख--दाद एक ऐसा रोग ह जो कठिनता स ही दर होता ह। पराय जब पसीना आता ह तो दाद म अतयधिक सजली होती ह । नीब इसकी ठीक चिकितसा ह ।

() कागजी नीब क रस म बारद पीसकर दाद पर लप कर। इसस दाद कितना ही पराना हो निशचय ही शराराम हो जाता ह। इसकी एक यह

Page 62: Ghar Ka Vaid - archive.org

63

"भी खबी ह कि इस अधिक दर तक उपयोग करन की आवशयकता ही नही पडती ।

(2) नोसादर नीव क रस म पीसकर दाद पर लप करन स कछ ही दिनो म दाद को आराम हो जायगा।

क सोन को जलन--आध नीव का रस आधा कप पानी म मिलाकर पीन स सीन की जलन म बडा आराम मिलता ह।

कक तितली--तिलली वढ जान की हालत म नीव का उपयोग बहत गणकारी सिदध हआ ह ।

दो नीव क दो-दो टकड कीजिए ओर नमक छिडक कर तथा थोडा गरम कर चसिए | कई दिन तक ऐसा करत रहन स वढी हई तिल‍ली अपनी असली अरवसथा म शा जाएगी ।

क मलरिया--एक वड नीव क पतल-पतल टकड कर मिटटी क बरतन म दो कप भर पानी क साथ इतनी दर पकाए कि आधा पानी रह जाए। इस रातरि-भर खली जगह रखकर ठणडा किया जाए शनौर परात पिलाया जाए,

अतयत लाभदायक ह । क ववासोर--कागजी नीव काटकर दोनो टकडो पर पिस हआ कतथा

डालकर नीब भ जितना रच सक रचा द । फिर दोनो टकड पल म रखकर चाहर ओस म रख द । परात. दोनो टकड चस ल । पहली ही मातरा स खन

बनद हो जाता ह शलोर भख भी खब लगती ह । ( हजा--नीव गम करक चीनी लगाकर चसना मितली तथा हज क

बललिए उपयोगी ह ।

मातरा . दो नीव । हज म नीब और पयाज क रस म चीनी मिलाकर

जरवत तयार कर ल । आवशयकता पडन पर थोडा-थोडा चाट | शरवत चीनी

क वतन म तयार कर ।

क हिसटीरिया-भती होग क सग नीव उपयोगी ह ।

मातरा : एक रतती हीग और आठ गराम नीब का रस । एक मास तक

पनिरतर उपयोग करन स आराम हो जायगा।

Page 63: Ghar Ka Vaid - archive.org

64

क मोतियाविद--यदि मोतियाबिद होन क लकषण परकट हो जाए, यानि

घ घला दिखाई दन लग तो सघा नमक नीव क रस म रगडकर तनिकनसा

शराख म काजल की तरह लगान स मोतियाबिद रक जाता ह ।

क उपवास की दरगगव--जिस वयकति क मह स दरगनध आा रही हो

उसका दसरो क बीच बठना मसीबत हो जाता ह। इसकी चिकितमा निमन- लिखित तरीक स कीजिए

नीवय का ताजा रस एक भाग, गलाव शरक दो भाग--दोनो मिलाकर परतिदिन परात' व साय इसस कललिया कर । इसस न कवल शवास की दरगनध दर होकर सगनध शरान लगगी वलकि मसढो क घाव, मासखोरा आदि रोग भी

दर हो जात ह । इसक शरतिरिकत दात साफ होत ह शलौर म ह सव परकार क कीटाणओ क परति सरकषित हो जाता ह ।

(& गरभपात की घमतकारी दवा--शरफीम साफ की हई (पकाई हई) पनदरह गराम, रसौत शदध साफ की हई (पकाई हई) साठ गराम । किसी साफ सरल म नीव क रस या अनार क रस म एक घटा तक खरल कर आधघी-पआराधी रतती की गोलिया बनाए ।

गरभपात क समय इसकी कछ गोलिया उपयोग की जाए तो गिरता हआना गरभ रक जाता ह। अवसरानकल पनदरह-पनदरह मिनट या एक-एक घट पशचात दो-चार गोलिया गरीषम-ऋत म शरवत सदल स और शरद ऋत म चावल की माड स द ।

अनार-चिकितसा क नतर-जजली--अनार क दानो क रस को ताव की कटीरी म डालकर

आच पर पकाए, गाढा होन पर जसत क डिबब म रख ल । परतिदिन एक-एक सलाई शराखो म लगान स आखो की खजली, पलको क वाल गिरना, आराखो का लाल रहना इतयादि कपट दर दवो जात ह ।

७9 परात को सरखो व दरद--खटटा अनारदाना (खशक) पानी म भिगोकर सतर । इस अकार लगभग साठ गराम पानी तयार करक इसम एक गराम शरफीम

Page 64: Ghar Ka Vaid - archive.org

65

और तीन गराम फिटकरी घोलकर काच पर पकाए। जब सारा पानी डालकर- घोल गोलिया बनन योगय गाढा हो जाए तो लमबी-लमवी सलाइया-नी वनाकर रख म।

सवन-विधि : आवशयकता पडन पर रातरि समय एक सलाई अरक गलाब या साद जल म धिसकर गाखो क भासपास लप कर ।

गणधरम : दरद, टीस तथा सरखी क लिए एक चमतकारी शरौषधि ह । पराय; पहल दिन ही भरपक गराराम होता ह ।

की दातो स पन पाता--दातो या मसढो स खन शराता रहता हो तो निमनलिखित नसखा तयार करक उपयोग म लाइय--

अनार क फल छाव म मचचाकर वारीक कर लीजिए। परात व साय मलन की तरह दातो म लगाए, खन बनद हो जाएगा । इस परकार हिलत दात भी मजबत हो गात ह ।

की पट-दरद-- अनार क दान निकाल लीजिए---नमक और काली मिरच पिसी हई छिटक कर रस चस, पट-दरद तरनत दर हो जाएगा। जिनह भख न लगती हो थ इसी तरह परात सवन कर|

की जिगर व मदा विकार--अनार का रस एक किलो किसी सवचछ वरतन म कछ घद रस दीजिए ताकि निथर जाए। शरव इस निथर रस को दसर वरतन म डालकर चौथाई किलो मिशरी घोल और ततपशचात‌ सोौफ का बारीक चरो पनदरह गराम मिला द । अब इस बोतलो म भा लीजिए, बोतल का एक तिहाई भाग खाली रह । इन बोतलो को कारक लगाकर घप म रस और कभी-कभी इनह हिलात भी रह | एक मपताह पशचात‌ उपयोग करना शर कर।

सवन-विधि . पचास स सततर गराम तक दिन म दो वार। इसस भख घटती ह, दिल को ताकत मिलती ह, वीरय वटता ह और चहर का रग लाल

होन लगता ह । क पोलिया-पअनार क दानो का रस एक छठाक रातरि-समय लोह क

एक सवचछ बरतन म रस द, परात' थोडी मिशरी मिलाकर पिय--कछ ही दिनो

म पीलिया दर होकर खन पदा होन लगगा ।

Page 65: Ghar Ka Vaid - archive.org

66

ददय-पलवदध क दरवत--परतार क दानो को निचोटफर एफ किलो

रस निकाल और इसम तीन किलो चीनी मिलाकर साधारण रीति स तरागनी

वना ल । परात व साय साठ-साठ गराम यह शरबत ताजञा जल म मिलाकर

उपयोग कर, इसस पयास बभती ह, क दर होती ह, दिल को बल मिलता ह

तथा दिल की घडकन क लिए गरणकारी ह।

क भख बढान वाला दरवत--मीठ शरनार का रस सवानसी गराम, गडढ

अनार का रस सवा-सौ गराम, सव का रस चौथाई फिलो, नीब का रस चोथा;

किलो, हर पोदीन का रस चौथाई किलो तथा मिशरी दो किलो--शरवत बनाल ।

सवन-विधि पचास-पचास गराम परात व साय ।

यह शरवत जिगर तथा भद क विकार दर करक सब भस लगाता ह। हज क दिनो म इसका उपयोग अतयत लाभदायक मिदध होता ह ।

अनार का छिलका क नतर-रोग-शरनार का छिलका बीस शरीम कटआर दो किलो पानी

मिला कर ताव क बरतन म गरम कर। पानी चौयाई रह जान पर उतारकर छातर ल । फिर दोवारा शराच पर चढाए, मध क समान गादय हो जान पर ठणडा करक शीशी म भर | दोनो समय सलाई दवारा पलासो म लगाए। भासो की जलन, गरमी तथा घ घ दर होती ह ।

क वासी--अनार का छिलका गराठ भाग, सघा नमक ऐक भाग । बब वारीक पीसकर कपडछन कर और पानी क साथ एक-एक गराम की गोलिया बनाए । दिन म तीन बार एक एक गोली मह म रखकर चरस, खासी दर हो जायगी ।

क ववासीर--भरनार का छिलका वारीक पीसकर शराठ-आराठ गराम परातः

व साय ताजा जल क साथ उपयोग करन स सनी ववासोर दर हो जाती ह । मतर को परधितता--भरनार का छिलका पीसकर चार स छह गराम

तक ताजा जल क साथ कछ दिन तक उपयोग करन स लिगनदरिय की गरमी तथा मतर की अधिकता दर होती ह ।

Page 66: Ghar Ka Vaid - archive.org

67

कक सवपन-दोप--अनारका छिलका पीसकर चार-चार गराम पानी क साथ परात. व साथ उपयोग कर!

क मह फो दरगनध--यदि मह स पानी झाता हो या मह म दरगनध 'पदा होती हो तो तीन-तीन गराम पिसा हआ छिलका पानी स परात व साथ “उपयोग कर तया छिलका उवालकर गरार और कललिया कर।

अर गर-चिकितसा

अगर दवारा कई रोगो की सफन चिकितसा की जा सकती ह --

क फान फो पोप--कान स पीप बहती हो तो खटट अगर का रस शराच पर रखकर पका लीजिए । गाढा होन पर किसी खल मह की शीजी म रखिए । झरावशयकता पडत पर दो भाग मध म मिला कर और गनगना करक कान म डाल, कछ दिनो म ही पीप बिलकल बनद हो जाएगी ।

क वालमड--वालमड यानि गज क लिए वढिया किशमिश एक भाग ओऔर एलवा आझाघा भाग खरल म पीस ल शौर पानी मिलाकर लप तयार कर | कछ दिन तक यह लप लगान स गज दर होकर वाल पदा हो जायग ।

क पासो--गिरी वादाम पनदरह आम, चरण मलहठी पनदरह गराम, चीज रहित मनवका पनदरह गराम--सभी कट-पीसकर चन क वरावर गोलिया चनाए । एक-एक गोली मह म रखकर चसत रह, खासी स छटकारा मिल

जायगा ।

क परात दधना --खटट अगर का रस डरापर दवारा दो-दो व द दखती आखो म डाल, आराम हो जाएगा ।

क पराख म खजती-भाखो म खजली हो, पलको क वाल गिरन लग

सो अगर का रस आच पर रखकर पकाए और गाढा होन पर शीशी म डालकर रख । रातरि समय सलाई दवारा शराखो म लगात स शराराम होगा ।

क नकसोीर--मीठ अगर का रस नाक म खीचन स नकसीर तरनत चनद हो जाती ह ।

Page 67: Ghar Ka Vaid - archive.org

68

& सतरी रोग--योनि स शवत पदारथ बहता रहता हो, पाचन बिग

गया हो, चहरा वनर हो रहा हो, पट फल गया हो, कबज शरौर सिर दरद की

शिकायत रहती हो तो अगर का रस चार-पाच चममच-भर परातः व साय उपयोग करन स लाभ होता ह। गरभिणी को यदि दनिक उपयोग कराया जाए तो उस मरछा, चककर, दतपीठा, मरोट, शरफरा शोर कबज गरादि शिकायत

- नही होगी । गरभ फा बचचा भी सवसथ तथा बलवान होगा--यदि किसी ऋत म अगर उपलबध न हो तो किशमिश काम म लाई जा सकती ह। किशमिश

“अगर का सखा हआ फल ह।

(छ हदय वलवधक--किशमिश रवचछ तीस पराम, कसर चार रतती-- रातरि समय मिटटी क पयाल म एक कप पानी डालकर भिगोए और पयाल पर एक वारीकसर-कपडा वाघकर शरोस म रख द । परात किशमिश साकर ऊपर स यह पानी पी लिया जाए तो हदय को वल मिलता ह ।

क मिरगी-चरण शरकनकरहा पनदरह गराम और बीजरहित मनकका तीस गराम--दोनो को रगटकर चटनी बनाए । दो गराम दनिक मातरा स झरारमभ करक तीन-चार गराम दनिक तक पहचाए और इस कोडियो क दाम की परौोपधि का चमतकार दख ।

क पीलिया-वीजरहित मनवका पनदरह दान सिरका अगरी तीस गराम म रातरि समय भिगो द। परात थोडा नमक व काली मिरच लगाकर उपयोग करिया जाए, कछ ही दिनो म पीलिया स छटकारा मिल जाएगा ।

& फवज--मीठी किशमिश (जिसम खटास बहत कम हो) तीस गराम परतिदिन निरनतर पनदरह दिन तक खात रह | किशमिश न मिल तो सवभाव- अनकल बीस या तीम गराम वीजरहित मनकका खा लिया कर। परान कबज म भी लाभदायक ह।

क परद का दद-शरगर की वल क तीस गराम पततो को पानी म पीसकर छान लीजिए शरौर नमक मिलाकर पीजिए, गरद दरद का तडपता हआ रोगी इसस चन पा जाएगा।

मासिक घरम फी रकावट--वादाम गिरी दा (छिलका समत) पचास गराम, हरी मश सवा सौ गराम, नारजल सौ गराम, वढिया छहार शराठ दान --

Page 68: Ghar Ka Vaid - archive.org

69

+ सवको कटकर रख ल | मासिक धरम क दिनो म सततर गराम परतिदिन यरम दध 'क साथ उपयोग करत रहन पर मासिक धरम खलकर जारी हो जाएगा ।

कक दरचचो को कवज--वचच को कसी ही कवण कयो न हो, एक चममच रस क पशचात‌ ही शोच हो जाएगा । दात निकलत समय दनिक परात व साय रस दन स वचचा न अधिक रोता ह और न उस दात निकलन म शरधिक कषट ही होता ह । इसक अतिरिकत वचच को सख का रोग भी नही होन पाता । जिन नन‍ह वचची को चककर और फिट आत ह उनह भी यदि अगर का रस दिन म तीन बार पिलाया जाए तो निशचय ही कछ दिनो म फिठ झान का रोग दर हो जाता ह शोर सवासथय बहत अचछा हो जाता ह।

कि अप कप नमक ली आज ली पड आज बी पर ज कक फसल ही ली आज जल कपकम क

सव चिकितसा

क पराह की लाली--सव का टकडा काटकर तथा छीलकर और नरम करक (कट कर) दखती आख पर रखकर ऊपर स सवचछ मलमल की पटटी चाघ दन म शलाराम होगा ।

७ सिर दरद- एक या दो सव छीलकर और नमक लगाकर निराहार

खब चवाकर खाइय । तीन-चार क उपयोग स तीबर-स तीज सिरदरद को

आराम हो जाएगा।

क दिमाग फो फसजोरी--पराजकल कमजोर दिमाग क रोगी बहत पाए

जात ह, बलकि यो कहना चाहिए कि जितन नजला-जकाम क सथायी रोगी

चषटिगोचर होत ह उनम अससी परतिशत रोगी वासतव भ कमजोर दिमाग क

रोगी ह । ऐस रोगियो को मजला-जकाम रोकन वाली आओपधियो स इस

कारण लाभ नही होता कि वासतव म उनकी बीमारी दिमाग की कमजोरी

होती ह। इसीलिए जब तकर दिमाग की कमजोरी दर न हो ऐस रोगियो का सवसथ होना असमभव ह ।

भोजन स दस मिनट पहल एक या दो सव (बढिया) विना छील चवा-

चवाकर खाइय, थोड ही दिनो म दिमाग की कमजोरी दर हो जाएगी ।

Page 69: Ghar Ka Vaid - archive.org

70

कह खाती--एक पका हआ सव कटकर सवचछ रप म निचोटकर रस

निकालिए, थोडी मिशरी मिलाकर परात विलाए। कछ दिनो क उपयोग स

खासी भाग जाएगी ।

फ-- कचच सव का रस थोदा नमक मिलाकर विलाए, तरनत का

बनद हो जाएगी ।

क पट फ फीट-/रातरि फो सोत समय एक-दो सव खाए, ऊपर स

पानी हरगिज न पिए । सात दिन तक ऐसा करन स पट क कीट मर कर

णौच दवारा निकल जायग ।

पयास फी तीवता--दो सव का रस एक कप पानी म मिला कर

पिलान स पयास की तीतरता दर हो जाती ह ।

छ चमतकारी टॉनिफ--परतिदिन निराहार तीन-चार सब साकर उपर स दध पिया जाय तो एक-दो मास म ही सवासथय म आएचरयजनक परिवतन हो जाएगा । तवचा का रग निखरता ह, चहर पर लाली भलकती ह तथा योन समबनधी सव फमजोरिया दर हो कर शरीर म जीवनदायक रफरति दौडन लगती ह । सकषतर म यह कि इस उपयोग दवारा व तमाम गरा परापत हो जात ह जिनकी चरचा बडी-बडी कीमती दवाइयो क विजञापनो म तो पायी जाती ह परनत जो वासतव म किसी औपधि दवारा परापत नही होत ।

कक पोन-वलवदध क--एक पका हमा सव छीलकर उमम जितन भी लॉग शरा सक चभोए, एक सपताह पशचात य लौग निकालकर किसी शीजषी म

रख ल । परात दनिक चार स छह लौग तक उपयोग कर और फिर दख कितना शकतिदायक ह।

इस सगम चटकल का यदि काफी दर तक उपयोग किया जाए तो कमजोर स कमजोर वयनित को भी परण यवा बना दता ह ।

क उपयोगी चाय-सव क छिलक की वहत मजदार तथा सगधित चाय तयार होती ह जो साधारण चाय, कहवा तथा कॉफी की तरह हानिकारक होन की वजाए सवासथयवरदधक सिदध हई ह । वढो और कमजोरो क लिए इस विशषकर लाभदायक पाया गया ह । इसम यदि भरावशयकतानसार

Page 70: Ghar Ka Vaid - archive.org

तथा इचछानकल चीव का रस मिला लिया जाए तो इसक गणवरम म तीन गए वदधि हो जाती ह।

यह चाय रोयोपरानत होन वाली कमजोरी दर करन क लिए सपरसिदध पय 'ओवलटीन' का काम दती ह बज ७2»... + . +०» ०+०४०७४०++-कक+३ कक मनन &8७3३+७-+७-० ७७ #७७ +०७७०७#+« +# ०>+

अनननास चिकषितस। कक ७०9५०-+ ९०३०० #>>क मम. कक ऑ सीडी कक,

कल नल बनन

क गरमा-तोड दावत--गरभियो म अननतास का शरवत पीन स दिल व दिमाग को चन परापत होन क अतिरिकत पयास बर जाती ह। मद और जिगर की गरमी को णान‍त करता ह और मतर खलकर लाता ह । यदि किसी को पतथरी की शिकायत म मनन दवारा रत खारिज हो तो मतर लान क गण क कारण यह और भी उपयोगी सिदध होता ह ।

सावारएणत अननतनाम का रस विकालकर इचछानकल मिशरी या चीनी मिलाकर पीत ह | परलत परतयक सथात पर तथा परतयक ऋत म अनतनतास उपलबध न होन क कारण इसका शरवत वनाकर रख लिया जाता ह । शरवत तयार करन की विधि इस परकार ह

अनननास छीलकर उसका बीज निकाल, ततपशचात‌ फाक काटकर लकडी या पतथर की शरोखली म कटकर रस निकाल । यह रस एक किलो हो तो इसम गलाव शरक और अरक वदमशक परतयक डढ सी गराम भर नीव रस सततर गराम मिला ल | ओर तीन किलो चीनी डालकर धीमी आच पर (वरतव ढक

. कर) इतना पकाए कि शरवतत परी तरह पक जाए । साठ-सततर गराम यह शरवत शरक गाउजवान या ताज जल म बनाकर

“-पिए । दिल व दिमाग को शात करता ह, पयास बमाता ह तथा खलकर मतर

लाता ह। क अरमन‍नास फा मरववा--उपरोक‍त विधि स अनननास छीलकर झौर

वीज स पथक‌ कर गोल-गोल फारक काट ल, ततपशचात‌ थोड पानी म पकाए,

यहा तक कि व गल कर नम हो जाए। झव इन फाकी को फलाकर फररा कर

ओर फिर चीनी की चाशनी म डाल रख । दो-तीन दिन पशचात‌ चाशनी की जाच कर---यदि वह पतली लग तो दोबारा पकाकर ठीक कर ल ।

Page 71: Ghar Ka Vaid - archive.org

84

यह मरबया दिल फो बल तया चत परदाव करता ह, मषर भी लाना # । क अजीए--अनननास की फाक कीजिए धौर पतादी नमक सथा काली

मिरच पीसकर छिटकिए । इसक पशचात‌ शराच पर गरम कर सा सीजिए, शजीगो की शिकायत जाती रहगी ।

बादाम चिकितसा

कर परदतसीर दिताग--परधिक मानसिक शरम, रकत की नयनता, शरतिसभोग तथा हदय रोग शरादि क कारण दिमाग कमजोर हो जाता ह। सिर क पिछल भाग म दरद रहता ह, दषटि कमजोर हो जाती ह भौर समरण-णकवि घिगढ जाती ह | निमनलिखित नसखा दखन म भल ही साधारण लग परनत एक विचितर

शरकसीर ह । निरतर इककीस दिन तक परहज क साथ उपयोग फरन न दिमाग की कमजोरी दर हो जाती ह, सवासथय पहल स बहत अचछा हो जाता ह । एक मातरा परात लन स तबीयत दिन-भर परमन‍न रहती ह ।

गिरी बादाम सात दान, छोठी इलायची चार दान, छोहारा वहिया एक, मिशरी शरीर गाय फा मकखन परतयक सततर गराम । "

विधि--वाढाम गिरी तथा छोहारा रात को मिटटी क कोर कज म पानी डालकर भिगो द, परात बादाम छीन ल शरीौर छोहार की गठली निकाल द । इलायची क दान निकालकर खब पीस ल फिर मिशरी मिलाकर बारीक फर, 'ततपशचात‌ मकखन मिलाकर उपयोग कर।

कक दसरा योग--पानी म भिगोकर छिल वादाम दस दान बारीक घोट ल शरौर उबलत हए शराघा किलो दध भ मिलाए। जब दो-तीन उफान भरा जाए तो दध भाच स उतारकर ठडा कर भौर जब पीम योगय हो जाए तो- चीनी मिला ल, मध मिलाना शरधिक अरचछा ह ।

यह दध शरति सवाड तथा वलदायक होता ह। कवल दिमाग का पोषण! तथा वीरय-बल नही बढाता बलकि सार शरीर का पोपण करता ह ।

नोट यदि चरण दारचीनी दो गराम फाक कर ऊपर स यह दध पिया जाए तो भरधिक गणकारी ह ।

Page 72: Ghar Ka Vaid - archive.org

43

कक चहइम स छटकारा पादय--वादाम गिरी सात दान, सौफ अराठ गराम भौर मिशरी शराठ गराम ।

सौफ और मिशरी को कट ल और वादाम गिरी छीलकर तथा मामली कटकर मिला ल। रातरि को सोत समय गरम दघ क साथ उपयोग कर और इसक पशचात‌ पानी बिलकल न पिए ।

चालीस दिन तक निरतर सवन करन स दषटि इतनी तज हो जाती ह कि चशम की आवशयकता शप नही रहती और दिमाग की कमजोरी दर हो जाती ह ।

क ततलाना--एक मास तक निमनलिखित औपधि क उपयोग स तत- लापन छतिया दर हो जाता ह। कमजोरी, निढालता तथा मतर की तीबता क बलिए रामवाण ह। जो वचच छोटी शाय म शबदो का ठीक उचचारण नही

कर सकत उनक लिए सरवोततम नसखा ह :

वादाम गिरी (छिली हई) पततर गराम, चादी क वरक पनदरह गराम, दार- चीनी पनदरह गराम, लौग पनदरह गराम, पिसता की गिरी तीस गराम, कसर शराठ गराम तथा मध दी-सौ गराम । समसत सामगरी वारीक कटकर अचछी परकार मध म मिला ल ।

मातरा चार स आठ गराम तक दध क साथ ।

4 हदय-बल-वद फ--यदि आप चाहत ह कि गरीपम ऋत म भी शरीर

म खब बल बना रह और शझापका चहरा काबली पढठानो की तरह सरख हो

जाए तो आप निमनलिखित सगम नसखा शरपन पर परिवार को उपयोग

कराए :

वादाम गिरी (छिली हई) तीस गराम, गिरी खरबजा, गिरी खीरा, गिरी ककडी, गिरी तरवज तथा गिरी कह, परतयक ततीम गराम, मतकका या किशमिश डढ-सो गराम तथा सौफ की गिरी तीस गराम ।

समसत सामगरी कटकर इतनी बारीक कर कि सरम की तरह हो जाए । सब इस खल मह की शीशी म भर ल ।

Page 73: Ghar Ka Vaid - archive.org

74

परतिदिन परात सततर गराम औपधि को थोडा-योडा पानी मिलाकर क डी-

डड स इतना घोट कि पानी का रग दध जसा हो जाए। ततपशचात‌ तनिक गलाव-जल मिलाकर एक गिलास पिए। यह एक गिलास का नसखा ह। परिवार क परति सदसय क लिए सततर गराम शरोषधि और एक गिलास पानी क हिसाव स यह पय बनाना चाहिए ।

इसक सवन स कबज भी दर होगी, भख खब लगगी, शरीर म सफरति

रहगी और पयास भी नही सताएगी । इसक भरतिरिकत वारी क जवर का भय भी नही रहगा ।

यदि इस पय म दध मिलाना चाह तो मिला सकत ह। इस पय का अधिक मातरा म उपयोग भी हानिकारक न होकर लाभदायक ही ह । इसलिए दित म कई बार भी इसका उपयोग किया जा सकता ह ।

) जिगर की सजन--वादाम गिरी (छिली हई) दस दान, छोटी इलायची दस दान, सौफ दो गराम तथा मनकका पाच दान । समसत सामगरी पानी म घोटकर रस निकाल और मिशरी मिलाकर दिन म दो या तीन वार पिलाए | हदय शरोर मसतिपक को बल दता तथा पयास शानत करता ह, मद व जिगर की सजन क लिए गणकारी ह ।

क पीलिया--आठ वादाम, छोटी इलायची पाच दान, छहारा दो दान।

रात को मिटटी क कोर घड म भिगोए। परातः निकालकर छहार की यठली ओर वादाम गिरी तथा इलायची का छिलका उतार कर क‌ डी म खब घोरट ततपशचात‌ सततर गराम मिशरी मिला ल। अब इसम सततर गराम गाय का मकखन मिलाकर रोगी को चटाए, तीसर दिन ही मतर साफ हो जाएगा।

लखक सवय एक वार इस रोग स गरसत हआ तो शनक वढिया शरपधिया विफल होन क पशचात‌ वादाम का उपरोवत विधि स उपयोग करन पर परण सवासथय लाभ हआ था, हालाकि शरवसथा बहत विगड चकी थी और दस रोज स कछ न खाया था, रोटी”क नाम स घणा हो गई थी । पहली वार क उप- योग स ही लाभ अनभव होन लगा ।

Page 74: Ghar Ka Vaid - archive.org

हट

अखरोट क चमतकार स3 ०५० ०७० *४००-०००+०+०+७-४++ अलनलऊम

ल‍जललज. ४«*$ ०»

नल ननमक 2१-+-३०+++. ++जफ>७++०++

अखरोट फी गिरी का पचचीस स चालीस गराम तक भरपनी शकति अनततार उपयोग किया जा सकता ह ।

क सलासी ओर दमा--अखरोट गिरी (भनी हई), सत मलठी, वादाम गिरी (मीठी), गिरी कह, निशासता, कौकर गोद और बीहदाना--सब बराबर वजन कटकर शदध मध म चन वरावर गोलिया बना ल ।

एक-एक गोली मह म रखकर चस, सब परकार की खासी ओर गल की छिलन दर करती ह, दम म भी गणकारी ह।

की पोत-वल चढ फ-- अखरोट गिरी मनकका तथा अजीर क साथ खाना योन-चल-वरदक ह, मसतिपक क लिए विशषकर लाभदायक ह ।

कर मरोह- इस पानी क साथ पीसकर नाफ पर लप करन स मरोड स 2टकारा मिल जाता ह ।

क विप-काट--मध, पयाज और नमक क साथ अखरोट पीसकर पागल कतत क काट पर बाध द, विप दर होगा ।

कर परसरोट तल--ताज शरखरोट की गिरी को वारीक कटकर गाढ कपड की थली म भर कर शकजा म दवाए--शवत, पतला और मीठा तल

तिकल आएगा ।

यदि अधिक तल निकानना हो तो दस किलो अखरोट गिरी ल, आठ किलो कोलड म पल । जब वारीक पिशचकर तल छोडन लग तो बाकी दो किलो गिरी भी डाल द । इनक भरवपिसा होन पर एक किलो मिशरी क वड-बड

“ टकड कर ढाल द। फोक जमकर तल पथक‌ हो जाएगा, इस चीनी या काच' क बतन म थोड दिनो तक पडा रहन द ताकि मल भरादि नीच बठकर तल साफ ही जाए ।

क सरदी क कारण किसी शरग म दद हो तो इस तल की मालिश स अग नरम हो जात ह और दरद भी दर हो जाता ह।

यद तल पिर म लगान स जए मर जाती ह।

Page 75: Ghar Ka Vaid - archive.org

46

क इस नाक म छिकन स लकवा, शररधाग भरादि स छटकारा मिलता ह।

दाद पर यह तल लगाना गणकारी ह।

छिलका अखरोट क परयोग

6 दत-पीडा---अखरोट क ऊपर का हरा छिलका उतारकर छाव म

सखा लीजिए और वारीक पीसकर मजन की तरह दातो पर मलिय, दरद दर

हो जाएगा ।

खिजाव तल--ताज अखरोट की वाहय हरी छाल तीस गराम, फिटकरी

घबत चार गराम, तल विनौला डढ-सौ गराम--सवको मिला कर एक चीनी क

बरतन म डाल परौर इस उदलत हए पानी क पतील पर इतनी दर तक रख

कि अरखरोट की छाल का सारा पानी तल म खशक हो जाए। परव उतारकर

निचोरड शरीर फिलटर कर रख ल ।

गण-धरम : वालो पर कघी स लगाए, बाल विलकल काल हो जाएग शरौर सवाभाविक वालो की तरह निहायत मलायम तथा नरम भी हो जाएग ।

सन‍तर आकर क >> >> ऋज #ह मी क>> #०».. #« &०*०७... >०2+० ७७+ #++७+ ० ७७ >> १फन‍रीरऊ

आम क चिमतकार मीठा भराम जो साधारणत लगडा, दशहरी तथा मालदा आदि नामो स

पकारा जाता ह अतयनत यौन-वल-वरदधक ह । यह रकत उतपनन कर शरीर को मोटा करता ह शरौर कबज हटाता ह। ऐस मीठ शरामो क रस स निमनलिखितत नसख तयार कर लाभ उठाए

ो समक‍तीर तपदिक--तपदिक म किसी पतथर या चीनी क वरतन म ताजा, मीठ और रसील शरामो का रस एक कप-भर निचो और साठ गराम मध मिला कर परात व साय उपयोग कर। इसक साथ ही दिन-रात म दो या तीन बार गाय या बकरी का ताजा दध मिशरी डाल कर पीना चाहिए इस परकार इककरीस दिन क निरनतर उपयोग स तपदिक जस घातक रोग वाला वयकति भी सवासथय परापत करन लगता ह ।

& भरसोर सपरहशी--सगरहणी अरथवा पट क दसर रोगो म परात नौ वज दो बड और पक हए आामो क गद क छोट-छोट दकडो पर कलईदार

Page 76: Ghar Ka Vaid - archive.org

पा

बरतन म उबाल कर ठणडा किया दध इतना डाल कि आम क टकड डब जाए । फिर झराम क य टकड खाकर ऊपर स वही दध पी ल ।

परात. इस परकार आम खा लन पर फिर दिन भर तीन-तीन घट पशचात‌ एक-एक कप दध पीना चाहिए ! समरण रह कि आम और दध क पतिरिक‍त शर कछ न खाया-पीया जाए। जब दसतो म कमी होन लग तो रोगी को दो आम दोपहर समय भी इसी परकार दध क साथ दना शर कर। दो सपताह तक इसी परकार नियमपरवक शराम खात रहन स सगरहणी रोग दर हो जाता ह ।

को परसतोर हाजमा--पक हए मीठ आम का रस सततर गराम, सोठ दो गराम । सोठ पीस कर रस म मिलाए शरौर परात उपयोग कर, हाजम की

कमजोरी दर होगी ।

की परवसीर तितती--पकत हए मीठ आम का रस सततर गराम म परदरह गराम मध मिलाकर दनिक उपयोग कर, थोड दिनो म तिलली का घाव दर हो जाएगा ।

क परयततीर दिताग--आम का ताजा और मीठा रस एक कप, चोथाई

कप ताजा दध, अदरक रस एक चममच (जी चाह तो सवाद क लिए शबकर भी मिला ल)। सबको अचछी तरह मिलाकर एक बार खा ल, दनिक इसी परकार बनाकर उपयोग करना चाहिए ॥

गण-धरम -- गरतयधिक मानमिक वल-वरदधक ह। दिमागी कमजोरी क कारण पराना सिर दरद, भारीपन और शभरासो क आराग शर धरा विकार दर हो जात ह और सवल-काय शरीर मोट ताज तथा सतरसथ शरीर म बदला जाता ह। यह रकत शोधक भी ह |

इसक शरतिरिकत, हदय व जिगर को भी बल परदान करता ह। सास कठिनता स चलती हो, रग पीला हो रहा हो, कमजोरी बढ रही हो तो इस झाजमाइय ।

क परात क रोग--ताजा शराम का रस जो खब पतला और मीठा हो चौथाई कप (बाद म शराधा कप भी किया जा सकता ह), मीठा दही (ताजा)

Page 77: Ghar Ka Vaid - archive.org

48

परदरह या तीग गराम, शरदरक रस एफ चममच । सब शरचछी तरह मिला कार

पीया जाए । ऐसी एक मातरा दिन म ततीन बार तक ली णा सयती ह ।

परान दसत, आराहमर का बिना पच दसतो दवारा निकल जाना, परातो तया

मद की कमजोरी शर ववासीर क लिए गणकारी ह ।

क रपत विफार-- पक हए मीठ शराम का रस, जो पतला झोर साजा हो, एक कप, गाए का दध (ताजा) शराघा कप, शदध थी परीर पररशक रस

एक-एक चममच (साधारण) | सब मिलाकर शरौर शपकर मिला पर पीए ।

आम का रस घीर-घीर बढात रह। एक-दो मास सक उपयोग करना

चाहिए ।

गण-धरम--रक‍त की अतयनत कमी को दर करता ह, घरीर वी खरकी, नरौनकी, पीलापन इतयादि दर होकर पर सवासथय लाभ होता ह ।

क परषो फ रोग - भराम का ताजा, मीठा पतला रस एक कप, चरण

एतावर आठ गराम, चरण सालिब आठ गराम, ताजा दध आधा कप, शरदरक रस आठ गराम, पयाज रस पनदरह गराम, एक शर ड की जरदी, शदध घी पनदरह गराम, कसर तीन रतती (पनदरह गराम गलाव शररक म घोल कर) समसत सामगरी शरचछी ततरह मिला कर तीस गराम वारीक पिमी मिशरी डाल कर पीए। दो सपताह परचात‌ इपतकी आराघी या परी मातरा बना कर साय भी उपयोग कर।

गए-घरम--यौन-वल-वरदधक, वीय तथा रकत बढाता ह ।

क गरभिणी फोफ--थराम का रस तीस गराम, शररक गलाव तीस गराम, सलकोज पनदरह गराम, कलशियम वाटर (चन का पानी) ढाई-तीन गराम । सब मिलाकर ऐसी दो-तीन मातरा दनिक दन स वह गण लाभ होता ह कि कीमती इ जकशन भी होढ म विफल हो जात ह ।

कचचा आम

गरमी तोडइ--दो तोन कचच आम साय समय भन ल और रातरि भर किसी खल सथान पर पडा रहन द । परात उनह मसल कर शरवत-सा बना ल भोर एक चटकी भना जीरा, नमक तथा काली मिरच डाल कर पीए । इसस

Page 78: Ghar Ka Vaid - archive.org

79

गरमियो म ल कभी परभावित नही करगी, अनावशयक पयास न लगगी भौर दिन भर तवीयत म ताजगी बनी रहगी ।

क पए--दो-तीन कचच शराम वीस पचचीस मिनट भमल म रख कर जब काफी नरम भौर कछ दागदार हो जाए, निकाल कर पानी भ मल कर छान ल भर इचछानकल शककर मिलरा कर सादा या वरफ स ठणडा कर शरवत क समान उपयोग कर ।

गरा-परम--ताप घटाता भौर पयास बझाता ह । गरियो म ल स सरकषित रखता ह, ल क रोगी को थोडी-घोडी दर क पशचात‌ पिलाया जाए--जवर, सजन, वचनी तथा सिरदरद दर होता ह। दकषिण म इसका साधारण रिवाज ह।

आस क पतत धाम क पतत बहत स रोगो म गणकारी सिदध हए ह, उदाहरणतय --- क मधमह--मधमह जसा हठीला रोग जो बहमलय शरीपधियो स भी

नही जाता, इसकी चिकितसा क लिए पराम क पतत अवसीर ह। झाम क ऐस पतत जो सवतः कड जाए इकटट कर छाव म सखा कर वारीक पीस लीजिए । बस परक‍मीरी दवा तयार ह ।

दढ-डढ गराम परात व साथ ताजा जल क साथ उपयोग कर ।

या छाव म सखाए पतत परदवह गराम को शराधा किलो पानी म उबाल और

चौथाई पानी बाकी रहन पर कपडछन को झौर रोगी को परात व साथ पिलाए |

(0 मरोड व सगरहशो--भाम क पतत छाव म सखाकर कपडछन कर झोर दिन म तीन बार परातः दोपहर झौर साय छह-छह गराम गरम पानी क साथ उपयोग कर|

क जिगर की फमजोरी--जिगर की कमजोरी क कारण पतला दसत भाता हो, मख कम लगती हो, पाचन कमजोर हो तो झाम क पततो की चाय

/ बिना दध उपयोग कर, छह गराम शराम क पतत छाव म सखा कर एक कप-भर

Page 79: Ghar Ka Vaid - archive.org

80

पानी म उबाल, आधा पानी रहन पर छान कर थोडा मीठा मिला कर परातः

व साय पीए॥

छ दत-मजन- छाव म सखाए पतत जला कर राख कर शरौर कपडछन

कर रख ल।

परात व साय--दोनो समय उगली स दात और मसडो पर मजन क रप

म लगाए । दात और मसडो क बहत स विकार, यहा तक कि पायोरिया तक

क लिए लाभदायक ह ।

& आम क ताजा पतत खब चवाए शरीर थक थकत जाए, थोड दिन क

निरनतर उपयोग स हिलत दात मजबत हो जात ह । मसढो का खन रक

जाता ह और मसढो का ढीलापन शरीर उनकी कमजोरी दर हो जाती ह।

क पतथरो--भराम क ताजा पतत छाव म सखाकर चए बनाए और

आठ गराम दनिक वासी थानी क साथ उपयोग कर, पनदरह वीस दिन म रत ओर ककरी दर हो जाएगी ।

एज ५४८४० % 2 कल

सोफ क दिमाग फी कमजोरो--सोौफ और मिशरी परति झराठ गराम। दोनो

वारीक करक चरण बनाए और इसम वादाम गिरी (छिलका रहित) सात दान » कटकर मिला द | रातरि समय गरम दध क साथ उपयोग कर। इसक

पशचात‌ पानी बिलकल न पीए। चालीस दिन क सवन स दिमाग इतना शकति- शाली हो जाएगा कि चशम की आवशयकता नही रहगी ।

क दिमाग को गरमा--यदि दिमाग म गरमी हो या कमजोर हो तो सौफ दस गराम, वादाम गिरी सात दान, छोटी हलायची तीन दान झराघा किलो पानी म घोटकर तथा उचित माता म मिशरी मिला कर शरौर कपडछन कर दनिक परात व साय उपयोग कर, औपधि की शरौपधि और ठणडाई की ठणडाई ह।

नीद न शराना--तीद न शराना एक बहत वडा रोग ह। इसक लिए सौफ दस गराम झा किलो पानी म उवाल, सवा-सौ गराम पानी बाकी रहन पर

Page 80: Ghar Ka Vaid - archive.org

6

इसम चौथाई किलो गराय का दघ पलौर पनदरह गराम गाय फा घी और आवशयकतानकल चीनी मिलाकर उपयोग कर, शतिया लाभ होगा और नीद आन लगगी ।

अरधिक नीद---नोद की भरधिकता क कारगा यदि तबीयत हर समय ससत रहती हो, या हर समय नीद ही पराती रह तो इसक लिए भी सौफ एक भरचछी वसत ह । परनत सवन-विधि पथक ह :

सौफ दस गराम आधा किलो पानी म उचाल और चौथाई रहन पर उतारकर दो गराम नमक मिलाए और दोनो समय पिलाए ।

की नउतला व जकाम--सौफ पनदरह गराम, लोग सात दान--दोनो एक किलो पानी म उदचाल, चौथाई पानी रहन पर पनदरह गराम मिशरी या दशी चीती मिलाकर चाय क रप म घट-घट पी ल । दो-तीन बार क उपयोग स नजला व जकाम दर हो जाता ह ।

क परात टखना--भरदाई-सी गराम मौफ दो किलो ।नी क साथ ताव क बरतन म सातरि-मर भीगन द और दमर दिन आच पर पकाए, । चौथाई पानी रहन पर उतार शरीर तमिक ठणडा होन पर हाथो स मल कर किसी सवचछ कपड म छान ल। अब इस पानी को घीमी शराच पर पकाए शोर मध की वसट भादा होन पर उतार ल और किसी सवचछ तथा सजबत कारक वाली शीशी म रख । यह दखती शराखो की शतयनत लाभदायक भरौपधि ह ।

रातरि समल दो-दो सलाइया भाखी म डाल, बहत जलदी लाभ होगा । क फमजोर नजर--हल‍की-हलकी चोट स सौफ कट ल ताकि इसका

छिलका उतर जाए। रातरि समय तीस गराम (नाजक मिजाजो क लिए पतनदरह गराम), पानी था दध स लत रह, दषटि को तज करती ह, नजर चील की तरह तज हो जाती ह ।

क परदाई-सो गराम मोफ साफ करक काच स वरतन म डाल और इस पर वादामी रग की गराजरो का एक कप रस डालकर किसी कपड स ढक द । जब रस सोख ल तो इतना ही रस शीौर डाल द, तीम वार ऐसा कर॥ ततपशचात‌ खशक कर चरण बना ल और वरावर वजन मिशरी मिलाए ।

Page 81: Ghar Ka Vaid - archive.org

82

गश-धरम दषटि तज करन क लिए पनदरह गराम राशि समय दध क साथ

“उपयोग कर ।

क वाल-ावत-सततर गराम सोफ भराधा किलो पानी म उवात, पभराघा

पपाव पानी रहन पर छान ल झौर तीन गराम सहागा (खील) तथा गरढाई-सौ

गराम चीनी मिलाकर चाशनी बनाए ।

गण-धरम ननह बचचो का पाचन ठीक करन क लिए यह एक विचितर

गणकारी शरीषधि ह, जिस वाल-शरबत भी कह सकत ह ।

कक हजा-- सौफ पन‍दरह गराम, पदीना दस गराम, लौग चार दान तथा गलकनद तीस भराम। सबको दो कप पानी म उबाल, शराघा पानी रहन पर

छान ल झौर ठणडा कर थोडा-थोडा पिलाए | हज की यह उततम शरीषधि ह,

कछ वार पिलान स ही भाराम हो जाता ह । ) सीन का दरद--खशक सोप पनदरह गराम, पीपल पाच गराम--दोनो

को आधा किलो पानी म उवबाल, चौथाई पानी रहन पर छान कर एक गराम सघा नमक मिलाकर पिलान स छाती का दरद दर हो जाता ह ।

की उका मासिक-घरम---सौफ तीस गराम और गरम मपताला पचास -आम--दोनो तीन कप पानी म उबाल । एक कप रहन पर छानकर गरम- गरम पिलाए शरौर लिहाफ शरोढ कर रोगिणी को लिटा द । दो-तीन वार

उपयोग करन स मासिक धरम खलकर हो जाएगा ।

क कमजोर मतराइय--मॉफ भोर वडी हरड का छिलका वरावर वजन “बारीक कटकर कपडछन कर शरोर तीन-तीन गराम परात व साय ताजा पानी क साथ उपयोग कर । मतराशय की फमजोरी क कारण वार बार मतर आता “ही, या सवपन म निकल जाता हो तो इसस शराराम झा जाता ह । यह मातरा “सोलह वरष स ऊपर शराय वालो क लिए ह। बचचो को आय-अनसार द ।

क पराना नजला व जकाम--वढिया सौप क एक किलो चावल निकालकर एक किलो दशी चीनी या मिशरी शरौर शरढाई-सौ गराम गाय का घी मिलाए ।

पराना जकाम, नजला तथा दिमाग को कमजोरी म निरतर एक मास सक उपयोग करन स लाभ हो जाता ह

Page 82: Ghar Ka Vaid - archive.org

म 83

सापरा : परात. ८ साय परदरह-पनवह गराम ।

मोट . इसम पहल कबज का इलाज करना परावशयक ह | कयोकि कबज की

सरत म किसी ओपधि म लाम न होगा।

बचचो क मरोह-वचयो क मरोड एकदम बनद कर दना कई वार

घातक सिदध होता ह । इसलिए निमनलिखित नसख की परावशयकता इसलिए

भी ह कि इसस हानि फा कोई भय नही, वलकि लाभ ही होगा ।

सौप तीन गराम भौर गलकनद छह गराम को बराधा कप पानी म उबाल।

आधा कप पानी रहन पर उतारकर छान ल भौर पिलाए | दिन म तीन वार

दना चाहिए ।

की परमह व सवपतदोष--मॉप की गिरी सततर गराम, शरजवाइन तीस गराम,

सौठ तीस गराम, काला नमक बोस गराम-सव वारीक कटकर ल। तीन स पाच गराम तक परात. व साय भोजनोपरानत जल क साथ उपयोग कर, थोड

दिन म ही लाभ होगा ॥

4 उजलो-- खजली की दो परकार ह - खएफ व तर । खशक म खजलान

स कछ नही निकलता परनत तर खजली म खजलान पर खन या पीला-सा

पानी निकला करता ह । कई बार खजली ऐसा हठीला रोग परमाणित होता

ह कि वचारा रोगी जलाब ल-लकर तथा मालिशो स तग भा जाता ह, पर लाभ

तनिक भी नही होता । निमनलिखित नसख क उपयोग स सब परकार की खजली

कछ ही दिनो म ठीक हो जाती ह। यह शरौषधि ऐस रोगियो पर झाजमाई

शाई ह जिनह किसी भी शरीपधि स लाभ न होता था -

सौफ भौर घनिया--दोनो वरावर वजन । वारीक कटकर इसक डढ गना

धी और दो गना चीनी मिलाकर सरकषित रख ल ।

गण-धरम . दोनो समय तीस-तीस गराम उपयोग करन स रकत विकार,

खजली, परमह, कमजोर दषटि म भाराम होता ह ।

क गरिणी को फबज--यदि गरभिणी को कवज हो जाए तो इसक लिए

सज कबज नाशक शरौषधि का उपयोग घातक होता ह। गरभिणी को निमन-

लिखित नसखा सवन कराए .

Page 83: Ghar Ka Vaid - archive.org

84

सॉफ क चावल डढ-सौ गराम, गलकनद तीन-सौ गराम | सौफ को बारीक

कटकर गलकनद म मिलाकर रख | शरावशयकता समय तीस गराम तक गरम

दध स उपयोग की जानी चाहिए । हि

लिफला क हरड, बहडा शरौर आवला---तीनो को ससकत म तरिफला आर फारसी

म अननीफल कहा जाता ह, जो लगता ह कि 'तरिफला' शबद का ही विगडा

रप ह । तरिफला वहत-सी शरौषधियो म परयोग होता ह, अरत. इसक बार म और हि

भरधिक जानना शरयसकर होगा | हरड, वहडा तथा शरावल का छिलका वरावर 7

बजन ही औपधियो म वरता जाता ह । कई वार एक-दो-चार क भनपात स

मिशरण किया जाता ह, परनत साघारणत बराबर वजन ही परचलित ह ।

क) मतर जलन-ताज आवलो का रस सततर गराम शरोर मध तीस

गराम---दोनो मिलाकर कछ बार उपयोग कर । मतर खलकर आएगा शर कबज

भी न रहगी ।

कर

& खनी ववासीर--चरा खशक आवला पाच स आठ गराम तक गाय क दध क साथ उपयोग करन स बवासीर का खन शीघर बनद हो जाता ह ।

छ परमह-चरणा खडक आवला को ताजा आऑवलो क रस म बराबर इककीस दिन तक खरल कर सखा ल, ततपशचात‌ वरावर वजन मिशरी मिलाकर सरकषित रख ।

गण-धरम---तीन स छह गराम तक परात व साय गाय क दध क साथ उपयोग करन स परान स पराना परमह बहत शीघर ठीक हो जाता ह, और वीय दही क समान गाढा हो जाता ह । हर

क गरमिरो को क---गरभ-सथिति क आरमभ म नाजक मिजाज सतरियो या नई वहओ को पराय की शझान लगती ह, शरौर कई वार तो यहको इतरनी तीतरता स होन लगती ह कि गरभिणी अरवयधिक कमजोर हो जाती ह ! ऐसी सथिति म यदि शरावल का मरबवा दिन म तीन-चार बार उपयोग किया जाए तो क बनद हो जाती ह शरौर सवासथय समभल जाता ह ।

Page 84: Ghar Ka Vaid - archive.org

85

की मिर दकराना---कई लोगो को गरमी की तीबरता या पितत की अधिकता क कारण मिरदरद था मिर चकरान की शिकायत हो जाती ह । आवलो का शरवत इसक लिए अतयनत लाभदायक ह--

ताजा आवलो का एक किलो रस और दो किलो गाव का दध किसी कलईदार बन म डाल कर झराच पर चढाए। जब दध फट जाए गौर आवली का रस तथा दध का पानी निथर जाए तो धाच स उतार कर किसी मोट कपड म ढाल शरौर नीच कलईदार वरतन रख द । जब दध और शलावलो का रस टपक कर दरतन म गरा जाए तो अढाई किलो चीनी डाल कर शरवत क

: समान पकाए, और चाशनी ठीक हो जान पर ठणडा कर बोतलो म भर ल । जप

तीस स साठ गराम तक ठणडा पानी मिलाकर यह शरवत दिन म दो-तीन चार पीए | उपरोकत शिकायतो क शरलावा वार-वार पयास लगना, घवराहट

तथा वचनी को भी यह शरवत दर करता ह ।

क यदि आखो क आग परवरा आता हो, माथ म जलन होती हो, या चार-बार मतर आता हो तो दो आरावलो का तीस गराम रस मिलाकर तीन दिन सक परात साय उपयोग कर।

कक मानसिक गरमो-छबशकी--चरण खशक शरवला पानी म भिगो कर सिर घोए, मानसिक गरमी-खशकी दर होकर ठणडक परापत होगी ।

क वलगम-तोड-भावला चरणा दो गराम, चरण मलहठी दो गराम-- दोनो मिलाकर गरम पानी स थोड दिवो तक दोनो समय उपयोग करन स चलगम क सभी विकार दर होत ह ।

क परदर रोग--भावला चर तीन गराम को छह गराम मध म मिलाकर दनिक उपयोग करन स थोड दितो म सी परदर रोग समापत हो जाता ह ।

कर नकसीर--ताक दवारा रकत बहन को नकसीर कहत ह, और जब यह

किसी औपधि स बनद न होती हो तो सवा-सौ गराम आवल क चरण म थोडा बकरी का ताजा दध मिलाकर माथ शर ताल पर लप कर शरौर परकति का,

चमतकार दख । कछ मिनटो म नदी की तरह बहता रकत बनद हो जाएगा ।

Page 85: Ghar Ka Vaid - archive.org

86

&) खतसरा को जलन--खसरा निकल कर हट गया हो तो इसक पशचात‌

भी शरीर पर शरतयधिक तीनर खजली हआ करती ह, और जलन क कारण रोगी विचलित होन लगता ह ।

खशक आवलो को पानी म उबाल शरौर ठणडा होन पर इसस' शरीर घोए।

दो-तीन वार ऐसा करन स खजली और जलन दर हो जाती ह ।

क दिल फी घडकन--मदागनि तथा दिल की घडकन म आरावल की वरफी चनाए --

आरावल वारह घट पानी म भिगो रख, फिर छान कर पानी फक द, और ताजा पानी मिला कर दो घट तक उवाल ताकि व मलायम हो जाए। ततपशचात‌ पीस कर इसम चीनी मिलाकर छह स आढ गराम तक की मातरा म उपयोग फर ।

क सवपतदोप--इस छोट स नसख स गराशा स बढकर लाभ होगा, वीरय को थोट ही दिनो म गाढा करता ह।

आवला शरससी गराम, सत‌ गिलो, गोखर, तबाशीर, इलायची छोटी परतयक पनदरह गराम--सव बारीक कट ल | पनदरह गराम औषधि म पनदरह गराम मकसन और तीस गराम मध सिलाकर उपयोग कर, ऊपर स दध पिए ।

की भावलो का ताजा रस तीस गराम या काच क गिलास म परदरह गराम सएक आावलो को तीन गता पानी म बारह घट भिगोकर अचछी तरह छान कर निकाला हशरा रस सततर गराम, पिसी हलदी एक पराम--यवको क सवपनदोप' क लिए यह एक विशष औपधि समकिए ।

हरड ओर बहडा क फवज-चरणा वटी हरड तीन गराम, काला नमक चार रतती सोत

समय या परात यरम पानी क साथ उपयोग कर । . की पाषन-पिचार-चरण हरढ तीन रतती, शरावला तीन रतती, पिपली दो रतती, लाहोरी नमक दो रतती। ऐसी एक मातरा परात. और एक साया : योग करन स पाचन-विकार दर होता ह।

जह

Page 86: Ghar Ka Vaid - archive.org

87

ह तासो शोर दमा--चरा वहडा (गठली रहित) दो गराम तथा चर पिपली दो रतती थोड मध क साथ दिन म ऐसी तीन मातराए चटाए ।

कचल वहडा का दकडा मह भ रख कर चसन स भी खासी को आराम भाता ह।

की परातो को लाली--एक छटाक तरिफला एक किलो पानी म उवाल कर चौथाई पानी वाकी रहन पर कपडछान कर इसम तीस गराम फिटकरी भौर भलाव अरक एक कप मिलाए ।

शरास दखन पर या आख की लाली पर एक-दो वद डाल ।

तरिफला क फाटा--हरड , वहडा ओर पभावला--परतयक तीस गराम कट कर एक

किलो पानी म उबाल | चौथाई पानी रहत पर मल-छातर ल और पनदरह आम शवत कतया घोल कर निथार ल ।

गरा-धरम --म ह क छाल या छालो स इस पानी स गरार करन स तरनत चन पड जाता ह।

.. & सजाक-मतर-नली क घाव म काच की छोटी पिचकारी दवारा दिन $ म दो-तीन वार पिचकारी कराए ।

की सतियो की योनि स यदि शवत और तरल-गाढा पदारथ बहता हो तो पिचकारी म यह पानी भरकर दिन म दो बार दो-तीन सपताह तक डोश किया जाए।

क परदाह या दसर गद घाव इसस घोए, अकर शी तर बध शराएगा ।

कक कतकरो तथा आख को लाली क लिए दित म दो-तीन वार दो-वार बद आख म टपकाए।

€ जब गरमी स वीयपात हो रहा हो तो तीस गराम दिन म दो वार थोडा ! मध मिलाकर पीए ।

क सरसा--तिफला यानी हरड, वहडा और आवला वराबर वजन मोटा-मोटा कठ। सततर गराम यह चरण एक किलो पानी म राजि-मर भिगरो रख । परात. एक-दो उबाल दकर छान ल। शरव सरम की डलिया कोयलो पर रख कर लाल कर, ततपचात‌ इस गरम सरमभ को तरिफल क पानी

Page 87: Ghar Ka Vaid - archive.org

88

म बकाए। तीन वार यह परयोग करन पर सरम म विदयमान सरव विकार दर

हो जात ह और वह नतर रोगो क लिए शरधिक गणकारी हो जाता ह ।

भरवसततर गराम वका सरमा मद की तरह वारीक खरल करक कपडछान कर और इसम कलमी शोरा, समदरकाग और खील फिटकरी-परतयक छह गराम, गिरी छोटी इलायची पनदरह गराम, वोरक पाउडर पनदरह गराम तथा सरद चीनी तीन गराम मिलाकर खब भरचछी परकार वारीक कर । ततपशचात‌ इसम गलाव शररक डाल-डाल कर निरनतर तीन दिन तक खरल कर, खशक होन पर शीशी म डाल ल ।

समसत नतन-रोगो क लिए गणकारी ह । इसक दनिक उपयोग स नतर _ सरवदा सवसथ रहत ह ।

फिटकरी

फिटकरी मलय क हिसाब स शरतयनत ससती और गण म अतयनत कोमती ह, शहर भर गाव परतयक सथान पर परापत ह। दो-चार पस की फिटकरी अरवशय ही खरीद कर घर म रख लीजिए, आड समय यह झरापको रपयो का _ काम दगी।

फिटकरी आखो क लिए अतयनत गणकारी ह दो रतती फिटकरी पीस कर तीस गराम गलाब शरक म घोल कर शीशी म

रख, ाखो की लाली म इस घोल की दो-चार बद आखो म टपकाइए--दरद और लाली दर हो जाएगी, कीच का आना बनद होगा ।

इसक अरतिरिकत, फिटकरी शरौर रसौत दो-दो गराम एक रतती अफीम म ._ पीस कर भराख क चारो ओर लगान स गराख का दरद » खटक “भर लाली ठीक * हो जाती ह।

& गलावी फिटकरी छह गराम भर फल जिसत, (जो शवत रई गोलो क रा हलका भोर बाजार म शरततारो और पनवाडियो की दकानो पर मिलता ) परवह गराम । दोनो को बारीक पीस कर थोड पानी या गधघकर लमब

Page 88: Ghar Ka Vaid - archive.org

89

आकार को गोलिया बना ल | आवशयकता समय पानी या गलाव शरक म 'घिन कर सलाई दवारा आख म लगाए

भाख क पराय रोग, जस कि आख की लाली, खजली, घघ इतयादि क ऊनिय अतयनत लाभदायक ह ।

क जीन फिटकरी छह गराम, जिक सलफास दो रतती, कजा मिशरी छह आम, बलाव भरक नततर गराम । सव वसतए अचछी तरह घोल कर लोशन चनाए, दो-दो व‌ द आखो म डालनी चाहिए

गण-घरम-- झखो स पानी वहन को रोकता ह, कककर दर करता तथा लाली को काटता ह ।

क उवत फिटकरो (कचची) एक गराम, कलमी शोरा एक गराम, भीमसनी कपर चार रतती, गलाब अक डढ-सौ-पराम--तीनो चीज लरल म डालकर वारीक कर, थोडा-बोडा यलाव शरक साध-साथ डालत रह, यहा तक कि सव परसपर मिल जाए। ततपणचात‌ रई क फाय दवारा छान कर शीशी म रख ल। शराव- शयकतानमार डरापर दवारा दो-दो व द झाखो म डाल, सव परकार की शराख की लाली क लिए शरतिया दवा ह ।

दखती आखो का एक दिन म इलाज यदि आख दरद करती हो, पानी बहता हो, लाली जोरो पर हो, कककर

चढ हो तो निमन नसख स कवल एक दिन म आराम हो जाता ह

कचची परवत फिटकरी तीन गराम, रसॉरत (साफ हई) तीन गराम, कजा

मिशरी दो गराम तया अफीम विशष (जोकि बनारस स कवल शरौपधि निरमाण क लिए एकसाइज विभाग दवारा दी जाती ह और अगरजी दवा विकरताओ स

परापय ह) छह रतती और नीला थोया (ततिया) तीन री ।

शरफीम शरोर रसौत को साठ गराम शदध व सरचछ गलाव अरक म घोल कर तथा वाकी औषधियो को खरल म पथक-पथक‌ वारीक पीस कर रसौत वाल

पानी म मिला द, छह घनट पशचात‌ निधरा पानी कपड म छान कर शीशी म रख ।

Page 89: Ghar Ka Vaid - archive.org

90

सवन-विधि--डरापर दवारा दो ब द परौपधि दिसती भरॉसो म डाल । इस

समय आऑस स गरम-गरम पानी वहना शर होगा । दस परनदरह मिनट क बाद

फिर इसी परकार डाल, अब पहल की शरपकषा कम पानी निकलगा । इसी परकार

दस-दस, पनदरह-पनदरह मिनट की अवधि म चार-पाच बार डाल, झॉस का दरद, टीम और लाली दर होकर दसत ही दखत बिलकल आराम हो जाएगा ।

गरधिक दिनो स शराख दखती हो तो दो-तीन दिन इसी परकार उपयोग करन स आराम होगा । थोड दिन पशचात‌ दिन म कवल एक बार दवा डालत

रहग तो दोवारा यह शिकायत न होन पाएगी ।

फिटकरी मसढो को मजबत करती ह एक भाग नमक और दो भाग फिटकरी पीस कर मनसढो पर मलन स

मसट मजबत होग, और यदि उनस खन शराता होगा तो वनद होगा |

क फिटकरी तीत गराम पीस कर एक कप पानी म मिलाए शरौर इस पानी स कललिया कर, ढील मसढ कठोर हो जात ह, दात मजबत होत ह ।

क मसढो म दद हो, घाव हो गया हो तो गनगन पानी म फिटकरी घोल कर इसस गरार कर, लाभ होगा ।

कक दातो की पीप तथा खन दर करन क लिए, निमनलिखित नसखा एक अकसीर ह *

बवत फिटकरी तीस गराम गरम तव पर डालकर पिघलाए शरौर इस पर नीलाथोथा (ततिया) एक गराम छिडक द। जब सखन लग तो तीन गराम रमीमसतगी डाल किसी लोह की सलाई स उलटा-मीधा करत रह कि आखिर विलकल खशक हो जाए। ततपशचात‌ ठणडा कर इस वारीक कर ल ।

दनिक सनान करत समय चटकी-भर उगली दवारा मसढो पर अचछी तरह मरल, राल बहन द, फिर पानी स कललिया कर म ह साफ कर ल ।

फिटकरी बारी क जवर की औषधि ह बारी का जवर, दनिक हो या तीसर या चौथ दिन का इसक उपयोग स

रक जाता ह ।

Page 90: Ghar Ka Vaid - archive.org

खडा

9

फटिकरी बारीक पीस कर शीशी म रख ल | दो रतती स चार रतती तक चरण चटकी-भर चीनी मिला कर जवर क समय स चार घनट पहल पानी स द, और दसरी मानना दो घनट पहल द-- जवर नही होगा, यदि होगा भी तो हलका होगा । |

यदि परथम दिन क उपयोग स जवर न क तो दसर दिन उपयोग कराए। परनत धयान रखिए कि रोगी को यदि कबज ह तो परथम कबज को दर कर लना जररी ह।

सलरिया

लाल फटिकरी की खील तीन रतती, नौधशादर दो रतती, गर दो रतती-- जवर रोकन क लिए इतनी-इतनी मातरा दिन म चार वार द।

दमा और खासी : फिटकरी उपचार

इन रोगो म फिटकरी विभिन‍न विधियो स उपयोग की जाती ह। एक विधि यह ह कि थोहर का डडा भीतर स खाली कर इसम फिटकरी क टकड भर शरोर फिर इसक ऊपर मिटटी लगा कर उपलो की शराच म रख, मिटटी लाल होन पर निकाल, इस तोड कर भीतर स फिटकरी निकाल ल और बारीक पीस कर रख । दो रतती यह फिटकरी म रख पान कर दनिक खाए। काली खासी भी इसक उपयोग स दर हो जाती ह--एक या दो रतती यह फिटकरी मथ म मिला कर चटाए ।

दध पीत बचचो को यह भपधि उपयोग करा सकना कठिन परतीत होता ह, शसलिए निमन विधि फी सहायता लीजिए |---

खील फिटकरी पानी म घोल कर वचच की माता क सतन-मखो पर लगा द शरोर फिर बचच को सतनपान करन द ।

क काली खासी वाल बचच को खील फिटकरी शरतयनत बारीक कर दिन म दो वार एक-एक रतती की मातरा म पिसी चीनी क साथ दन स थरोड ही दिनो म लाभ होगा ।

Page 91: Ghar Ka Vaid - archive.org

92

क फिटकरी (मनी) पनदरह गराम, दशी चीनी तीस गराम बारीक करक

चार पडिया बनाए । तर खासी म गरम पानी स तथा खशक खासी म गरम दध क साथ उपयोग कर॥। '

फिटकरी मरोड और दसतो को रोकती ह फिटकरी तीस गराम तथा शरफीम तीन गराम--दोनो को परसपर खरल

करक रख। परात व साय चार-चार रतती यह चणा पानी क साथ उपयोग कर |

यदि मरोड की सथिति म पट म भारीपन हो तो पहल रोगी को एरड का तल साठ गराम पिलाए इसस दसत होकर आरतो स सदद निकल जाएग । ततपशचात‌ उपरोकत चरण चार रतती इसपगोल क लआराव क साथ सवन कर । कछ वार क उपयोग स मरोड बनद हो जाएग, यदि खन शराता होगा तो वह भी रक जाएगा ।

७ वील फिटकरी एक गराम दो दान मनकका म रख परात व साथ उपयोग कर, कछ बार क उपयोग स ही महीनो क मरोड दर हो जाएग ।

तील फिटकरी एक भाग, गह चार भाग वारीक कर रख । पाच पाच गराम की मातरा म दध को लससी क साथ परात व साय द ।

७ वचचो क पराय रोग उदर-विकार स उतपनन होत ह। निमन नसख वचचो क उदर-विकार, अजीरण आदि क लिए अतयनत गणकारी ह -

खील सहागा, नोशादर, खील फिटकरी, काला नमक सब वरावर वजः वारीक कट कर चरण रण वनाए। शरावशयकता समय एक रतती यह चरण पानी र घोल कर वचचो को दना चाहिए ।

हज की गोलिया न‍रील फिटकरी एक गराम, शराक क लौग दो गराम, हलदी दो गराम, लाल वीज एक गराम । सब वारीक पीस कर एक-एक रतती की गोलिया

रख मिरच क बनाए ।

Page 92: Ghar Ka Vaid - archive.org

93

एक-एक घट पशचात‌ एक-एक गोली पीपल क पतत क पानी म घोट-छान कर द, इसस शरतयनत शीघर क शरौर दसत बद होकर शराराम हो जाता ह !

चोट की आतरिक पीडा क लिए फिटकरी एक गराम फिटकरी बारीक पीस कर साठ गराम घी म भन शरौर उतार

कर थोड समय क लिए मनिथरन क लिए पडा रहन दीजिए | ततपशचात‌ ऊपर स घी नियार ल शनौर इसम साठ गराम यजी भन कर तथा एक-सौ गराम चीनी मिलाकर हलगना बनाए । इस हहव म उपरोकत भनी फिटकरी पहल गरास म रख कर खाए, ऊपर स बारीक हलआ सवन कर। शरौर वाहम-रप म गड, हलदी शर चना मिला कर लप कर। चोट का दरद नया हो या पराना, थोड दिन क उपयोग स दर हो जाएगा |

सजाक की चमतकारी औषधि : फिटकरो फिटकरी भन कर वरावर वजन गर मिलाए शरौर तीन गराम यह झौषधि

दध की लससी क साथ उपयोग कर, मतर-जलन दर होगी भौर पीप का आना

वद हो जाएगा | चार रतती फिटकरी मततर गराम पानी म घोल कर पिचकारी करन स भी सजाक म अतयनत लाभ होता ह।

फिटकरी : सतरी-परष परमह का उचित इलाज कीकर छाल सततर गराम, माजफल पनदरह गराम और सपारी पनदरह गराम

दो किलो पानी म उबाल, चौथाई पानी बाकी रहन पर छान कर तीन गराम

फिटकरी चरण मिलाए ।

गण-घरम--सतरियो की योनि स तरल पदारथ बहन पर उपयकत पिचकारी

। हारा योनि को घीना या कपडा तर करक लगाना अतयनत गणकारी ह। शोर .. यह पनदरह-पनदरह गराम दिन म दो-तीन बार ऐसी सतरियो को उपयोग कराना

परदर क लिए भी लाभदायक ह ।

परमह खील फिटकरी पनदरह गराम और गड आठ गराम बारीक पीस कर रख ।

भावशयकता समय दध की लससी स एक गराम उपयोग कर।

Page 93: Ghar Ka Vaid - archive.org

94

कछ दिन पणचात‌ शौच म लाली दिखाई दगी, इस सतासथय-लाभ का

लकषण समकिए ।

€(#$ खील फिटकरी पनदरह गराम, सतत गलो (शदध) पन‍वरह गराम बारीक

पीस ल | तीन-तीन गराम परातः व साय ताजा जल स उपयोग कर, थीढ दिनो

म परान स पराना परमह भी ठीक हो जाएगा ।

फिटकरी बवासोर क मसपत मरशा कर गिरा दती ह डढ-सी गराम फिटकरी अरढाई-पौ-गराम शवत कागनो म लपट कर जगली

उपलो की शराच म रख । जब कागज जल चक शरीर फिटकरी ठडी हो जाए तो इस पीस कर शरढाई-मौ-गराम धी क साथ मिटटी क बरतन म नीम क डणड स दो-तीन दिन तक रगढ । मिटटी का वरतन एसा लिया जाए जिसम दो- चार दिन दही जमाया गया हो। शरव इस घी म[रई लथपय कर शौच उपरानत मससो पर वाव, साय खोल' कर नई रई लययथ कर बाव। सात दित तक निरनतर यह परयोग करन स मसस मरका कर गिर जाएग ।

अजवाइन

ह पाचत-चढद क गोलिपा--वारो नमक तीम गराम, शरजवाइन तीस गराम, धो पदधह गराम, लॉग एक गराभ--कट कर कपडछन कर और घीकवार

क रस म खरल कर चन क वरावर गोलिया बना ल ।

उदर पीडा--रशी भरजवाइन पदधह गरम, काला नमक चार गराम शौर हीग दो रतती--सवको बारीक कट कर शीशी म रख। आवशयकता क समय दिन म दो बार चार रतती स एक गराम तक गनगन पानी क साथ उपयोग कर । इसस भख भी बढती ह।

ह दगी परजवाइत झावशयकतानपतार ल भौर तीन वार नीव क रस म तर व खशक कर। ततपशचत‌ वारीक पीस कर सवाद क अनकल काला नमक

'. मिलाए। एक स दो गराम तक गनगन पानी क साथ उपयोग कर।

Page 94: Ghar Ka Vaid - archive.org

95 ड

क उदर पीडा, परफारा और शरजीरण--सोठ, काली मिरच, पिपली लाहौरी नमक, सवद जीरा, काला जीरा, अजवाइन तथा घी म भनी हीग--- परतयक पचचीस गराम ।

कट कर कपडछान कीजिए। मदागनि, उदर पीडा, अफारा तथा वदहजमी क दसतो क लिए गणकारी ह । एक स डढ गराम तक गरम पाथी स द ।

मलरिया- भजवाइन सो गराम, भराक क भीतर की छाल पनदरह गराम, शोरा सौ गराम, सजजी-कषार दो सौ गराम । चढ जवर म बचचो को दो रतती तथा वयसको को पाच रतती द--पसीना शरौर मतर खन कर लाती ह ।

क पराना जवर--भजवाइत पहनदरह गराम परात समय मिटटी क कोर कज म चायकप-भर पानी स भिगयो रख । दिन म सकान क भीतर तथा रातरि समय वाहर गरोस म रखना चाहिए | दसर दिन परात छान कर पीए। इस परकार कम स कम दस बारह दिन तक उपयोग कर । यदि परण लाभ न हो तो अधिक समय तक उपयोग करना चाहिए।

जब जवर बहत पराना हो जाए, हर समय घीमा-धीमा ताप रह, तिलली

शोर जिगर भी बढ हए हो तो इस शरौषधि क थोड दिन क उपयोग स जवर बिलकल उतर जाता ह भौर भख खब लगती ह ।

सहागा

नौसादर, सहागा इतयादि नामी स हमारी महिलाए तक परिचित ह ।

“दादी” और “नानी” क “घरल दवाखान” म जितन भी नसख ननह या

नन‍ही क लिए निदिषट किए जात ह पराय उन सभी म मध, सददाया और

नौसादर अवशय शामिल होत ह। परनत सहागा क साथ इतना घतिषद समबनध

होन क वावजद भी यह हरानी की वात ह कि ऐसी गणकारी शरौर लाभदायक

चसत स हमारा काफी परिचय नही ह, शरौर दादी, नानी क चटकलो क अति-

रिकत कही इसका उपयोग नही किया जाता ।

सहागा को अगनजी म वोरकस कहत ह और यह अगन जी औषधि-विकरताशो

स वढिया और बहत सवचछ परापय ह ।

Page 95: Ghar Ka Vaid - archive.org

96

क मह भाना- लगभग पाच आम सहागा शरौर चार रतती कपर पनदरह

पराम मध या गलीसरीन म मिशरित कर किसी शीशी म रख ल ओर शरावशय-

कता समय मह क भीतर घाव पर लगाए, शीघर लाभ होता ह। मिशरित

करन क लिए यदि गलीसरीन या मघ को तनिक गरम कर लिया जाए तो

सहागा सगमता स मिशवित हो जाता ह । जबान, होठ भौर मह फ लिए,

जिस म ह का आ जाना कहत ह, इसस शरषठ लगान की दवा नही हो सकती ।

७) नजला-जफाम की चमतफारी भौषधि--नसखा क‍या ह, एक चमतकार

ह। शरावशयकतानसार सहागा लकर खील कर शरौर वारीक पीसकर शीशी

म रख ।

दो रतती स चार रतती तक चाय या गरम पानी क साथ दिन म तीन बार उपयोग कर। पहल ही दिन, वरन‌ दसर-तीसर दिल रोग का नाम> निशान नही रहगा ।

ह) भावाज बठना--यदि अरधिक गान या ऊची आवाज म बातचीत करन स गला (आवाज) बठ जाए तो निमन नसखा परयोग कीजिए, तरनत शराराम होगा ।

कचचा सहागा पनदरह गराम वारीक पीसकर शीशी म रख । आवशयकता“ नसार चार रतती यह शरोषधि म ह म रख और रस चसत रह ।

&) तिलली--राई वीस गराम, खील सहागा आराठ गराम । दोनो वारीक पीस कर चरण बनाए । दनिक एक गराम परात व एक गराम साय मली क पततो क रस स उपयोग कर, बढी हई तिल‍ली गलान क लिए अतयनत लाभदायक ह।

€क दाद---सहागा, राल तथा गषक परतयक सततर गराम, कपर पनदरह गराम | सव बारीक पीसकर तथा मिशरित कर रख ल ।

आवशयकतानसार नीव क रस म घोलकर लगाए, तनिक चभगी परनत शीकघकष लाभ होगा ।

9 पतथरो--सहागा, जोखार, कलमी शोरा, फिटकरी, नौसादर परतयक पनदरह गराम पीसकर चार-चार गराम परात व साय शवत क साथ द। तीत

|

Page 96: Ghar Ka Vaid - archive.org

97

दिन म ककर गलकर निकल जाता ह। बीस वरष स' आजमाया जा रहा ह

शरोर सफल सिदध हआ ह !

यदि हर मास चार-पाच दिन उपयोग होता रह तो पतथरी भी हो तो घलकर निकल जाती ह!

क पायोरिया टय पाउडर-- खील सहागा पचास गराम, समदर राग पचातत गराम, चाक शरढाई सौ गराम, सत‌ पोदीना शरठारह रतती, सत‌ अजवाइन

शरठारह रतती, चरण तरिफला रततर गराम और नमक सततर गराम । सब बारीक पीसकर मिशरित कर। पायोरिया क लिए शरतयनत गणकारी टथ पाउडर तयार ह।

कह पितत पाउडर--सहागा फला हआ शराठ गराम, कपर एक रतती, वोरकस पाउडर (जिसत फला हआ) आठ गराम, निशासता झराठ गराम खरल कर कपडछन कर, सतानोपरानत पितत पर मल ।

कपर कि जीवनामत--कपर एक भाग, सत पदीना (पीपरमट) एक भाग,

अजवाइन आधा भाग । तीनो को मिलाकर एक शीशी स कारक लगाकर रख, दो-तीन घट म तीनो चीज सवत घलकर शररक-सी वन जाएगी । यदि शीकर तयार करना चाह तो तीनो चीज कटकर शीशी म डाल और मजबत कारक लगाए, थोडी दर घप म रख ।

सवल विधि--वयसको क लिए इसकी मातरा दो स चार बद तक तथा बचचो को आय-भनसार शराघी व द स एक ब द तक दी जाती ह | यदि किसी रोग म इस शरौपधि को वार-वार दन की शरावशयकता हो तो दिन-रात म वारह व द स शरधिक नही दनी चाहिए। यदि किसी रोग म एक ही वार

अधिक-स-अधिक मातरा दन की शरावशयकता हो तो पाच ब द स अधिक उप- योग न की जाए ।

गश-धरम--वाहयरप म इसका उपयोग गल-सड मास को ठीक करता ह,

खजली दर करता तथा कीटाणनाशक ह । इसलिए अपन इन गणो क कारण

Page 97: Ghar Ka Vaid - archive.org

98

सव परकार की मासल-पीटा, सिर-<रद, कामन-दरद, दरस-पीडा, सीन तथा कमर का दरद शौर गाठिया तथा मोच गरादि भ इसकी मालिश की जाती ह ।

“जीवनामत सजन दर करन का गण रखता ह। फोरट धभौर फ विया की शरारमभिक सथिति भ, जबकि उनम पीप म परी हो, जीवनामतत उपयोग किया जाता ह। परान रोग क कारण पीठ पर लट रहन स जा घाय बन जात ह व इसक लगान स ठीक हो जात 2॥ कीटासनाशक होन म नात एकजीमा (जलन व फ सिया) दाद, चबल, गज तथा मरय परकार की खजली, जस कि अडकोपो की सजली शरीर गदा की खजली, शरादि म गणकारी ह। नाक की दरगध तथा नाक क कीटाणओ फो दर करन क लिए 'जीवनामतत' लाभदायक सिदध हआ ह। विपल कीट, जस विचछ, मचछर, पिसस, सटमल, भिड इतयादि क काट पर शरतयत चतमफारी शरीपधि ह, सरनत पीडा दर करती ह ।

नजला-जकाम, तीतर सासी तथा कषय म इस स घाना गणकारी ह । शरातरिक रप स उपयोग करन पर मासल-पीडा को णात फरता ह। मद “का दरद, जिगर का दरद, शरातो का दरद इसक विलान स ठीक हो जात ह ।

हज म इसक उपयोग स बहत लाभ होता ह, मितली तथा की रोकन क लिए भरति उततम वसत ह ।

इसक भरतिरिकत, दसत, मरोड, पट क कीड, पसली का दरद, निमोनिया म भी इसक उपयोग स लाभ होता ह। यदि घर म यह शरौपधि बनाकर रख तो शरावशयकता समय बहत स कपटो म काम शरा सकती ह । सवन विधि--सिर-दरद भ इस आषधि को माथ पर लगाकर उगली स तनिक मल दो । पसली क दरद भौर गाठिया म लगाकर मालिश की जाए। फोड-फ सियो पर वस ही लगा द । कान म दरद हो तो सरसो क तल की

वद म 'जीवनामत' मिलाकर टपकाए । दाढ या दत-पीडा म रई का फाया (६ ऊर दाढ या दति पर रख। खजली (चाह किसी अग म हो) और पितती म सरसो क तल म मिलाकर लगा ४ ९ । दाद, गज, चवल म इस ही लगाइय । यदि ऐसा करन स सजन हो तो थोड कर सरसो क तल म मिलाकर लगाए । ल कीडो क काट पर दो व द डालकर उगली स मल द। नजला-जकाम

Page 98: Ghar Ka Vaid - archive.org

99

म रमाल पर डालकर (चार-पाच व द) स‌ घाए और गनगन पानी म डालकर

इसस नाक घोए | मद क दरद म चार ब द चलाव अरक म मिलाकर पिलाए ।

जिगर क दरद म शरजवाइन शररक म या कवल पानी मिलाकर पिलाए । पसली

क दरद और निमोनिया म पसलियो और सीन पर तल सरसो मिलाकर मालिश

कर और दो-दो व‌ द अरक गाऊजवन म मिलाकर पिलाए या शरवत एजाज म

मिनाकर चटाना चाहिए । हज म दो व‌ द गलाब अरक म मिलाकर दो-दो घणट

पशचात‌ निरनतर दत रहना चाहिए--जव तक आराम न हो जाए। पयास

तीन हो तो दो व‌ द मिशरी की डली पर डालकर चस ।

क स‌ घिय शोर दरद गायब--नौसादर पनदरह गराम, कपर चार परात पीस

. कर शीशी म बनद रखिए। कसा ही सिर-दरद हो इसक स घन स ठीक हो

जाता ह । दाढ भौर दात का दरद भी शात होता ह ।

क तल खजली--कपर भाठ गराम, गवक झऔौर कलमी शोरा परतयक

पनदरह गराम, हरा ततिया (नीला थोथा ) दो गराम । सब को बारीक पीस कर

सततर गराम सरसो क तल म घोल कर रख । आवशयकता समय खजली क

सथान पर मालिश कर आधा घनठा तक घप म वढ, वलशचाद‌ सावन और

गरम पानी स साफ कर ल | चार दिन तक यह उपचार करन स तर व

खशक--दोनो परकार की खजली नषट हो जाएगी ।

दाद झरोर चमवल का रासवाण तल-कपर परदवह गराम, सततर गराम

सल तारपीन । पहल कपर वारीक पीस शरौर शीशी म रख ऊपर स तल डाल

कर इतना हिलाए कि दोनो मिशरित हो जाए, फिर मजदत कारक लगा कर

रख । परात. व साय रई स लगाए । विगड स विगडा दाद तथा चमबल दर

हो जाता ह ।

मोट--तल तारपीन शरचछी परकार गरम कर ल, फिर कपर इसम डाल ।

थोडी दर म सवत. घल जाएगा। यदि सारा न घल तो समक कि तल ताए-

थीन कम गरम हआ ह, थोडा शरौर गरम कर ल

परवततीर दाद--कपर एक गराम, गधघक एक गराम । थोड स मिटटी

क तल म खरल कर मरहम-सी वना ल ६ दाद को खरच कर लगाए, ऊच हदी

पदिनो म कषट दर हो जाएगा ।

Page 99: Ghar Ka Vaid - archive.org

400

क पवासीर--वसलीन, जिसस टायदर लोग मरहम बनात ह, बहत

भसती वमत ह--एक पीट, कपर तीम गराम, परफीम शदध तीस गराम, सत

पोदीना शराठ गराम ।

परथम शरफोम, कपर तथा सत‌ पोदीना मिलाकर खरल पर। फिर बोटी-

थोढी दनलीन मिलात जाए कि सारी बमलीन दमरी तीजो म शरचटी परयार

मिशथवित हो जाए । इस पल म ह वी बोतल म डाल कद गस।

दनिझ राधि ममय पीतल वी पिचकारी म यह मरदम भर कर गदा प

भीतर पहचाए । परात भी शौचादि स निवतति पर यही परयोग बन । उसक

निरनतर उपयोग स खनी तथा बादी दोनो परगार की बवासीर दर ही जाती

ह परीर दरद तरनत बनदर हो जाता ह।

जरमनी म यह मसहम परति बरष भारी मातरा म बची जाती ह ।

६80 उपटदायफ सामिफ घरम--अफीम एक रतती, कपर चार रतती । दोरनो

मिला छर चार पटिया बनाए, दोदो घसठ पशचात‌ पानी क साथ उपयोग कर

७ लिकोरिया--वपर, गलाब शरक, बटिया गलसरीन। सतर चघरावर

वजन लकर मिशरित कर ल शौर सल मह वी शीशी म रग । इस परोषधि म

फाया तर कर पड क रप म इसतमाल बर। एक मपताह म ही पराना चषट दर हो जाएगा ।

छ शर फपर--क लकतता की एक परसिदध चलथा इसी नसत को परक

कपर क नाम स वचती थी, जिसन ससार म अपनी फाक बठा दी थी। परनत यह सतय ह कि नसखा ह भी हज की रामवाण »ोपधि )

_ रकटीफाईट सपिरिट एलोपथिक न० नो ढढ पीट, पीपरमट शरायलष चार

अस, कपर पाच झौस ।

अल परथम कपर क टकड कर सपिरिट की शीशी म डाल और मजबत कारक ध ह धप म रख और वार-बार हिलात रह । जब कपर अचछी परकार घल जाए दर म

*‌ ७

जाए तो फिर पीपरमट आयल भी मिला द--सरवोततम अरका कपर तयार

ह।

Page 100: Ghar Ka Vaid - archive.org

0]

अरक कपर हज का तोड तथा दसत और को क लिए एक भरोस की ओपधि ह| हजा जब भीपर रप घारण कर ल तो इस शरक' को कभी नही भलना चाहिए ।

मातरा--दो स छह बद तक सवचछ जल म या वताश म डाल कर उपयोग कर ।

क हजा नही होगा--कलमी णोरा तीस गराम, कपर भीमसनी ढढ गराम, मिशरी तीस गराम | शरचछी परकार पीसकर मिशरित कर ।

सवसथ वयकति यदि हजा क दिनो म चार रतती परात व साय गरम पानी स चार-पाच रोज उपयोग कर तो फिर हजा होन का भय नही रहता ।

नोसादर मकीय मार सकी अल जल रल कल दल मील कलश 2क 22: पर अहम हो डिक मल पक

क सिर दरद---नोसादर ठोकरी पनवह गराम वोततल म डाल कर बोतल

को पानी स भर झौर हिलाए ताकि मिशरित हो जाए। यह शरको सिरदरद क

लिए अरकक‍तीर ह । यदि दौर स सिर-दरद हो तो दरद होन स एक घनटा पहल एक मातरा पिलाए । ततपशचात‌ सिर दरद-बनद होत ही तरनत दमरी मातरा द यदि हमशा सिर-दरद रहता हो तो परात व साय एक-एक मातरा पिलाए। कछ दिन क उपयोग स परान स पराता सिर-दरद भी ठीक हो जाता ह। एक मातरा म दो चममच-भर ल ।

क वहोशी--रोगी को वहोशी हो या मिरगी या हिसटीरिया क कारण

मरचछा हो तो तिमत चटकल क उपयोग स तरषत चतना परापत हो जाती ह। यदि जकाम बनद हो, इस कारण सिर-दरद तथा वचनी तो इसक उपयोग स

जकाम बहन लगता ह और सिर-दरद ठीक हो जाता ह -

चना (अनवझा) और नौदसार दोनो वरावर वजन अलग-शरतरग पीस कर

काच की शीशी म कारक लगाकर रख । झावशयकता समय शीशी हिलाकर

सथा तनिक जल दवारा नम कर रोगी की नाक क सामन रख, इसकी तीतर गध

भाक म पहचत ही रोगी को होश शरा जाता ह ।

Page 101: Ghar Ka Vaid - archive.org

02

यदि जकाम वन‍द हो; छीक न शराती हो, सिर म तीतर पीडा हो भर

सास लन म कठिनाई हो तो ऐसी अरवसथा म भी यही सघाए। क नाक

खल जाती ह और जकाम बहन लगता ह ।

& भरमत पाउडर--यह नसखा दखन म नितात साधारण-मा दिखाई

दता ह परनत गण म पराय. बड-बड कीमती चसखो को परासत कर दता ह ।

मन इस पाउडर को काफी समय तक जव म रख अनक रोगो की सफल

चिकितसा की ह ।

यह मानसिक रोगो क लिय गणकारी नसवार ह, दातो क लिए अरदधितीय

मजन, और मदा-विकार क लिए चमतकारी चरो |

काली मिरच पनदरह गराम, नौसादर पनदरह गराम थरौर गर तीस गराम ॥

समसत सामगरी बहत पीस कर शीशी म रख | मातरा * कवल दो रतती।

सवन विधि--सिरदरद, नजला, जकाम झौर मरछा म थोडी-सी लकर

ससवार क रप म सघाए। दत-पीडा, दातो का हिलना, दातो की मल क

लिए मजन कररप म मल । गरजीरण, उदर-पीडा, अफारा, शल इतयदि क लिए

दो-दो रतती सौफ शरक (तनिक गरम करक) क साथ उपयोग कर ।

छ दाद-दद--भफीम एक रतती, नौसादर एक रतती । दोनो मिलाकर

गोली-सी वनाकर दाढ क छद म रख कर दवा द, यानि दवा छद म भर 4५

परायमर क लिए कषद जाता रहगा और छद भी वनद हो जाएगा-ऐग

चमतकारी उपचार ह!

& खासी-यदि खासी क सग तलगम पराती हो तो थोडनस पानी म

खान वाला नौसादर मिशरित कर एक दिन म तीन-चार वार पीजिए, खासी

ठीक हो जाएगी ।

& पट-द--नोसादर दशी पचास गराम, काली मिरच पचास गरारम; बडी

इलायची सौ गराम, सत‌ पौदीना तीन गराम, काला नमक सौ गराम

समसत सामपगरी वारीक पीस कर परसपर मिला ल शौर शीशी म ब

Page 102: Ghar Ka Vaid - archive.org

403

गरा-घर--पट दरद, पयास की तीकता, मिचली, अजीरण, कबज, खटटी- उकार, छाती की जलन इतयादि रोगो म अतयनत गणकारी ह।

मातरा--चार रकती स डढ गराम शराय क शरनमार तथा रोगी की शकतिः क भरनसार ताजा जल स दिन म दो-तीन बार उपयोग कर ।

गधक

_.. क गधक रसायन--गधक शरावलासार विशदध सततर गराम, छोटी - इलाबची, दारचीनी, नागकसर, सत गिलो, तनरिफला (हरड, बहडा और

शरावला बरावर वजन) ओर सोठ--परतयक पनदरह गराम। सबको शरलग-परलग' कट कर मिशरित कर | इस चन क वरावर वजन चीनी पीस कर मिला ल ।

सवन-विधि--दो स तीन गराम तक परात व साय मध म मिलाकर चाटना - चाहिए।

छन की खजली, खसरा, दाद ओर फसी इतयादि रकत विकार स उतपनन , सरव परकार क रोगो क लिय कई वार की अनभत तथा सफल औषधि ह ।

इसक शरतिरिकत, सथायी कवज शरौर ववासीर क लिए शरतयनत गणकारी ह । इसक सवन स शारीरिक वल बढता ह । पराना जवर शलौर वाय को ठीक करती ह । कम-स-कम दो मास तक उपयोग करन स भरसक लाभ परापत

। होगा ।

नोट---गधक शदध करन की विधि इस परकार ह--

गघक और घी बरावर वजन कलछी म डाल भराच पर रख । जब गधक

५, पिघल जाए तो इसस दस गना गाय क दध म ठणडा कर । इसी परकार कम- / प-कम तीन वार कर, गधक शदध हो जाएगी । | ( काला दाद--गधघक, सहागा, मिशरी, फिटकरी--चारो झौषधिया-

वरावर वजन वारीक कट कर कपडछन कर और दाद को खजलाकर नीदव-रस क साथ दनिक एक वार--सात दिन तक लगाए । लगान पर कछ कषट होगा,.. परनत दाद कसा ही पराना हो, तथा खजलात-खजलात गढ ही कयो न पढ

:# गय हो, जड स दर हो जाएगा । अतयनत सफल चिकितसा ह ।

रा

Page 103: Ghar Ka Vaid - archive.org
Page 104: Ghar Ka Vaid - archive.org

405

ततीन घट पशचात‌ दिन म चार वार यह गररट चरण पनदरह गराम शदध मध म

मिलाकर उपयोग करना चाहिए

इसक शरतिरिकत, गरनचरण म पानी मिशरित कर पतला लप-सा वनाए

और सार शरीर पर मरल । दो-चार दिन म ही विलकल आराराम हो जाता ह ।

गर वासतव स कलशियम और फोलाद का मिशरण ह, इसलिय यह शरतयनत

गणकारी ह। डाकटर जिन रोगो म कलशियम का परयोग करत ह, उनही रोगो

म उसी मातरा स गह उपयोग करक उतना ही लाभ उठाया जा सकता ह ।

कलशियम कीमती भरौपधि ह और गरर कवल पाच नय पस- भर का कई

रोगियो को लाम पहचा सकता ह ।

रीठा

रीठा एक साधारण पदारथ ह | पराय लोग इतना ही जानत ह कि यह

कपड घोन क काम शराता ह | परनत रीठ क और भी कई परयोग ह शरौर

चह शरौपधि-निरमाण क काम भी शराता ह--

क सिरदद शर रीठा--पाती की कछ व द पतथर पर डालकर रीठ का

खिलका इतना घिस कि पानी खब गाढा हो जाए ।

शराध सिर का दरद जिस शर होता हो, उसक विपरीत तरफ कछ ब द

नाक क नथन म टपकाए और परकति का चमतकार दख ।

या रीठ का छिलका वारीक पीस कर नसवार क रप म स घए ।

क) मरता और रोठा- मिरगी, हिसटीरिया या किसी शरन‍य कारण स

शरकसमात कोई मचछित डो जाए तो तरनत रीठा घिस कर रोगी की नाक म

टपकाए, या रीछ का वारीक चरण दोनो नथनो म दो-तीन रतती डाल कर वात

की खोखली नली या सनार की घौकनी स खब फ क। इस शरकार मिरगी,

'हिसटीरिया या अनय किसी कारण होन वाली मरछा तरनत ठीक हो जाती ह ।

& रीठ का सरमा--रीठ का छिलका ओर सरमा वरावर व जन वारीक

पीस कर रख। परात. व साय सलाई स आाखो म लगाए, जाला एऊला, झौर

'घध भरादि क लिए गणकारी ह ।

Page 105: Ghar Ka Vaid - archive.org

06

& चहर क धबव--वहर क पचच शर छाइया रीठ का छिलका पाती

म पीम कर लगान स दर हो जात ह और चहरा निसरता ह ।

6 लफवा--रीठा पानी म घिस और जिस शरोर की आस बनद हो उस ओझोर क नथन म टपकाए और निरनतर कई दिन तक ऐसा करत रह । नाक स विपला पानी सारिज होकर शराराम हो जाएगा ।

8 ववासीर भरीर रीठा--रीठा खनी व बादी बवासीर क लिए भी

उपयोगी ह । रीठ का छिलका और रसौत थदध दोनो वरावर वजन बारीक पीसकर पानी म गोघ म शरीर जगली बर क बराबर गोलिया वना ल ।

परात निराहार एक गोली ठणह जल क साथ उपयोग कर भझौर ततपनचात‌ दाल मग की खिचडी भरसक घी डाल कर सवन कर | साय भी सिचडी ही खाए | कछ दिन क उपयोग स सवासथय लाभ होगा

& रीठ का छिलका दो भाग भौर हीराकसीस एक भाग | दोनो शरचछी परकार वारीक कर गोलिया वनाए । यह गोलिया ववासीर क मसमो की

शरवी र ह |

खान क लिए--रीठ का छिलका गाय क ताजा दध म शरचछी परकार

खरल कर एक-एक रतती की गोलिया वनाए शरौर छाव म खशक कर । एक गोली परात व एक साथ दही की छाछ क साथ या गाय क दध स उपयोग कर, सरव परकार की बवासीर क लिए गरणकारी ह ।

क साप फाट का चमतकारी इलाज--रीठा साप काट की अदवितीय ओपधि ह, कई वार शअनभत किया गया ह और कभी शरसफल नही हआ । शरत यह ह कि सरप क कट वयकति भ पराण बाकी हो, फिर यह चमतकारी शरौपधि इस मरन नही दती ।

गराठ गराम रीठ का छिलका क डी म ठणडाई क रप म घोट ल और एक कप पानी डाल कर विना छान ही पिलाए, तरनत क शरोर दसतो दवारा विप बाहर निकलना आरमभ होगा | दम-पदधह मिनट पशचात‌ फिर उतनी ही मानना म रीठ की यह ठणडाई और पिला द, शरौर यह सिलसिला उस समय तक जारी रख जब तक कि रोगी को इस ठणडाई का सवाद कडवा न लगत

Page 106: Ghar Ka Vaid - archive.org

[07

लग जब कडवा लगन लग तो समक लीजिए कि अरव विप मिकल गया ह । ततपणचात रोगी को खब घी का इसतमाल करात रह ।

कक दत रोग--रोठ क वीज जला कर कोयला बना ल और बराबर वजन सील फटिकरी मिशचित कर तथा वारीक पीस कर सजन बनाए । सजन

क उपयोग म हिलत हए दात कछ ही दिनो म ठीक हो जात ह । दत-पीडा शरोर दाद-दरद क लिए भी गणकारी ह । जिन लोगो क सब दातो म दरद रहता ह, दणडा पानी पीन स जान निक‍लती-सी अनभव होती ह, उनक लिय यह एक चमतकारी शरौपधि ह ।

क टजा झौर दसत--रीठ का छिनका बारीक पीस कर पानी या गलाव शरक म मिलाकर मग क बरावर गोलिया बनाए और शरावशयकता क समय एक-दो गोली गलाब पर स दत रह | इसस क और दतत वन‍द हो जाएग। परनत जब तक परण सवासथय न हो जाए, खान को कछ न द । फिर घीर-घीर सागदाना दना आरमभ कर द ।

9 पोलिया भौर तितली--गरम पदारथो क शरधिक उपयोग स जिगर म पितत पड कर रकत का रग पीला हो जाता ह ) यह पीलापन पहल शराखो म

झौर फिर सार शरीर म फल जाता ह। पीलिया म गरम शरीर चिकन पदारथो स परहज कर । शराल, अरबी विलकल न खाए | तिल‍ली पराय: मौसमी चखार क वाद बढ जाया करती ह ।

ह रीठ का छिलका एक भाग, हरड का छिलका दो भाग | दोनो बारीक पीस कर तथा मव मिशरित कर चार पराम दनिक सवन कर । इसस दनिक तीन इसत होकर तिल‍ली कम हो जाती ह शरौर पीलिया को भी इसस झाराम

“ हो जाता ह, कयोकि दसतो दवारा सारी गरमी खारिज हो जाती ह ।

दीय-वल-वरदध फ--रीठ की गठली की गिरी वीयय-बल-वदधक ह । इस वारीक पीस कर वरावर वजन शककर मिलाकर दध क साथ चार गराम सवन कर ।

क सख की सफल चिकितसा--तीन रीठो की गठली की गरिरी बारीक

पीस कर काली बकरी (एक रग को--विलकल काली) क साठ भराम दध म

Page 107: Ghar Ka Vaid - archive.org

08

खरल कर । फिर इसकी चोदह गोलिया बनाए । दनिक एक गोवी फिसी भी

रग की वकरी क दध म घिस कर पिलानी चाहिए ।

यह मातरा दो वरष तक क बचच क लिए ह । यदि बचचा बा हो तो इसी

मातरा म गठली की गिरी शरधिक कर ल, चौदह दिन म बचच का सता रोग

जाता रहगा ।

& दमा--एक रीठ का छिलका वारीक पीस कर हलए या दध की मलाई म लपट कर निगल ल, इसस बलगम खारिज होकर एक सपताह म

बलगमी दमा जड स उखड जाएगा ।

तमघाक छ

क दत पीडा फो भरचक शरोपधि-- तमवक‌ क खशक पतत बढिया, सरख गरर, काली मिच--तीरनो वरावर वजन वारीक पीम ल शलौर कपडछन कर शीशी म रख । शरावशयकता क समय मजन क रप म मरल शरौर कछ दर पशचात‌ कलता कर ।

दत-पीडा क लिए यह एक भशदभत शरौर चमतकारी शरौपधि ह । इसक उपयोग स पीडा शीघर ठीक हो जाती ह ।

क दात हिलना--तमवाक‌ पचास गराम, अरकरकरहा सततर बराम, काली मिरच पचास गराम, खील फिटकरी तीम गराम, कपर एशी पन‍नदरह गराम--समसत सामगरी वारीक कर सरकषित रख | परात व साय दातो पर मन । दो सपताह क निरनतर उपयोग स दातो का हिलना बनद हो जाता ह ।

जज

& घाव का शरचक तल--कचचा तमबाक कचलकर निकाल हए रस म वरावर वजन तिल का तल डाल कर भराच पर रख पानी जला ल । तल रह जान पर बोतल म भर ।

Page 108: Ghar Ka Vaid - archive.org

09

या[--

एक भाग खशक कडवा तमवाक‌ सोलह भाग पानी म रात को भिगो कर अगल दिन कडाही म डाल कर पकाए। दो भाग पानी रहन पर मल-छान कर इस पानी की आधी मातरा म तल तिल मिला कर दोवारा पकाए । तल वाकी रहन पर छान कर बोतल म भर ल।

गहर-म-गहर और परान-स-परान घाव और नासर को भरन क लिए अदभत वसत ह। इसस घाव पर मवखी नही बठती, दत-पीडा शोर पायोरिया इसक उपयोग स दर होता ह । जए या चमजए णरीर क किसी भी भाग या सार घरीर म पड जाए, इस तल क एक ही बार लगान म मर जाती ह ।

बचचो क सिर क घाव तथा बिगड घाव जो ठीक होन म न शरात हो, इसक

लगान स बहत शीघर ठीक हो जात ह ।

ह चिपल जनतपनो फ काट का इलाज--तमबाक का कषार साप क विष को काटन क लिए एक चमतकारी वसत ह । भिड, विचछ का विप, काटना तो इसक लिए एक साधारक-सी वात ह ।

तमबाक का पोधा जड सहित उखाड कर छाव म सला कर तथा किसी खल सथान पर ढर लगा कर शराग लगाए, शर सवय घए स वरच। जल कर राख हो जान पर राख को चार गना पानी म घोल, और कपडछन कर रख। जब राख नीच बठ जाय तो नियर पानी को कडाही म डाल कर आच पर पकाए | पानी जल जान पर इसम स निकल कषार को वारीक पीस ल |

यह छार शरतयनत विपली वसत ह, परगत दसर विप को काटन क लिए भरकसीर ह ।

साप क काट सथान पर एक रतकती यह कषार पनदरह गराम, गरम पानी म घोल कर इजकशन कर द, विप दर हो जाएगा। या उतर आदि स घाव म चीरा दकर यह कषार खशक ही भर द, रकत म मिलकर विप को अतयनत तजी स वकार कर दगा | विपली मकखी, भिड, विचछ इतयादि का विष तो इसक लप स ही ठीक हो जाता ह ।

Page 109: Ghar Ka Vaid - archive.org

चौथाई किलो अनवझा चना पाच किलो पाती म मिटटी क बरतन म घोल और शरचछी परकार हिलाकर रख द। दोनचार घट पशचात जब चना नीच बठ जाए और पानी सवचछ दिखाई दन लग तो पाती को सावधानी- परवक बोतलो म भर ल । इस पानी पर एक शवत-सी तह जम जाया करती ह, पानी निथारत समय इस भी उतार द । यह चन का पानी ह, इसम बहत थोडी मातरा म चना घला रहता ह ।

कक हजा--तीस गराम चन का पानी पदधह-परवह मिनट पशचात पिलाए, रोगी दीक हो जाएगा |

हज क रोगी को रोग की तीजता म या जब रोगी कमजोर होकर मतय क म ह म जा रहा हो और ठणडा पशनीना आ रहा हो तो ऐपी सथिति म चन का पानी अतयनत लाभदायक मिदध हआ ह। दो-दो चार-चार मिनट पशचात‌ चन क पानी क दो-चार चममच पिलात रह, इसस शीघर पपतीना शराना वनद

हो जाता ह शर शरीर म गरमी भात-शरात रोगी सवसथ हो जाता ह ।

() बचचो का सखा--यह एक वहत घातक रोग ह । चन क यानी म दो गता चीनी मिलाकर इसका जरवत तयार कर ।

यह शरबत बचचो क लिए अतयनत लाभदायक ह, और बचच इस परसन‍नता- परवक पीत ह। दवपीत वचच को इमकी चार स बीस बद तक दिन म दो- तीन वार दध म मिलाकर पिलाना चाहिए । चन क पानी म तयार हआ शवत जलदी विकत नही होता ।

9 खन बनद होगा--चन का एक-एक शौस पानी दिन म चार बार साद पानी म मिलाकर पिलान स ववापतीर का खन बनद दो जाता ह। सतरियो क भरधिक मासिक सराव क लिए भी इसी परकार उपयोग करना चाहिए । नकसीर जान, फफडो, गल, मसढो या किसी परकार क घाव स खन जारी होन भ भी इसी परकार उपयोग कराए |

Page 110: Ghar Ka Vaid - archive.org

4]

ताजा घाव स यदि खन बनद न होता हो तो चन क पानी म रई भिगो फर घाव पर मजबती स बाध द । इसस खन तरनत बनद होगा ।

क कमजोर दिल--दिल की बडकन कमजोर पड गई हो या नाडी पसत चलती हो तो भी चन क पानी स लाभ होता ह--पिलान स भी और इजकशन स भी ।

एक-एक आस चन का पानी थोड-योड समय पर पिलाना चाहिए ।

कक वचचो क हर-पील दसत--छह मास तक क बचचो को पाच दद तथा छह मास स एक वरष क बचचो को दस बद चन का पानी तथा दो वरष तक क बचचो को वीस बद दनिक थोडा पानी मिलाकर अरथवा पानी मिल पतल शोर तनिक गरम दध म मिलाकर पिलाए

वचचो की फमजोरी--जवकि हडडी का वनना बनद हो गया हो, या हडडी म कीडा लग गया हो या हडडी गलनी आरमभ हो गयी हो या सिर और मह क वाल जिनका समबनध हषडियो स ह, भडत हो, या कमजोर पड गए हो तो भी चन का प नी गणकारी ह। एक-एक शरॉस या तनिक कम या भरधिक चन का पानी दिन म ततीन-चार वार पिलाए । ध

तलसी क चमतकार

हमार परवजो न तलसी की बहत परशसा की ह। शरौर इसका सबस वडा कारण यह ह कि इसम जीवनामत जस दरव विदयमान ह। यह दो परकार की होती ह--हरी शरौर काली ! हरी तलसी म कछ कम गणा नही होत, परनत

काली तलसी की तो वात ही निराली ह।

क पोरप-वल वदध क---त लसी क वीज म पौरष निरबलता दर करन का सवाभाविक गण ह । इसक उपयोग स पतला वीय गाढा होता ह तथा उसम

चदधि होती ह । शरीर म वासतविक गरमी शरौर शकति उतपनन होती ह । गस भर कफ स उतपनन होन वाल अरनक रोग मिट जात ह ।

Page 111: Ghar Ka Vaid - archive.org

42

शराए दिन बशमार यवक इशतहारी पोरष-बलवरदधक परोषधियो क पीछ

भागत ह। यदि व तलसी क वीज पीसकर वरावर वजन यड मिलाकर डढ-

डड माश की गोलिया वना ल और परात व साय एक-एक गोली गाय क

ताजा दध क साथ उपयोग कर तो पाच सपताह म ही उनकी समसय चिनता

दर हो जायगी ।

& तलमी ल वीज लसदार तथा वीरय-बलवरदधक होन क नात वीय

विकार म उपयोग किय जात ह ।

तलसी क बीज परात या साय छह छह माश फाक कर ऊपर स गनगना

बध पीया जाए तो इसक निरतर उपयोग स दीय याढा हो जाता ह ।

& जवर--मरदी क जवर म तो तलमी विशष काम करती ह। इसक

उपयोग स सरदी छाती म नही उततरम वाली, और छाती म उतरी हई सरदी

कफ क रप म बाहर निकल जाती ह । छाती का दरद भी कम हो जाता ह! तलमी क पततो का रस एक-दो तोल डढ स तीन मास तक चरण काली मिरच मिलाकर पीन स तीढ स तीकन जवर भी ठीक हो जाता ह

तलसी की पततिया और काली मिरच की गरोलिया मलरिया क लिए कोनीन का काम करती ह । तथय यह कि तलसी क रस म मलरिया क -कीटास नषट करन का अदभत गण ह ।

(क एक तोला काली मिरच सोलह पहर तक तलसी क रस म रगडकर काली मिरच क बरावर गोलिया बना ल, सखाकर घीशी म रख। एक स * लकर तीन गोली तक आय-अनसार सरव परकार क जवर क लिए दिन म तीन बार तक द सकत ह । तज स तज जवर भी ठीक हो जाएगा ।

कक तलसी क ताजा या खशक पतत छह माणा, सोठ, दारचीनी, इलायची, आम परतयकष एक-एक माशा मालकर चाय बनाए शरौर मौसकी बखार, क नोम पीएवखार खासी और सीन की खरखराहट क लिय अतयनत लाभपरद

मद को बल परदान ह, करती ह तथा जकाम को ठीक करती ह । _ मलरिया क मौसम म दो-चार दान काली मिरच और तलसी क पतत चवा लगा सवासथय रकषा क लिए उततम ह ।

Page 112: Ghar Ka Vaid - archive.org

43

& मलरिया की अचक परोषघि--दस तोल तलसी क पततो क रस म

एक तोला चरण छोटी इलायची मिलाकर इतना खरल कर कि सगमतापरवक

दो दो रतती की गोलिया बनाई जा सक ।

मलरिया जवर क लिए शरतयनत ही लाभपरद शरौपधि ह, पराय परथम मातरा

दन स ही जवर रक जाता ह वरन‌ दो-तीन वार दन स तो निशचय ही आराम

हो जाता ह । |

क ताजा तलसी का रस तथा काली मिरच वरावर वजन खरल करक

दो-दो रतती को गोलिया बनाए । मातरा व सवन विधि ऊपर दिय अनसार ।

कह जकाम झोर खासी--खशक पततो का काढा जकाम, खासी तथा

दसतो की वढिया घरल दवा ह ।

तलसी क रस म वलगम को पतला कर खारिज कर दन का गर ह,

इसी कारण यह जकाम और खासी म लाभपरद ह। यदि तलसी क रस म

मध, अदरक और पयाज का रस भी उचित मातरा म मिलाया जाए तो यह

खासी और दम क लिए एक अरकसीर वन जाती ह। इस उदद शय क लिए

कवल मध क साथ उपयोग करना भी अतयनत गणकारी ह ।

& वदिक चाय--तलसी का रस, गोरख पान बटी, सरख चदन शर

सौफ परतयक एक पाव, दारचीनी, तजपात, वडी इलायची, सगध वाला, मलठी

परतयक शराध पाव, लौग एक तोला । समसत सामगरी वारीक करक मिला ल ।

विधि आधा सर पानी म छह माश वदिक चाय डालकर उबाल | दो-

तीन उबाल शरा जान पर नीच उतारकर छान ल और इचछानकल द४ चीनी

मिलाकर चाय क समान पीए । दिन म एक-दो वार यह चाय उपयोग की जा

सकती ह ।

गण-घरम सवदशी जडी बटियो स वनी यह चाय शरतयचच गणकारी तथा सगधित ह । नजला-जकाम, खासी, सिर-दरद शरौर कनज गरादि क लिए उप-

योगी ह | दिल-दिमाग व मद को शकति परदान करती ह । वाजारी चाय स कई गना वढिया यह चाय पौरष वलवरदधक भी ह । इस पर भी खबी यह कि

Page 113: Ghar Ka Vaid - archive.org

]4

तनिक भी नशीली नही । इसलिए जिनह चाय की शरादत पड चकी ह उनक

लिए यह एक भशरतयनत वढिया पय ह, चाय की आदत छोडकर इसका उपयोग

झारमभ कर द ।

६9 साप काट की दवाई--अदि साथ काट वयकति पर तलमी उपयोग की

जाए तो उसक पराण बच जान की बहत ही भरधिक समभावना रहती ह ।

साप काटन पर तरनत एक मटठी तलसी की पततिया खा लनी चाहिए और साथ

ही काट सथान पर तलसी की जड मकखन म घिसकर लगानी चाहिए ।

शरारमभ म इस लप का रग शवत रहगा परनत जयो-जयो यह विप सीचगा वह

काला पडता जाएगा | जब इसका रग अचछी तरह काला दिखाई दन लग तो

इसकी बजाए दसरा लप लगा दना चाहिए | यह लप तब तक वदलत रहना

चाहिए जब तक कि इसका काला पडना वद न हो। जब यह लप काला न

पड तव समझना चाहिए कि शरव विष का परभाव नषट हो चका ह ।

भला जो तलसी साप का विप दर करन की शकति रखती ह वह विचछ, भिड आदि विपल कीडो का विप कयो नही उतारगी ? लनिड या विचछ क डक पर तलसी क पततो क रस म सबा नमक मिलाकर रगडन स विचछ का विप दर हो जाता ह ।

( तवचा विकार--तलसी क पततो का रस शरीर नीव वराबर वजन मिलाकर दाद, खजली तथा शरनय तवचा रोगो म मालिश करन स भरमक लाभ होगा ।

क इस शर की यदि चहर पर मालिश की जाए तो चहर क काल धबब तथा छाइया दर होकर रग निखरता ह ।

9 पाव को कीटाणपो स सरकषित रखन क लिए तलसी की खशक पततियो का चण छिडका जाता ह।

इसकी पततियो क काढ स गद घाव घोन स बहत लाभ होता ह । & ठलसी फा तल--तलसी की पततिया, फल, टहनी और जड, यानि

तलसी का परा पीधा लकर कट ल | यदि यह समसत सामगरी एक सर हो तो शराघा सर पानी मिला द, साथ ही शराधा सर तिल का तल भी डाल। शरव

Page 114: Ghar Ka Vaid - archive.org

45

इस घोल को घीमी-बीमी आच पर पकाए | पावी जल जान और तल बच रहन पर मल छान ल । यह तल सव परकार क घाव यहा तक कि परदाह क घाव तक ठीक कर दता ह ।

क एवत दागो पर भी यह तल दिन म दो-तीन वार लगाया कर। तल लगान स पहल दागो को कपड स रगड लना चाहिए ।

9 यदि खजली क कारण शरीर पर फसिया हो गई हो तो इसी तल की मालिश करनी चाहिए

क पट क रोग---तलसी की पततियो का रस एक तोला दनिक परात पीन स मरोड और अजीरण म गणकारी ह ।

ह तलसी की पततियो का रस क म लाभपरद ह ।

क तलसी की पततियो का रस पट क कीड मारता ह )

क यदि वचच को उवकाई शराती हो और किसी शरौपधि स बद न होती हो तो उस थोड मध म तलसी का रस मिलाकर दन स तरनत लाभ होगा। यदि बचच क पट म दरद हो तो तलसी और अदरक का रस वरावर वजन तनिक गरम कर बचच को पिलाइय, तरनत दरद वनद होगा । यदि वचच को इस झोपधि का दनिक उपयोग कराया जाए तो उसक पट म कभो कोई विकार उतपनन नही होगा ।

यदि बचच को शौच साक न होता हो या उसका पट फल जाता हो तो उस तलसी की पततियो का गनगना रस पिलाइय । इसस शौच ठीक होगा शरौर पट का शरफारा तथा ऐस ही अनय विकरार भी दर होत ह ।

जिस वयवित का हाजमा कमजोर हो, दिमाग कमजोर हो, शरीर म किसी परकार की गरमी शरनभव होती हो--उस गरमी क दिनो म परातः तलसी को पाच-सात पततिया, उत सदान वादाम, चार छोटी इलायची झौर काली मिच-“-सव घोटकर दध और मिशरी मिलाकर पिलाइय । दो-तीन दिन म ही लाभ होगा ।

Page 115: Ghar Ka Vaid - archive.org

कजनत-+-न‍ अल न धन सतत 3 ना जल मा लड सड कड अप 3 33 आम अल आओ 3४ जी आज किक

गलो क चमतकार

गलो एक परसिदध बटी ह । इसकी बल लमबी वढ जाती ह। इसक परत

पान क पतत क समान होत ह। यह बटी जवर क लिए शरक‍तीर का परभाव

रखती ह, रकतमोघक भी ह ।

हरी गलो, न बहत मोटी न पततनी, लकर दकरड कर शर शरवकटा कर बरतन म शराठ गना पानी म भिगो द । पचचीस ट पशचात शरचछी परकार मरल शरौर गाद जब नीच बठ जाए तो हर रग क रश सावधानीपरवक निकाल ल। फिर कछ घट पशचात हर रग का निथरा पानी सावधानी स निकाल विगरा जाए ) इतना ही पानी और डाल । दो-चार वार यह परयोग कर। जब नीच बठन वाला भाग साफ हो जाए तो पानी पथक कर धप म सखा ल । यही

सत गली ह ॥

यह सत रलो दिन म तीन-चार बार एक माणशा स तीन माशा तक ताजा पानी क साथ उपयोग करना सरव परकार क जवर क लिए लाभपरद ह ।

(9 सत पलो, तवाशीर, दाना छोटी इलायची परतयक एक माशा, कजा

मिशरी डट ततोला । समसत सामगरी का चरण वनाए। चार स छह माश तक परात व साय शरवत बजरी क साथ उपयोग करन स पराना जवर दर होता ह ।

(ह सत गलो और शवकर वरावर वजन--दोनो मिलाकर रख ल, एक स तीन माश तक दनिक ताजा पानी स उपयोग कर पितत का जवर ठोक होगा ।

&) मलरिया--ताजा उलो एक तोला, शरजवाइन एक माशा, काली मिरच चार दान शरौर एक छटाक--5णडाई की तरह रगठकर दनिक परात सवन कर ।

& पराना जवर--हरी गलो एक तोला, शरजवाइन दसी छह माश--- भात ढाई छटाक पानी म मिटटी क बन म भिगोए । अझगल दिन परात घोट- कर तथा छानकर थोडा शरवत नीलोफर मिशरित कर सवन कर एक सपताह स परण सवासथय होगा ।

Page 116: Ghar Ka Vaid - archive.org

7

क लो एक तोला, लाहोरी नामक एक तोला, अभरजवाइन दणी छह

साल । समसत सामगरी डढ पाव पानी म किसी मिटटी क वरततन म भिगोकर रख और दिन-भर इस घष म पडा रहन द । रातरि समय शरोस म रख ।॥ दसर दिन परात मल-छान कर पीए, थोड ही दिनो म पराता जवर ठीक हो जाएगा।

वारी का जवर--गलो की जड एक तोला का काढ बनाकर रोगी को दो-तीन वार पिलाए, शरतिया वारी करा जवर ठीक हो जाएगा। आहार *

मग की दाल और रोटी ।

रक‍त शोघक---हरी गलो एक तोला और उनाव एक तोला--दोनो को तीन छटाक पानी म घोटकर, साफ करक, शरवतर उवनाब तीन तोल मिलाकर

परात सवन कर ) सरव परकार क रकत विकार म कछ दिनो तक उपयोग कर ॥

खसरा व तितत नाशक--तीन तोल हरी गलो कटकर आधा सर पानी म पकाए, आधा पाव रहन पर मलछान ल । इसम दो तोल मघ मिलाकर निरतर एक-दो सपताह तक सचन करन स पितत तथा खतरा शरादि शिकायत दर हो जाती ह ।

कर पीलिया---एक तोला जरलो क पतत पीसकर तथा गाय की छाछ म मिलाकर, पहल तीन माश सत‌ गलो खाए और फिर ऊपर स यह छाछ पिए

दो-तीन दिन क उपयोग स पीलिया रोग ठीक होगा । यदि रोगी को कबज हो सो परथम कबज की चिकितसा की जानी चाहिए । कबज करन वाल झराहार स परहज कर । आहार * चावल, म ग की दाल और पालक आदि ।

क पटठिया--खएक रलो शरचछी परकार पीसकर छान ल। परात तीच साश गाय क दध स सवन कर, गठिया रोग ठीक होन क शरतिरिकत यरिक झसिड क लिए भी शरतयनत गणकारी ह । ः

ह मध‌मह--हरी गलो एक तोला दो छठाक पानी म घोटकर तथा छानकर परात सवन कर , मघमह म लाभपरद ह ।

Page 117: Ghar Ka Vaid - archive.org

8

आहार दही, जितनी मातरा म पच सक। एक मास म परण लाभ

होगा ।

&9 ताजा सलो छाोव म सखाकर तथा कटकर कपटछन कर शरौर बरा- बर वजन दशी चीनी मिशरित कर | छह-छह माश शरात व साय ताजा पानी स सवन कर , मधमह क लिए परभावोतपादक शरीपधि ह ।

६9 परमह--हरी गलो एक तोला को तीन छटाक पानी म घोट कर छान ल शरीर ढाई तोल मिशरी मिलाकर छह माशा चरण शतावर क साथ परातः उपयोग कर , परमह क लिए उपयोगी ह ।

ताजा गलो तीन तोल रस म थोडी मिशरी मिलाकर दो सपताह तक निरतर उपयोग करन स रोग नषट हो जाता ह ।

क इवत परदर (सतरियो का परमह)--जिन सतरियो को परमह रोग रहता ह, उनह परात शवत तथा दरगघमय तरल पदारथ जारी रहता ह । ऐसी सतरिया बहत कमजोर हो जाती ह ।

एक तोला चरण शतावर छह माश रलो क काढ स दनिक उपयोग कर, एक-दो सपताह म विलकल शराराम हो जाएगा । कवज करन वाल शराहदार तथा खटट पदारथो स परहज कर । घी उपयोग कर ।

क हिचकी -- गलो शोर सोठ वरावर वजन कट ल । इसकी नसवार दन स हिचकी वद हो जाती ह ।

क कफत--.हरी गलो टो तोल कटकर दो सर पानी म उवाल, आधा सर रहन पर मल-छन कर और मथ मिलाकर रख । को क रोगी को थोडा-थोडा! पिलाए, कौ निशचय ही वद होगी ।

क) पट क कीड-"-.हरी गलो एक तोला, काली मिरच छह दान, वावडिग तीन माण | परात घोटकर तथा छानकर आधघ पाव उपयोग कर। पट क कीडो की शरक‍सीर ह। दध तथा दध क पदारथो स एक माम तक परहज रख ।

क खासी--.हरी गलो एक तोला शराघ पाव पानी म घोटकर तथा: छानकर दो तोल मध मिशरित कर परात सवन कर , खासी क लिए उपयोगी: ह ।

Page 118: Ghar Ka Vaid - archive.org

49

बराहली व टी क चसतकार बराहमी की दो परकार ह* साधारण बराहमी बल क समान होती ह ।

इसकी टहनिया जड स निकलती ह । दमरी परकार की पौध क समान होती ह जिसकी परिधि लगभग डढ गज होती ह। बल वाली बराहमी पड वाली बराहमी न अधिक गणकारी ह । बह बटी मारत स पजाव स लकर शरीलका ओर मिगापर तक नदी नालो क निकट या सरोवर तट या शरादर घरती म

: पायी जाती ह। भकति न इस बटी म शरदभत गण भर दिए ह, इसलिय यह

नई

निमनलिखित रोगो म अतयनत सफलापवक उपयोग की जा सकती ह :

ह) मानसिक रोग--यह मसतिषक-चल और धमरणा-शकति बढान की विशष शरोपधि ह । इसका उपयोग करन वाला दीरघाय होता ह ।

क वाहमो चर--तराहमी क लशक पतत वारीक पीस ल | चार-चार रतती परात व साथ दब क साथ उपयोग कर| यदि परान स पराना सवपनदोप व

परमह भी हो तो भी जड स दर हो जाता ह । यदि परमह शरधिक बीरय क

कारण हो तो बराहमी चरण दध की बजाए पानी क साथ सवन कर, परमह, सवपतदोण तथा मतर जलन को ठीक करता ह--कई बार का शरनभत ह

(9 तराहमी ठणडाई--हरी बराहमी क पतत तीन स छह माण तक, बादाम

गिरी चौदह दान, कदद गिरी तीन माश, छोटी इलायची चार दान, काली

मिरच [पाच दात--ठणडाई क समान घोट कर तथा ६5छानकल मिशरी मिला कर उपयोग करन स दिमागी गरमी-जशकी दर होती ह, भख खब बढती ह,

समरणणवित तज होती ह तथा मसतिपक को वल मिलता ह झौर दीरघाय होती

ह । यह ठणडाई जयपठ भौर शरापाढ मास म दो स चार सपताह तक सवन कौ

जाती ह ।

&) बराहमो शरवत-राहमी पतत चार तोल (खशक), वादामर गिरी

चार तोल, कदद गिरी चार तोल, काली मिरच एक माशा, छोटी इलायची

तीन माश | समसत सामगरी एक सर गलाब अरका म ठणडाई क रप म घोट कर

छान ल । ततपशचात‌ इसम सवा सर चीनी मिलाकर चाशनी तयार कर शौर

Page 119: Ghar Ka Vaid - archive.org

20

बोतल म सरकषित रख । मातरा दो तोल स चार तील तक ठणद पानी म

मिलाकर सवन कर । वढी हई दिमागी गरमी व ताप क लिय अवमीर ह।

गरमी क दिनो म पयास बकान शरौर ठडक पहचान क लिय शरचतत शरीपधि ह । “

क भरक बराहयॉ--वराही सशक एक छटाक, बीज “हित मनवका एक

छटाक, तलसी की पततिया एक छटाक, छोटी इलायची एक छठाक, लीग एक

छटाक, शर पषपी शराधी छटाक । समसत सामगरी शलाठ गना पानी म चौबीस

घनट तक भिगो रख, ततपशचात‌ शरक उदधरण कर ।

इस अररका क उपयोग स रग लाल हो जाता ह, शरावाज निखरती ह, खासी शरौर वात की समापति होती ह, सजली तथा रत विकार कौ शिकायत

ठीक हो जाती ह, मसतिपक को बल मिलता ह, भख खब लगती ह ।

भोजनोपरात उपयोग कर । मातरा एक छठाक ।

की नतर-रोग-बराहमी क उपयोग स दषटि को वल मिलता ह, विशषकर बदधो क लिए जिनका मसतिपक कमजोर हो जान क कारण दषटि कषीण हो गई हो, अतयनत लाभपरद ह

क) तराहयी एक तोला, शखपषपी तीन माश, वादाम गिरी दो तोल, चारो मगज चार तोल, गिरी घनिया (जिसका ऊपरी छिलका उतरा हो) एक तोला, तरिफला तीन तोल, गोखर एक तोला, सोठ एक तोला--कट-पीस

कर चरण बनाए । मानधिक वलवदधक तथा दषटि तज करन क लिए वढिया शरौपधि ह ।

मातरा तीन माश दनिक दध क साथ | गाए क घी का इसतमाल भी जारी रख ।

तराहमी खशक शोर वादाम गिरी (छिलका रहित बराबर वजन काली मिरच आठवा भाग (तराहमी भर वादाम गिरी दोनो को), पानी म घोट कर तीन-तीन माश की टिकिया वनाए, समरण-शकति तथा दषटि क लिए एक टिकिया दनिक दध क साथ उपयोग कर | ह

क परष-रोग--तराहमी क उपयोग स कई परकार की पौरष-कमजोरी दर ही जाती ह। यदि बराहमी क पतत ताजा मिल तो शरचछा वरन‌ खशक पततो पानी

Page 120: Ghar Ka Vaid - archive.org

8 ।

य झिगोए, सरम होन पर कपड स साफ कर ताफि पततो क ऊपर का पानी जशक हो जाए। ततपणचात‌ इन पततो को गाव क धी म भन, सावधान रहिए कि पतत कही जल न जाए वरन‌ परभाव-रहित हो जाएग । फिर निकाल कर पीस ल । यह भनी बराहमी दस तोल, वादाम गिरी पाच तोल, पिसता गिरी दो तोल, चारो मगज पाच तोल, चावल किशनीज पथाच तोल, दाना छोटी इलायची एक तोला । समसत सामगरी कट कर चरण बनाए | ह

गस-धरम--वीरय को गाटा करन तथा बढान क लिए अमीर ह । एक माणा ताजा दध क साथ उपयोग कर। घी का शरधिकष सवन करना चाहिए ताकि खशकी न हो ।

क घी म भनी बराहमी एक तोला, वादाम गिरी दस तोल, चारो मगज चार तील, शसपपपपी एक तोला | समसत सामगरी पीस कर चरण बनाए ।

गरानधम--शरीर वलवदध क शरौर वीयविकार नाशक ह । मातरा तीन माण गाय क दध स । दध, घी, मलाई भरौर मकखन शरधिक

सवन कर । क ताही एक तोला, शखपपपी एक तोला, चारो मगज चार तोल,

'पिसता गिरी एक तोला । समसत सामगरी चरण कर शर बराबर वजन मिशरी मिलाए। शीतरपात को ठीक करता ह। मातरा छह माश, दध क साथ )

4 सतरी-रोग-"जित सतरियो का दध कम हो, पाच-छह वराहमी पतत तथा काली मिच रगडकर पिलान स दध शरधिक हो जाता ह।

यदि गरभिणी को बराहमी का रस दध म मिलाकर पिलात रह तो बचचा

सपसथ तथा तजसवी उतपनत होगा ।

बनफशा क चमतकार आिजतत+:++++++7+४:एपपभ.घहपपईपपफऔफस‍फ-

|द[//»/_जखजए तजि जी _तघ3तततहतन‍++++ म (०.

वबनफणा दो परकार का होता ह--एक असली शभौर दसरा जगली ।

सगनधित दवाई म ऐसा वनफणशा परयोग किया जाता ह जिसका फल नीला हो शौर

हो । , जिस औपधि स वनफशा लिखा हो उसका तातपय फल स ही होता ह ।

जकाम--एक तोला वनफशा पानी म उबाल शरोर मलछन कर तथा

Page 121: Ghar Ka Vaid - archive.org

22

मीठा करन क लिए बताश डाल कर गरम-गरम दिन म तीन-वार बार पीए,

जकाम एक दिन म जाता रहगा । नोट * बनफशा बहत शरधिक न पकाना चाहिए वरन‌ इसका परभाव कम

हो जाता ह। & बलगम शोर पितत--चौदह माण बनफणश क फल पीस वर तथा!

इतनी ही चीनी मिला कर गरम पानी स फाऊ न, दसत भरा कर बवगम शौर

पतत खारिज हो जात ह । & दात वनफशा--इसकी विधि इस परकार ह बनफश क फल यदि

खशक हो तो दो तोल भरौर यदि ताजा हो तो पाव भर ल । इनह पानी म

उबाल कपड म छान ल । ततपशवात‌ एक सर चीनी मिलाकर चाशती बनाए | - गरा-धरम -यह शरबत नजला व जकाम क लिय लाभपरद ह, मद बी सजन

को ठीक करन क लिए उततम ह, कबज खोलन का गण भी इसी म ह ।

शरावो की पीडा तथा मतर-जलन को ठीक करता ह । 0 पाच छटाक फल वनफशा भरावशयकतानमार गलाव शरक म चौवीम

घनट तक भिगोकर पाच भाग कर ल । एक भाग को तीन सर पानी म उबाल, पाच छटाक पानी सखन पर मल-छानकर इसम दसरा भाग डाल । जब फिर पाच छटाक पानी सख जाय तो फिर तीसरा भाग वतफशा डाल द | इस परकार जब लगभग पाच छटाक पानी रह जाए तो पाच छटाक चीनी मिला कर णरवत की चाशनी बना ल ।

सातरा एक स दो तोल तक दिन म दोनततीन बार उपयोग कर । यदि

खासी क लिए भी उपयोगी वनाना हो तो हर वार एक तोला मलठी कट कर मिलानी चाहिए ।

घीकवार क चमतकार घीकवार का पौधा भारत म विभिन‍न सथानो पर परतयक ऋत म पाया

जाता ह । इसक डठल की यदि शराढा काटा जाए तो इसम स एक सवचछ-शवत, गाढा और लसदार तरल पदारथ निकलता ह जिस खशक करक पाउडर बनाया जा सकता ह। पराय रोगो म शरकसीर का परभाव रखता ह ।

७ नतर-रोग- लभआव धघीववार तीन माश, शरफोम एक रतती--घिसकर

Page 122: Ghar Ka Vaid - archive.org

23

कनपटियो पर लप रगाना आराध सिर क दरद क निय अतयनत गणकारी ह । क गदा घीववार छठ माश, फटिकरी शवत चार रतती । अरचछी परकार

सरल करक गराख पर लप करन स आख की लाली नषट होती ह, भौर भराख

की चोट क लिय लाभपद ह । क लपराव घीवचार म तनिक पिसी फिवकरी मिलाकर रातरि समय शरोस

म रज, परात छान कर शीणी म रख ल । आख की लाली, कककर, घ घ तथा जाल आदि म दो ब द भराख म टपकाना अतयनत लाभशरद ह ।

ह) लपाव घीववार मलमल क कपड म छान ल | भरखो की लाली क लिए दो ब द डाल, शरवमीर ह । छानन क लिय काच का वरतन परयोग

कीजिए । क खाती-दमा--लययाव पीववार एक तोला भर पिसी सीठ एकः

माशा--मिलाकर उपयोग करन स तरनत लाभ होता ह । कक जआाव घोवषवार ठढ सर को किसी मलमल क सवचछ कपड म खब

जोरदार हाथी म मल कर छात शौर कलईदार पतीली म डाल । शराव पर रख कर चममच स हिलात रह | शराच घीमी होनी चाहिए। जब आधा सख जाए तो लाहौरी नमक तीन तोल वारीक कर डाल, भौर चममच स हिलात रह । जब सारा लआआबव सख जाए तो उतार ल भौर ठणडा होन पर बारीक कर रख |

मध म मिलाकर दो री उपयोग करन स सरव परकार की खासी तथा» दमा ठीक होता ह ।

की जिगर विकार झोर ततिल‍ली--धीकवार रस तीन पाव , शरजवाइन एक छटाक, नौसादर दो तोल शरीर काला नमक दो ततोल--बोतल म भर कर चार-पाच दिन धप म पडा रहन द। दिन म दो-तीन वार हिला दना चाहिए ।

वढो हई तिलली कम करन क लिए तथा जिगर शर पट की शिकायतो म छह माण म एक तोला तक दिन म तीन वार द ।

की पीववार रस एक छटाक, पिसी हलदी छह रतती--ऐसी एक-एकः मातरा परात. व साथ पीए, जिगर शरौर तिलली क लिए शरतयनत लाभपरद ह ।

क गदा घीकवार तार सर किसी काच क खल बरतन म डाल-कर इसम: शरजवाइन दो सर शलौर लाहोरी नमक एक पाव डाल शरौर छाव म रख द |

५४

Page 123: Ghar Ka Vaid - archive.org

24

दिन म दो तीन बार हिला दिया कर, जब तक कि घीकवार का रत शरजवाइन

सीख न ल ।

तीन स छह माण तक यह अजवाइन गरम पानी स सवन करना पट-दद,

वदहजमी, घल, भख न लगना तथा कबज आदि म लाभपरद ह ।

(29 जोडो का दरद -- यढा घीकवार एक स र, तीन सर गाय क दब म पकाए

कि खोबा वन जाय । इस खोए को अब थोड गाय क थी म भन ल । ततपशचात‌ गह का झाटठा चार छटाक, वसन चार छटाक दोनो शरलग-अलग घी स भरन ओर दो सर चीनी की चाशनी बनाकर हलए क समान बनाए | ऊपर स लॉग, अरजवाइन दाना, वडी इलायची परतयक छह माण वारीक पीस कर छिडक, बस हलआा तयार ह

मातरा दो स पाच तोल तक दध क साथ सवन कर ।

गणधरम--जोडो क परान दरद शरोर परानी खासी क लए विशवप रप स गणकारी ह ।

3 इदर-रोग--घीक‍वार क मोठ-मोट डठडल लकर दोनो शोर छील परोर दो-दो उगली क टकड वताए--व वजन म पाच सर हो । इनम बारीक

पिसा नमक झावा सर मिलाकर काच क मतवान म डाल शरचछी परकार हलाए और ढक कर दो-तीन दिन तक धप म पडा रहन द | दिन म दो-तीन वार हिला दना चाहिए । तलशचात‌ इसम हलदी दस तोल, दस तोल घनिया,

दम तोल शवत जीरा, पनदरह तोन काली मिरच, छह तोल भनी हीग, तीस तोल शरजवाइन, सोठ दस तोल, पिपली साढ सात तोल, लौग पाच तोल, दारचीनी पाच तोन, खील सहागा पाच तोज, अरकरररहम पाच तोल, काला जीरा दस तोल, ठाना वटी इलायची पाच तोल, छोटी हरड तीस तोल, सौफ तीस तोज, राई तीस तोल बारीक पीसकर मिलाए, लकिन छोटी हरडढ सावत ही डाल । कछ दिन पशचात‌ उपयोग म लाए ।

गरा-धरम--यह शरचार पट क पराय रोग दर करता ह। बलगम को काटता ह, भख लगाता तथा कबज दर करता ह | तिल‍नी काटता ह ।

Page 124: Ghar Ka Vaid - archive.org

5 जज

हर

25

भगर क अनभत परयोग भगरा एक भारतीत बटी ह जो पराय उदयानो, खतो तथा पानी क

निकट थाई जाती ह। इसका पौधा हाथ-भर लमबा, कभी इसस भी छोटा होता ह | इसक पतत अनार क पततो क समान परनत तनिक चौड तलसी क पततो की भाति होत ह । वीज काशनी क दीज समान परनत उनस कछ छोट । भगर क पतत सवाद म तनतिक कडव तथा तज होत ह ।

भगर क फल टहनियो क सगम पर लगत ह। जलभगरा पानी क किनार वरषा ऋत म उतपनन होता ह, काला मगरा खतो म अधिक उपजता ह । भगर की विशष पहचान यह ह कि किसी परकतार का भी भगरा हो हथली पर मलन स एक मिनट म वह सथान काला पड _जाता ह, एवत कपड पर

मलम स कपडा काला हो जाता ह । परकार--भगर की तीन परकतार ह--परथम-काला भगरा जिसक पतत,

टहनिया और फल आदि सब कान होत ह । इस परकार का भगरा पराय दलभ होता ह ।

बमरा--शवत भगरा जो साधारणत नदी वालो क तट पर पाया जाता ह, इस जल-भगरा भी कहत ह ।

तीमरा--पील फल वाला । इसकी टहनिया हरी लकिन तनिक पीलापन निय होती ह ।

इवत भगरा निमन रोगो म विशषकर लाभपरद ह € सिर-दरद--इसक पतत पीसकर सिर पर लप करन या इनका रस

नाक म वपकान स सिरदद म शराराम होता ह ।

€$ पख फी लाली--इसक पततो का रस भरास स टपकान स शाख की

लाली दर होती ह ।

(2) कान की पीप--इसका रस कात म टपकान स पीप शलाना बनद हो

जाती ह |

& दनत-पोडा--दसक पततो क पाती स कललो करना दनत-पीडा म

अतयनत गणकारी ह।

Page 125: Ghar Ka Vaid - archive.org

26

(छ गल क रोग--इसक पततो का रस शदध घी म जलाकर-खान स आवाज तथा गला साफ होता ह ।

€3 मद वा दरद-- इसक डढ पाव पतत तनिक नमक क साथ घोटकर पीन स मद का दरद, चाह वरष-भर का पराना हो, टीक होता ह ।

६) इसक पततो का रस तीन-चार बार पीन स पट क कीड मर जात ह । ६) एक मास तक इसका रस पीन और इन दिनो दध उपयोग करन स

वीय बढता ह। ६9 तवचा रोग--सावन-भादो या किसी ऋत म जब हाथ-पाव की डग-

लियो क बीच का भाग गलकर तवचा शवत हो जाय शरौर इसम स तरल पदारथ वहन लग तो इस सथान पर भगर का रस कछ वार लगान स शीघतष आराम हो जाता ह।

8 नीला थोथा (ततिया) जलाकर भगर क साथ मिलाकर खजली पर लगान स लाभ होता ह ।

ह रवत कोटद--काल भगर क पततो क रस म थोडा कपर शरौर चना मिलाकर हाथ-पाव पर मलन स शवत कोढ क धबबर ठीक हो जात ह ।

७ उदर-पीडा--भगर क पतत पीसकर और आझाठवा भाग लाहौरी नमक मिलाकर जगली बर क वरावर गोलिया बनाए, पट-दरद क लिए एक गोली पानी स उपयोग कर, तरनत आराराम होता ह। परान दरद क लिए कछ दिन तक निरनतर इन गोलियो का उपयोग कर |

0 कायाकलप चरा--यदि काला भगरा उपलबध हो तो उततम वरन‌ इवत भगर क पाचो गरग यानि--जड, टहनी, फल, पतत और बीज छाव म सपराकर शरोखली भ कटकर लोह की छलनी म छान और काच क पयाल म रख । इस पर हर भगर का इतना रस डाल कि चार उगली ऊपर तक रह, . ततपशचात‌ छाव म रख द | जब सख जाय तो इतना ही भगरा रस और डाल कर उसी परकार सखन द | इस परकार अरधिकाधिक इककीस तथा कम स कम सात वार यही करिया कर |

शरव इस आठ तोल चरण स चार तोल आवला, दो तोल चरण बहडा और 'एक तोला चरण हरइ मिलाए और मीठ वादाम रोगन म गघ कर वरावर वजन चीती मिशरित कर ल । ९

Page 126: Ghar Ka Vaid - archive.org

[27

गण-धरम---जिस वयकति क वाल असमय शवत हो गए हो वह छहमाश ह चरो दध क साथ उपयोग कर | एक सपताह पशचात‌ चरण की मातरा नौ

माशा स एक तोला तक कर दनी चाहिए । पर चालीस दिन उपयोग करन स बालो का रग बदलना आरमभ होगा, शर पौरप-शकति बहत बढ जायगी ।

(३ कोढ-ताइक--भगर का पीधा उखाड कर छाव म सखाए शरौर पीकष कर इस चरण को भगर क रस म सात वार सोख भौर खशक कर चरए बना ल ।

मातरा एक तोला।

नीम क चमतकार क वालझड--यदि किसी कारण सिर क वाल भझबन लग, परनत अभी

अरवसथा बिगडी न हो तो नीम और वरी क पततो को पानी म उवालकर बालो

को घोना चाहिए | इसस वालो का भडना रक जाता ह, वाली की कालिमा कायम रहती ह शनौर थोड ही दिनो म वाल खब लमब होन लगत ह, इसम

जए भी मर जाती ह ।

क नतर-खजली-नीम क पतत छाव म सखा ल और किसी वरतन म

डालकर जलाए । जयोही पतत जल जाए, वरतत का मह ढक द । बरतन ठडा

होन पर पतत निकाल कर सरम की तरह पीस ल | शरव इस राख म नीव का

ताजा रस डालकर छह घणट तक खरल कर भौर खशक होन पर शीशी म

रख | दनिक परात व साय सलाई दवारा सरम क समान उपयोग कर ।

क शराखो का शर जन--तीम क फल छाव म खशक कर वरावर वजन

कलमी शोरा मिलाकर वारीक पीस ल शोर कपडछन कर, शर जन क रप म

4 रातरि को सोत समय सलाई दवारा उपयोग कर, नतर-जयोति बढाता ह ।

(.. & कान वहना--नीम का तल गरम कर इसम सोलहवा भाग मोम डाल, जब पिघल जाय तो आच पर स उतार कर इसम शराठवा भाग चरण फिटकरी

(खील) मिलाकर सरकषित रख । यदि कान बहना वनद न होता हो तो इस

दवा को अवशय शराजमाए ।

नीम का तल नीम क फल की गिरी स निकाला जाता ह। बादामरोगन

निकालन वाली मशीन दवारा निकाल ल । यदि नीम की गिरी समय पर न

Page 127: Ghar Ka Vaid - archive.org

268

मिल सक तो नीम क पतत कटकर रस निकाल कर पततो समत तल म जला

ल । पानी जल जान पर तल साफ कर रस ल ।

() कान स घाव- यदि कान म घाव हो जाए तो बडी कठिनाई स ठीक

होता ह । इसक लिए निमन नसखा अतयनत लाभपरद सिदध हझा ह --

नीम क पततो का रस तीन माण, घदध मध तीन माण । दोनो मिशरित कर तथा थोडा गरम करक म दो-चार ब द टपकाए, कछ ही दिनो म घाव

ठीक होकर सवासथय लाभ होगा ।

€) नजला-जकाम--नीम क पतत एक तोला, काली मिरच छह माण--

दोनो नीम क ढड स कट शरीर एक-एक रतती की गोलिया बनाए । इन गोलियो

को छाव म सखाकर शीशी म रसना चाहिय । तीन-चार गोलिया परात व साय गरगन पानी क साथ उपयोग कर,

नजला-जफाम क लिए उततम ह ।

€3 दनत-मजन---नीम की निमोली एक तोला, लाहौरी नमक एक तोला, खील फिटकरी एक तोला--तीनो वारीक पीस कर मजन क रप म दातो पर मलिए, दनत-पीडा क लिए विशषकर लाभपरद ह, दात मोती क समान चमक उठत ह ।

(३ क--दो तोल नीम क पतत आथ पाव पानी म ठणडाई क समान घोट- छान कर रोगी को पिलाए, सभी परकार की क रक जाती ह ।

€9 परान दसत--नीम क वीज की गिरी एक माशा म थोडी चीनी मिलाकर उपयोग करन स परान दसत बनद होत ह । आहार कवल चावल ही रख।

() वारी का जवर--नीम की भीतरी नरम छाल छाव म यरणकर कर वारीक पीम ल और एक-एक माशा पानी क साथ दिन म तीन बार उपयोग कर| तीन दिन म ही दवा जाद का काम करती ह परथा बारी का जवर फिर नही होता ।

(७ नीम क परचाग जलाकर वततीस गना पानी डालकर एक घट म रख शरौर दनिक हिलात रह | तीन दिन पशचात‌ पाती निथार कर कपडछन कर भरौर लोह की कडाही म डालकर शराच पर रख। जब सारा जल सख जाए

Page 128: Ghar Ka Vaid - archive.org

29

और नमक जसा पदारथ वाकी रह जाए (यह नीम का कार ह) तो इस णीशी म मरकषित सस ल ।

मातरा--आधी स एक रकती तक। सरव परकार क जवर, विशषकर मलरिया की अरचक औपधि ह । दिन म तीन-चार बार उपयोग की जा सकती ह ।

69 जवर-तोइ---आवी छटाक नीक क हर पतत और दो ढान काली मिरच--दोनो शराघ पाव पानी स घोट कर तथा छान कर पीन स बारी का जवर ठीक हो जाता ह, यह एक अतयनत भरोस की दवा ह ।

&) नीम क ताजा पतत एक तोला, शवत फिटकरी छह माश--दोनो चारीक पीस कर पानी दवारा चन क वरावर गोलिया वना ल । दनिक तथा वारी स चढन वाल सरच परकार क जवर ठीक करन म चमतकारी ह ।

& पराना जवर--इककीस नीम क पतत और इककीम दान काली मिरच-- दोनो की मलमल क कयड म पोटली वॉधकर आरावा सर पानी भ उबाल, जब

पानी चौथाई भाग रह जाए तो उतार कर ठणडा होन द, परात व साय पिलान स निमदय ही लाभ होगा ।

€छ तपदिक फा वढिया इलाज--छिलका नीम दो सर, शावल की जड दो सर, पराना गइ चार सर, हरड, भॉविला, बहडा परतयक शराधा सर, सौफ शथराधा सर और सोए आवा सर--समसत सामगरी मजबत वतन म बनद कर गरीपम ऋत स पाच दिन और शरद‌ ऋत म वारह दिन तक किसी गरम सथान पर--ह या भस म रख । तदपणचात‌ दो बोतल अर निकाल ।

साना--पहल दिन एक तोला, दसर दिन डढ तोला तथा तदपणचात दो तोल तक रोजाना गलाव अरक क साथ पिलाए |

यह नचचा एक सन‍यासी साव स परासत हआ ह । ६3 गरमी का जवर--पराय जवरो म शरीर विशषकर गरमी क जवर स

पयास बनद नही होती । ऐसी सथिति म नीम की पतली टहनिया (पततो रहित) लफर पानी म डाल और थोडी दर पशचात‌ यह पानी रोगी फो पिलाए, तरचत पयास को झाराम होगा, घवराहट दर होगी शरौर जवर को लाभ होगा ।

». (६ पट क कीड--दो तोल नीम की छाल एक सर पाती म पकाए, चौथाई भाग पानी रहन पर मल कर छा और परात व साय पी लिया कर । इसम पट क कीढ सर जात ह और फिर नही होत ।

Page 129: Ghar Ka Vaid - archive.org

30

ह वदि पट म वीड पड जाए तो नीम क पततो का रस दो-तीन दिन पिलाए, कीड मर कर निकल जाएग। तदपशचात‌ दो-तीन दिन कतई का बभा हआ पानी पिलाए, दोबारा पट म कीड नही पटग।

(2 बबासोर-- नीम क घीज की सिरी एक तोला, घधरक क बीज की गिरी एक तोला, रसौत एक तोला, हरइ (गठली रहिर) तीन ततोवा--कटकर

ऋपडछन कर ।

छह-छह माणा परात व साय टठणड दध या पानी क साथ सवन कर, अरवणय लाभ होगा ।

63 कबज नाइक गोलिया--पाच तोल विदयदध रनौत, काली मिरच दो तोल शरीर नीम क बीज की गिरी पाच तोल--समसत सामगरी मीसकर नीम क पततो क सम म घोट ल। शरचछी परकार वारीक हो जान पर काबली चन क बनावर गोलिया बना ल ।

एक गोली परात ताजा जल स उपयोग कर तथा एक गोली पानी म घिस- कर शौच-निवतति पर मसमो पर लगाए । थोड दिनो म ही बवासीर स छट- कारा मिल जाएगा |

8 नीम की गिरी एक छटाक, शदध रसौत एक छटाक--दोनो भरचछी अकार कटकर मिलाए और जगली बर क वरावर गोलिया बना ल। एक गोली दनिक परात पानी क साथ एक मास तक निरनतर उपयोग कर, बवासीर को आराम होगा ।

७ पयरी--नीक क पतत जलाकर साधारण विधि स कषार तयार कर-- दो-दो माश ठणड जल स दिन म तीन वार उपयोग करन स गरद शरौर मचाणय' की पतथरी ठीक होती ह । ध ध

. कक खजली--नीम की नरम कोपल, ढाई तोल दनिक ठणडाई क रप म घाटकर पीन स खजली दर होती ह ।

9 वढिया मरहम--रवत विकार क कारण पराय फोड-फनसिया निकलती नहती ह शर कई वार«य इतनी विगड जाती ह कि ठीक होन म नही आती । इस शरकार क गनद तथा विगड घाव साफ करन क लिए नीम क पततो की एक मरहम वनाई जाती ह जो कभी शरसफल नही होती । विधि इस परकार ह ---

चीम क पतदह तोल पतत वारीक कटकर टिककरया बनाए और इनह पदधह

Page 130: Ghar Ka Vaid - archive.org

43]

मो, जोकि तानन बन म इतना गन‍म दिया हो हरि सल का (बरशा उसम लग, म डाल दो ओर जब टिवरया सल म जनकर काली पड जाए तो लक गराच पर स उतार पर उणडा होन द । ततवशयात‌ तव तथा

जननी हई टिकिया एकटट ही घीट ल--इस परकार यह नीम की एक अशरतपसत चडिया मगहम बदन जायगी | उसक पशयात‌ झह मारी बर पीस झर उसम मिलविव कर शरीर मनहम यो शीशी आझादि भ सरकषित रख ल ।

क मा फा दध बनद फरना--जब किसी सतरी का नन‍हा वचचा मर जाता ह तो दध अधिकता स निकलन लगता ह | इस कारण कई बार अरतयधिक कमजोरी हो जाती ह, सतनो म भी सजन हो जाती ह | ऐसी सथिति म नीम की गिरी पावी म घोटकर सतनो पर लप करन स दध सस जाता ह शलौर निकलना बनद हो जाता ह | सजन भी ठीक हो जाती ह ।

(छ सतन-घाव--दध पिलान वाली सतरी क सतनो पर करड घार सजन होकर घाव हो जाता ह । इसकी सगम चिकितसा यह ह कि नीम क पतत छाव म सनाकर किसी बरतन म डाल शौर जलाए। जल चकन पर ततकाल ही वरतन

_ का मह ढक दीजिए । जब बतन ठणडा हो जाए तो निकाल कर पीस लीजिए।

च व

अरव तल सरसो एक छटाक आच पर खब गरम कर। फिर नीम क पततो की यह आधी छटाक राख इसम डालकर नीच उततार शर नीम क डणड दवारा एक घणट तक खब घोटिए । इस मरहम स सतन-घाव या किसी परकार क घाव को चयडकर ऊपर स नीम क पततो की राख डाल दीजिय, दो-तीन दिन म गहर-स-गहरा धाव भी भरन लगगा ।

क फपट दायक मासमिक-घरम--पराय महिलाओो को मासिक-धरम कषट क साथ और दक-छफकर शराता ह । शारीरिक रप म तनिक भारी सवियो को यह

'कपट परायः ही रहता ह । यदि मासिक-घरम कषट क साय जाघो म भी पीडा

हो तो ऐसी सतरियो को पराय. गरभ भी नही ठहरता, ठहर भी जाए तो गरभपात

ही जाता ह । इसकी चिकितसा इस परहार कर नीम क पततो का रस छह माश तथा अदरक रस एक ततोला--दोनो मिशरित

कर रोगिशणी को पिलाए, तरनत पीडा को आराम होगा । मासिक-घरम की

परवधि म द निक उपयोग करना चाहिए तथा ठणड और खटट पदारथो स परहज करना चाहिए । यदि सतरी शारीरिक रप स भारी हो तो मासिक स निवतति

Page 131: Ghar Ka Vaid - archive.org
Page 132: Ghar Ka Vaid - archive.org

433

६9 खनी थक--यकर म जन आता हो तो थोड बदबन क पतत घोटकर आत व साय पिलाना अतयनत लाभगरद ह

€ह) दद-सतर-ववल क पतत एक तोला, गोखर एक ततोला, कलमी शोरा छह माम--पानी म घोटकर पिलान स रका हआ मतर ततकाल खल जाता ह

(ह दिल घडकता- जिस वयवित का दिल तनिक स शोर इतयादि स घडकन लगता हो उस सवदा अतयनत कीमती शरौपधिया उपयोग कराई जाती ह, इसलिए निरवनो को वडी परशानी होती ह । लीजिए एक अतयनत सगम तथा मफत का टोटका यहा दिया जा रहा ह जोकि बडी-बडी कीमती शौपधियो क वरशावर परभाव रखता ह ।

बबल क पतत रात भर पानी म भिगो रख और परात अक' निकाल ल । मातरा पाच स दस तोल ततक पीए ।

ह) पीलिया--इस रोग म शरीर पीला पड जाता ह । पीलापन पहल आखो और फिर नाखनो और मतर म दषटिगोचर होता ह और ततपशचात‌ सार शरीर स । वासतव म यह रोग जिगर म पितत और गरमी बटन स उतपनन होता

ह जिसक कारण रकत की रगत पीली हो जाती ह । () छाव म सखाई एक तोला ववल की फलिया आधा सर पानी म

ठडाई क समान घोटकर तीन तोल कजा मिशरी मिलाकर कछ दिन तक दनिक पिलान स आराम हो जाता ह ।

(2) छाव म सखाए वबल क फल खरल म पीसकर वरावर वजन मिशरी या लाल शककर मिला ल ।

छह माशा स एक तोला तक परात ताजा जल स सवन कर, पीलिया

बहत शी तर ठीक होगा ।

कलएजाक--वबल क फल दो तोल मिटटी क कसोर म (जोकि कोरा हो )

डालकर पराव भर पानी म भियोए और परात. मल-छान कर दो तोल कजा

मिशरी मिलाकर पिलाए, कछ ही दिनो म लाभ होगा ।

4 खनी दसत--वदल क परत एक तोला पानी म घोटकर पिलाए,

सरव परकार क दसत विशषकर खनी दसत शरतिया बद हो जात ह ।

क परमह व शीलपात-वतल की कोपल छाव ५म खशक कर बारीक

Page 133: Ghar Ka Vaid - archive.org

34

कट ल शरौर बरावर वजन चीनी मिलाकर पाच माश परात निराहमर ताज जल

स सवन कर | यदि दसत आात हो तो व भी इसस सरकर जात ह । ह) लिकोरिया--ववल की नरम कलिया जिनम शरभी बीज न पढ हो,

परमह, सवपनदोप, शीघरपात तथा लिकोरिया की भरतयनत लाभपरद गरौपधि ह. ।

इनह छाव भ सखाकर शरौर कट-छानकर चण बनाए शरौर वरावर वजन चीनी मिलाकर परात निराहार दध या ताजा जल स सात माश उपयोग फर।

पीपल क चमतकार प

&& सजाक--पीपल क वकष की छाल ऐक छटाक कटकर आधा सर : पानी मिलाकर पकाए, शराधा पानी जलन पर मल-छानकर एक तोला मिशरी

मिलाकर पिलाए । यदि मिशरी न मिल सक तो बिना मिशरी ही पिलाए सजाक ठीक होगा ।

गरम भौर कबवजियत वाल पदारथो स परहज कर । & दमा--पीपल क फल छाव म सखाकर तथा पीसकर शर वरावर

वजन दशी चीनी मिलाकर पिलाए । मातरा छह माश स एक तोला। दो सपताह तक उपयोग कर । लाल

भिरच, तल तथा अरचार स परहज कर। क पट फो जलत--पीपल का फल छह माशा स एक तोला तक ठडाई

क रप म घोटकर तथा काली मिरच मिलाकर पिलाए, पट की जलन एक वार पिलान स ही ठीक हो जायगी ।

क हिचको--पीपल की लकडी क कोयल बनाकर पानी म बभाए भरौर पानी रोगी को पिलाए - हिचकी तरनत बनद हो जाएगी । कछ दिन तक दिन म दो-तीन वार पिलाना चाहिए ।

ह हाथ पाव फटन को चिकितसा--यदि हाथ-पातर फट जाए तो पीपल गइया रस लगाए, एक वार लगान स ही आराम होगा ।

(9 खासी--पीपल क पततो छाव म खशक कर शरौर वारीक पीसकर तनिक गोद मिलाकर पानी स गोलिया बना ल। य गोलिया मह म रखकर चमन स खासी ठीक होती ह।

Page 134: Ghar Ka Vaid - archive.org

ह हि 435

कक पट-दर-. पीपल क दो पतत पीसकर गड म लपटकर खान स पट- दरद ठीक होता ह !

की हता--पीपल की छाल जलाकर ताजा जल म बझाए और जल को कोर घड म रख ताकि ठडा रह । यह जल एक-एक घट पशचात‌ थोडा-थोडा पिलाना हज क लिए अरकमीर ह । इसस रोगी की पयास भी शात होती ह, सवासथय भी तरनत समभल जाता ह ।

की तीतर पयास--पीपल का छिलका दस तोल घड क पीन वाल जल म डाल और यह जल पिया कर । पयास की तीकता दर होती ह।

€ खनी ववासतोर--पीपल की लकडी क अगार वरतन म बद कर कोयल बनाकर वारीक पीस ।

एक-एक तोला परात व दोपहर तथा साय वासी जन स उपयोग करन स बवासीर का खन तो पहल या दसर दिन ही बद हो जाता ह परनत दीरघ लाभ क लिए एक दो सपताह शरपनी शकति-परनकल दिन म एक-दो वार इस शरौपधि का उपयोग करत रह । इस शरीपधि स कवजियत दर होती ह, भख खलती ह, शरौर बवासीर दर होती ह।

क लिकफोरिया--पीपल का गोद वारीक पीस शौर छह-छह माश की पडिया बना ल । दनिक एक पडिया परात ताजा दध स उपयोग करन स परथम दो-चार दिन म ही लाभ होगा वरन‌ सात-भराठ दिन म तो रोग नितात

नषट हो जाएगा । इस चमतकारी नसख को महिलाए शरवशय शराजमाए ।

क दम को सरवोततम घिकितसा--पीपल क पक फल छाव म सखाकर तीन-तीन माश परात व साय ताजा जल स उपयोग करन स सरव परकार का

दमा दर होता ह । ॥

वाझपन को परनमत चिकितसा-यह चरण पिछल वरष एक दरजन

ऐसी वाभ सतरियो को, जिनक गरभाशय की बनावट व सथिति विकार रहित

थी, मासिक धरम झान क पशचात‌ एक तोला परात दनिक गाय क दध स दो

सपताह तक उपयोग कराया गया--छह सथियो को उसी मास गरभ रह गया,

दो को दसर मास और दो को तीसर मास गरभ रहा । यह एक ऐसी सफलता

ह जो पराय सकडो रपय की विलायती शरौर यनानी शरौपधियो क उपयोग स

भी परापत नही होती ।

Page 135: Ghar Ka Vaid - archive.org

36

चरण पीपल का पका फत छाव म सखाकर चरण बना ल और नौननी

माशा परात व साय गाय क गनगन दध स उपयोग कर ।

&9) परमह व सवपतदोष--उपरोकत चरण पीपल-फल परमह व सवपतदोप

की भी अचक औपधि ह। इसक अरतिरिकत यह चरण अतयनत पाचनवदध क तथा

कठजनाशक भी ह ।

(3 पराता सजाक--भराजकल पशचिमी दशो क समान भारत म भी सजाक

रोग बढ रहा ह। नए फशन क कारण साठ परतिशत यवक इसका शिकार ह।

निमन नसखा इस रोग म भरसक सफल रहा ह वकष पीपल की छाल (जड की छाल हो तो सरवोततम) एक तोला, कल

का तना कटकर तीन पाव रस निकाल और इस रस म पीपल की छाल उवाल

आधा रस रहन पर मल-छानकर तथा ठडा होन पर उपयोग कर। मनन-जलन

जो किसी शरौपधि स ठीक न होती हो, इसकी दो-तीन मातरा स दर हो जाती ह धौर दस-पनदरह दिव तक निरचतर उपयोग करन स सजाक नषट हो जाता ह । परनत इस बीच शराहार कवल दध या दध क चावल रह तथा मास, अरड शरीर

दसर गरम पदारथो स परहज किया जाए शरौर न ही सतरी परसग हो ।

बरगद क चमतकार

(क अदभत उपहार--वरगद का नितात पका हआ लाल रग का फल वकष स उतारिय (धरती पर गिरा हआ न ल तथा उस लोह की किसी चीज स न छए) और कसी कपड पर फनाकर छाव म सखाइय । हवादार सथान पर सखाना चाहिए भरनयथा विगड जाएगा । सखन पर हाथो स खब मसल लीजिए या खरल म वारीक कीजिए शरौर बरावर वजन कजा मिशरी वारीक करक मिला ल ।

छह-छह‌ माशा परात व साय गनगन दध स उपयोग करन स चहर का

वही रग हो जाता ह जो वरगद क फल का होता ह ।

जिनह शीघकरपात की शिकायत हो उनक लिए यह चमतकारी शरौपधि ह ।

शीघरपात इसक उपयोग स ठीक हो जाता ह । वीय विकार नषट करन क लिए यह एक परदभत शरौपधि ह । वीय म सतान उतपनत करन वाल ततव उतपनच कर

Page 136: Ghar Ka Vaid - archive.org

37

गरभ सथित करन का इसम गण ह । कवल वीय की कमजोरी क कारण जिनक यहा कमजोर सतान होती हो व पति-पतनी दोनो तीन-चार मास तक इस ओपधि का उपयोग कर, शरतिया बलवान, गोर रण की सतान होगी, तथा अससी परतिशत लडका ही होगा ।

| परष रोग--अपन हाथो अपन वीय का सरवताश करक उभरत यौवन म ही वदधो स भी निकषट हो जान वाल यवक या व वदध जो दोबारा जीवन और शकति की झरावशयकता शरनभव करत हो, दढ निशचय स निरतर इस नसख का उपयोग कर---

वरगद की कोपल कटकर आधा सर पानी म पकाए, शराध पाव पानी रहन पर इचछानकल चीनी विलाकर परात व साय पीए | यदि तिरतर उपयोग किया जाए शर सयमपवक रहा जाए तो मास-भर न ही परिवरतन हो सकता ह। सवसथ लोग भी इस औषधि स भरसक लाभ उठा सकत ह । कमजोरी, मिढालता तथा परमह क रोगियो क लिए एक उपहार औषधि ह ।

यदि कोपल न मिल तो पतत भी काम म लाए जा सकत ह | सख पततो व सखी कोपलो स भी काम ल सकत ह | सख का वजन एक समय क लिए एक तोला परयापत ह। यह पीन क पशचात‌ जब तक खब भख न लग कछ न खाना चाहिए ।

(कायाकलप चरया--तरगद क वकष का ताजा और नरम छिलका छाव म सखाकर वारीक पीसकर कपडछन कर और इसस आधा वजन चीनी मिलाए ।

“छह-छह माश परात व साय गरम दघ स मवन' कर, वीय बढता ह तथा पहल 'स- सवचछ तथ। बढिया होता ह | वीय का पतलापन तथा सवपनदोष

शरादि रोग ठीक हो जात ह । नया ओर सवचछ रकत बनता ह, दवला शरीर

, भरत लगता ह। समरण-शकति उन‍नत होती ह। सौ-सौ, दो-दो सो रपय तोला वाली शरौपधियो की वजाय जो लोग शरायरवदिक शरौषधचि का चमतकार दखना चाहत हो, व इस औपधि को अवशय शराजमाए ।

क परमह--वरगद क पाच तोल पतत तीन सर पानी म उबाल, आधा सर पानी रहन पर मघ मिलाकर परात व साय पीए, शीघर-पात तथा वीय

विकार क लिए लाभपरद ह। ह

Page 137: Ghar Ka Vaid - archive.org

38

क वीय-विकार- वरगद की नरम व लाल कोपल (सखी) एक जा शरौर इसका लाल फल (छाव म सखाया) दो भाग, कजा मिशरी दोनो वसतओ

क वजन वरावर ।

विधि बरगद की कोपल शरौर फल कटकर मिशरी मिलाए शरौर काच क बरतन म रख ।

मातरा एक तोला दनिक परात, डढ पाव गाय क दध स तीन-चार सपताह तक उपयोग कर ।

& वरगद हयर शरायल--जो लोग वाल लमब व घन करना चाहत ह, . या जिनक वाल कमजोर होकर गिरन लग ह, या शवत होन लग ह, व बरगद का तल वालो म लगाया कर ।

विधि वरगद क पतत पानी स घोकर क डी-ढणड या सिल-बटट स रगढकर निचोड शौर रस निकाल | इस रस क वबरावर वजन शदध तल सरसो मिलाकर धीमी झाच पर पकाए । जब रस जलकर कवल तल वच रह तो उतार ल ।

क भगदर--वरगद क दध म फाया तर करक भगदर पर लगाना चमतकारी चिकितसा ह |

वचचो फ हर दसत--वताश म एक य द बरगद का दध डालकर उपयोग कराए, पहली ही मातरा स लाभ होगा | तीन दिन क उपयोग स भरसक लाभ हो जाएगा । दनिक दो तीन-वार द ।

क उततम चाय-वरगद क परतयक माग को उवालन पर चाय जसा रग पदा होता ह जिसम दध शामिल किया जा सकता ह। परनत जो दोप साधारण चाय म पाए जात ह व इसम नही ह । यह चाय शकति व सफतिदायकर ह भौर नजजला-जका म की एक बढिया शोपधि ह |

बरगद की नरम कोपल जो सवत वकष स गिर पटती ह, या वरगद क नरम पतत तथा नरम दाढी शरादि का उपयोग अतयनत उपयकत ह, इसलिए उचित ह कि इनकी ऋत म इनह इकटठा करक छाव म सखा लिया जाए और किसी डिबतर म सरकषत रखा खाए ।

Page 138: Ghar Ka Vaid - archive.org

39

ह) भरवसीर लिकोरिया--वरगद की दाढी चार सर कटकर पानी म शतरि-भर भिगोए। परात पाच तोल रसौत मिलाकर धीमी झराच पर पकाए । एक सर पानी रहन पर उतार और मल-छानकर रख । थोडी दर इसी परकार पडा रहन द, फिर निधारकर दोबारा झराच पर चढाए और सखाकर चन क बरावर गोलिया बना ल ।

एक गोली दनिक ताजा जल स उपयोग कर । इलाज कम-स-कम एक सपताह तक करना चाहिए ।

क हिचा--एक तोला वरगद का सखा छिलका शराधा सर पानी म

पकाए, आधा पाव पानी रहन पर छात और एक तोला सधा तमक मिलाकर

परात. व साथ सवन करन स हिचकी बद होती ह ।

६ पलवरी--वीस तोल मथीलटिड सपिरिट म एक तोला हलदी कटकर डाल और बोतल भली परकार बद कर तथा हिलाकर रख द | वारह घट पशचात‌ सपिरिट' निथारकर पथक कर ल शर गाद फक द । इस पील रग की सपिरिट म पाच तोल बरगद का दध कपडछन करक मिलाए भौर दिन म दो-चार बार रई दवारा फलवरी क धवबो पर लगात रह ।

क मतर म खन आना--व रगद क दो तोला ताजा परतत शराघ पाव पानी : म रगड और छातकर परात वसय पीन स मतर म खन आना बनद हो: जाता ह । |

क माका दध बढान की विधि--वरगद क पक फल ठारीक पीमकर”ः कपडछन कर ।

शक-एक तोला परात व साय गरम दध स उपयोग करन स सतनो मल बचच क लिए परयापत दध उतपनन हो जाता ह ।

& खजजली--वरगद क झावधा सर पतत कटकर चार सर पानी म राशरि- भर भिगो रख । परात पकाए, एक सर पानी रहन पर मलछन कर तथा ठडा

होन पर इसम झावा सर सरसो का पतल मिलाए और दोवारा झराच पर रख । जब पानी जलकर कवल तल- बच रह तव छान ल ।

इस तल की मालिश स खशक व तर खजली दर होती ह ।

<क हज को चिकितता--वरगद, क- ताजा परतत दो तोला, लॉग सात

Page 139: Ghar Ka Vaid - archive.org

40

दान । दोनो को शराघ पाव पानी म घोटकर तथा छानकर शराव-आध घट की शरवधि म उस समय तक पिलात रह जब तक कि लाभ न हो जाए ।

लौग क विना भी वरगद क पतत इस परफार उपयोग करना लाभपरद ह । खनी वचातोर--वरगद क ताजा पतत दो तोला शराव पाव पानी म

घोट शरौर छानकर परात व साय उपयोग करना सनी बवासीर म लाभपरद ह । खन का शराना तो इसकी एक-दो मातरा स ही बनद हो जाता ह, कछ समय तक निरतर इसका उपयोग बवासीर को बिलकल ठीक कर दता ह ।

सरस क चमतकार माल लक नम पक कह कक: 64 मरममत सिर-द व नजला--सरस क वीज कट कर कपडछन कर और

तनिक-सा नसवार क रप म जोर स स‌ थ ताकि मसतिषक तक चढ जाए, इसस छीक आएगी शरौर नजल का रका हभा गनदा दरवय वह कर सिर का भारीपन ठीक हो जाएगा ।

क दत-पीडा--यदि दात म पीडा हो तो सरमक वीज भौर काली मिरच बराबर वजन पीसकर दातो पर मजन क रप म मल , पीडा को तरनत शराराम होगा ।

क खनी ववासीर--सरस क वीज की गिरी कट कर ट कर एक-एक माशा शरात व साय वासी जल स उपयोग कर, बवासीर का खन कछ ही दिनो म बनद हो जाएगा । कबज करन वाल तथा तज पदारथो स परहज रख | क पट क कोड-यदि पट भ कीड हो तो चार सर सरस क पततो म छह सर पानी मिला कर दो आतिशा शररक निकाल । शराधी छटाक यह शररक दनिक उपयोग करन स पट क कीड मर कर बाहर निकल जात ह। यह भरक रकत-शोधक भी ह, खजली झौर रकतपितत शरादि को ठीक करता ह। ह वीय-पोषटिफ--सरस क वीज की गिरी तीन तोल, लाल शककर छह तोल । दोनो बारीक कर नौ-नौ भाशा दनिक गाय क दध स परात व साथ उपयोग कर, चीय अतयनत गाढा हो जाएगा ।,. 7

Page 140: Ghar Ka Vaid - archive.org

दी

परणड क चमतकार

&9 सखद परसव--एरणड क एक तोला सख पतत आधा सर पानी म उवाल, झराध पाव रहन पर छात और एक तोला गाय का घी तथा एक तोला

गड मिलाकर गरम-गरमभ पिलाए, परसव शीघर और कषटरहित होगा ।

क परवतीर हना--एरणड क एक तोला सख पतत शलोर दो माश काली मिरच शराघ पाव पानी म घोटकर तथा छानकर दो माश नमक मिलाकर रोगी को पनदरह-पनदरह मिनट की शरवधि म एक-एक तोला उपयोग कराए, शतयनत

गणकारी परमाणित होता ह । क परवतीर भगदर--पाच माशा एरणड क सख पतत पीसकर परात व

साय पानी स उपयोग कर ।

(| भरसतोर फववरी--छह-छह माशा एरणड क सख पतत पानी म घोट कर परात” व साय लप करन स फलबरी दर होती ह ।

क मानसिक-वल वढदध क--एरणड क ताजा पतत कट कर शराधा सर रस निकाल । इसम एक सर गाय का घी ढालकर घीमी शाच पर पकाए। जब एरणड-रस जल जाए और कवल घी बच रह, शराच स उतार ल शरौर ठणडा होन पर छान कर शीशी म रख।

परात व साय यह एक तोला घी गाय क गरम दध म डालकर उपयोग कर, मानसिक कमजोरी क लिए लाभपरद ह ।

4 फमजोर मतनाशय--यददि मतराशय कमजोर हो या शरधिक मतर भराता हो तथा रातरि समय सोत म मतर निकल जाता हो तो चार-चार माशा परात ज साय एरणड क पिस पततो पानी स उपयोग करना शरतयनत गणकारी ह ।

छ पलग--5ह-छह माशा एरणड क पतत वारीक पीसकर परात दोपहर

भौर साथ गरम दध स उपगरोग करना पलग क लिए लाभपरद ह ।

क पाचन-वरद क--एरणड क सख पतत पाच तोला और चीनी दस

तोला--दोनो वारीक पीसकर कपडछन कर । दोनो समय भोजनीपरात छह-

छह माशा सवन करना खटटी डकार और अजीरण दर करता ह ।

Page 141: Ghar Ka Vaid - archive.org

42

6 नीद की शरधिकता--यदि नीद अधिक शराती हो तो एरणड क सख

पतत वारीक पीस, चार-चार माण परात व साय पानी स सवन बर, नीद

अधिक नही आएगी । बज नल >ी॥ अन‍ओ5 अलऑल ऑऑिडलड ह

असगध क चमतकार

यह एक परसिदध वटी ह। इसक एफ ड स दो इच तक लमब तथा

चौथाई इच म ठ टकर वाजरा म मगमता स उपलबध ह। आउवद म एस रसायन कहा गया ह। सथाद म कडबी, भस लगान झलौर बज दन बारी बटी ह ।

६) रफत-शोधक चरो--परमगध शरीर चोवचीनी दोनो बरावर वजन झठ चरण बनाए । मातरा मध म छह माशा मिलाकर चटाए ।

गण घ--रकत विकार दर कर बहत शीघर रकत साफ करता ह। रकत “विकार स उतपनत रोग, दाद, चचल और खजली आदि क लिए शरतयनन गण- कारी ह । रकत-णोवक क लिए ऊबज नही रहनी चाहिए, शोर यह चरण ववबज- नताशक भी

0 ऊछलह दा दद--चर शरमगध नागोरी म इचछानकल शककर क‍रौर गाय का घी मिलाए और रोगी को एक तोला दनिक चटाए, कछ दिन क उपयोग म कलह का दरद ठोक हो जाएगा ।

६ पतथरो-- निमन नससा पतथरी को घलाकर मतर रप म खारिज कर दता ह।

असगध नागोरी की जड कट-पीस कर चरण बनाए और रोगी को छाछ

क साथ नौ काश सवन कराए, थोट ही दिनो म पतथरी खारिज हो जाएगी । 0 चमतसारी रसायन-यह रसायन न कवल परमह म ही गणकारी ह

'चलकि शी घरपात, सवपनदोप और मतर का बार-बार शराना, हदय का घडकना ' शरोर मालीखोलिया तथा शरनय बहत-स रोगो क लिए भी भरकसीर ह ।

नसखा--असगध नागरोरी कट कर चरण बनाए और वरावर वजन चीनी मिलाकर रख ल ।

सवन-विधि--छह गराम दनिक परात ठणड पानी स चालीस दिन तक सवन 'करन पर इसका चमतकारी परभाव परकट होगा, अतयनत अदभत शरौपधि ह ।

ह5.. नए »$5.. बऔपक

Page 142: Ghar Ka Vaid - archive.org

43

& कवज नाशइक--तजला-जकाम की तरह कबज अनक रोगो की मादठ।

इसक कारण सकडो दसर रोग रोगी को दबोच लत ह, इसलिए शी घरातिशी शर

छटकारा पाना चाहिए । इसक लिए निमन नसखा उपयोग म लाना लाभपरद

होगा--

परमगध नागौरी कठ-पीस कर चरण बनाए और दनिक रातरि को सोत

लमण गाय क दध स तीन माशा सवन करन स परात शौच ठीक होगा ओर

कबज जाती रहगी । हि *

| पान चिकितसा रह

यह) ज क

& गल पडता-गरम भोजन करन क साथ ठडा पानी पीन स पराय

यह विकार हो जाता ह । वयसको की अपकषा बचचो को यह अधिक होता ह ।

निमन उपचार करना गणकारी ह -

रातरि को सोत समय पान म एक माशा चरण मलठी रखकर ऊ समय

चवात रहन क पशचात‌ वस ही मह म रख मो जाए, परात तक आराम हदो

जाएगा, एक चमतकारी वसत ह ।

& परानी खासी--यदि परानी खासी हो तो पान क दो-चार पतत गरम

करक और गनगन तल स चषड कर गल पर बाघ दीजिए ।

क परडकोप विकार--अडकोपो म पानी उतर आए तो परारम

भ म चार-

पाच पान (बगला पान उततम ह) गरम कर तीन-चार दिन तक निरनतर

वावन-स पानी सोखन म सहायक होता ह | पान बाधन स शरडकोपो म गरमी

शरौर सजन हआ करती ह। यदि यह गरमी और सजन झसहनीय हो तो एक-

दो दिन वपान घना ही काफी होगा, परलत निरनतर बाघत रह जब तक कि

अडकोपो का पानी विलकल सख न जाए | यदि अरढकोप सज जाए और उनम

पीडा हो तो ऐसी सथिति म गनगना पान बाधन स लाभ होगा !

क पसली का दद--वचचो को जकाम हो; सास सीचकर शरान लग

तथा छाठी शरौर पसलियो म दरद होन लग तो पान गनगन तल म चपठकर

“दरद क सथान पर रख, ऊपर स करछ पात गरम करक रख द भौर पटटो वाघ ।

Page 143: Ghar Ka Vaid - archive.org

44

इसक शरतिरिकत थोडो पान तथा तनिक नमक पानी म उवालकर बचच को

पिलाए, अतयनत लाभपरद ह ।

&) शरफारा--यदि पट फल जाए शरीर साथ ही दरद भी हो तो उपरोकत

विधि स पान वाधना गणकारी ह। गल का दरद और सजन भी पान बावन

स ठीक हो जात ह ।

(पान का रस निकाल कर भाखी म ठपकान स राशरि समय दिखाई न दन

की शिकायत दर होती ह तथा पान का रस छह-छह माश पिलान स जवर

उतर जाता ह ।

चमतकारी टोटक & गद का दद--कवतर की वीठ का णवत भाग पथक करक शीशी म

रख, गरद क दरद क लिए अकसीर ह । दो रतती गरम पानी स उपयोग कर, पाच मिनट म ही तडपत रोगी को

शाति मिलगी । & तिलली तोइ--कललर शराम वजर भमि म भरसक उपलबध ह, इस

पराय. वकार वसत समझा जाता ह, परनत आइय हम वताए कि यही कललर तिलली वढ जान म शरकसीर ह ! पनदरह गराम कललर एक कप पानी म रातरि समय भिगोए, परात निथार कर पी ल। एक सपताह म परण लाभ होगा । आय अनसार मातरा कम या शरधिक की जा मकती ह ।

७७ जल घाव की चमतकारी मरहम--पचास गराम मबखन को कम-स-कम इककीस वार पानी म धोए शरौर पचचीस गराम शवत राल वारीक पीस कर इसम मिलाए शौर लप कर द, तरनत ठणडक पड जाएगी तथा कछ दिनो म घाव भी भर जाएगा ।

कक नाक का घाव--कई वार नाक क भीतर घाव होकर बहत कषट होता ह| यहा एक शरचक औपधि का नसखा दिया जा रहा ह । वनाकर परकति का चमतकार दख--

शदध मोम आठ गराम, तल तिल पनदरह गराम | पहल तिल का तल चममच शरादि म डालकर घीमी आच पर रख और भरचछी तरह गरम होन पर मोम

Page 144: Ghar Ka Vaid - archive.org

45

डाल द, थोडी दर म मोम बिलकल पिघल जाएगी | शरव आच पर स नीच

उतार कर किसी डिवबिया आरादि म रख ल और आवशयकता पडन पर दोनो समय घाव पर लगात रह ।

की पहकदछाल--चार गराम शवत जीरा मह म डालकर चवाए । जब

शरचछठी तरह चवा लिया जाए तो एक गराम लाल कतया भी मह म डाल ल--दोनो को खब चवाए, मह लआव स भर जाएगा | छालो पर यह लआव जिदवा दवारा फिराय और थोड समय पशचात थक द, पहली वार ही यह उपयोग करत स काफी लाभ होगा ।

क मरोड--छितका इसपगोल एक चममच-भर, सौफ आधा गराम, शककर शआराधा चममच (मरोड म आव अधिक हो तो इसपलोग झौर मिशरी परतयक पनदरह गराम) अचछी परकार मिशरित कर ऐसी एक-एक मातरा दिन म तीन-चार बार लनी चाहिए ।

क विचछ काट पर--पोटाशियम परमगनट (कओ म डाली जान वाली लाल रग की दवा) सत‌ नीव--दोनो पथक‌-पथक‌ रख ।

विचछ काट पर एक चावल-भर दवा डालकर उतना ही पिसा सत‌ नीव डाल द, फिर इसक ऊपर पानी की एक ब द डाल | दवा लगत ही रोता- बचिललाता वयतरित भला-चगा हो जाता ह, शरनभत परयोग ह ।

क जकाम--एवत जीरा पनदरह गराम पोटली म वाधकर शरावा किलो दध म उबाल, दो तीन उफान क पछचात‌ पोटली निकाल द , शरौर दध गरम- गरम ही मिशरी मिलाकर पिलाए। आध स भरधिक जकाम को एक ही दिन

म लाभ होगा, कवल तोन दिन पिलान स जकाम भाग जाएगा ।

"सो रोग एक दवा--यह दवा शरगरित रोगो की सफल चिकितसा (ह। वचचो था वडो क दसत, क, भरजीरण, तिलली, वायगोला, उदर पीडा, मितली तथा खटट डकार आदि सव कषटो म गणकारी ह--

तीस गराम गड थोड पानी म घोल कर छान ल । भरव इस वडी-सी सवचछ बोतन म डालकर बोतल को सौफ या पोदीना या अजवाईन गररक स भर द ।

.. बचचो को तीन गराम, वयसको का पनदरह गराम-- चार गरना पानी डालकर उपयोग करवाए ।

Page 145: Ghar Ka Vaid - archive.org

[86

कषज-- रोगो की जननी

यह तो सभी कोई मानता ह कि अधिकतर रोग पट की सरातरी स उतपनत

होत ह। यदि पट ठीक रह तो कोई रोग शरीर म उतवनत ही न हो। पट की

खराबी म सबस मयकर कठज ह | बरदि यह भी कह दिया जाय कि कठज ही सव रोगो की जननी ह तो थी अनचित नही होगा। सभी सवरासथ एव परसन‍त रहना

चाहत # । कोई कठज का शिकार बनना नही चाहता पर कबज हो जाता ह । कवज स फिर शरनक छोट मोट शरौर भयकर रोग भी शरीर म उतसनत हो जात

ह। कबज होन का कोई एक कारण नही ह । कई कारणो स कबज होता ह। यदि उनह दर कर दिया जाय तो कवज भी अवशय दर हो. जाबगा। पर इन कारण को दर करन भ हम लापरवाही दिखात ह शरीर कबज वना 'रहता ह और उसक साथ-साथ उसक परिवार क अनय रोग भी शरीर म टिक रहत ह। यदि हम सवसथ रहना चाहत ह शरौर चाहत ह कि हमार शरीर म कवज न रह तथा कफाई भी रोग हम न सताय तो हम सचपट रहकर उन कारणो को दर करना होगा जिनस बबज होता ह | कबज को दर करत ही कवज स उतपतत होन वाल रोग भी सवयमव दर हो जायग। फबज कयो होता ह ?

कबज होन क कई कारण ह | इनम मखय ह--(।) भोजन ठीक न होना। (2) पानी की कमी । (3) वयायाम ना करना । (4) चिनता कोध । (5) हातिकर ओपधि परयोग । (6) भठी शातर, उपवास ।

भोजन- हमार शरीर को सवसथ रसन क लिए जो भोजन चाहिय वह हम नही करत । भोजन साठा होना चाहिय । तली हई गरिपट बसतए, मिरच, मसाल, टोक दी हई सबजिया, अधिक दर तक पकाई हई सबजिया हमार शरीर / क शरनकल नही ह । हम यदि लगातार कई दिन तक हलवा, परी, पराठ आदि पात रह तो उसका परिणाम यह होता ह कि हमार शरीर की मशीनरी को एक तो अधिक शरम करना पडगा उस गरिषठ भोजन को पचान म । साद भोजन की शरपकषा गरिषठ और तल तलाय भोजन को पचान म शरीर को अधिक शरम करना पडता ह । दसरी तली हई वसतओ की चिकनाई शरातो क

Page 146: Ghar Ka Vaid - archive.org

]47 क

- किनारो पर लग जाती ह । फिर और कछ वसत जो हम खात ह उसका कछ भाग उस चिकतती दीवारो स चिपक जाता ह। 2-4 दिन म उसम सडान उतपनत हो जाती ह जो जटटी डकतार, गस आदि क रप म परकट होती ह । इसी

स कण वी उतपतति होती ह । कछ दिन शरौर इधर धयान न दिया जाय तो 3 _+

भयकर रोग शरीर म उतपनन हो जान ह जस खासी वाद म दमा या टी० बी०।

आजकल चदध चीज बाजार म नही मिल पाती । अधिक पसा दन पर भी शदध चीजो का मिलना दरलभ हो रहा ह । शरत मिलावट की चीज खात रहन

स भी शरीर म हानिपरद ततव एकतर होत रहत ह और शरीर को दपित करत ह । शरीर की मशीनरी अरधिक शरम करन स थक जाती ह। कमजोर पड जाती ह । परा भोजन पचान म भरममरथ हो जाती ह | परनत हम इसका धयान किय विना ही कि पहल किया हआ भोजन पचा या नही, हम और भोजन कर लत ह।। मशीनरी जो पहल का भोजन भी नही पचा पाई ह, उस और

भोजन पचान क लिए मिल जाता ह। मशीनरी पहला बचा भोजन छोडकर

नया भोजन पचान म लग जाती ह शरौर उसका भी यही हाल होता ह कि उसका एक शरश विना पचा हआना रहता ह और हम फिर खा लत ह । इस परकार हमार शरीर की आत जो भोजन छोड दती ह वह इकटठा होता रहता ह।

कछ ही समय बाद वह सडन लगता ह । सडन स जो गस उतपनन होती ह वह शरपान वाय दवारा वाहर निकलती ह । परनत यदि उसका वहाव नीच की बजाय ऊपर को हो जाय तो फिर वह खटटी डकार, गस आदि क रप म बाहर

निकलती ह । इनक शरलावा यदि वह हदय की ओर चल पड तो हदय रोग (सलया। 705295०) -हो जाता ह । हदय पर परभाव पडन को हाट परटक--हारट-फल आदि और सी भयकर रोग होत ह । यदि वह किसी शरनय सथान की ओर चल पढ तो दाद, खजली, फोडा, फसी, ऐकजञीमा भरादि चरम- रोग क रप म वाहर निकलती ह| हमारा शरीर इस परकार का वना ह कि

वह हर समय विजातीय दरवो को शरीर स वाहर निकालता रहता ह। सवसथ होन

क लिए सवय चषटा करता रहता ह। यदि हम उम ठीक ढग स काम करन द,

उसक कारय म वाधा न डालकर सहयोग द तो भयकर स भयकर रोग बहत

शीदर दर हो सकता ह ।

Page 147: Ghar Ka Vaid - archive.org

4486

हमार शरीर की बनावट क शरनसार ही हमार शरीर को भोजन मिलना चाहिय । हम खान क लिए नही जीना बलकि जीन क लिए साना ह| शरत वही भोजन करिय जो हमार शरीर क उपयकत हो । हमारा शरीर कषार ततवो स वना ह। उस कषार ततव ही मिलन चाहिय | अमल ततव उस हानि पहचात ह। कषार ततवो म--फल, सबजी, भरति पतत दार सबवजिया, चोकर समत आट की रोटिया हाथस कट चावल शरादि शरात ह। अपल वाल पदारथ ह-- चिकनाई वाल, मिरच मसाल स भरपर, मदा की बनी वसतए, तली हई वसतए शरादि । भरत हम भोजन म पतती वाली सबजिया तथा फल अविक लत चाहिय। यदि आपन किसी कारण स लगातार कई दिन तक गरिषठ भोजन किया हो, परी-परारठ उडाय भी हो तो उसक वाद अपन भोजन म लगातार पततीदार सबजिया खाइए। य सबजिया रशदार होती ह शरत इनका काम होगा आतो क किनारोी पर चिपकी हई चिकनाई को साफ करना । इन किनारो पर जो कछ चिपक गया होगा वह भी दरहो जायगा झौर गस, डकार आदि बनद हो जायगी । परनत शराजकल क तवयवक इस साधारण पालक, वथवा, मथी, चौलाई, मली, गाजर, शलजम आदि को हय दषटि स दखत ह दवाइयो म सकडो रपय वरवाद कर दत ह पर इन मसती साग पात छी आऔपधि को नही अपनात । कवठज को दर करन क लिए गाजर, टमाटर, पालक, शलजम, धनिया, अदरक गरस कर पानी म भना जीरा नमक मिलाकर 3-4वार पीजिय।

जो कछ भी हम खाए चवाकर खाए । यदि हम यह नियम बना ल कि हम परति गरास को खब चवा-चवाकर खारयग तो यह भी आपको सवसथ रहन म परण सहयोग दगा । आतो क दात नही ह, यदि आप भोजन को जलदी म विना चवाय ही निगल जात ह तो शरातो को उस पचान म अधिक शरम करना पड गा शरौर वह इस कारण स कमजोर पडती चली जायगी | शरीर क परतयक अग को काम करना चाहिय । काम न करन वाला अग निकममा हो जाता ह। इसी परकार यदि शराप चवा-चवा कर न खायग तो दातो का वयायाम नही होगा शरौर वयायाम क क अभावा दात खराब हो सकत ह, सड सकत ह, उनम रोग पदा हो सकता ह। अत खब चवा-चवाकर खाय ।

जो भी वनत हम खाना चाहत ह, पहल उसक बार म यह सोच ल कि _.. नह हमार शरीर क लिए हानिकर तो नही ह । जो वसत शरीर को हानि

Page 148: Ghar Ka Vaid - archive.org

449

पहचान बाली हो उस बिलकल गरहण न कर । घरीर को लान पहचान वाली वसतओ म सबस वटिया चीज ह--कचची साय-सबजी, फल, कचचा अनाज । साग सबजी कचचा खाया जाय तो बहत हो लानदायक ह । कचची सजी खाई जा सकती ह । उसम विटामिन भी बहत होत ह । परकति आवशयकतानसार उस पकरा भी दती ह | नमक, चीनी, सठाई, कडवाहट

आदि जिन चीजो की भी भरावशयकतता होती ह, परकति परण रप स उनम ससतिहित कर दती ह | हम उसी रप स उस खाना चाहिय तभी हम सवासथय क लिए उततम वसत परापत हो सकती ह । पर हम ऐसा नही करत हम उस पका कर खात ह । पहल सबजी को छीलन स सबजी का सतयानाश ही हो जाता ह। इन छिलको म परयापत मातरा म विटामिन होत ह । छीलन क वाद सबजी की काट कर घो डालत ह । इसस वहत स सबजी क भीतर क विटामिन पानी क साथ दर हो जात ह। शत सबजी क काटन स पहल ही शरचछी परकार धो लनी चाहिय । इसक वाद घी-तल गरम करत ह उसम मसाल मिरच, खठाई आदि डानत ह।अव उस कटी हई सबजी को उसम डाल दत ह | थोडी दर उस खब अचछी तरह इधर-उघर चलात ह ॥ इसस जो वच-खच विटामिन रह भी गय थ व भी जल कर राख हो जात ह । सात समय हम कवल सबजी का फोक खाच ह उनम विटामिन आदि तो रह नही जात । सवाद झाता ह वह मिच-मसालो का शराता ह । भरत. यदि कचच खान की लविधा न भी हो तो सबजी को घोकर काट, उबलत पानी म डालकर टक द और दस मिनट म उस उतार द । पानी पशरपनि मातरा म हो वस सबजी तयार ह। सखी सबजी दर स पचरती ह । यदि चाह तो थोडा नमक, नीव, भना जीरा ऊपर स डाल लव । यदि न भी डाल तो दो चार दिन म यही उवाली सबजी झरापको शरति

सवादिषट लगन लगगी । आप दखत ही ह कि कोई भी पकषी या जानवर पकाकर भोजन नही खाता और हमस अधिक सवसथ रहता ह ।

अनाज क बार म कहना यह ह कि रात क समय गह, चना, म ग, मोठ आदि को भिगो द। सवर उस पानी म स निकाल कर गील कपड म रख।

दसर दिन उसम अकर निकल आयग । इस शरकरित चना, गह, म ग, मोठ म विटामिनो की ससया कई गना बढ जाती ह । इन अकरित शरनाजो को, खब

Page 149: Ghar Ka Vaid - archive.org

50

चबा चवा कर खाय । चवाकर खान स दात मजबत रहग, शराती को वयरथ का शरम नही करना पडगा, भोजन शीघर पाचन होकर शरीर को सवसथ वनायगा। भोजन भी कम लगगा । चवाकर खाया हञना भोजन कम खाया जाता ह। पकान म जो समय लगता ह वह वचगा, ध वा स वाय दपित होता ह, वह

वचगा, ईधन, कोयला, मिटटी का तल आदि जिस पर भी भोजत बनाया जाता ह उसकी बचत होगी ।

पानी फी फमती

शरीर को सवसथ बनान क लिए पानी को परयापत मातरा शरीर म होनी चाहिय । शराप परतिदिन कम-स-कम 2-3 किलो पानी पीजिय। कबज को दर भगान क लिए परात'काल उठिय 2-3 गिलास पानी पीजिय । कमर म इधर- उधर कछ दर घमिय, फिर शोच क लिए जाइय । शरापो शौच खलकर आयगा ।

वयायास शरीर को सवसथ रखन क लिए वयायाम करना बहत शरावशयक ह।

किसी न ठीक कहा ह --““आपधि नाहि वयायाम समाना तनिक न वयय और लाभ महानो । इसी परकार उरद म--.दवा कोई वरजिश स बहतर नही, यह नसखा ह कम खरच वाजा नशी । कठज क रोग म भी कई परकार क वयायाम ह । सबस वढिया सवर उठकर शोच होकर सविधा, हो तो नहाकर भी, जगल

की खली हवा म टहलन क लिए चल जाइय । 3-4 मील टहल शराइए । जगल की शदध वाय म गहर लमब सास लीजिय, छोडिय इसस शरापकी झराय भी लमबी होगी, सवासथय भी मिलगा । यदि दौड सक तो घमन जात समय दौडत हए जाइए । शरीर की सामथय क शरनसार दौड लगाइए । आसनो- म पशचिमो- ततान, सरवाग, शीरपासन, मयरासन, कककरासन, मतसयासन नौली करिया आदि कवज तोडन म परण सहायक ह । चिनता-करोध

चिनता क वार म परतयक सतरी-परप जानता ह कि चिनता करना ठीक नही ह | पर चिनता की नही जाती अपन शराप हो जाती ह | परिसथितियो क साथ-साथ चिनता लगी रहती ह। फिर भी चिनता क बार म यह सोचकर

Page 150: Ghar Ka Vaid - archive.org

खत

85]

कि चिनता करन स कोई समसया का हल तो होता नही वलकि चिनता स वदधि भरषट हो जाती ह जिसस समसया और उलक जाती ह। इसक साथ-साथ धरानतरिकत ऑतो, तथा नम-नाडियो पर दषपरभाव पडता ह। व सिकड जाती ह, कारय करना कम कर दती ह और शरीर का सनतलन विगड जाता ह ।

यही दशा करोब की ह । करोध क समय खाया हआ भोजन विप-तलय हो जाता ह | करोध क समय शरीर की पाचन-करिया विगड जाती ह भौर शरीर म स कछ ऐसा पदारथ निकलता ह जो भोजन को विप बना दता ह । अत भोजन करत

समय करोध नही करना चाहिय | यदि करोध शराया हआ हो तो भोजन नही करना चाहिय। भोजन क समय मन परसन‍त होना चाहिय और भरासन पर सीध बठकर भोजन करना चाहिय इसस खाया हआ भोजन उचित रीति स. पचकर शरीर का पोपण करता ह । विपरीत दशा म विप वन कर हानि पहचाता ह। कबज, फोड-फ सी, वहरापन, सर-दद, नतर-जयोति कम होना शादि रोग उभरत ह । इसलिए चिनता और करोध को अरपना शतर समक कर इनस दर रहन म ही अपनी भलाई समझनी चाहिय ।

परौपधि परयोग क बार म यहा तक दखा गया ह कि लोग जरा-जरा सी वात पर शरीपधि लत ह । जरा कछ कषट हआ कि दौडकर डाकटर वदयो, क

पास जात ह शौर दवा खात ह । इसस जहा पस का दसपयोग होता ह, वहा शरीर का भी सतयानाश होता ह । बीमारी चाह कोई भी हो शरापकी शतर

नही ह । उस शतर न समझ कर मितर समभना चाहिय । वीमारी तो हम

चतावनी दती ह कि तमहार शरीर म विजातीय दरवय इकटठा हो गया ह, उस

दर करो । यदि इस चतावनी क दवारा हम शरपन को ठीक कर लत ह तो उततम ह पर यदि हम चतावनी की तरफ वयान न दकर पट को ठीक नही करत तो बीमारी वढ जाती ह। यह दसरी चतावनी ह । इसक साथ-साथ अनय

चीमारिया भी 'काकन लगती । इतन पर ही न चता गया तो बीमारी

चढकर अरमाधय रोग का रप धारण कर लती ह और शीघर ही जीवन नषट हो

जाता ह | यदि वीमारी होत ही हम चत जाय तो हम वच सकत ह । बीमारी का लकषण परकट होत ही भोजन की शोर धयान दीजिय | कसा भोजन आप फर रह ह । यदि [-2 समय भोजन न किया जाय तो शरीर का नाडी-मडल

Page 151: Ghar Ka Vaid - archive.org

722

शरीर को घो-धाकर ठीक करन म लग जायगा। आप सवसथ हो जायग इसी

परकार कवज होन पर दीखिए कि शराप कसा भोजन कर रह ह । यदि परी-

पराठ, तली चीज, यखी सबजी, शरादि मिरच मसालो स यकत खा रह ही तो

0-2 समय खाना बनद कर दीजिय या--मौसम क अनसार मिलन वाली

पतत दार सबजियो का भरपर परयोग कीजिय । शराप सवसथ रहग।

एनिमा--शरीर की सफाई क लिए एनिमा लना शरचछा ह। एनिमा

म पट साफ हो जाता ह | बहत वार कछ मल इस परकार शरातो म चिपका होता ह कि वह बाहर शराता ही नही । शरनदर चिपका पडा रहता ह शलौर सडता

रहता ह| उस हटान म भी एनिमा सहारा दता ह | यदि शरापको कबज नही - ह, कोई शरौर रोग भी नही ह, तो भी शराप महीन म यदि एनिमा ल लत ह तो कोई खराबी नही ह । वस आवशयकतानसार, कबज हो पट म गडबड हो, तो महीन म 3-4 वार भी और अशरधिक खराबी होन पर रोज भी एनिमा कई दिन तक लिया जा सकता ह, शौर आप दखग कि एनिमा स कछ लाभ ही

हआ ह हानि नही । इसक अलावा मिटटी का परयोग भी कबज तोडन क परयोग म लाइय । कछ

खरचा तो ह नही | साफ मिटटी लीजिय । न खब चिकनी हो और न विलकल

बाल रत ही । मिटटी को जस झाटा ग दत ह वस ग द लीजिय । रात को सोत समय मिटटी को पड पर रख दीजिय शरौर एक पटटी लकर उस बाध दीजिय । आधा पौन घणट बाद पटटी हटा दीजिय । यह भी कवज तोडन म आरापकी काफी सहायता करगी ।

Page 152: Ghar Ka Vaid - archive.org

परारमभिक शबद

दी काल पषष मन चिकितसा समबनधी एक पतरिका का

परकाशन परारमभ किया था, जिस ईगवर कपा स सबब साधारण

न अतयधिक पसनद किया थी । सवाभाविक बाव ह कि जब किसी

वसत का आदर होन लग, तो उसका साहस वढ जाता ह, असत

मन उसक अनक विशषाक सी परकाशित किए | जिनस स एक

विशषाह मलरिया भी था। चकि यदध काल म कनन आदि

विदशी औपधिया अगरापय हो जाती ह, उस समय जन कलयाण

क लिए यह पसतक परम उपयोगी सिदध होती ह। इस पसतक म

सरवतर परापय दरवयो स ही इस ठ वयापक रोग ।

मलरिया ( मौसमी जवर )

रोग--की चिकितसा क उपाय बताए गए ह । समभवत' इसी

कारण इस पसतक को हवारथो हाथ ल लिया गया। जब पनः

मलरिया का जोर और झनन की ढषमापयता का सडडट आया,

तो म० दहाती फारमसोी क सहवोग स यह पसतक पन परकाशित

हई और इसन दश की एक भारी आवशयकता की परति की ।

अब पसतक आपक भी हाथ म द, पढन स इसकी उपयोगिता

का सवत अनमान हो जायगा। ईशवर आवशयकता क समय

, आपको सफलता परदान कर, यही मरी कामना ह ।

--लखक

Page 153: Ghar Ka Vaid - archive.org

कक

परलरिया क कारण

वरषा काल म जहा सप आदि वियल अनतओ स सहसतो पराणो का नाश होता ह, वहा उसक बाद मचछर चारो ओर मलरिया की न बकन वाली अगनि भडकात ह, यहा तक कि कोरट भी मनषय नही वचता | नगरो, दहातो, करतरो, मकानो, ओर बायमणडल म ऐसा कोई सथान नही, जददा ललकार कर आकरमण करत वाला यह बीर सिपादी उपसथित न हो, इस उातक जानवर का सोजन विविध बनसपतिया ह, और वनसपवियो म ऐस वियल ततव भी होत ह, जोकि यदि मनषय क रकत म परविषट कर दिय जञाय, तो उस दषित करक उस जवर गरसत कर दत ह। इस ऋत म अनय बनसपतियो क अतिरिकत विशप कर चोलाई और बिपखपरा इस जञीव की रचि परिय खादय ह, इन दोनो म अनय चनसपतियो की अपच)ा मलरिया उतपादक ततव अधिक मातरा म ह। जो मचछर उनपर तलिरमाह करतः ह, निमसनदश ही उनक काटन स मलरिया उतपादक ततय रकत म शरविषट हो जञादा ह। यदयपि उस ऋत म मचछर पशओ को भी काठत ह, किनत एक तो खाल मोटी होन, दसर उनक विष को शमन करन बाला अणद ततव भी उनक शरीर म रहता ह, इसलिए उनपर इनका जाद नही चलता। मचछर का मोजन इनक अतिरिकत खत भी ह | जब यह रक चसन क लिए मलषय

Page 154: Ghar Ka Vaid - archive.org

(: ५9 5)

को काटता ह; तो यह विपजञा ततव दश दवारा रकत म परविष होकर सलरिया का कारण बन जाता ह, ओर रकत परवाह क साथ सार शरीर म फलकर ऊषमा पदा कर दता ह। यह ऊपसा वढ जान पर हदय भी उसस पीडित होकर उषण हो जाता ह, ओर उसक तापगरसत होत ही सारा शरीर वपन लगता ह, बस यही जवयर होता ह ।

लकषण--इसक लकषण विभिन‍न होत ह, कमी जवर स

पछ शरीर दटता ह, कभी सरदी लगती ह और फिर जवर हो जाता ह। कभी जवर नितय परति वारी स आता ह, पीठ या पाव को ओर स सरदी लगती ह। जवर की उपणता अति तीतर होकर पसीना आकर जयर उततर जाता ह जवर की दशा म वचनी,

पयास, चसन, अतिसार, सिर पीझ ओर सह का सवाद कडबा

रहता ह। परारमभ स शीत व कमप बहत होता ह, ओर जयो २ समय वयतीव होता जाता ह कमप कम होता ह, कभी एक दिन बारी लमबी और हलकी रहती ह, और कमी जवर तीतर और अचधि कम होती ह असत लकषणो स परकट ह कि यह कोई नया जयर नही, वरन‌ विपम जवर की ही एक किसम ह। जिसकी बिबिव दशाए ह, आम तौर पर जिस मलरिया कहा जाता ह, उसी का दसरा नाम सौसमी जवर ह। इसकी विशष पहिचान

यह ह--यदि एक स अधिक गिव मिल जाती ह, तो शरति दिन बारी आती ह अनयथा तीसर दिन, जिस तिजारी जवर कहत

ह । परारमभ म पीठ या-पाव की ओर स सरदी लगत ह, कमप तीतर होता ह, शरीर शीघर ही उषण हो जाता ह और उषएता

Page 155: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ८ 9

ः तीतर होती ह। नाडी परासमम म कमजोर होती ह, थोडी बाद तज हो जाती ह। जवर की अधिकाधिक अवधि १४

होती ह | कभी बमन, जवरातिसार या अक क कारण चार

क बाद जवर सवत ही नषट हो जाता ह । कयोकि तबियत

ही वमन, अतिसार आदि क दवारा दपित ततव निकाल दती

| जवर उतरत समय पसीना वहत आता ह । यदि जवर दशा

म पानी पिया जाय. तो जलोदर हो जाता ह। वचनी, पयास,

वमन, अतिसार ओर सिर पीडा हो जाती ह म ह का सवाद तीखा

होता ह, डाकटर उसकी सारी अनय किसमो को भी मलरिया ही सममभत ह | च कि इसक अनक भद आयरवदिक गरनथो म लिख

ह, जिनम कछ का ततव कबल पिततज होता ह ओर किसी २ का कफ सहित । किनत फिर भी चकि आधार सव का ०क ही

होता ह, अब, इसकी किसमो की सही पहिचान तनिक दषकर ह ।

यही कारण ह कि डाकटरो की मलरिया क लिए अकसीर 'कनन! भी किनही दशाओ म सफल नही होती ! यह शरय तो यनानी

व आयरवद चिकितसा क पराचीन विपजञो को ही परापत ह कि जिनहोन लकषणो ओर नाडी गतियो पर इस क विविध भद जञात किए और उनक लिए परथक २ चिकितसा निरिचत की।

असत कछक ऐस रोगी हमार भी दखन म आए, जो कि माह कारतिक म पलीहाइडधि आदि रोगो म परसत हो गए थ, किनत ढाकट२ इस सी मलरिया कहत थ ।

Page 156: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६ )

मलरिया स बचन क उपाय च'कि वनसपतियो क विपल ततव, जो कि मचछरो क दवारा

रकत म परचिषठ होकर मलरिया का कारण वनत ह, असत उसस बचन क लिए दो उपाय ह--पहिला यह कि मकान क अनदर यथा आस पास गनदगी बिलकल न रहन द ताकि मचछर वदन

न पाए। मकानो की नालिया साफ रहनी चाहिए। मकान क

आस पास कड करकट और गनदगी क ढर न हो, ताकि मचछरो

की उतपतति म कमी हो । पानी क गढढो म तनिक सिटटी का तल डाल दिया कर, ताकि मचछर अणड न दन पाए। रात क समय

भकान स गगल ओर लोभा।न का घआ करना चाहिए, ताकनि, मचछर न ठहर। गधक का घआ यदयपि अधिक अभावक ह,

किनत परतिदयाय ( जकाम व नजला ) उतपनन करता ह । कपर

को तल म मिलाकर वदन पर मलन स भी मचछर नही काटता रात को मसहरी का परयोग करना चाहिए।

चिकितसा---थ दि विपखपर का रस लिकालकर एक उबाल द ओर थोडी दर छोड, ताकि हरियाली वह म वठ जाय, फिर

छान कर लाज शककर मिला ल ओर २ वोल मलरिया क रोगी

को पिलाए, बस उसी दिन मलरिया का अनत ह। विरचन

इस जवर म तीतर होना चाहिए। उततम बिरचन घडचढी ह,

लकिन कछ कोमल सवभाव वाल कषट अछमव करत ह, अत.

हर सगर का रस ५ तोल, पानी ५ तोल मिलाकर रोगी को पिलाए' ततपशचात‌ बिहदी दाना का मीठा रस मिशरी मिलाकर द ।

Page 157: Ghar Ka Vaid - archive.org

६:१९ 2)

अआध घणट बाद हलफा खाना यथा सागदाना, दध चावल शआदि द।आशका रस भी लाभपरद ह। जवर क दिन विरचन दना

चाहिए कवल कागजी नीव' का रस, अनार का रस, विटदी दाना

का रस, नारगी का रस आदि मीठा करक पिलाए' | यदि बमन

होन को हो, तो दपित ततव को घमन दवारा निकालन का परयास कर| किनत यदि दशनलता परतीत हो, तो ततकाल रोक द । यदि पसीना निकल, तो दपित ततव पसीन दवारा निकालन का परयास कर इसक लिए निमन गोलिया भी बडी परभावक ह--

योग-- फिटकरी ३वत, कलमी शोरा; ६-६ माश तिवयाशीर

३ माश सखिया १ माशा, शदध कपर १ माशा, सबको हर तलसी दल क पानी म घोट कर १४८ गोलिया वनाए' । एक गोली परात काल शरत नीलोफर क साथ द । एक जवरागयम स आधा घटा पर ढ | भोजन म कवल गाय का दध द ।

अनय -- करजआ को गिरी 5 माशा, काली मिच ११ नग, अतीस छिली हई ७ माशा, फिटकरी 2 माशा, छोटी इलायची क दान ३ माश तितबाशीर 3 माशा समदर फल ४ माशा, सबको सकषम पीसकर चण बनाल। ४ माशा वादयान क अक क साथ ओर शबत नीलोफर करमश. ४ तोला व २ तोला क साथ द । एक दिन परव जलाब दकर तबियत को हलका कर लना चाहिए। इसस अतिशीघर लाभ होता ह ।

अनय - -शरावणी क मोसम स जवार ओर कपास की फसल

म औरत की नाक की लौग की भाति फल की एक बटी दवोती ह, लगभग एक गज ऊची, पततो का सवाद तीखा, सरव साधारण

Page 158: Ghar Ka Vaid - archive.org

( १९ )

इस लॉग वटी कहत ह । हलदो मी इसी का नाम ह। इसक १ तोल हर पतत लकर २९ नग काली मिच क साथ कटकर तीन गोलियो करल ओर जवरागमन स पष आधा २ घट क अनतर

स द। यदि जवर क कारण सरदी अधिक परतीत हो रही हो, तो अजवायन खरासानी ४ रतती पीसकर शहद मिलाकर द ओर कपडा उठा द | यदि जवर अति तीघर हो तो कदद, दराज स स हाथ पाव की सालिश डगलियो की ओर स कराए। यदि पयास अधिक हो, तो कागजी सीब' की शिकजीबन पिलाए, परम लाभदायक ह ।

अनय -जवर स एक घटा परव पीपल की शाख की तीन

दातन विना पानी की सहाचता क दर तक कर | कोमल परकति वालो व बचचो क जलाब क लिए निमन

गोलिया सवन कराए'-- योग---सबर जद 9 ठोल को तीन दिन तक गलाव क रस

म भिरगो रख। चौथ दिन छान कर साफ कर ओर मनद आच पर अक को सखाव | फिर सिकमोनिया झना हआ » माश, तरद साफ किया हआ ६ मा०, रचव उलसस मा०, कतीरा

६ सा०, रमी मसतगी ३ मा०, रवनद डसारा १ मा०, वारीक

पीसकर छोटी २ गोलिया बना ल और वादाम क तल स तर

करञ। दस वरष क बचचो को २ या २, बडो को ५ गोलिया

वबादयान क अर ( यानी सॉफ ४ तोला, अरक मकतोय, £ तोला )

क साथ द। ततपदचात‌ विहदी दाना का रस द। भोजन

नरम द ।

Page 159: Ghar Ka Vaid - archive.org

मलशया तथा उसक उपसरग मलरिया क भद

मलरिया एक विशष परकार क विपल कीटाण क रकत म परविषट हो जान स उतपनन होता ह । उसकी परमख दो किसम ह-- ( १ 2 नोबती (२ ) सथायी ।

नीवती जवर बह ह, जो किसी विशष समय पर तीज होकर कछ कालोपरानत सवत ही उतर जाता ह. और उतर जान पर रोगी अपन को परण सवसथ समभता ह, किनत निशिचत समय पर जवर पन, चढ जाता ह । ह

सथायी जवर वह ह, जो विलकल नही उतरता | हा शरातः या सायकाल कछ हलका हो जाता ह । यहा हम दोनो भदो का परथक २ वरणन करत ह ।

नोवती जवर इस सब साधारण बारी का जवर कहत ह। यह कई परकार फा होता ह, कोई जवर परात: साथ दोवार घरा करता ह, कोई दिन म एक बार। कोई एक दिन का नागा दकर चढता ह, जिस तीजा या तिजारी कहत ह। कोई दो दिन का नागा दकर चढता ह, जिस चौथिया कहत ह। कोई इसस भी अधिक का नागा दता ह । हर परकार क नौबती जवर चढन स पष रोगी को

Page 160: Ghar Ka Vaid - archive.org

( १३ )

सरदी परतीत होती ह, किसी को जोर स कपकपी आती ह, रोगी

को घबराहट ओर कषट होता ह, जब सरदी कम हो जाती ह, तो

शरीर गरम हो जाता ह। सार शरीर म जलन और वचनी होती

ह अनत म पसीना आकर जयर उतर जाता ह। नोवती जयर स म अनक उपसग उतपनन हो जात ह। यहा परथक‌ २ उनका

बन ओर निवारक उपाय लिख जात ह :--

जवर का आरमभ---पहिल छसती, शरातसय और शअचज

हटन हती ह, फिर शरीर क रोगट खड हो जात ह और सरदी परतीत होन लगती ह। जिसका कारण यह ह कि रकत बाहर स अनदर की ओर सबयवारित होता ह, च कि शरीर की ऊपसा

रकत-परवाह स समबनधित ह, असत जिस अग म रकत एकतरित

होता ह यथा हदय, फफड, पलीहा, मसतिषक, आमाशय, यकत

आदि स इसी परकार क लकषण परकट होत ढ। शष शरीर ठडा

होकर कापन लगता ह । दाव वजत ह, रोगी सिकड कर विसतर

म लिपट जाता ह। जब हदय म रकत एकतरित होता ह तो

'हदय को घोर कषट होता ह, फफडो म होन पर उसकी शवास

गति बढ जाती ह। पलीदा स रकत इकटठा होन स उसम पीडा होन लगती ह, यदि मसतिषक म हो, तो सिर बोमिल सा लगता

ह; या मरचछा दवो जाती ह. । आमाशय और यकत म रकत सबनबय होन स जी मिचलाता ह, वसन होती ह, इस दशा म निसन

उपायो स काम लना चाहिए ।

Page 161: Ghar Ka Vaid - archive.org

( १४ 2

कमप---जब सरदी परतीत होन लग, तो तज गरम पानी; था

तज गरम दध थोडा २ करक पीय । इसस फमप कस हो जायगा

गरस दध पीन क तरिधि यह ह. कि एक छटाक गरम दध और ३ छटाक गरम पानी मिला कर एक दो वार म पीना चाहिए ।

२--तज गरम पानी की बोतल मरफर दोनो बगलो म रख

ल। आमाशय क सथान पर समक। हथलियो, तलबो और पिणडलियो को उसी परकार सक । यदि बोतल न मिल, तो अनर

गरम करक कपड म लपट कर इनही सथानो पर सक कर । या

कढाई म रत गरम करक कपड म पोटलिया बाध कर यथा

विधि सक ।

--एक नग पोसत, तीन लग लोग, ९ मा० चाय, अआध सर

पानी म उबाल, जतर आध पाव बच, तो छानकर गरम २

पिलाए |

२, हदय की बचनी---( १) मीठा अनार शरतत बरफ

म ठडा कर क पिलाय |

(२ ) सनदल को घिशन कर कपड पर वफ मिला कर हदय सथल पर लगाय।

( ३ ) खमीरा सनदल ७ भा० खिलाकर ऊपर स शी राजरशक

खरफा क बीज, कशनज खइक परतयक तीन माश, अक वदसइक स निकाल कर पिललाई ।

Page 162: Ghar Ka Vaid - archive.org

( १४ )

ह, मचछो--( १ ) सक की करिया यथाविधि परयोग कर ।

(२) रोगी क सिर पर पतला कपडा सिरका व रोगन गल म तर करक वार २ रख या बरफ थोडी दर तक लगाव |

(३ ) ठडा पानी रोगी क माथ व मह पर जोर स छिडक ।

(४) जजवील का चणो हाथ म लगा कर रोगी की पिडलियो को जोर २ स नीच की ओर मालिश कर|

४. सिर-पीडा--यदि नतर लाल न हो, ओर रोगी सिर को हिलान स मी सारी पन अनभव न कर तो उसका कारण कोषटबदधता होती ह । किसी झद बिरचक या कोपट शोधक

ओषधि यथा गशहकद निरवीज मनकका शीरखशत आद द।

यदि नतर लाल और सिर बोमिल हो तो वाल करवाकर सिरका ओर गलाव म कपडा तर करक सर पर रख ओर पखा भलत रह । जब कपडा शषक हो जाय, तो पनः तर करक रख ।

सिर पीडा क लिय निमन ओऔय घिया सवन कर

(१ ) कशनीज १ तो०, सनदल, काह अतयक ६ मा० कपर

१ मा, पानी म पीस कर माथ और सर पर लप कर ।

(२ ) कपर सिरका ठनद म घोल कर ठडा पानी मिला कर उस स कपडा तर करक बार - सिर पर रख ।

(३ ) यदि पीडा तीतर और आख लाल हो, तो गरदन पर

एक पतसतर ओर कोनो पिडलियो पर दो पलसतर कर |

Page 163: Ghar Ka Vaid - archive.org

(४ ) यदि रोगी सशकत हो तो कनपटियो पर दो जोक

लगवाद ।

५, बमन ओर मितली--च कि क स पराय” पील रग

का कडवा पानी निकलता ह, इसलिए इस परारमम म वनद‌ न करना चाहिए, अपित गम पानी म नमक मिलाकर पिलरव, ताकि क खल कर आ जाब। फिर भी यदि बनद न दवोतो निमन उपायो स काम ल |

( १ ) जहर महराखताई ६ सा०, अरक कवडा ४ तो०, म घिसकर उसम इलायची छोटी ४ नग, तवाशीर १ माशा मिला ओर मीठ अनार का शवत तीन तोल ठड पानी म मिलाकर १-१ घट आध घट क अनतर स मिलाव ।

(२) ६ मा० गिलोय को १॥ पाव परानी म जबाल। जब आध पाव रह जाय, तो ६ मा० शबद मिलरा कर दो तीन वार पिलाब ।

(३ » सोडावाईकारय २० गरन, एसिड टारटरिक १५ गरन, परथक २ ठणड पानती म घोल कर मिलाव और गरम गरम पी जाय ।

(४) पीपल की छातर क कोयल जला कर पानी म डाल आर यह पानी छान कर थोडा २ पिला |

( £ ) आमाशय पर बरफ की थली या राई का लप लगाए | ६, तपा ( पयास )--थोडा २ ठडा पानी पिललारव या

वरफ क ठकड चसाए और निमन औषधिया सवन कराए :--

Page 164: Ghar Ka Vaid - archive.org

( १७ )

(१) नीव की शिकजी म म गलावजल मिला कर बफ

स ठणडा करक पिलाए |

(२ ) इमली था आलबखारा का रस वरफ डालकर पिलाए |

( 3) कदानीज, मथान, पिततपापठ ससपरिमाण जीकट

करक २ तोला की - पाव पानी म उचाल | जब एक पाव रह जाय

तो साफ करक ठडा कर, और रोगी को पिललाय ।

(४ ) गाय का करचा दध नसयवत नाक स खीच ।

७, मचछावसथा--कभी वजाय कमप क रोगी को; परायः

बचचो को मचछावसथा सी हो जाती ह, उसक लिए यथासमभव

ऋदन दर करत की चषटा कर । कपर की डली रोगी की नाक स

लगा कर फ'क मार | छछक मिनट ऐसा करन स आरास हो

जायगा | ह

८. पचिश--करमप क कारण यकायक रक क आरतो म

इकटठा हो जान स पचिश हो जाती ह। उसक लिए निमन

विधियो स काम ल :--

( १ ) कोकनार ४ मा०, जजतरील ६ मार; बादियान, कतीरा;

ईशवगोल, नीम जला इआ ६-१ वोल । ईसवगोल क अतिरिकत

आओपधियो को सहम पीस कर ईसलगोल मिलार |

मातरा--९ मा० बीदाना क ३ मा० रस क साथ |

(२) चलगिरी ७ सा०, खश; कशनीज; नागरमोथा, नतर

बाला परतवक १ मा0, उबाल कर परात- साय पिलारय ।

Page 165: Ghar Ka Vaid - archive.org

( (८ )

(३ ) हलीला सथाह २ तो०, अजवायन खरासानी १ तो0 कनदर ३ मा०0, पीसकर ईसबगोल क साथ जवार क दान क बराबर गोलिया वनाए |

भातरा-२ गोलिया ईसबवगोल क रस क साथ या बीहदाना

क रस क साथ ।

8, खासी--फफडो म रकत सचय क कारण यह कषट

उतपनन होता ह; इसक निवारणाथ निमन योग सबन कराए |

(१) वनफशा ६ मा०, मलहटी छिली हई, अलसी क बीज, डीहदाना, वासा, खबकला, गिलोय, परतयक ३ मा0, उन‍नाव

३ दाना, आध सर पानी स डाल | जब आध पाव रह जाए, तो साफ करक ३ तो0 शहद मिल'कर दिन म दो बार समोषण पिलाय |

(२) समग अरची, कगीरा, कमला क वीज, निशासता, शकर तगान, रववडलसस, खशखश, समपरिमाण वीहदाना क

रस म छोटी २ गोलियो बनाल और मह म रखकर चरस ।

१०, जलन--ऊभी २ जवर की तीजरता स शरीर म

जलन ओर वचनी होती ह, निमन उपाय परयोग म ला ।

( ९ ) एक पाव तज सिरका स तीस पाव पानी मिलारव ।

इस म साफ कपडा तर करक तलिक निचोड कर रोगी का _ अह पछ द | दो तीन बार ऐसा करन स आराम हो जाता ह ।-

Page 166: Ghar Ka Vaid - archive.org

(६ ९१६ ) (२ ) मसकागाव सौ बार पानी स धोकर शरीर पर मालिश

कर ।

(६ ) आवल क रस म कपडा तर करक दो,तीन बार शरीर पोछ ।

११. हिचकी--निमन उपाय हिचकी रोकस क लिए बड ही काम क ह:--

(१ ) सघा नमक सकम पीस कर पानी म घोल कर नसतप द ।

(२ ) मधपीपल, आवला, जजवील, दालचीनी समपरिमाण चरो करक शहद म मिलाकर थोडा २ चटाय |

(३ ) बवत सन‍दल सतरी क दध म घिस कर नस‍य ल | १२, अनिदरा--नीद लान क लिए उपाय य ह --

(१ ) थोडी सी अफीस पानी म घिस कर कनपटी पर लगा द

(२) खशखश व कद, क तल की सर पर मालिश कर और तनिक सा दोसो कानो स टपकाय ।

(३ ) नीलोफर, कद क बीज, खरफा क वीजञ, सफद सदल परतयक तीन माश, कपर ९ मा०, अफीम, कशर, परतयक 5 मा० पीसकर गलाव का तल १ तोला, हरी कशनीजञ का रस २ तो०, सिरका ६ मा० मिलाकर सिर क ताल पर लप कर।

जवर की चिकितसा चकि नोवती बवर की दो दवाए होती ह, अत” इस की चिकितसा भी दो अकार की औपधियो स की जादी ह ।

Page 167: Ghar Ka Vaid - archive.org

( #9७ .)

जयर निवारक ओपधिया--४स दशा म एसी आओपदिया

सवन कराई जाती ह, जिनस शरीर की गरमी कम हो जाय। ओर यह तीन तरह‌ स समभव ह--परथम परसवदक अरथात पानी न लान वाली दवाए , दमरी पशाव लान बाली दवाय, तीसरी

दसत लान वाली दवाए । किनत इन म रोगी यो दवल न होन दन का धयान रखना चाहिए। यहा कछफ ओऑपधिया अकरित की जाती ह ।

( १ ) वनफशा क फल, गिलोय, कशनीज, बादियान, परतयक 8 भा०, खबफला ३ मा०, निरवीज मनकका & मग, आध सर पानी म उवाल। जब एक पातर रह जाय, तो मलकर छान ल ओर मिशरी ३ तो० मिलाकर नीम गरम पिलाए ।

(२) जवर निवारक अक---खबकला १ तोला, चिरायता, नीम की छाल, परतयक २ तो0, डद सर पानी म उबाल द | जब तीन पाव शप रह जाय, तो साफ करक बोतल म डाल और उसस गवक का तजाब ४ ब'द मिलाब । परात साय ५-० तोला पिलारव । फीवर मिकशचर स उततम ह ।

(3) कलमी शोरा, नोशादर परतयक २ तोला, जषीर मदार १ तो0, शोरा ओर नोशादर को सकरम पीसकर तथ पर रख और शीर मदार ४ तो० डाल द। जब मदार का दध शोषण हो जाय; तो थोडा ओर ढालद और लोह की सीक स हिलात रह । जब सारा दध समापत हो जाय, और धववा निकलना बनद हो जाय, तो उतार कर सकषम पीसल । पनः १० मिनट तक तज आच पर

Page 168: Ghar Ka Vaid - archive.org

( २१ )

रख, इसक बाद पीसकर शीशी म रखल | झरावरयकता क समय

३ रतती दवा २ रतती सफद खाड मिलाकर ठड पानी क साथ

खिलाद । जवर ततदश उतर जायगा | नचत‌ दसर दिन पन द ।

जयर की बारी रोकन वाली दवाए (९ ) ताजा तलसीदल, काली मिच समपरिमाण खरल

करक रतती > की गोलिया वनाल और + गोली जवरागमन स

एक घटा पर खिला द।

(२) अरणड क हर पतत ३ तोला, फलफल सयाह ६ मा०)

नतमक १ तोला, पीसकर गोलिया वनाल और जवर स पहिल

९ गोली और दसरी एक घटा पढिल खिलान स बारी रक

जाती ह ।

( २) नीम की अनतरछाल जो पील रग की होती ह। शषक

करक चण वनाव । ३ मा० चरी म ३ रतती पिसी हई काली मिच

मिलाकर $ माश की पडिया बनात। जवर स परव ३४ घढ क

अनतर स १-१ पडिया खिलाब। तीन चार पडिया खिलान स

जवर रक जाता ह ।

(४ ) मघपीपल १ तोला, करजवा की गिरी का चण 2 तो०,

इवत जीरा ६ मा०, कीकर क पतत ६ मा० पानी स पीसकर

गोलिया बनाव। उसम स ३ था ६ गोलिया जवर स परव तीन

बार म खिलाव ।

(५ ) हरतवाल वरकिया १ तो०, नीला ततिया ६ मा० शज

का चना २ तोला, पतथर का चना १ तो०,-ककड का चना तो०

Page 169: Ghar Ka Vaid - archive.org

( २२ )

पीखार क ग द म -३ घट खरल करक मिटटी क कज म मदद

बनद करक भलली परकार कपरौटी कर और उस एक हाथ गहर

ओर ३ हाथ चौड गढ म उपल भर कर उनक मधय आग द ।

दडा होन पर निकाल, ओर ओऔपषधि की पीसकर शीशी म रख

छोड । उसका रग इयासता लिए होगा। जवर स दो धट परव ? रतती हलबा म खिलाए | मोजन--दध चाबल या दध रोटी ।

इस दवा स कमी ० क आती ह, भय न कर! अपित गरम पानी

पिलाव, ताकि खलकर क आ जाव । अगर क अधिक शअआव, तो

थोडा समोषण दध पिलाव | कमप-जबर की बारी रोकन क लिए

अनभत ढ। यदि एक बार म वारी न रक, तो दसरी बारी स परव परयोग कर ।

सथायी जवर

जसा कि पहिल बताया जा चका ह, यह बिलकल कभी नही

उतरता। हा इसकी तजी घटती बढती रहतती ह ओर यह घटाव बढाव कभी तो इतना अलप होता ह | कि विला धयान परवक दख

परतीत नही होता और पराय: यददी कहा जाता ह कि जवर लगातार एकसा चढा रहता ह। किसी समय भी कम नही दोता । यह‌

नितानत असतय ह, कि जवर की डिगरी म कोई घटी बढी न हो । हा वह अनतर बिना थरमामीटर क अथवा किसी अवीण नवज दखन वाल क जञान नही होता। इसीलिए परायः यह गलत वारणा पदा होती ह। इस परकार क जवरो की यदि समचित

Page 170: Ghar Ka Vaid - archive.org

( २३ )

चिकितसा न की जाय, तो य वढ जात ह और उनस सरसाम

अआरादि रोग उतपनन होन का मय रहता ह ।

बोहरान---इस परकार क जवरो म जवर परारमम होन की

तिथि लिख लनी चाहिए। कयोकि जवरारमम स ४० दिन तक,

किस दिन सवासथय लकषण और किस दिन जयर तीतरता क लकषण

होत ह, आदि की गणना को चिकितसक भाषा म घदरान कददत

ह। असत यदि बोहरान क दिनो म अशयम लकषण शरकट हो, तो

अनचित चिकितसा कदापि न कर। घहरान का परा २ बरणन

“दहाती अनभत योग सगरह” क टवितीय भाग म सममकाकर लिखा

गया ह, जिस जानना परतयक वदय व हकीम क लिए परमावशयक

ह। किनत खद ह कि आजकल क बच बहरान' का नाम तक

नही जानत ।

यदि रोगी को कोछचदधता हो, तो उसको आवशयकतानसार

पिरचन दना चाहिए। किनत दहरान आन क दिनो म झलाव

कदापि न द । जलाव दन क लिए जो दिन उचित ह, व नीच

लिख जात ह :--

८-१०-१२-१६-१६-२२-२३-४६र८-९ ६-३२-३३-३४-३६“श८०३६

सथाई-जवर की चिकितसा

सथाई-जवर म इस परकार की ओऔपधिया दनी चाहिए, जोकि

बारी क जवर म जवर दशा म दी जाती ह। यहा कछ योग

लिख जात ह. :--

Page 171: Ghar Ka Vaid - archive.org

६. 2.5)

( ९ ) बनफशा क फल ६ मार, नीलोफर क फल ६ मा?

कशनीज, इबव सन‍दल, खबकला परतयक 3 मा०, गिलोय ६ मा०,

को १॥ सर पानी म उबाल। जब ६ छटाक पानी रह जाय; तो

छानकर १-९ छटाक म १-१ तो० मिशरी मिलाकर दिन म कछ

वार द ।

(० ) गिलोय, चिरायता, नीस क पतत, परतयक £ ततो०,

सहदवी क पतत, सरजमखी क पतत, तलसी क पतत , परतयक

३ तो०, फलफल गिद, अतीस परतयक २ तो०, कटकर रात को

तीन सर पानी म तर कर ओर परात काल उवाल। जब एक

पाव शष रह जाय, तो छानकर उसक साथ निमत दवाए मिलाकर

खरल कर करजबा क बीज की गिरी ५ तो०, इनन, अभरक भसम शयाम व इवत, जहर महरा, सतगिलोय, तवाशीर दाना,

इलायची छोटी, परतयक १ तो० गोदनती भसम मा०, उवत जीरा फलफलदराज परतयक ६ माशा, कपर ३ भाशा, गोलिया बना ल । मातरा--१-१ गोली परात. दोपहर, साय उचित अनपान क साथ

दिया कर |

( ३ ) तबाशीर, छोटी इलायची का दाना, शलषाब क फल; वनफशा क फल, बादियान की गिरी, कशनीज की गिरी, कोड- काशनी, सनाय क पतत, इवत जीरा, नागरमोथा, सत गिलोय, मीठ बादाम की गिरी, परतयक १-१ तोला, मिशरी कजा बराबर

चण बनाव। मातरा ६ सा० स £ माश तक 'अक गाबजवा क साथ |

Page 172: Ghar Ka Vaid - archive.org

( २४ )

मलरिया जवर क लिए जादई सरमा योग-..-चील का अणडा १ नग, काला सरमा १ तो० ।

विधि-....अणड का थोडा सा छिलका काट कर उसक भीतर उसी छिदर स काला सरमा मर द और निकाला हआ छिलक का टकडा यथा सथान रखकर बनद कर द और उस अणड को २१ दिन तक किसी सरकषित सथान म रख। ततपठचात‌ फिर अणड समत सरमा को खरल म डालकर सकषम पीस ल। फिर

निमनाकित औषधियो को अति सहम पीसकर सरमा सा तयार करल :--चीनी २ मा०, छोटी इलायची क बीज १ मा०, कपर

१ रतती, तवाशीर १ मा०, घट जान पर ऊपर की वसतए मिलाकर फिर सकषम पीस ल ।

सवन विधि--ताव या शीश की सलाई स यह धरमा आखो

म लगवाओ |

लाभ--.._चाह कितना भी मलरिया जवर क‍यो न हो, इसक

परयोग स ततकाल उतर जावा ह। शतशोबभव परयोग ह वनाकर लाभ उठाए और परिणाम स सचित कर ।

कनन की समककष वीसियो बटियो म स कवल चार बटियो

तलसी-कर जवा-गिलोय-लोग बटी शी, तथा

उनक मलरिया नाशक छन हए योग

Page 173: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ५६ )

कनन कहा गई” इन दिनो मलरिया का इतना जोर ह, कि अधिकाश परानती

भतो निससनदह परतयक धर अचछा मला असपताल बना हआ

ह ओर फिर कठिनाई यह, कि मलरिया जवरो की एक सातर

अकसीर कनन भी यदध कालीन भयदवर रातो क अनधकार म न

जान कहा जा छपी ? इसक लाखो चाहन वाल तडप २ कर मर

जात ह, किनत पराणदातरी दवी क दशन नही होत ।

असत हम उन 'कनन! क चाहन वालो की तसलल‍ली क लिए

उसकी समककष सहदलियो ( बटियो ) को पश करत ह । जिनक

विपय म सहसतो कशल चिकितसको ब सवन करताओ का कथन

ह, कि थ असखय चाहन वालो को तडपता छोड कर जान वाली

वबफा कनन स किसी परकार कम नही ह । साथ ही यह कि य

अपन ही दश की रहन वाली ह और इनस विदशी कनन जसी वबफाई का भी भय नही ह। य कठिन स कठिन समय पर

सी साथ नही छोडती आर जब भी आवशयकता पडती ह;

ततकण आ उपसथित होती ह ।

अगर दशवासियो क मसतिषक पर गोर रग न ही अधिकार

जमा रखा ह, और व सफद रग की गलामी स किसी परकार

भी सवततर ही नही होना चाहत ह, तो इनको अनभवो क पानी

स नहला कर सफद भी वनाया जा सकता ह --कया विदशी

कनन की सफदी म ही कोई विशषता ह और य दशी सविकाए उसका सथान पान योगय ही ह।* ******* ९ - लखक

Page 174: Ghar Ka Vaid - archive.org

तलसी तलसी ओर मोसमी जवर

तलसी एक परसिदध वटी ह, जिस हिनद लोग पवितर मानकर मनदिरो म लगात ह और उसकी पजा करत ह। उसक पास

दी जलात ह, अपित तलसी जी का विवाह ठाकर या सालिग-

राम जी क साथ खब धमधाम स करत ह । इस पर खब दिल खोलकर रपय खचच करत द “इतयादि * **'।

इसको क‍यो पजत द ? और इसक विवाह पर क‍यो रपय

वयय करत ह, इसस हमार विषय का कोई समबनध नही।

सकषप म इतना दी जानता ह कि जो वसतए विशष लाभदायक

ओर शकतिपरद‌ ह बही पजी जाती द अरथात‌ उनकी दषटि म

झछ लाम विशष या शकति विशष रखन वाली वसतए ही पजय

ह। चकि तलसी भी एक ऐसी महा बटी ह, जिस पराचीन शरायवदाचारयो न असखय रोगो क लिए रामवाण माना ह, अतः

यह पौधा भी पजय बन गया।

कितना अरचछा होता यदधि लोग इनक बजाय उस ईइवर की

ही पजा करत; जिसन तलसी जसी गण समपनन लाखो बटिया

हमार कलयाणारथ पदा की ह ।

Page 175: Ghar Ka Vaid - archive.org

( श८झ )

यहा हम तलसी क अनय लाखो गण छोडकर कवल बही उपयोग अकित करत ह, जो कि मोसमी जयर क दिनो म कनन

क बजाय इस सवन करन स लाभ परापत करात ह ।

मलरिया जवर नाशक तलसी की चाय निमन विधि स यदि तलसी की चाय बनाकर मलरिया क

दिनो म सवन कराई जाय, तो $०वबर कपा स सवन करता इस दषट रोग स परणतया सरकषित रहग।

योग--छाया म सखाई हई तलसी की पततिया ९ माशा

पाव भर पानी म उबाल कर दध मीठा आदि मिलाकर चायवत‌

सवन कर। परम लामपरद ह ।

चाय का दवितीय योग ( जिसस ईवउवर ऋपा स तततण जवर उतर जाता ह )

शषक तलसीदल १ माशा, काजी.मिच ७ नग, गह का छिलका धसाशा, नमक १५ साशा, यथा विधि पानी म चाय बनाकर उचित परिमाण म दध व चीनी निलाकर दो पयालिया गम २ पी लिया कर। ,

साभ--इसस मलरिया जयर असत रोगी को पसीना आकर

इशवर कपा स ततलण जवर उतर जाता ह ।

कथा सन‌ १६२० ई० क माह जोलाई म मलरिया जयर म असत

हो गया था, जिसस लगभग दो माह पीडित रहा | इस काल म

Page 176: Ghar Ka Vaid - archive.org

( +६ ) शरीर हडडियो का ढाचामातर रह भया। करिसी चिकितसा स कोई जाम ही न दवोता। अनक दशी ओर विदशी दबाइया खा डाली, किनत निषफल । हमार घर म तलसी का पौधा लगा हआ था। मर पिता जी न ७-८ पतत उसक और ३ नग काली मिरच” मिशरी सिलाकर घोट छान कर पिलाना परारसभ कर दिया । उसन ऐसा चमतकार दिखाया कर दसरी मानना स ही जयर रक गया और पक सपताद क सवन स हो जडभल स ही दर हो गया। उलसइचात एक ओर मलरिया का रोगी हम स दवा पछन आया जब हमन उस तलसी क ३ पतत गड स लपट कर जवरागमन स आध घटा परव खिला दिए और उसी पक मातरा स ही जवर रक गया, तो हम दोलो चकित रह गए |

चकि इसम कीटाण मारन की भी शकति ह, अत निमन रोगो म परम लामगरद सिदध होती ह ।

(१ ) मलरिया और पलग क दिनो म इसक पततो को ४-५ र चबान और स'घन स सरकषा रहती ह । इसक तल की भी कर ।

तल बनान की विधि-...यह ह कि एक पाव सरसो क तल म एक तोला ताजा पतत डालकर बोतल को धप म २-३ दिन क रख ओर फिर इस तल की मालिश शरीर पर कर। इसस पिसस और सचछर पास भी नही फटकत ।

Page 177: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ३० )

दःमपजवर वटी

योग-...तलसीदल ओर काली मिरच समपरिमाण खरल

करक गोलिया वनाल और बारी स परव १ या ९ गोली उचित

अलपान स ढ ।

लाभ--..कमपजवर व मलरिया क लिए लामपरद ह ।

अकसीर जवर योग----तलसी दल £ तोला, पारा १ तोला, दोनो को यहा

तक खरल कर कि पारा विलपत हो जाय। बस अवसीर जवर

तयार ह ।

सवन विधि--जव जवर तजी स चढ रह। हो, रोगी मरचछा जसी दशा म हो, तो उसक ताल क बाल उतरवाकर इस दवा

का लप कर ओर फिर चमतकारी गरमाच दख ।

लड

जवरहरण वटी दरवय तथा विधि--सत गिलोय, सत चिरायता, सत शाहतरा,

भच + बाप

कनन, सव ओऔषधिया समपरिसाण लकर हर तलसीदल क रस म खरल करक ग लिया बनारल।

सवन विधि--एक गोली परातः साय उचित अनपान स द । लाभ--हर परकार क जवर विशषकर मलरिया क लिए अररदि

परभावक दवा ह ।

Page 178: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ३१ )

अनय वटी योग--आरदर गिलोय, करजवा की गिरी, तलसी की जड

की छाल, उततम निरसी, वनफशा क फलो का गलकनद, परतयक

१-9 तोला, सच को खरल करक एकजान कर ल और गोलिया

बना ल ।

सवन विधि--जवरागमन स परव ? गोली घट २ अनतर

स द।

लाम--ईइवर कपा स कछ ही दिनो म जवर जाता रहगा ।

मलरिया अगद योग-तलसी क पतत, सदाब क पतत, नीम क पतत;

शिगफा अरड, सब को समपरिमाण लकर वारीक करक गोलिया

बनाल ।

सवन विधि--परात. दोपहर ओर साय १-१ गोली पानी क

साथ द । हर शरकार क जयरो विशषकर मलरिया क लिए

अगद ह |

बम

अकसीर सननिपात योग--पीपल क हर पतत ५ नग, वल क हर परत १४ भग)

तलसी क पतत ४४, सब को कचल कर आध सर पानी म

उवाल, जब आधा पाव पानी रह, उतार ल। फिर घढा २ वाद

१-३ तोला अकी पिलात जाय । समापत होन पर पनः वाल ।

Page 179: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ३२ 9)

लाभ--जवयर, सननिपात, पलग ओर मलरिया आदि क लिए

परम लाभपरद ह |

हर परकार क जवर की गोलिया योग--अतीस, छोटी पीपल, दशी पखजदवार १-? तोला,

करजबा की गिरी ३ तोला, सब को तलसीदल क अर म खरल

करक मटर क वरावर गोलिया बनाल |

सधन विधि--जवरागमन स परव १-१ घटा क अनतर स ३-३ गोलिया खिलाव | ईडबर कपा स दौरा दर होगा । मौसमी जवर क दिनो म इनही गोलियो म स ९ गोली नितय सवन

कराना जयर स सरकषित रखता ह ।

अकसीर मौसमी जवर योग--तलसीदल ६ भाग, बल क पतत २ भाग, पीपल क

पतत १ भाग, सब पततो को पानी म उवाल। जब आधा पानी

शप रह, तो छान ल | मातरा--१ तोला नितय पिलाए |

लाम--मोसमी जवर का अगद ह। परीकषा करक लाभ डठाए' ।

कमप-जवर नाशक गयोषधि योग-हर तलसीदल ६ माशा, काली मिरच ७ नग; दार

फलफलन ६ नग, खाड १ तोला, सव को पानी म पीसकर जवरा-

गमन स चार घटा पर द ।

Page 180: Ghar Ka Vaid - archive.org

गिललोय गिलोय बल की किसम करी एक असिदध बटी ह। उसक पतत पान छ पततो क समान होत ह। इसकी बल दसर पडो पर ढ कर बहतत दर तक चली जाती ह। परायः वाग क किनार वाल पडो पर चढती हई मिलती ह ।

“स लब पसतिका म विसतत विवरण लिखन की आचरयकता नही, कयोकि 'ददयाती जडी वरटियो स परयापत वरणन ह। और य भी सरव साधारण 3स मली परकार जानत ह। इसका शरमाव उक साल बाद नषट हो जाता ह शरत' दवाओ म हरी गिलोय ही डाली जाती ह यदि इसकी छोटी सी टहनी तोड कर अपन बाग या किसी गमल म लगाद, तो शरति शीघर फल जाती ह । किनत जवरो क लिए वह विशष उपयोगी ह जो नीम पर चढती ह। यहा तक कि इसका अककई तपदिक तक क लिए लाभगरद ह । एग तथा लाभ--इस बटी क लाभ अगणित ह । महषय क असखय रोगो का नाश करन म परयोग की जाती ह, किनत यहा अनय सब गणो को छोडकर कवल जयर क लिए कछक योग भट करिए जात ह

Page 181: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ३४ )

कथा

जीरण विपमजवर का अकसीरी योग

सन ३१ म वदयक एणड यनानी कानफ नस का इजलास लाहौर

भ हआ था जिसम सरफीरोजखानन, सरगोकलचनदर नारजञ

आदि भी पधार थर। उस समय सरभोकलचनदर जी न दशी

दवाओ क गणो का बन करत हए कहा था, कि म एक वार

मलरिया क चगल म ऐसा फलता कि मददीनो मकत न हो सका ।

पञाव क योगय डा? वलीराम जी न हर चषटा की, किनत मल-

रिया न पीछा न छोडा ।

एक दिन मरा एक नौकर कहन लगा कि अगर, हजर मरी बताई हई दबा को सवन करल, तो म आशा करता ह. कि अति शीघर सवसथ हो जायग। असत उसक बतान पर मन वह योग सवन किया ओर कछक दिन म ही वह जवर जो मारत क परसिदध डाकटर वलीराम की चिकितसा स किसी परकार ठीक न हआ था, एक साईस क बताय हए दशी योग स दम दबाकर भाग गया ।

योग--हरी गिलोय १ तोला, अजवायन दशी ६ मा०; रात को मिगोकर रख द और, परात घोट छानकर तनिक नमक

मिलाकर पील | नितय य' ही सवन कर ।

इसस न कवल दतकालिक लाभ होता ह, अपित मम तो आज सालो बीत गई', फिर कमी जवर नही हआ ।

Page 182: Ghar Ka Vaid - archive.org

(

सतत गिलोय ताजार म सत गिलोय क नञामन स कचल रगीन मदा हाथ शाता ह, यदि सत गिलोय क दिवय गणो स लाभानवित होना चाहत ह, तो निमनाकित विधि स सवय सत गिलोय बनाकर काम म लाय ।

हर मिलोय की मोटी २ ताजा लकडिया लकर छोट २ टकड काट ल और किसी मिटटी क पातर म आठ गन पानी म मिगो द। २० घद उपरानत जोर २ स हाथो स मल। इसी परकार तीन दिन आतः साथ मलत रह। ततपदचात लकडियो को पानी स निकालकर फक ६ ओर जो पानी निथरता जाव, उस फकत जाय। यहा तक कि एक इवत २सी वसत शप रह जायगी। उस धप म थपक करक पीस छानकर शीशी म सरकषित रखल |

यही सत गिलोय ह, जो कि बयरो क वीसियो थोगो म असख दरबय क रप म सममिलित दोता ह । कछक डन हए उततमोततम योग नीच लिख जात ह --

चण गिलोय योग--सत गिलोय, करजबा क बीज की गिरी, काली मिरच

भनी हई फिटकरी, तवाशीर परतयक १-१ तो०, मिशरी एक पोला, दट छातरकर ची बनाए ।

46) ४ )

Page 183: Ghar Ka Vaid - archive.org

( २६ )

मातरा--९ माशा स तीन सा० परात' दोपहर ओर साय उचित

अरक, शरवत या कवल पानी स |

लाभ--भौसमी जवर क लिए शरतिया दवा ह |

दवितीय योग योग--सत गिलोय, तवाशीर, छीटी इलायची का दाना,

गौदनती हरताल मसम, अशरक भसम परतयक तोला २ मिशरी

६ तोल ।

मातरा--९ मा* परात: दोपहर साय ।

अक गिलोय बाजारी अक गिलोय भी किसी काम का नही होता | निरत

विधि स सवय तयार करो ओर लाभ उठाओ ।

योग--२ सर पकका हरित गिलोय को कचल कर ८ सर

पकक पानी म एक दिन रात सिगो रख और फिर परचलित विधि

स उसका अक खीच ल। मौसमी जवर चाह जीण ही क‍यो न

हो, उसक लिए परम लाभपरद ह | सातना--२ तो० स ५ ततो० तक परातः व साय ।

अक गिलोय ( जोकि जीण स जीण जवर व कषय तक को लामपरद ह )

यह अकी परतयक ऋत म बिना शका क सवन किया जा

सकता ह। जो सजजन एक बार परिशरम स वनाकर परीकषा

Page 184: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६४७ )

करग, और किसी दवा का नाम नही लग। कयोकि यह परान स परान जवर और खासी को जड स मिटा दता ह :--

योग--वनफशा क फल १३ सर, हरित गिलोय ४ सर, गाव- जवा $ सर, चिरायता आधा सर, शाहतरा $ सर, सॉफ १ सर, मलहटी ? तोला, इन सब को जो कट करक तीन भाग करनल

आर उसम स ? मारग दवा लकर सारी रात २० सर पानी म सिगो रख । ओर परातः सवक स अरक खीच ल। इस अक म टरवयो का दसरा भाग डालकर इतना पानी थौर डाल कि कल

पानी पनः २० सर हो जाय । फिर परवचत‌ अरक खीच ल | इसी परकार तीसरी वार शररक खीच कर वोतलो म भर ल। अरक

तयार ह ।

मातरा--श। तो०, दिन स तीन चार बार पिलाए ।

लाभ--कदध दिनो म ही हर परकार का जवर, खासी, परति-

, इयाय ओर पयास आदि दर दो जात ह। नतयिक व ठतीयक

जवरो को विशष लामभशरद ह | चढ हए या उतर हए जवर म एक

ही ओपधि ह। ह ४५ गिल

चण गिलोय का तीपरा योग शानति

योग--सत गिलोय, तबाशीर, छोटी इलायची, गलखरा, वनफशा क फल, नीलोफर क फल, गावजवा क फछ, अरमनी

क फल, शाहतरा, रबव उलसस, बादियान, कशनीज, गौदनती

Page 185: Ghar Ka Vaid - archive.org

( द८ )

भसम, काकडासिधघी, नीम की छाल परतवकत एक-एक तो०, कल

डीडा की गिरी, जदवार, जहरमोहर की भसम, मसतगी रमी,

समग अरबवी, कतीरा, लाल सनदल; परतयक ६ मा०, इवबत अशरक

भसम तीन मा०, मिशरी समपरिमाण, चरो बनाए ।

लाभ-हर परकार क जवर क लिए यह एफ परशसित ओपधि ह । इसका नाम शानति ह । *

सातरा-तीन २ मा० परात दोपहर व शास उचित ओपधियो

क साथ सवन कर |

जीएजवर नाशक अदभत योग हरित गिलोय २ तो०, अजवायन दशी ६ मा०, नमक खरदनी

१२ मा०, तीनो वसतओ को किसी मिदठटी क कढ म डढ पाव

पकका पानी डालकर भिगो द और उस सकोर को दिन भर सरज की गरमो म पडा रहन द । ओर रात को ओस म पढा

रहन द। परातः ठडाईबत‌ घोद छानकर रोगी को पिलाए। एक सपताह क निरनतर सवन स परान स पराना जवर भी जड स चला जाता ह |

Page 186: Ghar Ka Vaid - archive.org

करजवा करजबा एक वलनमा पीधा ह, जिस बागवान अपन बाग

क चारो ओर लगा कर काठदार तार का काम लत ह । इसक

पतत अनार क पतता की भाति बिना नोक ओर अज म अधिक

होत ह'। इसकी शाततरो म दोधारा पततिया ६ स १० तक पाई

जाती ह । इसकी फली का गिलाफ आम की माति किनत काट

दार होता ह. जिसम स २-३ मोट ? बीज निकलत ह। शषक

होन पर यदि उनको हिलाया जाय, तो उनकी गितरियो क हिलन

की आवाज सपषट सनाई दती ह ।

परकति तथा महतव -हकीसो न इस तीसरी शरणी का गरस

व शषक लिखा ह |

नाम--करजबा, हचका, अकतमकत आदि |

लाभ- अरशनाशक, उदरकषमिनाशक, बाजीकरण दोधो को

दर करन वाला ह। किनत हम यहा उन सब गणो को छोडकर कवल मलरिया नाशक विशष योग लिखत ढ। वदयो का कथन ह कि करजबा यथारथतः कनन का परतिनिधि ह. ।

यदध काल म कनन दषपरापप ही नही, अगराषय किनत

इसका परतिनिधि करजवा परचखता स परापय ह ओर इतना ससता

ह कि छछ आन सर क भाव: स हर सथान पर मिल सकता ह ।

Page 187: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४? 9

करजबा की गोलिया (जो कि सहसतरो हकीमो की परशसित व अजभत ह )

योग--रजबा की गिरी २ तोला, फलफलदराज २ तोला फीकर पतर १ तोला, इवत जीरा १ तोला, अर गशलाब या कवल सादा पानी म पीसकर चन बरावर गोलिया वनाल। मातरा १ गोली परात दोपहर व सायकाल ताजा जल स ।

* (‌ः

करजवा चए

योग--गर २ तोला, नौशादर २ तोला, करजवा की गिरी १ तोला कट छान कर रख और आवशयकता क समय + री स ४ रतती तक चाय या अकर गिलोय था पानी स द । यदि जवर स पर दिया जाय, तो जयर रक जाता ह और चढ जयर म दन स पसीना लाकर जयर उतार दता ह ।

कनन का परतिनिधि--कर जबा चरण ( जिसकी परशसा डा० असार न मी की थी )

मलरिया क लिए उततम दवा ह, इसक सवल स मलरिया क कोटाण नए हो जात ह । चकि मलरिया जवर ससार क हर भाग म होता ह, अत यह गचर मातरा म परयकत ह। चिरकाल स इसकी खोज थी, कि कोई दबा इसक परतिनिधि रप म मिल | इस ससवनध म काफी रिसरच की गई | पराचीन चिकितसक इसक लिए करजबा का परयोग करत थ । इसका सतव और तलल परापत

Page 188: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४१ )

किया गया और उस रोगियो पर अनभव किया गया। दीघ- काल क अनभवोपरानत यह परमाणित हो गया कि मलरिया ओर बारी क बवरो म यह परम लाभपरद ह। अब यह असखय

अगरजी दवाओ म विविध रपो म विकरय हो रहा ह । मलरिया

म विरचन क पदचात‌ इसक सवन स अतिशीघर लाम होता ह.

सरवोततम योग नीच अकित ढ, जिसकी परशसा डाकटर असार

न भी की ह.--

दबय तथा विधि--करजबवा क बीज ५ रतती, फलफलदराज

२ रतती, दोनो का चरी बनाल।

मातरा व सवन विधि--यह एक मातरा ह, पानी स फाक ल ।

लाभ -मलरिया क लिए विशष आपधि ह ।

Page 189: Ghar Ka Vaid - archive.org

लोग बटी मौसमी जवरो भ अकसीरी परभाव दिखान वाली

आशएचयोतपाठक बटी

हमारा परानत तो नितानत बजढ परानत ह, लॉग बटी हमार यहा अतयलप परापत ह। हा निकटवरती रियासत पटियाला क

नहरी कषतरो म यह बटी ठीक मलरिया क मौसम स खोजन वालो

को मिल जाती ह ।

जिन दिनो म मोजा मीरपर जिला पटियाला म जडी वटियो की पसतक क लिए चितरो क डिजाइन बनवा रहा था, उन दिनो मौसमी जवर का बहत परकोप था। मर पास जो भी मलरिया क रोगी आत थ, म यही वटी घोटकर पिलान को द दता था। ईइबर की कपा स एक दो मातराओ म ही जयर दर हो जाता |

म चाहता ह' कि आइचयजनक लाभपरद घटी का अनभव घड पमान पर किया जाय और फिर इसका सत, मिकशचर और रावत तयार करक यथा समसमव सार ओऔपधालयो म इसका भवनध किया जाय। असत नीच इसका हलिया अकित किया जाता द, ताकि पाठको को पदिचान करन म कठिनाई ल हो । आव-

Page 190: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४३ )

इयकता थी कि इसकी रगीन तसवीर छाप कर पाठको को सविधा पहचाई जाय किनत जमान का दौर दखत हए हमार सामन वडी कठिनाइया ह |

लॉग बटी का हलिया--पौध की लगबाई एक हाथ स लकर गज भर तक दखा गया ह| पील रग क फल शारखो क सिर पर

लगत ह । जिनकी पततिया परसपर भली परकार मिली हई नही होती | फल और पतती की शकल सरजमखी स मिलती जलती 'ह किनत उसस बहत छोटा होता ह। सवाद कडवा होता ह ।

पराय. नहरो क किनार २ या खतो की मड पर उगती ह । नाम--हमार परानत म इस लॉग बटी कहत द । यद नाम

इसलिए रखा गया, कयोकि इसक फल को वनावट सतरियो क

आभषण 'लोग” स मिलती जलती ह। पटियाला ओर अमबाला क कषतरो म इस इलदा घास कहत द, क‍योकि इसक फल हलदी

क रग क होत ह ।

यही रम बटी ह जिस कनन का परतिनिधि वताकर इइत-

हारो दवारा परचर मातरा म वचा जाता रहा ह जसा कि चिकितसा समबनधी परानी फाइल दखन स जञात हआ ह। इसी इलिया ओर इनही गणो वाली बटी को उनहोन रम बटी नाम दिया ह, आग ईदवर ही जान !

सवन विधि- कनन की माति बारी आन स परव २ माश स ४ माश तक ५-६ काली मिरचो क साथ घोट छानकर घढा ९

क अनतर स दो वार द । या पानी म उवाल कर पिललाए |

Page 191: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४४ )

लाम--अब तक अनभवो स तो यही परगट हआ ह कि

कनन स किसी परकार कम नही और यह‌ सी कि कनन की भाति

खशकी नही करती | इसक सवन करन वाल को कानो म शाय

शाय नही परतीत होती । हा अधिक सवन कर लन स कछक दसत आ जात ह। कई ओपधालयो न तो कनन को विलकल छोडकर

डसक सथान पर इसी को अपना लिया ह |

हम भी इस बटी को इकटठा करन का परथास कर रह ह । पाठकगण सवय खोज ओर परण बिशवास क लिए दो पतत लिफाफ म डालकर साथ म जवाबी टिकिट रखकर दहाती फारमसी म० पो० कासन जिला गडगावा' स पछ ल। साथ ही अनभव ओर उसक परिणामो स फामसी को सचित भी कर| ताकि परी तसल‍ली हो जान क बाद उसक सतत‌ आदि का परबनध किया जाय |

Page 192: Ghar Ka Vaid - archive.org

कनन का---समककष---या परतिनिधि

दशी ओषधिया इन दिनो मलरिया जवर का परकोप हो रहा ह, कनन का

भाव इतना अधिक बढ गया ह कि गरीब वलकि मधयम शरणी

क लोग भी उसका सवन सरलता स नही कर सकत ।

इसक अतिरिकत कनन म छछ दोप भी ह, असत आवशयकता

ह कि उसकी समककष अलय औपधियो का अडमव करक उनह

ससार म फलाया जाय | ताकि गरीब ओर मधयम बरग क लोग

उनस लाभ उठा सक । म इस वात को मानन क लिए कदापि

तयार नही कि ईइवर न मलरिया नाशक सार गण कनन म

ही छपा ढिए ह ओर उसक अतिरिकत ससार भर म कोई

वसत उसकी समता नही कर सकती ।

असत शरथम वार म इसी परकार की ओऔषधिया पश करता

ह, जिनह अतभवी हकीमो वदो न कनन क समककष या उसक

लगमग गणो स समपनन बताया ह। सहरखो पाठकगण सव

इनका परण अलमव करक परिणाम स हमारी फारमसी को भी

सचित कर।

Page 193: Ghar Ka Vaid - archive.org

(६ ४६ ) ,

'दशी कनन' ( जिसका सवाद फीका ह )

लीजिए साहब | हस अपन छदय का टकडा भी भट करन लग ह । यह वही वसत ह जिसका हमन बडी धम-धाम स विजञापन कर रखा ह। समसवतः व लोग, जो इस गहसयभय थोग को हथियान क लिए लालायित थ, आज इस इडयरीय कपा समभग । ससार की अनितयता का धयान करक आज इस मी परकट किए दता ह । च कि हमन इसको विजञापनी रग द रखा ह, अत' हस इसको मीठा कर लत ह और वजञानिक रीति स बनात ह । यहा साधारण विधि लिखी जाती ह, जिसको सरव साधा- रण भी तयार कर सक |

धतर का फल सर भर कटकर लगदी बनाय और एक हाडी म आधी लगदी विदधाकर हरताल गौदनती क टकड २० तोल सधय म रखकर कपरौटी कर और २४ सर उपलो की आग द। हरताल इवत धवल निकलगी ।

लाभ--झनदरता म कनत स बढकर ह, जयरागमन सर घट परव २ रतती स ३ रतती तक की पडिया ओर फिर घटा परव एक ओर पडिया पानी स द । यह विसमयकारक दवा ह।

कनन की परतिनिधि अतीस को थोडी दर पानी म मिमोकर ऊपर का छिलका जतार द। और उसको अति सकम पीसकर शीशी म सरकषित

Page 194: Ghar Ka Vaid - archive.org

5 ० १] रख | यह भी मललरिया जवर क लिए कनन क वरावर बरन‌ जसस भी अधिक परभावक ह । आवशयकता क समय चारी स एक घटा परव 9? भाशा की मातरा पहिल दो घट फिर एक २ घट क अनतर स दो वार पानी क साथ ॥ । ईजयर कपा स परथम दिवस ही जयर दर होगा ।

सलमानी दवाखाना की आशचरयजनक आविषकार ६ सहलती |

(जो कि सनदरता और लाभ दोनो म कनन क बराबर ह) यह एक विरोप दशी आविषकार ह, जो कि रग और भार म तो अगरजी कमन जसी दी ह, किलत जञाभ और ससतपन म उसस कई गना बढकर ह। भातरा भी बहत कसम ह और सबस वडी विशषता यह ह कि खठकी विलकल नही करती। यही कारण ह कि पानी स खाई जाती ह और एक ही दिन स अपना मसाव दिखाती ह | हर परकार क जवरो, विशष कर मलरिया क लिए अकसीर ह| हमन वरषो इसका विजञापन करक आज पाठको को भट करदी ह, दख कया कदर होती ह।

योग--उतकषट परकार की गौदनती हरताल लकर उसको गोदसथ म तर कर, और परतिदिन नया दध बदल दिया कर। इसी भकार सात दिन तक दध वदलत रह. । ततपठचात निकाल कर दहकत हए कोयलो की आग पर रख द और ठडा होन पर फल हए ठकड निकाल ल और फिर उनह खरल म डालकर

Page 195: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४८ 9

परति ५ तोल क अनदर ४ रतती सोमल भसम मिलाकर खब खरल कर ओर आवशयकतानसार सकरीन मिलाकर शी शियो म भरल | भातरा--२ रतती स ४ रतती तक दिन सम तीन बार | ईइचर छपा स चढ हए जवर को उतारती ह और उतर हए को पनः चढन स

रोक दती ह । नोट--सोमल ( सखिया ) की भसम आवशयक नही । इवत

सखिया को एक दिन तक अर गलाव या कवडा म भली भाति अनतरखरल किया जाय, ओर उपरोकत योग म परयोग कर तो लाम

म नही पडता | सकरीन कवल मीठा करन क लिए मिलाई जाती

ह। यदि मीठी न करना चाह तो सकरीन का मिलाना आवशयक नही । सकरीन आवशयकतानसार ही मिलाए। अनभव करक मातरा सवय अनमान करल।

कनन की समता करन वाली

'दशी व ससती दवा' कनन मलरिया जवर क लिए अकसीर मानी जाती ह। किनत

सरव साधारण क लिए एक तो बहत महगी ह, दसर बहत खशक होती ह । इसलिए इसक साथ दध पीना आवशयक होता ह! वरना कान बहर हो जात ह | अत पाठको की सवा म हम एक

ऐसा योग भट करत ह जिसम कनन सममिलित नही लकिन लाभ स उसक ही समान ह | वरन‌ उसस मी बढकर मातरा ओर सवाद मी बिलकल कनन जसा ही ह। आननद यह कि बिलकल ससती ओर सरवतर परापय ह। कोई लमबा चौडा योग

Page 196: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४६ )

नही वरन‌ एक मातर वटी ह, जो कि किसी पसारी स लकर कछ मिनटो म ही जितनी चाह, तयार हो सकती ह ओर मल- रिया की परतयफ दशा स दी जञा सकती ह | असत चढ हए जवर

को उतारती ह, ओर उतर हए को चढन स रोकती ह | मलरिया क कीटाणओ को मार दती ह, यकत को पषट करती ह। हमार. अनभव म इसस बढकर लामपरद अनय कोई दवा सिदध नही हई ।

लीजिए, म आपको अविक परतीकषा म नही रखना चाहता। बताए दता ह कि बह अदसत वसत छटकी या कड ह। यदयपि आपको आइचय होगा, कि यह सामानय सी वसत कयोकर इतनी

लाभपरद‌ हो सकती ह, किनत आपका आरचरय उस समय दर

हो जायगा जब आप इसका अनभव रोगियो पर करग। यदि कनन स बढकर परमाणित न हो, तो मरा जिममा ।

सचन विधि--जवर चढन स आध घटा परव ४ रतती दवा खाड या बताशा म डालकर खिलाए। सरदी कदापि परतीत न

होगी । जवर परथम तो रक जायगा, अनयथा पहिली सी तीतरता न होगी । जवर की दशा म गरम पानी या चाय क दन स पसीना लाकर जवर उतार दती ह ।

वादी क जवर क लिए तीन पडिया जयर चढन स परव समापत

करद । परमातमा न चाहा, तो जवर कदापि न चढगा किनत

सरकषाथ दो चार दिन सवन करत रह, ताकि जवर का पनरा-

गमन न हो | हमारी फारमसी का यह चलता हआ योग ह। सममदार वयकति लाभ उठ |

Page 197: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ५० ) नोट--कटकी एक परकार की लकडिया ह, जिनकी रगत

काली इवतता लिए हए होती ह। कटकी का सवाद अति कडवा,

परकति तीसरी शरणी की गरम व खइक ह। आमाशय पोषटिक, उदर कमिनाशक व रचक ह. अत आमाशय की दवलता ओर

कोषटबदधता को दर करक पषठ करती ह । जीण जवरो म जब कि

यकत भी रोगगरसत हो जाता ह और परिणामसवरप हाथ पावो

म शोथ आ जाता ह तो इसका चरण सवन कराया जाता ह । गरमी क जवरो म मी नीम क छिलक क साथ उबालकर

पिलात ह ।

मातरा-५ रतती स १० रतती तक | जवरो स २ साशा तक |

वारी रोक चटकी धतर का फल आवशवकतानसार लकर मिटटी क कोर क'ज

म डाल कर मह बनद करद ओर आग म जलाल। तदननतर निकालकर पीसकर शीशी म सरकषित रख।

मातरा-२ रतती स १ माशा तक सवन कराए'। यह दवा

कनन स उततम सिदध हई ह ।

आननदपरद गषधि शीशा नमक १ तोला, अजवायन दशी ३ तोला, कठ छानकर

सरकषित रख और मलरिया क रोगी को १-१ माशा परातः दोपहर व साय दिया कर। कनन का परतिनिधि ह ।

Page 198: Ghar Ka Vaid - archive.org

(६ ४१ )

तलसी चण शषक तलसीदल १ तोला, काली मिरच का चरी १ तोला, खान

का सोडा ५ ठोला, समसत ओपधियो को मिला कर रख ल । मातरा--१ माशा चढ हए या उतर हए जवर म द । हर दशा

म जञास पहचाती ह ।

बारी जवरो क लिए कनन स बढकर परभावक गोलिया हर

शिगरफी तलसी वटिका (जो कि एक रपया परति गोली क माच स परचरता स विकतती थी)

एक परसिदध हकीम जी इस एक गोली का मलय एक रपया

लत थ और कमाल यह था कि एक ही गोली स जबर दम दवा कर भाग जाता था। ठतीयक, चौथिया, नतयिक सब क लिए समान रप स उपयोगी थी। सचक न इस परापत करक अपनी फारमसी क अगणित रोगियो पर परीकषा की। ईशवर हपा स परम लाभपरद सिदध हई | यदयपि ऐस चमतकारी योग बताना लोग पाप समभत ह, किनत ईशवर कपा स म अपन को इस सकीणता क परभाव स बचाए हए ह' ।

योग--शिगरफ रमी १ तोला को खरल स डालकर पीस

आअरोर उसम ? काली मिरच डालकर पीस ओर फिर एक पतता तलसी का सममिलित करक पीस । इसी परकार बारी २ स काली मिरच ओर तलसी का पतता डाल कर खरल करत रह, यहा तक

४०० काली मिरच ओर इतन ही तलसीदल पिस जाय | फिर

छोटी २ गोलिया वनाल ओर सखन पर शीशी म रख ।

Page 199: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४२ )

सवन विधि व लाभ--जवर चाह तीसर दिन का हो, याकि चौथ दिन का या परति दिन का । जवरागमन स एक घटा पव बरी क दो पततो म लपटकर खिलाब | आशा ह, कि उसी दिन जवर न होगा अनयथा दसर दिन पनः द ।

पिनकीना का परतिनिधि अनभव सिदध ह कि सिनकोना वारी जवरो ओर शलनो क

लिए अकसीरी शरभावक वसत ह। चकरि सिनकोना विलायती चीज ह, असत यहा हम एक दशी योग लिखत ह, जो हर परकार स सिलकोना का उततम परतिनिधि सिदध हआ ह ।

योग--शदध रसौत २ तोला, भदार का दध १ तोला, मिला कर हवन दसत क अनदर खब कट । जब नितान‍त शषक हो जाय, वो फिर बारीक पीसकर शीशी म सरकषित रख। चरबत‌, बटी वत‌ अथवा सिक‍शचर क रप म, जस चाह, सवन कर ।

लाभ--इसक लाभ न कबल सिनकोना क बराबर, अपित कभी २ उसस भी व‌ चढकर सिदध होत ह और विशषता यह ह कि सिनकोना की भाति इसम कोई हानिकर परभाव नही ह। इसक अनभवोपरानत आप सिनकोना का नाम मी न लग ।

बादाम क गण तथा उपयोग हमारी गण तथा उपयोग सीरीज का एक पषप ह, जिसम

बादाम क पर लाभ, उसस वनन वाल पौषटिक हलव, पाक, शवत ओर तल आदि की बिधिया भी लिख दी गई... जअही मगाकर लाभ उठाय ।

Page 200: Ghar Ka Vaid - archive.org

एनटीफबीन--और--फिनसटीन की

'परतिनिधि--दशी--ओषधिया सामानयत. अगनजी पढ लिख बाब लोगो की यह धारणा ह,

किि जिस परकार अगनजी दवाए शीघर परभावक होती ह उस परकार दशी दवाओ का परभाव शीघर परकट नही होता । यथा एनटीफनरीन ओर फिनसटीन ऐसी दवाए ह, जिनक खात ही पसीना जारी होकर जवर उतर जाता ह किनत उन लोगो को यह जञात नही कि

दशी दवाओ म भी ऐसी शरनक बसतए ह, जो ततकाल पसीना लाफर जवर को उतार दती ह ओर फिर विशपता यह ह कि अगरजी दबाओ की भाति हदय को दरबल सी नहो करती |

साथ दी इस यदध काल म परथम तो अगरजी दवाए अगरापय

हो थकी द या मिलती ह तो इतन ऊच दारमो पर कि कम स कम हमार दश का गरीब वबग तो उनस लाम उठान स परणवया चचित ह! अत. आगामी परषटो पर एनटीफबरीन ओर फिनसटीन >की समककष परसावक दशी ओषधियो का वरणन किया जा रहा ह ।

पाठकगण अनभव करक परिणाम स सचित कर । ऑन

Page 201: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४० )

हाताल-भतम

जो कि फिनसदीन थी समाझ ह, जिसम पसीना करारर धयर

ततकाल उनर जाता ह ।

या हरताल भगग न झसल खर | लिए रामयागय धयोषधि

ह, अपित पासी आदि खनझ रोगो की भी पयकसीर ह !

टरवय--गीदनती हरमात ८ नोला, दशी शझाउयायन ४ तोला,

नीमसादर तीला, फिटकरी » ताला, घीगयार का सदा ४ सर

मिटटी की हाटी ? सग. उप १६ सर )

विवि-हाटी म परिछ २ खर पवया सीमयार मा सदा

डाल। और फिर उस पर 'पराथी 'अजयायन चिदा द और फिर

नोशादर व फिटकदी की दशडिया घनाकर र कोर फिर

गोदनती हरताल क ठकद रमरमर ऊपर शष 'परजवायन हालकर

घीमथार का गदा डान और फाठी क मह को मिदठी स कपरीटो

करक भमि क अनदर गठा सोटफर ५ “६ सर उपलो की मान

द। हरताल क टकड धवल बचत ओर फल हए परा होग ।

बारीस पीसकर शीशी म सरहित रख और 'रावशययता क हि

समगर निमन विधि स काम म लाए। परम लामपरद और ततलश_ परभावकर योग ह ।

सवन विधि--मातरा १ रतती स २ रतती तक शरक सौफ था पोदीता क साथ द । हर परफार क जवर व खासी क लिए परम लाभपरद ह ।

Page 202: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४४ )

भसम सलखडी वरकिया सलखडी आवशयकतातसार लकर भौदगध म अति सकषम

पीख कर २-२ ठोल क गोल वनाकर थषक करल और १० सर उपलो म आग दव। मातरा २ माशा २-२ घद क वाद उचित शरवत क साथ | ईववरचछया एक ही दिन म जवर दर हो जञायगा |

सवादिषट चटनी का योग

बडी दाख २ तोल म स बीज निकाल ल और उन बीजो की सखया क वरावबर उनम काली मिरच ढाल कर खब घोट । भली परकार घट जान पर उसम पाव भर पानी डाल कर मनद २ आच पर पकाए | जब सारा पानी जलकर गाढा सा कवाम हो जाय, तो उतार कर नजला जकाम ओर सिर पीडा क रोगी को

समोषण ही चटाए ओर रोगी को आदश करद कि वह अपन

सार शरीर पर लिहाफ ओढ कर दवा को चाट | वस थाडी दर म ही पसीना जारी होकर परतिशयाय वा सिर पीडा स मकति मिल जञायगी | किनत ठनडी हवा ओर ठड पानी स बचाव रख।

ततलए परसवदक अनय योग एनटीफनरीन और फिनासटीन यदयप पसीना लाकर जवर

उतार दन म अति परमावकर 6, किनत इनम एक वडा भारी

दोष ह, जिस आज तक दर नही किया जा सका वह यह कि

Page 203: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४६ )

इनक सवन स ददय टरबल हो जाता ह। किनत निमन परयोग

स न हदय दबनल होता ह ओर न फिसी अनय हानि की ही शका

ह, अपित हदय को शकति दता ह। और फिर विशषता यह, कि जवर ततकाल उतर जाता ह। बनाए अर परीकषा कर । सममव

ह कि सोफ स किसी परकार का सतव लकर हमार वदय मी काम

लन लग | बरन‌ म तो राय दगा कि य अवदय ऐसा कर। कयोकि यह आविषकार एक उततमोततम और हानि रहित अकसीर

होगा ।

याग--२५ तोला सॉफ की लोह क तव पर हालफर तनिक भन सा ल, और गरम २ की ही लकर १ तोला मिशरी मितराकर फड म डालकर कट ल ओर फोरन रोगी को गरमा गम ही खिलाऊर ऊपर स ग पानी पिलाद। साथ ही रोगी को उपरोकत दवा खिलाकर आदश करद कि वह कपडा ओद कर लट जाय

बस थोडी दर भ ही पसीना जारी होकर जयर उतर जायगा ।

भसम शोरा व नोशादर ( जिसस आध धनट म पसीना आकर व पशातर

आकर जवर उतर जाता ह )

“दौलत कमान की कल! नामक परसिदध पसतक म लखक महोदय न लिखा ह.--कि म और एक मरा दोसत गल बका- वली वाग की सर को जा रह थ, कि मार स हमार साथी को अति तीजर बयर हो गया। मन उसको बाग स लिटा दिया । सोच

Page 204: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४७ )

म था, कि कया किया जाय ९ इतन म वहा एक साध आ निकल उनहोन मझ चिनतागरसत वठा दखकर मसमभस पछन लग--बाबा ! इसको कया हो गया ह ९ सन बताया साई' जी, इस बहत तज बखार हो गया ह | जिसस यह वहोश हो गया ह । यह सनकर साध सहाराज वही वठकर हमार साथी को दखन लग, और

दखकर कहा कोई चिनता की वात नही । ईशवर न चाददा तो अमी जवर उतर जायगा। फिर उनहोन अपन पास स २ रतती दवा निकाल कर खिलाई । दवा दन क आध घट वाद जयर उतर गया | मन साई' जी स बडी नमरता स दवा क बार म पछा, तो व बतान भ टालमटोल करन लग और जान को तयार हए । मन बडी कठिनाई स उनह बिठाया और उनह आठ रपए, दिए । तब कही जाकर उनहोन बताया। आज म कई साल स इस सकडो रोगियो पर वरत रहा ह, वह योग कसी नही चका ।

योग--नौशादर १ तोला; कलमी शोरा » बोला, आक का

दध ४ तोला ।

निरमाण विधि--नौशादर और कलमी शोरा को किसी लोह

की कडछी म डालकर कोयलो को तज आग पर रखकर डसम

थोडा २ आक का दध डालकर लोह की सीक स दविलात जाव

जब दवा स धवा निकलन लग, और किनार काल पडन लग, तो फिर और दध डाल कर हिलाओ | साराश यह कि इसी परकार सारा दध शोषण करद । जब धवा अधिक उठन लग; तो कडछ को उतार जो और जब धवा उठना वनद दो जाय फिर

Page 205: Ghar Ka Vaid - archive.org

( #८ )

आग पर रख दो । २-४ वार ऐसा करन स सारा दध शोषण होकर शषक हो जञायगा | ठडा करक शीसी म सरकषित र ।

मातरा--२ रतती लगभग ३ माशा खाड म खिलाकर गम

पानी क दो घट क साथ द | प ३

दशी ऐसपरीन जिसस अतयलप काल स सिर पीडा वजवर दर हो जाता ह। योग--गौदनती हरताल भसम १० तोला (जो कि आफ क दध

म तयार की गई हो) कलमी शोरा २ तोला, लोमान का सतव १ तोला ।

मातरा--४ रतती स १ साशा तक एसपरीन और फिनिसटीन क समककष ओपधि ह |

नोट--इसी परकार क दसर योग इसी पसतक म आग दिए गए ह। वहा दख।

Page 206: Ghar Ka Vaid - archive.org

लाखो बार क अनभत-मलरया नाशक

आयरवदिक योग जवरषनी गटिका

दरवय तथा विधि--शदध पारा १ तोला, मसबर, फलफल दराज पोसत हलीला जरद, अकरकरहा, सिररो क तल म शदध गधक आमला सार, तखम खजल परतयक ४-४ तोला यथा विधि समसत आपषधियो को मिलाकर इनदरायण क फलो क रस म खरल करक ४-४ रतती की गोलिया वनाल । यदि किसी कारण वश इनदरायण क ताजा फल शरापत न हो सक तो £ छटाक इनदरायण क बीज सवा सर पानी म मन‍द २ आच पर पकारव । जब चतरथाश शष रह जाय, तो उस छानकर समाल ल ओर उपरोकत ओषधियो

को इसी कवाथ स खब खरल कर। जब सारा कवाथ उसम शोषण हो जाय, तो फिर ४-४ रतती की गोलिया बनाल ।

मातरा व सवन विधि--परात-साय २-२ गोलिया अर गिलीय,

अदरक क रस या गनगन पानी क साथ द ।

लाभम--शाहन घर, रस परकाश, सनदर, रस काम घल रस

राजसनदर योग रतनाकर और बहद‌ निघडध रतनाकर म लिखा ह,

कि इसक सवन स दर परकार क मौसमी जवर दर हो जात ह ।

Page 207: Ghar Ka Vaid - archive.org

(. 5० 3) /९४]

विशष गण--जब मलरिया जयर आदि क साथ फोए-चरदधता

हो, तो इसक सवन स कोपठपदधता दर हलॉफर चढा हआ जवर ततकाल उतर जाता ह| जवर स परव दन स जयर रफ भी जाता

ह। यदि मलरिया क कारण रोगी क यकषतत व पलीहा वढ गए

हो, और थोढा + जवर रहता हो, तो इसक सवन स परम सनतोप

जनक लाभ परापत होता ह ।

तरिभवन कीति रस दरवय तथा विधि--शिगरफ यदव, बचछनाग मदधतिर, फलफल

गिद, फलफल दराज, जजबील, सहागा सना हआ, पीपलामल,

सब दरवयो को उचित परिमाण म लकर विधिवत एक जान करक तलसी का रस, अदरक का रस, धतर क पततो का रस की तीन- तीन मावनाए दकर १-२ रतती की गोलियो वनाल ।

मातराव सवन विधि--१-१ गोली अदरक क रस या तलसी क रस अथवा सादा पानी स ३-४ घट क अनतर स दिया कर। यह परी मातरा ह। बचचो को सार दिन म कवल १ रतती द ।

लाम--योग रतनाकर म लिखा ह कि इसक सवन स तरह परकार स सननिपात जवर तथा अनय हर परकार क जवर दर हो जात ह । ४ विशष लाभ--यह रस परतयक जवर म तथा परतयक अवसथा म अयकत व लाभपरद ह। किसी भी जवर स जबकि जवर अति

Page 208: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६5१ )

तीनन हो, तो इसक दन स पसीना आकर कम हो जाता ह और रोगी को घबराहट, वचनी, जोडो की पीडा दर होकर जवर दर ही जाता ह । वशरतत कि कोषठवदधता न हो। यदि कबज हो तो पहिल कोई दवा दकर उस दर कर लना चाहिए। जवरागमन स परव द दन स जबर चढन नही पाता। किनत इसस लाभ धीर ० होता ह। मियादी जवर क परारममिक दो सपताहो म

इसका सवन लाभपरद ह | इसस रोगी को अजीणो या पट शत नही होता ओर दध सगमता स पच जाता ह। यदि दान मली भातिन निकल हो तो इस निरबीज मनक‍क म लपट कर

खिलाना चाहिए । ऊपर स गरम पानी क कछ धट पिला दन स दान आसानी स निकल आत ह। निमोनिया की परारममिक दशा म भी यह लामपरद ह। साराश यह कि हर परकार क

जवर व आनतरिक शोथ को दर करता ह. ।

जवरारि अशरक दरवय तथा विधि- इयामाभरक भसम, तामरभसस, शदधपारा,

शदध गधक आमलासार, बचछनाग मदवविर, १-१ तोला धर क बीज मदविर २ तो०, तरिकटादि ४ तोला ल।

पहिलल पारा व गधक की कजजली तयार कर। फिर अनय दवयो को यथा विधि मिलाकर अदरक का रस डालकर एक

।दन तक खरल करत रह। फिर रची २ की गोलिया बनाल।

मातरा व सवन विधि-मातरा १ रतती स २ रती तक ओर

वचच को 3 रतती स १ रतती तकत दिन म तीन वार शहद, अर

Page 209: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६२ 9)

सॉफ था पानी स द । मलरिया जवर की दवारय जयरागमन स एक घटा परव, तीनो मातराए द दनी चाहिए ।

गण तथा लाम--रसनदरसार समरह, रस राज सनदर, रस चनदराववणदर, सिपत रततावली म लिखा ह, कनि यह हर परकार क जयर अरथात बाव पितत, कफ और सननिपात जवर, मलरिया पलीहा, यकवत, वाय गोला, सजन, हिचकी, इबास, कास; कोए- वदधता, अरचि आदि रोगो को इस परकार नषट कर दती ह; जिस परकार बिजली पढो को नषट भरषट कर दती ह ।

विशषताए-य गोलिया हर परकार क मलरिया जवर क लिए असीम लाभपरद ह। विशषकर परान मलरिया क लिए तो अकसीर ह। एक दो दिन क सवन स मलरिया जवर दोवारा नही चढता ह। मियादी जयर क साथ यदि मलरिया भी हो, तो यह परम लाभ पहचाती ह. और यदि जवर क साथ खासी भी होती ह, तो यह खासी को अति शीघर दर कर दती ह। परीकषा करक लास उठाए ।

रसमणिक रसनदरसार सपरह और मिपज रतनावली म इसक तयार

करन की परी विधि इस परकार अकित ह.-- हरताल वरकिया को पठा क रस और खटट दही म परथक २

सात १ या तीन २ वार दोलायनतर दवारा पकाकर शदध करत, फिर “डस खरल म डालकर जौ कट करल | अब एक मिटटी क साफ

Page 210: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६5४३ )

सकोर म इवताअक क एक बड टकड को रखकर उसपर हरताल वरकिया क जञोकट किय हए ठकड बिदारद और उनह अशवक क दसर टकड स ढाप द। तथा सकोर को दसर सकोर स किनार मिलाकर बर क पततो दी लछगदी स भलनी परकार बनद फरक चलह पर चदा कर इतनी आग द कि निचला पयाला नीच स सख हो जञाय। अब उस सावधानी स उतार ल ओर ठडा होन पर सावधानी स खोलकर उसम स लाल रग की चमकीली सी वसत परापत करल। वस यही रस भणिक ह और यह ह वह विधि जिसस रस मखिक तयार होता ह। लकिन आधनिक चणयो न उपरोकत बिधि क कई दोपो को दषटिगत रखत हए इस बनान की एक दमरी विधि निकाली ह, जो कि उपरोकत विधि स उततमतर व सगमतर ह। इसक अतिरिकत इस विधि स बनान म मी उसक गण वही रहत ह: असत अब नई विधि अधिक शरचलित ह, जो कि निमन शरकार ह :--

रसनदरसार सगरह की उकत विधि क अनसार पहिल हर- तातन वरकिया को शदध करक इसका चण--जो कि अधिक सकषम न होकर दरदरा हो, बनाल। किर २-3 मा० चरो की इवताअक क एक टकड पर तह बनाकर डसक ऊपर उसी परकार का अभरक का और डकडा जमाद और फिर २-४ दहकत हए कोयलो पर उनह रखकर धीर २ पखा मालत रह। गरमी पहचन पर हरताल का छा निकलन लगता ह और बह शषक हजय चरम होकर पिघलन लगता ह और रस भी पील क तजाय लालासी पर आन लगता ह। जब दवा पिघल जाय, तो

Page 211: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६४ )

अभरक क ठकडो को चिमट स निकाल कर अगारो पर स हटाल, और ठढा होन पर दोनो अशरक क डकड परथक करक सिगरफ की भाति जञाल रग की चमफीली दवा समाल कर रखल। वस आधनिक विधि स यही रसमशिकर ह। इसी परकार जितना चाह, हरताल वरकिया स तयार करत ।

मातरा व सबन विधि-(- रकती परात साथ थी व शहद म मिलाकर चटाए |

लाभ--रसनदरसार सगरह आदि स लिखा द कि ईशवर को समरण करक सवन करन स कोढ दर हो जञावा ह। साथ ही इसस फटा हआ व गलता हआ कोढ, वातरकत, भगदर, नासर, जत, उपदश, व छाजन, नासिका रोग, गहर घाव. चरम दल व विसफोट आदि दर हो जात द ।

विशषताए--यह परथम शर णी की रकत शोधक अौपधि ह । खजली आदि क लिए रामबाग ह, फशवहरी क रोगियो क लिए भी परम लाभदायक ह । चार पाच मास क निरनतर सवन स फलबहरी क रोगी मवसथ हो जात ह। किनत इस दबा को १०-१२ दिन खिलाकर एक दो दिन का नागा अवशय करना चाहिए। कयोकि इसम सोमल का ततव होता ह और निरनतर सवन करन स विषाकत परभाव हो जान का भय रहता ह। इसक अतिरिकत हमार अनभव स यह दवा हर परकार क मलरिया जवरो क लिए सी परमलामदायक ह। जवरागमन स दो घट

- परव इसकी दो मातराए ३-. घड क अनतर स शहद म चटाए-

Page 212: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६० )

परथम तो उसी दिन जवर उततर जायगा, नचत दसर दिन भी सवन कर। ईइवर कपा स निवचय ही लाभ होगा । आमतौर पर जवर दर करन क लिए दो तीन दिन स अधिक किसी भी

रोगी को दन की आबदयकता नही पडती । साथ ही यह खशक तासीर की दवा ह, असत इसक सवन काल स घी मकखन

आदि खब खिलाए ।

नोट--उपरोकत गणो क अतिरिकत हमन रसमणिक को खासी क लिए मी अकसीर पाया ह। विशषकर एक अवसर

पर तो हम इसक दिवय गणो पर मगध ही हो गए। एक हाजी

जी मयदभर खासी म परसित हो गए, यहा तक कि उनक जीवित

रहन की सी आशा न रही । उस अबसर पर ईशवर मरोसा

रसकर रसमणिक की आधी रतती परात साय शहद म चटानी परारमभ कर दी। ईइवरचछया गिनती क दिनो म ही कषट दर

हो गया | ॥3 श

सदशन चए

हर परकार क जवरो, विशषकर मलरिया क लिए

आयरवद का सबिखयात योग

आयरवद जगत म यह योग अपन अदवितीय गणो क कारण

अतयधिक परखयात ह और बड २ वदय इस वनाकर अपन

अीषधालय म रखत ह। चय क सिवा हर परकार क जवरो क

लिए इस डचित अजपान स सबन किया जञा सकता ह और

Page 213: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६६ ०2

मलरिया जवर क लिए तो जहा भत न लगनी हो विलली म

यकत बढ गय हो, और कनन भी निषफल सिशध ही घकी हो॥

यह चण हथली पर सरसो उगाकर दिया दता ह। $ सक

अतिरिवत मलरिया स इतयनन रोन बाली दः लगा 'परादि बिक रो

को दर फरन क लिए भी एफ खनपस लीपधि ह

दरबय तथा योग--पोसत हलीला जड, परत एलीला, 'यामला।

मनफी, इलदी, दास गनदी, कटियारी खरट, हटठियारी कला,

कचर, सोठ, फाली मिरच, फपलदराज, पीपलामल, गिनोय, धवासा कटडी, मरोटफली, सागरमोबा, शाहतरा, असारी, चनफशा, मलनहठा छिली #ट, ससतसीम- झात छाल, मीठ इनदर-

जी, भारगी. दशी अरजवायन: सहानना बीम, फटिकरी लाक मनी हई, पर, पदमास, डवत सन‍दल, दारचीनी, 'अतीस« खरटी, शालपरणी, बायबढिग, 'अगरग, चितरा की जह की छा,

दयार का चरादा, चोया, पटबीपतर, जयबक उटयक, लग, तबाशीर कटोल क फल- काफोल, तजपतर- जञायिननी, तायरपतर, चिरायता !

परिमाण--उपरोकत शरोपचिया समभाग, चिरायता सवरध परिमाण स आधा ।

नोट- इसी योग क कोई २ दरबय आजकल पगरापय या कम स कम दषपरापय ह । शालपरणी और परठपरणी दहरादन 'और

सहारनपर क बड २ आओऔपधि विकताशो स मिन सफती ह। जयबक ओर उशमक क सथान पर बहार कनद डॉरल अनयथा य

बसतए' भी दहरादन और सहारनपर की ओर मिल जाती द।

Page 214: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६७ )

काकोली भी मिलती ह, यदि अपरापय हो तो उसक सथान पर

मलहठी डाल | चोया न मिल, तो उसक सथान पर पिपलामल

डालना चाहिए। पदमाख एक लकडी ह और इसी नाम स

मिल जाही ह| दहली म पराथ मिलती ह। सहाजन क वीज

आम तौर पर मिलत ह न मिल, तो उनक सथान पर सहजिन

की छाल डाजञ । आमला मनकी स अभिपराय बीज निकाला हआ

अमला ह !

निरमाण विधि--परथम ४२ औषधियो को समपरिमाण लकर

खब कट पीस व छान ल | यदि य सब १-९ तोला हो तो उनस

आध परिसाण म अरथात‌ २६ तो० चिरायता कट पीसकर उनम

मिलाद । बस सदरशन चरी तयार ह!

मातरा व सतरन विधि--यवा वयकति क लिए इस चण की

मातरा ३ मा०, वचचो व चढो क लिए आय व शकति क असार

नयनाधिक करल | चढ हए जवर म ग पानी स द, तो आय'

पसीना आकर वजवर उतर जाता ह। २४ घट म ४-४ मातराए दी

जा सकती ह | अनपान जवर की किसम ओर रोगी की दशा क

अनसार जसा चिकितसक निरधारित करल |

सचना--(१) यह चरण अति कढध होता ह, असत इस किसी

मीठी चीज म डालकर दिया जाय, तो कोमल परकति रोगी मी

आसानी स सवन कर सकग |

(२) इसी चरस की परसिदध विधि स अक मी निकाला जा

सकता ह जो जवरो क लिए परम लाभपरद सिदध होता ह ।

Page 215: Ghar Ka Vaid - archive.org

( द८झ )

दहाती योगावली थहा हम कछक ऐस शतशोनभत योग अकित करत ह,

जो कि 'दहाती फारमसी म० पो० कासन, जिला गडगावा! म

परतिदिन असखय रोगियो पर परयोग करिए जात ह, ओर परम

लाभगरद सिदध हए ह । परतयक योग लाख २ रपए का ह; जिनह

अनय वयकति सरलता स परकट नही कर सकता था ।

दहाती घडचढी ३६० रोगो क लषिए वदयक की परशसित गोलिया नामकरण-

जिस परकार थोड का सवार अति शीघर अपन लकषय पर पहच

जाता ह, उसी परकार इन गोलियो क सवन स ईउबर कपा स

रोगी अति शीघर रवासथय को परापत होता ह । असत दहाती फामसी

क परजय वदयराज न इसका नास 'दिहाती घडचढी' रमवा ह ।

च कि इस विसमयोतपादक ओऔपधि क अनक योग मिलत ह;

असत हम अपनी समझ स चना हआ सरवोततम योग अकित

करत ह ।

दरवय तथा विधि--झदध पारा, शदध गधक, पोसत हलीला जद पोसत हलीला, ऑवला, सोठ, काली मिच फलफल दराज, नागर सोथा, रबनद चीनी, अकरकरहा, परतयक ३-३ तोला, चीता; हरताल वरकिया, वशमदबिर, महामदा, सदागा सना हआ; नमक लाहीरी परसयक तोला २, हवब उलमलकमदबिर ८ तोला ।

Page 216: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६६ 9

पहिल पारा गधक को खरल म डालकर निरनतर ६ घट खरलन कर ताकि अतयततम कजजली बन जाए। ततपरचात‌ समरत

ओषधियो को परथक २ वारीक पीसकर मिलाल, ओर उसस

भगर क हर पततो का रस डाल कर खरल करत रह | यहा तक

कि पर ४० घट खरल हो जाए। वस अब मोठ क दान वरावर गोलिया बना ल । वस यही दहाती घडचढी' ह ।

सवन विधि--च कि य गोलिया विभिन‍न अलपानो स सवन कराई जाती ह, असत नीच हम विवरणातमक वरणन

करत ह :--

१. आधाशीशी पीडा--१ गोली खिलाकर ऊपर स एक तोला

तरिफला का चरण फकाए ओर एक गोली कडव तल म घिस

कर लगाए |

> अपसमार ( मगी )--१ गोली, काली मिच ? माशा क साथ

पीसकर नसयवत‌ रोगी की नाक म फ'क द, दोरा रक जायगा।

३ परतिहयाय ( नजला व जकाम)--३ माशा सोठ क साथ एक

गोली खिलाए |

४ नतर-पीडा--१ गोली ऑवला और इवत जीरा क साथ पानी

स पीसकर आख पर लप कर । ५ नाखना--१ गोली ऑवला और शवबत जीरा क साथ पीस

कर पानी स आखो म लगाए। अरथात‌ पानी म मिगोकर

लगाद |

Page 217: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४७० )

६. शबरकोरी--१ गोली थर म घिसकर सलाई स तनिकसी

आख पर लगाए |

७, मख की दगगनधि--* गोली ६ माशा गड क साथ खाकर ऊपर

स अदरक या पान खाए' |

८, दन‍त पीडा--१ गोली छोटी कटाई क साथ चढाए ओर दोॉत

पर मरत ।

६, सनतिपात--१ गोली दार फलफल क साथ पानी म घिस

कर आख म लगाए ।

१०. बमन--१ गोली तिगनी हीग म मिलाकर तनिक गम करक खिलाए |

११. तपा- १ गोली १ साशा काला जीरा क साथ खिलाए ।

१४' पाचन करिया--टीक करन क लिए १ गोली ९ माशा दशी अजवायन क साथ खिलाए ।

१३ कोषठवदधता--रोगी को पहिल तीन दिल खिचडी खिलाकर चौथ दिन शकति अनसार गोलिया खिलाकर ऊपर स ठडा

पानी पिलाए | यदि दसत कम आए, तो खाड का शबत वरफ डाजकर पिलाए'।

१४. अतिसार--रोकन क लिए १ गोली ग पानी स द ।

१५- रकतातिसार म--९ गोली गाय की छाछ क साथ द । १६ पचिश--१ गोली ३ माशा सोठ क चण क साथ कछ दिन

तक खिलाए ।

Page 218: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ७४१ )

१७. उदर-कमि--१ गोली अदरक क रस क साथ तीन दिन द‌ |

१८. कटि-पीडा--१ गोली ४ लॉगो क साथ खिलाकर ऊपर स अदरक खिलाए |

१६. पथरी मतराशय--१ गोली कलथी क सवररस स द ।

२०. पथरी बक‍क--९ गोली पसखान वद क साथ द

२९- ऋत दोप- १ गोली मरगी क अणड क साथ खिलाकर ऊपर स मदरात पिलाए |

२२. कोएबदधता--१ गोली सोठ या पान क साथ जिलाए |

२३. धातततीण--१ गोली थोड स वशलोचन क साथ खिलाकर

ऊपर स तरिफला कवाथ पिलाए |

२५. असह--१ गोली बकरी क दध क साथ कछ दिन खिलाए'

सभाल क पततो क रस क साथ भी लामगरद ह | २४ सदद --१ गोली पहिल खाकर ऊपर स अरक वादियान या

गलकद म थोडा सा तल वादाम अधिक मिलाकर द ।

२६. बवासीर चादी-- १ गोली ४ माशा शीरा कासवल क

साथ सात दिन तक गबिलाए। यदि ववबासीर खनी हो, तो

कशनीज क चणो क साथ द।

२७ जयर म--१ गोली सतगिलोय या अलसी क तल स द ।

४८. ततीयक जवर--१ गोली २ माशा रवत जीरा क साथ

बारीक करक ७ माशा इवत शककर क साथ वारीक करक

द सात दिन तक ऐसा कर। यदि मादा वलगमी हो) तो

पीपल बढाए !

Page 219: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४२ )

२६, पितत जवर--१ गोली कशनीज क चग क साथ पहिल

खिलाकर ऊपर स खसफ क बीजो का रस 'ओर शरबत

नीलोफर पिलाए । ३०, कमप जयर--२ गोली लॉग क साथ द ।

३१ नासर--१ गोली ओर बिलली की टडडी दोनो पतथर पर

घिस ओर बरण सथान पर लगाए ।

३०. तरण जलन--१ गोली आतला क ताज रस क साथ पतथर

पर घिसफर तरग सथान पर लगाद ।

३३, उदश--१ गोली वारीक पीसकर १ तोला नीम क परतो क

चगी क साथ खिलाए' । झटटी मीठी व हानिकर वबसतशरो स परहज ।

३४. छषट रोग--झोच क बीज अर धतर क बीज सम परिमाण चर करक ३ माशा चगय क साथ ९ गोली मिलाकर दव।

इसका सवन २० दिन तक करना चाहिए ।

३४५ पाएड रोग--१ गोली ७ माशा मथी क बीजो क चरण क

साथ सात दिन तक सिलाए ।

३६ हबबा गोग-१ गोली शीरा बादियान क साथ द. यागमा

क दध म घिसकर पिलाय।

३७. मतरावरोध--१ गोली शीरा इवत जीरा क साथ द। सॉठ क च ओर पान क साथ दना भी लाभकर ह ।

«८. बाकपन--१ गोली कपर बटिका क साथ दन स यह दोप

दर हो जाता ह ।

Page 220: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ७ट )

अर की उचतवा म धिस हर जनननदरिय पर घिला फर। ४८, सरप दश-हलछ मोलिया बारी 6 करफ ढ पततो अगाऊकर यह चर मर । 2. बाहमनी पलफ-. १

| र

ः कद मम वह, पनदरय-शिविलवा--९ गोली मरगी क

भितत स‍थान पर

गोली न क बनी म पगगल करट पल

$. £ ३, बडिय+दश--फड लप कर |

भा० धर पतती क साथ आउजन प पर लप कर |

गोली मोछ क रस म घिसकर

नोट.-- बनी पनाई गोलिया 'ददाती फारमसी! स >) दरज भिनन सकी ह। जन पा ए'तक क मख पर पर दख ।

Page 221: Ghar Ka Vaid - archive.org

असाधारण योग मणडार अरथात‌

व समसत अलभत योग

जो दहाती फारमसी, म० पो० कासन, जि० शढगावा, म

तयार होकर असखय रोगियो पर अनभत द ।

नवदन

इसक परव, कि हम व सार असाधारण योग आपको भट

कर, जोकि आज तक कभी निषफल नही हए; यह बता दना चाहत 6, कि मलरिया जवर कई परकार क होत ह, अतः यदि

एक ओपधि परभाव न कर, हो दसरी परयोग करनी चाहिए। य' तो आजकल मलरिया पर अचछी २ दवाए भी असफल हो रही द, किनत हम आपको चन हए अचक योग ही भट करत द ।

अनभव बताता ह कि मलरिया क रोगियो को यदि पहिल कोई जलाव द दिया जाय, तो ओऔपधिया अधिक गरभाव दिखाती ह। अत. पहिल हम कछ उततम विरचन-योग लिखत द, जो मलरिया पर विशष रप स लामदायक ह |

Page 222: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ७४ )

मलरिया गरसत रोगियो क लिए कोषट बदधता निवारक आर रचन लान वाली ओषधिया

दहाती घडचढी' य गोलिया वदयक की व परशसित गोलिया ह, जिनकी खयाति

का ढका सार दश स वजर रहा ह। इनस न कवल यह,

कि मललरिया गरसत रोगी झो कछ दसत आकर विपाकतत दरवय

(जिनह डाकटर लोग मलरिया क कीटार बतात ह) निकल कर

परायः अवसथाओ म लाभ हो जाता ह, अपित और भी अनक

रोगो क लिए यही गोलिया अकसीर सिदध हो चकी ह । जवर

गरसत रोगी की आय व शकति क अजसार उस लगाकर १६-१२

गोलियो तक, मिशरी क शरबत या ठड पानी स दन स कबज दर हो जादी ह । न‍

नोट-इसका योग थव परषठो पर लिखा जा चका ८ ।

चमतकारी रचन (मवो वाला) गत दिनो हम वदयक की सपरसिदध औपधि “इचछा भदी रस'

तयार कर रह थ कि अचानक एक सवामी जी पधार | व महान

साध और कशल वदय मी थ। मन उनस पछा कि आपक

विचार स 'इचछा भदी रस? स उततम और कोई विरचन ह या

नही ? कहन लग--हमन तो जलाव क पचासो योग वना

दख । अनत म एक जलाव सनतोषजनक मिला । जिसकी ठलना

ल “इचछा भदी रस” कोई वसत नही ढ । अति समम, नितवानत

हानि रहित, और अमीराना। पछन पर उनहोन निमन पढ बताया :--

Page 223: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ७६ )

योग--हचच डलमलक मदविर १ तो०, नारियल की गिरी १ तोला, बादाम १ तो०, पिसता ६ मा०, चिलगोज की गिरी

६ मा?, छोटी इलायची ६ भा० | पहिल हवव उलमलक को अति सकषम पीस, फिर बादाम, फिर नारियल शष तीनो ओपधियो को परथक २ खरल करक मितरा ल और फिर अति सदरम पीसकर चीनी यथा काच को शीशी म रख ल। मातरा--२ रतती मिशरी क शबत क साथ द। साथ ही समरण रह कि रोगी धप मन निकल ।

जव‌र-विरचन तरिफलला आवशयकतानसार कट कर. परसतत रख और जब

रोगी को जलाब दना हो, तो ३ तो० चरण पावभर पानी म उचाल जब आधा पानी शष रह, तो छानकर थोडा नमक मिलाकर रोगी को पिलाए। इसस एक दो दसत बहत दगगनधियत आएग ओर ईशवर कपा स जवर उततर जायगा। या कम स कम हलका हो जाथगा। चकि तनिक सवाद कढठ ह, अतत. कोमल परकति वाल रोगी नही पी सकत ।

अनय विरचन यह विरचन कोपचबदधता दर करन क लिए परम लाभपरद

ह। अतः लवर-रोगी को जब कोछ-छदधि को आवशयकता हो, तो इस योग को काम म तञाए' | याग--शलञाब क फल १ तोला, बनफशा क फल १ तोला; कद की गिरी ६ मा०, सनाय की पतती ३ भा० सबको छद पाव था

Page 224: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ७७ ) आधा सर पानी म घोठ छानकर ४ तो० तरजबीन खरासानी मिलाकर दोबारा छानकर पिलाए' । यदि शीतकाल हो, तो इस तनिक सरम करक पिलाए' इसस २-३ दरत आऊर तवियत हलकी भर साफ हो जाती ह। लि चढ हए मौसमी जयर को उतारन वाल योग

उछ योग इसी घमतक क गत परषठो पर “एनटीफबरीन व फिला- सटीन की समकतत अपधिया” क शीपफातरगत लिख जा चक ह, शष जवरहारक थ परसवदक योग नीच अकित किए जात ह । लाल शककरी चरण

जिसस अधिकास रोगियो का जयर आध घट म पसीना ह आकर उतर जाता ह | यह योग मोौसभी क अतिरिकत बारी क लिए भी लामपरद‌ ह। मन इस सकडो रोगियो पर अचभव किया ह। जिस म अकसीर बयरः क नाम स अततारो को वचता रहा ह । यदि रस दवा को जवरागमन स परव द दिया जाय, तो जवर रक जयगा। यदि चढ जवर म दढ, तो ईशवर कपा स पसीना आकर उतर जायगा ) थोग--मनी हई फिटकरी २ तोला, गर २ तोला, शकर ५ पोला, वारीक पीसकर मिलाल । साजा--१ माशा स < साशा तक | सवन विधि--बही ह जो आरमम म बताई गई ह। अरथात‌ जरागसन स घट दो घट परव दढ, तो चढन स रोकठा ह | यदि

Page 225: Ghar Ka Vaid - archive.org

० ५.2)

चढ हए जवर म दना हो; तो सॉफ क कवाथ स घट २ क

अनतर स दत रह, दिन म ३ बार । (

नोशादरी आक चरए जो कि जवर क मवाद को पसीना और मतर दवारा निकाल

दता ह । योग--आक की जड का छिलका २ तोला, कलमी शोरा ४

तोला, अजवायन ४ तोला, नोशादर ४ तोला, सहरम पीसकर मिलाल ।

मातरा-एक माशा स ४ मा० तक गरम चाय या गम पानी

स द। पसीना आकर जवर उतर जायगा, या मतर जारी होकर । अचछी लाभपरद वसत ह ।

सवादिषट चए-तपतोड” यह चण भी एक विशष योग ह। च'कि जयर क रोगी कडवी

कषली ओर गम बसतओ स बहत घबरात ह, किनत विवश हो खानी पडती ह । किनत यह दवा लाभदायक होन क अति-

रिकत सवादिषट ओर शानतिपरद भी ह, जिसस पसीना आकर अति शीघर जवर उततर जाता ह।या कम होकर हलका हो जाता ह |

योग--काला जीरा २ तो०, काली मिरच ? तो? सघा नमक

“ तोला, खाड ?« तोला | चारो को परथक २ पीसकर मिलाल ।

बस सवादिषट 'तपतोइ! चर तयार ह । भरातरा--३ साशा गस पानी या चाय क साथ द ।

Page 226: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ७६ )

पाउडर शक एकोनाइट जब रोगी शकतिवान हो, नवज खब मोटी चलन रही हो, चहरा लाल हो, आखो स सरखी हो, सिर म पीडा हो, जयर नया हो, उस दशा स यह दवा वडा परभाव दिखाती ह। च कि विषाकत दवा ह, अतः किसी कषीण रोगी को कदापि न द । कवल वदयो क काम की बरत ह ।

योग--एकोनाइट' (चश बिला मदविर) १ भाशा उततम परकार का लकर पकक खरल म डालकर आख ओर मह को वबचाकर पीस और खब सततायम हो जान पर ५ तोला शगर ऑफ मिलक य। दाता चीनी २ तो+, ततराशीर २ तोला मिलाकर निरनतर १२ बट खरल करक शीशी म डालकर सभाल रख ।

मातरा-करवल १ रतती पानी क साथ । फिनासटीन और एन‍टीफपरीन की भात एक घट क अनदर २ हदय की बढी हई पडकन कमत हवोकर जवर दर कर दती ह।

हर परकार क जवर का अगद यह योग न कवल मलरिया, अपित दर परकार क बवर क

लिए लामगरद ह | जब जयर उतरन म ही न आता दो; उस अवसर पर चमतकार दिखाती ह ।

योग--गौदनती हरताल भसम उततम विधि स बनी हई १ तोला ( आक स अचछी वन जाती ह ) इवताभरक भसम १ वोला, उततम जञोभान कोडिया--मिलाकर रखल ।

Page 227: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ८5० )

नोट--कवल परथम ठो भर मातर भी लाभगरद सिदध ददोती

ह। कई वार का अनमव ह । शड ९ कर धि‌ $

जवर की बारी रोकन वाली झपधिया छछक योग जो कि जयर की बारी रोकन क लिए विशष

लामपरद सिदध हए द) गत परठो पर लिख जञा छक ह। शप

यहा अकित किए जात ह--

मलहठी पडिया बचचो क लिएः* **“*“* मीटी कनन की परतिनिधि

बचच कडदी दबा खा नही सकत. अत- यह दवा हमन विशष रप स बचचो क लिए तयार की ह। बड २ रोगी भी सवन करक लाभ उठा सकत ह । मीटी ह, बिलकल समदी ओर सनदर ह, परम लाभगरद ह। जयर की बारी रोकन क लिए अकसीर ह ओर विशषता यह ह कि चढ जवर म दन पर भी

हानि क वजाय लाम ही करती ह । दखन म बिलकल कनन की भाति 5वत ओर हलकी द किनत सवाद म छनन की साति कडबी

नही ह ।

योग--आक का दध आवजयकतानसार मिटटी क कोर पयाल म डाल ओर कपडा ढक कर छाया म रख द। यहा तक कि पड २ दध बिलकल सख जाय । इस जमी हई पपडी को चाक स खरचकर दोल ओर उसम स १ माशा दवा लकर चीनी या काच क खरल म डाल ओर १ तोला चीनी खाड डालकर एक

Page 228: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ८१ )

घटा खरल कर। फिर ७ तोल ३ माश चीनी खाड और डाल

कर सशकत हारथो स ८ घट खरल करक वोतल म रखल !

_सचन विधि व लाम--इसक लाभ तो असखय ह किनत

यहा हम कवल मलरिया अर उसक उपसरगो क समबनध म ह

बणन करग। यवा और ददध रोगियो क लिए इसकी मातरा

प तती स २ रची तक ह | कचल पानी या किसी अक स जवर

; होन स ३ घट पच एक पडिया ओर १ घटा पव फिर एक पडिया

बचचो को ९ चावल स ४ चावल तक। आशा ह कि यदि रोगी

का पट साफ करक दी जाय, तो एक दो दिन म ही जवर रक

जायगा | चढ जवयर म दन स पसीना आकर उतर जीता ह!

मलरिया क उपसरग--वमन) दसत खझोर खासी क लिए

लामपरद ह। किन‍त ऐसी दशाओ म दध व चाषल ह मोजन

दिन म तीन १ बार दना चाहिए |

जवर रोक पडिया योग--करजबा क वीज की गिरी ५ तोला, काली मिचच

२ तोला, फिटकरी की खील २ तोला; सकषम पीसकर मिला ल |

सातरा--१ सा० जवरागमन स २घट परव अति लाभगरद ह |

मलरिया अगद ..._ यह बह योग ह, जिस म दाव

क साथ कह सकता ह कि

कनन स किसी परकार कम नही । अपित लाभ ओर मलय दोनो

क अनसार उसस उततम ह। आप भी इस मलरिया क दिनो

म बनाकर मफत वारट ओर जन-सवा कर ।

जोग--सझनी हई फिटकरी, झना हआ खझहागा नौशादर

परतयक तीन-तीन माशा, वलमीशोरा छ- मा० कई ह चरो डढ

तो०, सबको एक घटा बारीक पीसकर रख ।

Page 229: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ८२ )

भातरा-तीन रतती स चार रतती । चढ हए जवर को उतारता

और उतर हए को रोफता ह, पानी, दध या अर सोफ स द । नोट--यह दवा सन ४२ क भयककर जवर-परकोप म बढी ददी

लामपरद सिदध हई थी, किनत ह तनिक कडदी और गम । ऋअसथ

गरमिसी सतरी व कोमल परकति रोगी को न द ।

'जवगरि अगद वरटी' ( न कवल मलरिया, अपित हर परकार क जवर क लिए )

यह योग हमार एक भिनर न जन-हिताथ परकट किया ह

जोकि उनक दवाखान स सकडो रपय का वना हआ विक रहा

ह। अब आप सवय बनाकर लास उठाय । योग--हरित गिलोय एक तो०, चिरायता, नीम क पतत,

काली मिरच परतयक ५ तो०, अततीस २ तो०। सबको जोकट करक

३ सर पानी स भिगो रख ओर फिर आग पर उदाल। जब सारा पानी जजकर कचल पावभर शोप रह जाय, तो मलकर

छान ल ओर निमन ओपधियो का चर डालकर खरल कर। जब गोलिया वाधन योगय हो जाय, तो चणक परिमाण की

गोलिया बना ल। ओपधिया निमन डारल--

करजबा की गिरी ५ तोला, शदध कनन १ तो०, झदध सत गिलोय १ तो०, तचाशीर आसमानी १ तो०, रचनद उसारा १ तो0; दाना इलायची 5 सा०।

मातरा--१-१ गोली गरात. साय व दोपहर को भी उचित

अनमान स द | ईउबर कपा स हर परकार क जवरो को जड स उखाड दगा |

Page 230: Ghar Ka Vaid - archive.org

( 5३ )

योगोपहार

अब हम अपन पाठको को व सहसतरो वार क परीकषित

अर सफल योग भट करत द, जो कि हमार मितरो न दश व

जञन कलय.ण क लिए भज ह | यदि आप भी दश की सवा

, करन क लिए इचछक ह) तो हम अपन अनभत योग भजिय

ताकि हम आगामी ससकरण म उनह छाप सक |

जवरषत अकसीरी लवण

नमक शीशा था नमक लाहौरी इवव बरणण का ५ तोला; समदर

माग २ तोला, लोह' की कढाई म रखकर आग म धोक, यहा

तक कि पानी हो जाय । उततार कर ठडा कर आर कटकर फिर

समदर काग ? तोला और सोमल ६ माशा डीलकर पन परवबत‌

आग म रखकर धोकनी स धोक झोर चककर आ जान पर

ल 5 माशा डालकर

तरल हो जान पर

जिस वदय लोग ह ढत

ही बताना चाहत

उतार ल | किर समदर माग २ वोला, सोम

कटकर उसी तरह कर ओर पानी की भाति

उतार ल | यही नमक कायम उलनार ह जि

फिरत ह। किनत हम यहा इसका जवरघन होना

ह। जवर की दर दशा म अकसीर ह ।

सातरा--१ रतती पानी या चाय क साथ |

Page 231: Ghar Ka Vaid - archive.org

( झ४ )

शिगरफ भसम--अकसीर मलरिया दरवय-शिगरफ १ तोला की डली, कपर २ तोला ।

विधि-लोह क तव पर आधा कपर रखकर ऊपर शिगरफ

की डली रखद और फिर शष आधा कपर रखकर नीच आग

जलाए' | आग लग जायगी और शिगरफ भसम होगी। ठडी

होन पर सकषम पीसकर शीशी म सरकषित रख | मातरा--एक रतती खाड म रखकर खिलाए' | यदि जवर होन

स एक घटा परव इसकी एक सातरा खिलाकर एक घटा बाद वरी

या तलसी क दो पतत खिलाए, तो ईशवर कपा स नि३चय ही दी जवर न होगा।

शारा करायस उलनार शोरा कलमी ५ तोला, काली मिच का चरो ३ तोला, १ ततो०

सिच का चरण लोह क तव पर रखकर ऊपर शोरा रख और फिर १ तोला काली मिच का चणो रखकर नीच आग जलाए |

ओर शोरा क पानी दो जान पर १ तोला चरस काली मिरच चटकी दवारा समापत करद । फिर ठडादवोन पर पीसरल ओर उसम इसका आधा नोशादर ब उसका आधा करजबा तथा उसका आवा फलफल दराज ओर उसक समपरिमाण कीकर गोद पीस कर वना ल।

सातरा--१ माशा दिन म तीन वार | यह एक ऐसी अकसीरी दवा ह जो भललरिया क लिए कनन स किसी परकार कम नही | वनाक परीजना कर ।

Page 232: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४5० )

जोहराजापरिया यह योग भी कनन क बराबर काम दता ह आर विशपता

यह कि नितानत हानि रहित ओर हर तवियत क अनकल आन वाली वसत ह। न फवजल मौसमी जयर, अपित पमनय परकार क कई जवरो म भी लामदायक ह । परभावकत भी कमाल दरज का ह, पहरो तक परदचीजषा नही करनी पडती | गल स उतरत ही परभाव

होन लगता ह।

योग--नोौशादर, कलमीशोरा, परतयक ४ तोला परथक‌ २ बारीक पीसकर मिलाल और मिटरी क कोर पयाल म फला कर रख ठ। तथा उस पयाल क ऊपर दसरा कोरा पयाला जिस का

मह उसक म ह पर फिट आ जाय, रखकर माप क गशध हए थराद स अचछी परकार बनद करक चलह पर रख ओर नीच चरी की लकडी की आध घटा मनन‍द २ आच जलाए | ततपरचात तीन घट तक तज आच जलाए। फिर आग बनद करक जो

कछ पयालो म स परापत हो, सचम पीसकर रखल ।

सचन विधि-मातरा ४ रतती परात. साथ पानी या उचित अक |

लाभ --हर परकार क जवरो क लिए विशषकर मौसमी जवरो

क लिए परभ लामपरद ह।

जवर रोक लघ वटिका य गोलिया मौसमी जवरो की वारी रोकन क लिए बहत ही

7) आर सर

Page 233: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ८६ )

लामदायफ द | जवर दनिक हो, या छतीयक वा चौथिया, सबक

लिए समान गणकारी ह । किनत शरत यह ह करि पवर १५ दिन

पष स आता हो । नए जवर क लिए लाभपरद नही, अपित हानि

का भी भय ह|

थोग -इवत सखया दधिया,; 5वत कतया, इवत चना; परतयक

३ माशा, चीनी था काच क खरल म डालकर परथक‌ २ पीसकर मिलाए और ? घटा नीब क रस म खरल करक बाजर क दान बराबर गोलिया वनाल।

सबन बिधि- एक गोली जवरागमन स दो घट पथ द। किनत आवशयक रप स पहिल कछक परास हलबा, दध आदि चिकनी बसत क ढ । ईइवर कपा स पहिली ही मातरा, नचत दसरी या तीसरी मानना स जवर को वारी रक जञायगी ।

मलरिया नाशक चए--बदल कनन कनन को भाति जवर की बारी रोकना ही इसका काम नही,

अपित फिनसटीन की साति पसीना लाकर जयर को उतार दना भी इसका चमतकार ह और फिर कमाल यह, कि अतयधिक ससती ओर आसानी स बनन वाली चसत ह। आप भी बनाकर परीकषा फर ओर लाभ उठाए |

योग--अफसनतीन, सोडा सिलीसिलास, करजबा की गिरी; उचित परिसाण स ।

विधि--अपसनतीन और करजबा की गिरी को चणो करक सोड। सिलीसिलास मिला ल। बस तयार ह।

Page 234: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ८७ ) सातरा--४-४ रची परातः साय गरम पानी स द। दो तीन

दिन सवन कर | ईडवर कपा स मलरिया को जड मल स उखाड

कर रख दन वाली वसत ह । | 4

अकमीर मलरियाई जवर निमन परयोग मौसमी जवर क लिए शवशोलभत ह। जोकि

ईशवर कपा स कभी चकता नही । यह समरण रह कि य दि रोगी को कबज हो, तो पहिल उस दर कर ल। तदननवर इस धकसीर

की २-३ मातराए ही सवसथ कर दती ह। कनन या इजकशन की

तलाश नही करनी पढती ।

योग--नौशादर सतव, फलफलदराज, करजबा की गिरी, गर

समपरिमाण लकर कटफर छानकर चन बराबर गोलिया वनाए |

मातरा -१-१ शोली परात. दोपहर व साय उचित अलपान स।

बचचो क लिए इसकी मातरा २ चावल स ४ चावल तक शरवत

वनफशा, या अरक गावजवा या पानी क साथ ।

मलरिया अगद निमन थोग मर विशष योगो म स ह। जिसकी सकडो

रोगियो पर अनभव करक लाभपरद पाया ह। लाहोर क एक

मशहर दवाखान म अकसीर घखार क नाम स चल रहा ह ।

योग--ठवाशीर, छोटी इलायची का दाकतता, सत गिलोय,

करजचा की गिरी, इवताञरक भरसम, शयामाअक मसम गौदनती

हरतात भसम, परतयक ६ मार; कनन सलफास ४ सती, य

३ रतती, सबको पीसकर चरा बनाए |

Page 235: Ghar Ka Vaid - archive.org

६ झम )

मातरा--२ स ४ रतती तक अर गावजवा या शरतत बतफशा स ।

अकसीर तप जवर क मौसम म कलानर जि० गरदासपर जाना हा

बहा जवर बहत फला हआ था। जयर क साथ परायः लोग

बमन, ठपा, वचनी आदि स पीडित थ, जिसम निमन योग

अतयधिक लाभपरद सिदध हआ--

योग--करजबा की गिरी ५ तोला, अतीस ४ तोला फलफल

दराज, फलफल सथाह १-१ तोला, सबका बारीक चणो करल ओर

निमनाकित कवाथ म खरल करक ( चिरायता; शषक गिलोय, नीम

क पतत परतयक ५ तोला दो सर पानी म पकाए |) जब पाव भर

पानी शप रह जाय, तो छानकर उसम दवाए खरल कर ) जहर महरा खताई, तवाशीर एक तोला डालकर चन वरावर

गोलिया बनाल ।

एक-एक गोली परातः साय डचित अनपान स दिया कर |

करजवा वटी य गोलिया कई बार की परीकषित और विदवसत ह । करजचा की गिरी ९ तोला, दार फलफल ४ तोला, इवत जीरा

२ तोला, वर मगीला ४ तोला सबको कट छानकर चन वरावर गोलिया बनाए ।

“१ गोली दिन म दीन वार शरवत वनफशा या बजटी शिकजबीन क साथ सन कराए |

Page 236: Ghar Ka Vaid - archive.org

कफज व वातज जवर का अनभत योग योग--कासनी, कशनीज खदक, परतयक १-१ तोला, अजमद

६ भाशा, पीपल 5६ मा, सब दरवयो ऊ तीन भाग कर | एक भाग

एक छटाक पानी म रात को मियोद । परातः मल छानकर खमीरा वनफशा २ तोला घोलकर पीए' | निरनतर ३ दिन क सवन स

जयर दर दो जाता ह| परायः एक मातरा म ही लाभ हो जाता ह ।

किनत सरकषाथ तीन दिन सवन कर ।

मलरिया की सफल चिकितसा पदधति

मलरिया कया ह ? इस पर कछ कहन को जी चाहता ह ।

किनत काब मार की अधिकता क कारण इस विषय पर विसदत

विवचन करना असमभव सा दो रह ह । यदि मझ इतना अधिक

थाधय न किया जाता, यो सममवत य पकतिया भी परकाशित न

हो सकती । असत नीच हम अपनी सात वरष की अनभत और

सफल चिकितसा पदधति अकित करत ह । सममव ह; कई माई

इसस लाभ का सामान पा सक |

मलरिया की चिकितसा म हमार ३ सिदधानत रह ह:

२--आमाशय की शदधि ।

२-उपसरगो का शमन ।

३--चढ जवर को उततारना और बारी को रोकना | ह

(शर) आमाशय की शदधि सललरिया म परमावशयक ह!

किक कक किक २५० कह कलम मत

Page 237: Ghar Ka Vaid - archive.org

६ ७ 53

परायः ही कबज ओर आमाशय की विकषति उततमीततम ओऔपधियो

ओर चिकितसा को असफल करक रोगी की परशानी ओर

चिकितसक की वदनामी का कारण बन जाती ह। इसक लिए

परायः सगनशिया सालट अलभत और परचलित ह । यदयपि उसस

आमाशय का दपित दरवय निकलकर जवर म कमी हो जाती ह ।

किनत यदि आमाशय म सदद हो, तो व जयो क सयो रहत द;

जिनस आमाशय और यकत दोनो विकत हो जात ह। थोड

ही कालोपरानत पलीहा वदधि और लगातार जवर परारमभ हो जाता

ह | हा यदि सह न हो तो सगनशिया सालट स तवरियत साफ

होकर साधारण दवाओ स ही जयर दर दवो जाता ढ। हमारी

चिकितसा इस परकार ह, कि अगर सदद हो और आतो म अवरोध

हो, तो वनफशा ९ तोला, उन‍नाव ७ नग, गलाव क फल ५ माशा॥

सनाय की पतती ६ साशा, निरवीज मनकक ०नग, का कवाय

पिलाकर तवियत को हलका सा विरचन द लिया जाता ह | तद-

नन‍तर भौदनती ससम २ रतती, शत वनरफशा क साथ पराव- साथ

इसस रोगी अति शीघर सवसथ हो जाता ह । (ब) यदि जवर क साथ अनय, उपसग यथा तठीतर सिर-पीडा

हो, तो उसक लिए गौदनती भसम क साथ एसपरीच एक रतती,

फिनासटीन एक रतती, कफिन साइटरास $ रतती द दन स १० मिनट क मीतर २ रोगी को चन परापत होकर आराम मिल जात।

ह। उस दशा म यह दवा शरवतत बनफशा ४ तोला, अक गाव-

जवा १ तोला क साथ ददी जाय, तो बहत लामशरद सिदध होती ह ।

Page 238: Ghar Ka Vaid - archive.org

( &£१ )

तषा घिकय--मलरिया रोगी को पयास बहत लगती ह । यदि उपरोकत विधि स चिकितसा की जाय, तो ईशवर कपा स

६-७ घट म सार उपसरग दर हो जात ह किनत यदि फिर भी रोगी पयास स वचन हो, तो उस क लिए परम लाभपरद‌ व सगम विधि यहद ह कि खश ५ माशा, हरी इलायची तीन नग; शाहतरा

? माशा, दो सर पकक पानी म उवालकर ठडा करक एक दो वार एक २ छटाक पिलान स ठपाधिकय मिट जाती ह। ऐसी

दशा म यदि परकतति कफज न हो, तो आलबखारा का मह म

रखना भी परम हितकर ह |

धमन व जी मिचलाना-किसी २ मलरिया स वन व जी

मिचलञाना अधिक पदा हो जाता ह | उसक लिए सरल विधि

तो यह ह कि शाहतरा १ माशा को एक सर पानी म उबाल लिया जाय | इसका एक-एक घट आध घणट क अनतर स क व जी मिचलाहट को रोक दता ह । या उसकी जगह वायनम एफी-

कॉक ( यपथिक ) एक ब'द‌ एक ऑस पानी म मिलाकर दो तीन बार पिला दीजिए ।

यदि करिसी अदसथा स वसमन बनद न हो, तो पावडर ऑफ

आरसनिक ( जिसका विसतत विवरण 'दिहाती अनभत योग

सगरह” क परथम भाग म लिखा जा चका ह) की एक सातरा

अकसीर स कम नही होती ।

,.._ नोट--आरसनिक की मितली एक विशष लकषण रखती ह

यदि उसका धयान रखा जाय, तो न कवल यह कि पयास दर

Page 239: Ghar Ka Vaid - archive.org

ह आन

हो जायगी, अपित जवर भी दर हो जायगा। वह लकषण यह ह. कि रोगी तज पयास तो परगठ कर, किनत एक दो घ'ट स अधिक पानी न पी सक और आमाशय सथल पर जलन परकट कर |

अगर तीतर पयास क साथ अतिमार की शिकायत मी हो तो आननन‍दपरद चण! जिसका वरणन 'दिहाती अनभत योग समरह' म लिखा जा चका ह, परम लासपरद सिदध होता ह। इसक सवन स तीनो ही उपसग शात होकर रोगी को आराम मिल जाता ह |

मलरिया क उपसग--सलरिया का परा आकरमण सार शरीर स कषट उतपनन कर दता ह । कभी सार वदन म दरद होता ह। यदयपि पतरोकत एसपरीन स कछ घटो क लिए आराम हो जाता ह, किनस कभी पन. परारमस हो जाता ह। रोगी अपन को थका हआ अनभव करता ह। मानो कि उसका शरीर चर २ हो रहा हो । उस सयय पाशोया करना परमहितकर सिदध होता ह । पहिल समय म हरक मनषय सबस अधिक धयान परमातमा पर रखता था, उसक बाद अपन सवासथय पर | किनत आज क यग म इन शोपक प जीपतियो न हम गरीबो को नतो इस योगय ही छोडा कि हम ईउबर का धयान कर सक ओर न ही इस योगय कि हम अपन सवासथय की ओर धयान द सक। यही कारण ह, कि आजकल बहत ही सकषम चिकितसाए दश मर म परचलित ह। चकि यहा हमारा समबनध मलरिया और उसक उपसरगो स ह, अत. हम अपन परिय पाठको स निवदन करग कि व भी

Page 240: Ghar Ka Vaid - archive.org

[_ हट )

भरकति की दी हई अदञपम'दनो स लाभ उठाए। इस समबनध म दहाती फारमसी दवारा परकाशित 'दहादी'पराकतिक चिकितसा! नामक, पसकक आपकी बहत ह सहरयता करगी। कयोकि उसम आकतिक वसतओ यथा नौम, चबल, पीपल, वरगद, मली, गाजर आदि स ही सरव रोगो की सफल चिकितसा करना बताया गया ह। गरीबो क लिए अपन परकार की एक ही परतक ह ।

इसक शरतिरिकत आपको छछक चनी हई ओऔषधिया भी द बताता ह, ताकि आवशयकता क समय आप दतकाल लाभ उठा सक । शरीर वथा हडडियो क हर परकार क जवर को दर करन क लिए होमियोपथिक ढग स बसी हई दवा आरनिकामानट च० ३० (&0ा०॥॥१५॥६ 30) दो ब“द पानी म मिलाकर द द । ततकाल पीढा बनद हो जाती ह। किनत चोट' लगन की पीढा क लिए

स‌ ३० ( २०४(0५5 30 ) दना जाहिए4

ट खशखबरी यह शस सचना सनात हए हम परम ह ह कि भ० दहाती

फारमसी, म० पो० कासन, जिला शदगावो न अपनी फारमसी म

भायवदिक आोपषधियो क अतिरिकत होमियोपथिक ओपधियो का भी परबनध कर लिया. ह। चकि होमियोपथिक चिकितसा

आधनिक चिकितसाओ म सरवशरषठ मानी जाती ह; कयोकि इसकी ओपधिया तततण शरभाव दिखावी ह, असत पाठकगण

Page 241: Ghar Ka Vaid - archive.org

€ ६४ )

आवदयकता क समय ओपधियो मगा सकत द । कहा स उचित

भलय पर मिल सकगी ।

कमप- मलरिया कमप स ही होता ह; इसक लिए आरामशिय

शदधि क बाद मौदनदी भसम २ रची) शरीत: साथ शवत वनफशा

या वजरी स द द । काफी ह । |

कमप क लिए कनन सी लामदायक ह, किनत आजकल

यह असफल मिदध हो रही ह। असत एक और अनमोल योग

सन लीजिए और वनाकर सवॉसथय यश व थनोपाजन कीजिए

गलाबी पाउडर--शिगरफ रमी, सोमल इवत उचित परि-

भाण म लकर पानी स रगडकर टिकिया बनाए और तव पर

रखकर ऊपर पयाला ओघा करक नौच अआराग जलबि। एक घट

भन‍द आच जलात रह। तदसनतर खरल “म वासक करक

सरहतित रखल। कसप स पषर या परारमभ होत ही एक तिनका

मनकका म डालकर द द, वस कमप दर हो जायगा |

, धारी-बारी रोकन क लिए हमारी पदधति यह ह कि नागा क दिन मद विरचन दकर बारी क दिन जवरागमन स पव

धाउडर ऑफ आरसनिक' शरवत उन‍नाव या सादा पानी स द दिया जाय । इसका परमाव ईइबर, छपरा, स कनन स ',बढकर ही रह।. ह। ,यदि यह तयार न- हो, वो अकसीर,बोरी” ,अयोस म लञाए:-- 2. 2 7 क क 2

Page 242: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ६४ )

' अफसीर बारी छोटी इलायची का दाना ३ मा०, जाज अहमर ३ माशा,

चरी बनाकर' १-९ माशा, आत! दोपहर सीय-शवबत उननाव या सादा पानी स द दीजिए। ईरवरचछया परथम दिवस ही जवर हक जायगा।

लाख रपए का एक ही योग. ” * अलरिया और उसक उपसगो' का,अदवितीय इलाज

तीन परसिद ओपधालयो का गपत रहसय

य तञोग लखक क परशसनीय परयतन स दी लाखो लोगो क कलयाणाथ शरकाशित हो सक ह, जो कि लाखो रोगियो पर

अनभत हो चक ह.। य योग तीन सपरसिदध ओपषघालयो क गपत

रहसय ह, जिनह ईइवर ही जान, किन २ परयासो स परापत किया गया ह ।

लीजिए योग शरसतत ह । ईशवर कपा स इसक होत हए मलरिया क लिए आपको ओर किसी योग की आवशयकता

* नही पडगा |

योग--जमालगोटा मदविर १ तोला, करजबा की गिरी १ तोला, तबाशीर असली ६ माशा, सत गिलीय १ तोला; फलफल

. सथाई" ६ तोला, छोटी इलोयची का दीना ई भाशा, सोढा सिली

$ भाशा; फिनासटरीन १ बोला, गर ६ माशा, बारीक

Page 243: Ghar Ka Vaid - archive.org

( ४६ )'

पीसकर रोगन बादियान क साथ आवशयकवाइसार गोलिया

घना;ल । ह

4-१ गोली आवः दोपहर व साय शरवत बनफशा या सादा

पादी क साथ द । इशवर छपा स २-३ दसत आकर तवियत साफ

हो जायगी और जवर पहिल ही दिन दर दो जायगा। अनय

उपसनी भी मिट जायग ।

यदि कठिन कोपबदधता हो, तो २ स » गोली तक सररक

परष को सोत समय वाजा पावी स द। परातःकाल उठत ही

सार दपित दरवय बिना किसी कषट क निकल जायगा।

0॥ इतठि शमम‌ ॥

हर परकार की पसतक बी० पी० दवारा भगान का पता--

दहाती पसतक भणडार, चावढी बाजार, दिली-६ मदरक--यादव परिनदिक भरस, बाजार सीताराम, दिलली |

Page 244: Ghar Ka Vaid - archive.org

क दि ग दिल" 0 र‌ः

गह क पौध म रोगनाशक अपबय गण गह का परयोग हम सभी लोग बारहो मास भोजन म करत रहत

ह, पर उसम वया गरण ह, इस पर लोगो न बहत कम विचार किया _ह। मोट तौरस हम लोग इतना ही जानत ह कि यह एक उततम शकतिदायक खादय-पदारथ ह | कछ वचयो न यह भी पता लगाया ह कि मखय शकति गह क चोकर म ह, जिस परायः लोग आटा छान लन क बाद फक दत ह अथवा जानवरो को खान को द दत ह, सवय नही '

. खोल ह । हम हानिकारक महीन आटा या मदा खाना पसनद करत ह और लाभदायक चोक र-सहित मोटा झाटा खाना पसनद नही करत |

; फल यह होता ह कि जकतिरहित गदा (मदा) खात रहन स हमलोग ' जीवन भर शअनक परकार की वीमारियो स पीडित रहा करत ह । “कतिक चिकितसक लोग पराय चोकर सहित आटा खान पर जोर ' दत ह, जिसस पट की तमाम वीमारिया अचछी हो जाती ह। 2 'पठ भिगोकर सवर गह का नाइता करन स अरथवा चोकर का हलआा खान स शकति आरती ह। फिर भी लोग ऊमट स बचन क लिय डाकटरी दवाइयो क फर म शरधिक रहत ह; जिनक सवन स नयी- 'नयी बीमारिया दिनो दिन बढती जा रही ह, फिर भी लोग चतत नही ह । सतरिया तो विशषकर दवा की भकतिनी हो गयी ह। घर म' रोज काम म शरान वाली और भी शरनक चीज ह,जिनक उचित परयोग स अनक साधारण बीमारिया अचछी हो सकती ह, जिनह कि हमारी

बढी-वढी माताए अधिक जानती थी, पर आजकल की नयी सतरिया डॉ

Page 245: Ghar Ka Vaid - archive.org

98

उनक बनान क भभट स बचन क लिए बनी-वनायी दवाइयो का परयोग ही जयादा पसनद करती ह, फिर चाह उनस दिन-दिन सवासथय गिरता ही कयो न जाए ।

इसी उपय कत गह क समबनध म आज हम एक नयी वात बताना चाहत ह--

शरभी हाल म शरमरीका की एक महिला डाकटर न गह की शकति क समबनध म वहत अनसनधान तथा अनकरकानक परयोग करक एक वडी पसतक लिखी ह, जिसका नाम ह “शर 87रिषि? &प8 एछ'..- एए॥०४४ (888 ७79” यह पसतक शरापको “महातमा गाघी' लिसरगोपचा २ झराशरम, पोषट उरली काचन, जिला पना स मिल सकती ह | पहल इसका मलय तीस रपय था। इसकी लखिका ह, डा० ए० बिरामोर, 90 070 9).,, 7 8,0 , ?.ए 7, ; 8 0 70. वरग रह-- ;

उसम उनहोन अपन सब शरनसनधानो का परा विवरण दिया ह। उनहोन अनकानक शरसाधय रोगियो को गह क छोट-छोट पौधो का रस (५४॥०४॥ 07988 7पा००) दकर उनक कठिन स कठिन रोग शरचछ किय ह। व कहती ह कि 'ससार म ऐसा कोई रोग नही ह जो इस रस क सवन स शरचछा न हो सक। कसर क बड-बड भयकर रोगी उनहोन भरचछ किय ह, जिनह डाकटरो न असाधय सममकर जवाब द दिया था और व मरणपराय अवसथा म अरसपताल स निकाल दिए गए थ। ऐसी हितकर चीज यह शरदभत श]०86 (888

टी

रणा०७ सावित हई ह। अनकानक भगदर, ववासीर, मधमह, गठिया- | बाय, पीलियाजवर, दमा, खासी वगरह क परान स परान भरसाधय

Page 246: Ghar Ka Vaid - archive.org

99

बा का इस साधारण स रस स अचछ किय ह । बढाप की कम-

क हक म तो यह रामवाण ही ह। भयकर फोडो और घावो

नक बड लगदी बाधन स जलदी लाभ होता ह।

अमरिका क अनका-

बज मर, डाकटरो न इस वात का समरथन किया ह और शरव

र गजरात परानत म भी अनक लोग इसका परयोग करक

लाभ उठा रह ह।

तयार करन की विधि भी उकत महिला

ह, ताकि परतयक साधारण मनषय

सक ओर दसर अनय रो गियो

को लोग (76887 8006 की

स 40 फीसदी मल

इस अमत-समाच रसक

डाकटर न विसतार परवक लिख दी

भी इस तयार करक सवय लाभ उठा

को भी लाभ पहचा सक । इस रस

उपमा दत ह, कहत ह कि यह रपष मनषय क रवत

खाता ह | ऐसी अदभत चीज शराज तक कही दखन-सनन म नही

आरायी थी । इसक तयार करन की विधि बहत ही सरल ह। परतयक

मनषय अपन घर म इस आसानी स तयार कर सकता ह । कही इस

मोल लन जाना नही पडता, न यह. वटट दवा क रप म विकती ह ।

यह तो रोज ताजी बनाकर ताजी ही सवन करनी पडती ह ।

इस रसक बनान की विधि इस परकार ह

आप 0-2 चीडक टठ-फठ बकसो म, बासकी टोकरी म शरथवा

र उनम परति दिन वारी-बारी ब

मिटटी क गमलो म अचछी मिटटी मरक

स कछ उततम गह क दान वो दीजिए और छाया म अथवा कमर या :

बरामद म रखकर यदाकदा थोडा-थोडा पानी डालत जाइयग, वप न भ

लग तो अचछा ह। तीत-चार दिन बाद पड उगर जायग और शरा5- ल

दस दिन क वाद बीता-डढ-बीता (7-8 इच ) भरक ह

ो जायग, तव च

आआराप उसम स पहल दिन क वोए हए 80-40 पड जड सहित उखाड न

कर जड को काटकर फक दीजिए और बच हए डठल और पततियो र

Page 247: Ghar Ka Vaid - archive.org

00

को (जिस '॥०४७ (४8९8 कहत ह) घोकर साफ सिलपर थो पानी क साथ पीसकर आध विलास क लगभग रस छानकर दया कर लीजिय और रोगी को ततकाल वह ताजा रस रोज सवर पिल दीजिय। इसी परकार थामको भी ताजा रस तयार करक पिलाइयर-

वस आप दखग कि भयकर-स-भयकर रोग आठ-दस या पनदरह वी दिन वाद भागन लगग शलोर दो-तीन महीन म वह मरणपराय पराए एकदम रोगमकत होकर पहल क समान हटठा-कटटा सवसथ मनषय ६ जायगा। रस छानन म जो फजला निकत उस भी आप नमक वरगर डालकर भोजन क साथ खा ल तो बहत अचछा ह। रस निकालन ४ मभट म स बचना चाह तो आप उन पौधो को चाक स महोन-महीः काटकर भोजन क साथ सलाद की तरह भी सवन कर सऊत ६ परनत उसक साथ कोई फल न मिलाय जाय। साग-सठजी मिलाक खब शौक स खाइय, शराप दखियगा कि इस ईधवरपरदतत शरमत सामन डाकटर-वदयो की दवाइया सब वकार हो जायगो, ऐसा उः महिला डाकटर का दावा ह।

गह क पौध 7-8 इच स जयादा वड न होन पाय, तभी उनह काम “म.लाया जाय । इसी कारण 0-2 गमल या चीडक बवस रखकः

Page 248: Ghar Ka Vaid - archive.org

30]

वारी-बारी (परावः परति दिन दो-एक गमलो म) आपको गह क दान चबोन पडग | जस-जत गमल खाली होत जाय, वस-वस उसम गह बोत चल जाय । इस परकार यह गह घर म पराय वारहो मास उगाया जा सकता ह |

उकन महिला डाकटर न अपनी परयोगशाला म हजारो असाधय रोगियो पर इस ए/॥०७६ ७79३8 ०४7०७ का परयोग किया ह भर व कहती ह कि उनम स किसी एक मामल म भी असफलता नही हई ।

रस निकाल कर जयादा दर नही रखना चाहिए। ताजा हो सवन कर लवा चाहिए । घणटा-दो-घणटा रख छोडन स उसकी शकति घट जाती ह और तीन-चार घणट वाद तो वह बरिलकल वयरथ ही हो जाता ह ! डठल शर पतत इतनी जलदी खराब नही होत। व एक- दो दिन हिफाजत स रक‍ख जाय तो विशष हानि नही पहचती ।

इसक साथ-साथ शराप एक काम शरौर कर सकत ह, वह वह कि

धराप शराधा कप गह लकर घो लीजिय और किसी वरतन म डालकर

उसम दो कप पानी भर दीजिय, वारह घणट वाद वह पानी निकाल

कर आप सरवर-शाम पी लिया कीजिय । वह शराप क रोग को निम‌ ल‌

करन म और अधिक सहायता करगा । बच हए गह शराप नमक-मिरच

तर ह बना कर सवन डालकर वस भी खा सकत ह शरथवा पीसकर हलवा

गा ह सकत ह--सश “कार कर सकत ह अबवा सखाकर आराठा पिसवा

लाभ-ही-लाभ ह।

Page 249: Ghar Ka Vaid - archive.org

302

ऐसा उपयोगी ह यह रोज काम म आन वाला गह। उपय कठ शरपन जी पसतक की लखिका न बहत परसन‍न मन स सबको छट द

रबखी ह कि ससार म चाह जो वयकति इस अमत का परयोग करक लाभ उठाव और लोगो म परचार कर, जिसस सव लोग सखी हो ।

मालम होता ह हमार ऋषि-मनि लोग इस करिया को परणझप स जानत थ। उनहोन सवासथय की रकषा करन वाल पदारथो को नितय क पजा-विधान म रख दिया था, जिसस लोग उनह भल न जाय और नितय ही उनका परयोग करत रह | जस तलसीदल, वलपतर, चनदन, गगाजल, गोमतर, तिल, धप-दीप, रदराकष वगरहर। इसी परकार पजाझो म जी का परयोग और जौ वो कर उसक पौध उगाना भी पजा का एक विधान खखा था, जो परथा आज तक किसी-त-किसी रप म चली आ रही ह। गह और जी म बहत अनतर नही ह। बहत समभव ह, जी क छोट-छोट पौधो म जीवन शकति अधिक हो, शरौर समभव

: ह, इसी स पजा म जी को ही परधानता दी गई हो परनत हम लोग ' इन सवासथयवरदधक चीजो को कवल पजा की सामगरी समभकर उनका : नाममाजन को परयोग करत ह--सवासथय क विचार स यथारथ मातरा म उनका सवन करना हम भल ही गय ह ।

ऐसा ह यह गह क पौधो म भरा हआ ईववरपरदत शरमत ! लोगो को चाहिए कि व इस अरमत का सवन कर सवय सखी हो और लाभ मालम हो तो परोपकार क विचार स इसका यथाशकति परचार करक

_.भन‍य लोगो का कलयाण कर और सवय महान‌ पणय क भागी हो ॥ ह >म

Page 250: Ghar Ka Vaid - archive.org

08

गह क पीध का रस पीन स वाल भी कछ समय क वाद काल हो जात ह । शरीर म ताकत वढती ह। मतराशय का कहर भी ठीक हो जाता ह । भख सच लगती ह। आखो की जयोति वढती ह। विदयाथियो

का शारीरिक व मानसिक विकास खतर होता ह और समरण शकति चढतोी ह | छोट वचचो को भी यह रस दिया जा सकता ह। छोट बचचो को पाच-पाच य द दना चाहिए ।

जिस भिटटो म गह बोया जाय, उसम रासायनिक खाद नही होना चाहिय ।

| छपणशा पर पट 4५३] श।

| 34$ ह |

॥॥ ।! रस धीर-धीर पीना चाहिए। रस बनन पर तरनत पी लना

चाहिए। तीन घणट म उसक पोपक गण दर हो जात ह। रस लन क परव तथा वाद म एक घणट तक कछ भी न खाया ज/य। शर म कइयो को उलटी होगी और दसत लगग तथा सरदी मालम पडगी। यह सव रोग होन की निशानो ह। सरदी, उलटी या दसत होन स शरीर म एकतरित मल वाहर निकल जावगा, इसस घबरान की जररत नही ह । रस म अदरक अथवा खान क पान मिला सकत ह, इसस

Page 251: Ghar Ka Vaid - archive.org

304

सवाद तथा गण म बढती हो जाती ह । रस म नीय शरयया समता नट मिलाना चाहिए ।

यह रस लन वालो का शनभव ह कि इसम परारो, दात और दाल को वहत फायदा होता ह शलीर कतजियत की बीमारी नही रहती । इस रस क सवन स कोरट हानि नही होती । उसका सवन कर समय सादा भोजन ही लना चाहिए | तली हई बसतर नही सानी चाहिए ।

जिन भाइयो को लाभपहच व परकाथक को अपन झन भव झिएः कर भज ताकि दसरो को बताया जा सक |

Page 252: Ghar Ka Vaid - archive.org